अनकहा अहसास - अध्याय - 6 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनकहा अहसास - अध्याय - 6

अध्याय - 6

घर पहुँच कर पिता ने रमा से पूछा।
उन्होंने क्या कहा बेटी ?
उन्होने कहा कि यदि मैं अनुज से शादी करूँगी तो वो अनुज को जायदाद से बेदखल करने के लिए कोर्ट में घसीटेगीं, और उसका परिवार बिखर जाएगा। पापा मैं ऐसा क्यूँ चाहूँगी कि मेरी वजह से उन दोनों के बीच टकराव हो, और अगर मैं अनुज को ये सब बताती हूँ तो वो एक मिनट में मेरे लिए सब कुछ छोड़ देगा, पर क्या ऐसा करना ऊचित होगा पापा कि अपने स्वार्थ के लिए मैं उससे सब कुछ छीन लूँ जो उसका अधिकार है।
कह तो तुम ठीक रहीं हो बेटा। पर क्या इतना सब होने के बाद अनुज चुप रहेगा। वो तो तुमसे मिलने आएगा ही। तब क्या कहोगी तुम ?
शादी से मना कर दूँगी। रमा ने जोर देकर कहा।
क्या बोली तुम रमा।
मैं शादी करने से मना कर दूँगी पापा।
पर ये तो कोई रास्ता नहीं हुआ बेटा। इससे तो तुम्हें भी तकलीफ होगी और अनुज को भी।
तो आप ही कोई रास्ता बताइये ना, और कोई विकल्प है क्या? मैं तो सब कुछ नसीब पर छोड़ देती हूँ पापा। वक्त बड़ा बलवान होता है। अगर वो मेरे नसीब में होगा तो मिल जाएगा। नहीं तो सब ईश्वर की मर्जी। पर अपने से मैं कभी नहीं बताऊंगी कि उसकी माँ ने मुझसे क्या कहा था। कहकर वो अपने कमरे में चली गई।
इधर अनुज के एक कंधे पर प्लास्टर चढ़ा था और वैसे ही उसने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। सारे रिवाजों को पूरा करने में उसके दो तीन दिन बीत गए। इस दौरान न तो रमा या उसके परिवार से कोई आया न तो रमा ने फोन किया और ना ही रमा ने फोन उठाया बल्कि ज्यादातर समय रमा का मोबाईल स्वीच ऑफ ही रहता था फिर एक दिन वो नम्बर ही बंद हो गया।
अब अनुज को थोड़ी चिंता होने लगी। उसके मन में शंका व्याप्त हो गयी। उसने सोचा चलो घर जाकर ही पता करता हूँ कि क्या बात है।
अगले दिन वह कार लेकर रमा के घर पहुँच गया। उस दिन सब लोग घर पर ही थे।
अनुज ने जाकर मेन गेट की घंटी बजाई।
रमा के पिताजी घर से बाहर आए।
ओह!! अनुज तुम ?
क्या मैं अंदर आ सकता हूँ अंकल ?
सॉरी अनुज। मैं कहना तो नहीं चाहता पर अब रमा तुमसे नहीं मिल पायेगी।
नहीं मिल पायेगी मतलब।
मतलब अब तुम्हारी उसके साथ शादी नहीं हो पायेगी।
ये आप क्या कह रहे हैं अंकल ? अभी चार दिन पहले तो आप ही ने तय किया था हम दोनो की शादी। फिर अचानक क्या हो गया ?
अचानक रमा ने अपना मन बदल लिया है अनुज।
मतलब ?
मतलब वो तुमसे प्यार नहीं करती ऐसा उसका कहना है ?
क्या उसने ऐसा कहा आपसे ?
हाँ उसी ने कहा।
पर क्यूँ। मैं नहीं मानता। आप झूठ बोल रहे हैं।
मैं क्यूँ झूठ बोलूंगा अनुज। आखिर ये मेरी बेटी की जिंदगी का सवाल है।
नहीं मुझे यकीन नहीं हो रहा है आप झूठ कह रहे हैं।
मुझे उसके मुंह से सुनना है। उसकी आँख से आँसू की धार बहने लगी।
मैं सच कह रहा हूँ अनुज तुमको यहाँ से चले जाना चाहिए।
नहीं। आप रमा को बुलाइये। रमा बाहर आओ। रमा। रमा वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। आह! आह! उसके कंधे पर प्रेशर भी पड़ रहा था।
वो बाहर नहीं आएगी मैंने कह दिया ना अब उसका रिश्ता तुम्हारे साथ नहीं हो पाएगा। तुम चले जाओ।
रमा! रमा! बाहर आओ रमा। मुझे तुमसे बात करनी है वो जोर-जोर अपने हाथ को दीवार पर पटकने लगा। अचानक उसके कंधे का प्लास्टर खून से लाल हो गया।
तुम व्यर्थ ही तबियत खराब कर रहे हो अनुज।
कम से कम अपने स्वास्थ्य के लिए यहाँ से चले जाओ।
मैं नहीं मानूंगा अंकल। आप बस एक बार रमा को बुला दीजिए। उसका प्लास्टर अब खून से लथपथ हो गया था। खून काफी बह चुका था। वह किसी भी वक्त बेहोश हो सकता था।
वह परदे के पीछे सब सुन रही थी। उसे अनुज के स्वास्थ्य की चिंता हुई और वो तेजी से बाहर आई। अनुज सिर झुकाकर रो रहा था।
तुमको पापा ने बताया ना तो सच क्यों नहीं मान रहे हो। रमा चिल्लाई।
अनुज ने धीरे सर उठाकर देखा।
ये तुम क्या कह रही हो रमा। मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा। अनुज अब भी रो रहा था।
मैं ठीक कह रही हूँ। वो सब दिखावा था मुझे तुमसे कोई प्यार-व्यार नहीं। अब चुपचाप चले जाओ यहाँ से ।
अब तक खून इतना बह चुका था कि ये सुनते ही अनुज एक ओर लुढ़क गया। रमा फौरन उसके पास आई उसका नाक चेक किया। सांस चल रही थी।
पापा ये बेहोश हो गया है, इसको तुरंत अस्पताल ले जाकर इसके घरवालों को खबर करनी होगी।
उसके पापा ने उठाकर अनुज को कार में रखा और अस्पताल छोड़कर उसके ऑफिस में खबर कर दिए।
अनुज वक्त पर हॉस्पिटल पहुँच गया था करके उसकी जान बच गई। अन्यथा कुछ अनहोनी भी हो सकती थी। यह सोचकर रमा बहुत डर गई और अचानक उस झंझावात से बाहर आ गई।
उसने इधर-उधर सिर घुमाकर देखा स्टाफ रूम में कोई नजर नहीं आया।
दो वर्ष पूर्व की वो सभी यादें अब भी उसके दिमाग में तैर रही थी। कितना समय बीत गया। इन दो वर्षो में वो अनुज को एक पल भी भूल नहीं पाई थी पर भाग्य का पलटवार देखो कि भागते-भागते वो उसी के अंडर आ गई थी। आज वो उसके कॉलेज का मालिक था, बॉस था और उससे किसी भी वक्त बुलाकर बात कर सकता था।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।