अनकहा अहसास - अध्याय - 11 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनकहा अहसास - अध्याय - 11

अध्याय - 11


उसने शेखर को फोन लगाया।
हैलो शेखर।
ओ हैलो अनुज। इतनी रात गए फोन कैसे किया।
अरे यार एक काम रमा को बताना था। परंतु उसका फोन स्वीच ऑफ आ रहा है। तुम्हारी उससे कोई बात हुई क्या।
नहीं तो। मेरी तो कोई बात नहीं हुई। पर इतनी हड़बड़ी क्या है कल बता देना।
हाँ तुम ठीक बोल रहे हो। कल बता दूँगा।
वो क्या है कि मुझे याद रहता नहीं है इसलिए सोचा अभी याद आया है तो अभी ही बता दूँ।
नहीं यार मेरी तो कोई बात नहीं हुई। शेखर बोला ।
अच्छा चल ठीक है। बाद में बात करता हूँ। गुड नाइट।
अब वो परेशान होने लगा। सोचा चलो बस स्टैंड चलकर देखता हूँ। वो तेजी से बस स्टैंड की ओर गया। वहाँ भी सब सुनसान पड़ा था। उसने प्रत्येक बस में चेक किया पर रमा वहाँ नहीं थी उसने पूछताछ में जाकर बात की पर वहाँ भी बताया गया कि आखिरी बस तो 8.30 को जा चुकी है और दूर वाली सभी बसें 12 बजे रात को निकलेंगी। उसको समझ में आया कि वो तो घर से ही 9 बजे निकली है तो बस से तो कही गई नहीं होगी वो ये सोच ही रहा था कि अचानक मधु का फोन आया।
हेलो अनुज भैया ?
हाँ हेलो मधु। क्या बात है ?
बस ये पूछने के लिए फोन लगाई हूँ कि आप अब तक घर क्यों नहीं पहुंचे। रात के 12 बज रहें हैं।
कुछ नहीं मधु वो सुबह रमा को पैर में चोट लग गई थी ना तो उसको देखने उसके घर गया था।
पर वहाँ जाकर पता चला कि वो तो 9 बजे से कहीं जाने के लिए निकल गई है।
तो आप क्यों परेशान हो रहे हैं भैया, गई होगी कहीं। आप घर आ जाईये।
नहीं मधु। जब तक मुझे ये ना पता चल जाए कि वो सुरक्षित है और स्वस्थ है मुझे चैन नहीं मिलेगा। अब तो उसका मोबाईल भी बंद आ रहा है।
आप क्यों उसकी चिंता कर रहे हैं भैया जब वो आप के जीवन में नहीं आना चाहती ?
इससे क्या फर्क पड़ता है मधु मैं तो उसे चाहता हूँ ।
आपको समझना तो असंभव है भैया। आप मुझे माफ कर दीजिए प्लीज। मैं बस आपको खुश देखना चाहती थी इसलिए मैंने ही उसे जाने के लिए कहा है।
ये क्या कह रही हो मधु तुमने उसे जाने को कहा।
हाँ भैया। वो संभवतः आपको रेलवे स्टेशन में मिल जाएगी क्योंकि 12 बजे रात को उसकी ट्रेन है।
ओ!!! थैंक्यू मधु। एक बात याद रखना मधु कि दुनिया में दो ही लोग हैं जिन्हे मैं जान से ज्यादा प्यार करता हूँ। एक तुम और दूसरी रमा। ठीक है फोन रखता हूँ और रेलवे स्टेशन जाता हूँ।
ठीक भैया।
अनुज ने फोन रखा और गाड़ी रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ा दी।
वहाँ भी लगभग सनुसान ही था। उसने गाड़ी पार्किंग में लगाकर उसे देखना चालू किया। सामने तो वो कहीं नजर नहीं आ रही थी फिर अचानक उसने देखा कि पटरी के उस पार प्लेटफार्म नं. 4 पर अंधेरे में सिर्फ एक लड़की बैग लेकर बैठी है। 12 बजने में दस मिनट ही थे और ट्रेन किसी भी वक्त आ सकती थी। अनुज एकदम तेजी से सीढ़ियों पर दौड़ते हुए भागा और उस पार गया। तभी ट्रेन आते हुए दिखाई दी। वो और तेजी से भागा और पास पहुंचते ही जोर से चिल्लाया।
ओ मिस रमा !!!
रमा चैक कर पलटी। वो अनुज को अचानक वहाँ देखकर हैरान थी।
ट्रेन आकर रूक गई थी।
रमा उठकर ट्रेन की ओर जाने लगी।
कहाँ जा रही हैं आप रमा जी। अनुज ने उसका हाथ पकड़ लिया।
छोड़ो मुझे। तुमने मेरा हाथ कैसे पकड़ लिया छोड़ो। मैं बोल रही हूँ ना छोड़ो। वो जोर-जोर से हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
छोड़ो ना मेरी ट्रेन निकल जाएगी।
देखिए मैडम आप इस तरह बार-बार मुझे छोड़कर नहीं जा सकती।
मतलब?
मतलब आपको याद दिलाना पड़ेगा क्या कि आपने महाविद्यालय में काम करने के लिए बांड भरा है आपको जाना है ना तो जाओ पर याद रखना आपके पूरे परिवार को मैं कोर्ट घसीटूँगा। आपको आपके माता पिता सबको। यह कहकर उसने हाथ छोड़ दिया।
तभी ट्रेन चलने लगी।
जाओ मैंने तो आपका हाथ छोड़ दिया है। जाओ ना !! अनुज चिल्लाया।
रमा बैठ गई और रोने लगी।
मैंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा अनुज। रमा रोते हुए बोली।
तुमने मुझे धोखा दिया और क्या। धोखेबाज हो तुम।
और तुम क्या हो तुम धोखेबाज नहीं हो। रमा गुस्से से चिल्लाते हुए बोली।
मैं धोखेबाज। मैंने कब धोखा दिया तुमको हाँ रमा मैंने कब धोखा दिया तुमको।
अनुज नाराज हुआ।
मुझसे प्यार की नौटंकी कर रहे थे तुम। क्यूँ मेरा इंतजार नहीं किये। तीन दिन के अंदर ही दूसरी लड़की पसंद करके शादी क्यूँ कर लिए ? रमा चिल्लाई
तुम्हें किसने बताया कि मेरी शादी हो गई। अनुज एकदम शाक्ड था। हाँ ये सही है कि मेरी माँ अपने किसी सहेली की बेटी के साथ जबरदस्ती मेरी शादी कराना चाहती थी परंतु मैंने खूब लड़ाई झगड़ा करके उनको स्पष्ट मना कर दिया था।
अब हैरान होने की बारी रमा की थी पर उसके मम्मी की बात उसको अच्छे से याद थी।
धोखेबाज सिर्फ तुम हो रमा मैं नहीं। अनुज बोला
हाँ मैं ही धोखेबाज हूँ क्योंकि मुझे तुमसे प्यार नहीं है।
तुम झूठ बोल रही हो रमा। मुझे मालूम है कि तुम झूठ बोल रही हो। पता नहीं क्यूँ पर मैं जानकर रहूँगा। अनुज उदास होते हुए बोला।
तुम क्यों नहीं समझते अनुज मुझे तुमसे कोई प्यार नहीं है। मेरे लिए सोचना बंद कर दो। और तुम भी चैन से जीओ और मुझे भी चैन से जीने दो।
नहीं मैडम चैन से तो अब मैं तुम्हें जीने नहीं दूँगा। वो बांड वाली बात भूलना नहीं। मैं अब भी उसके लिए सीरियस हूँ। चुपचाप वापस चलो घर।
मैं नहीं जाऊँगी। तुम जाओ यहाँ से। रमा बोली
चलो यहाँ से। कहकर अनुज ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की। परंतु रमा अपना हाथ बचाने पीछे की ओर सरकी और अचानक लड़खड़ा कर गिर गई।
रमा !!रमा !! अनुज जोर से चिल्लाया।
रमा तब तक बेहोश हो गयी थी।
अनुज एकदम डर गया।
रमा। रमा। होश में आओ रमा। रमा। रमा।
वो अब भी बेहोश थी। उसकी सांसे चल रही थी।
उसने दो तीन कुलियों को आवाज लगाई तो वो तुरंत आ गए।
भैया लोग थोडी़ मदद करिए और इनको रेलवे के मेडीकल रूम तक लेकर चलिए। अनुज ने कहा।
सब लोगों ने उठाकर उसे मेडीकल रूम तक पहुँचाया
ड्यूटी पर उपस्थित डॉक्टर ने रमा को चेक किया और बताया कि कमजोरी और थकान की वजह से ये बेहोश हो गयी है। ग्लूकोश ड्रिप लगा देने से ये होश में आ जाएंगी।
डॉक्टर साहब। आपसे एक प्रार्थना है। अगर आप घर पर चलकर अगर ड्रिप लगा देते तो मुझे ज्यादा सहुलियत होती।
कहाँ पर है घर आपका।
यहाँ से बहुत पास ही है डॉक्टर साहब। प्लीज। मैं आपको वापस छोड़ दूँगा।
अच्छा ठीक है चलिए।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।