अध्याय - 9
अनुज को तुमसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी।
रमा चुप थी।
तुम्हे बुरा लगा तो उसकी ओर से मैं सॉरी बोलता हूँ। शेखर ने कहा।
अरे आप क्यों सॉरी बोल रहे हैं। वो है ही खड़़ूस। रमा बोली।
नहीं रमा पहले वो ऐंसा नहीं था। पहले तो वो बहुत खुशमिजाज था और दूसरों को भी खुश करने वाला इंसान।
फिर शायद कोई लड़की उसके जीवन में आई थी जिससे वो बहुत प्रेम करता था उसने उसे धोखा दे दिया।
ये सुनते ही रमा ने सिर उठाकर शेखर की ओर देखा।
पर वो उसका गुस्सा तुम पर निकालेगा ऐसा सोचा नहीं था।
हाँ आप सही कह रहे हैं।
मुझे आप की बजाए तुम कह सकती हो।
अच्छा ठीक है अब से मैं तुम कहकर ही बात करूंगी।
वो दोनो बात कर ही रहे थे कि अचानक कैंटीन में अनुज एक लड़की के साथ आता दिखाई दिया।
अनुज की नजरे अचानक रमा से टकराई। वो देखा कि रमा और शेखर हँसकर एक दूसरे से बात कर रहे हैं उसने गुस्से से सोचा कि इस शेखर की इतनी हिम्मत कि मेरी रमा से नजदीकियाँ बढ़ाए।
रमा भी उस लड़की को पहचानने की कोशिश करने लगी, उसे लग रहा था कि उसने उसे कहीं देखा है कहीं यही तो अनुज की पत्नि नहीं ? मुझे क्या करना है ? अनुज मुझे धोखेबाज कहता है और खुद ही कितना बड़ा धोखेबाज है। मुझसे प्यार की नौटंकी की और शादी किसी दूसरे से कर ली। इतनी हड़बड़ी थी उसको कि मुझसे अलग होने के तीन दिन के अंदर ही इस लड़की को देख लिया और शादी कर ली। ये भी नहीं सोचा कि मुझ पर क्या बीतेगी।
हेलो शेखर। तुम लोग यहाँ कैंटिन में। अनुज ने नजदीक आकर पूछा।
हाँ भई। हम लोग यहाँ नहीं आ सकते क्या ? शेखर ने पूछा।
मुझे क्यों नहीं बताया। मैं तो कैंटिन आने ही वाला था। मैं आ जाता तुम्हारे साथ।
इनके साथ आ गया तो क्या हो गया यार ? मुझे थोड़ी मालूम था कि तुम कैंटिन आने वाले हो ।
लगता है इन्हे पसंद नहीं आया मेरा आपके साथ आना। रमा बोली।
नहीं, नहीं ऐसी कोई बात नहीं, मैं कौन होता हूँ पसंद और नापसंद करने वाला। आप लोग एंजाय करो।
शेखर मुझे लगता है हमें यहाँ से जाना चाहिए। रमा बोली
जी नहीं सिर्फ आप जाइए मिस रमा और अपने विभाग की खरीदी बिक्री की पूरी फाईल आधे घंटे में मेरे केबिन में लेकर आईये। अनुज रमा की बात को बीच में काटते हुए बोला।
रमा नाराज होते हुए चुपचाप उठकर चली गई।
यार तुझे नहीं लगता कि तू उसे कुछ ज्यादा ही परेशान कर रहा है। शेखर बोला।
कहाँ परेशान कर रहा हूँ जो भी कर रहा हूँ वो तो कॉलेज के हित के लिए ही है। अनुज बोला।
भैया ये लड़की जो यहाँ बैठी थी शेखर के साथ उसका नाम क्या है। मधु ने पूछा।
रमा। रमा नाम है उसका।
मधु ये नाम सुनकर चौक गई। उसने अनुज की ओर देखा।
भैया दो मिनट आती हूँ कहकर मधु उठने लगी तभी अनुज ने उसका हाथ पकड़कर उसे वापस बिठा दिया और सिर से ना का इशारा किया।
मधु चुपचाप बैठ गई।
तुम लोग यहीं बैठो हो मैं थोड़ा फाईल देख कर आता हूँ। कहकर वो निकल गया। वो वहाँ से निकलकर सीधे विभाग चला गया। परंतु जब वह पहुंचा तो वो वहाँ नहीं मिली। उसने तुरंत फोन लगाया।
हेलो, मिस रमा।
जी सर,
आप कहाँ हैं ?
मैं तो आपके केबिन में पहुंच गई हूँ सर।
मैं तो आपके विभाग में हूँ और आप केबिन गई यह कहकर उसने फोन काट दिया।
रमा तेजी से दौड़ते हुए वापस अपने विभाग की ओर भागी। जब वह वहाँ पहुंची तो अनुज वहाँ नहीं था। अब उसने अनुज को फोन किया।
हेलो सर,
हाँ जी मिस रमा।
सर आप कहाँ हैं ?
मैं तो केबिन में हूँ आप तो केबिन में थी ना इसलिए मैं यहाँ चला आया। अब तुरंत यहाँ आईए।
रमा वापस दौड़ते हुए केबिन पहुंची ।
मे आई कम इन सर। वो हाँफ रही थी।
आ जाईए। दिखाईए फाईल। ठीक है वहाँ रख दीजिए।
तुम मुझे परेशान क्यूँ कर रहो अनुज ? रमा हाँफते हुए बोली।
तुम। ये तुम कौन है ? मैं यहाँ तुम्हारा बॉस हूँ इसलिए इज्जत से पेश आओ, और परेशान, वो तो बस अभी चालू हुआ है मैडम। आगे देखते जाओ क्या होता है। अनुज व्यंग मारते हुए बोला।
रमा अब भी हाँफ रही थी।
अब सॉरी बोलो और निकलो यहाँ से। अनुज चिल्लाया।
सॉरी सर। रमा सिर झुकाकर बोली और पीछे पलटकर चलने लगी।
अचानक उसका पैर मेज के कोने से टकरा गया और वो आहहहह कहते हुए नीचे गिर गई। ये देख अनुज अधीर हो गया। वो तेजी से उठा और रमा को बाहों में उठाकर सोफे में बिठा दिया।
कितनी बार बोला है रमा, कि तुम अपना ध्यान रखा करो पर तुम हो कि मानती ही नहीं। अरे अपने लिए नहीं तो कम से कम मेरे लिए अपना ध्यान रखा करो।
अनुज की दिल की बात अंजाने में उसके जुबान पर आ गई थी।
रमा ने आश्चर्य से उसके चेहरे की ओर देखा तो उसने सिर झुका लिया और चुपचाप उसके अंगूठे पर अपना रूमाल बाँधने लगा।
तभी शेखर और मधु अंदर आ गए।
अरे ये क्या हो गया रमा। शेखर ने आते ही पूछा।
अनुज उठकर एक ओर खड़ा हो गया।
शेखर इनके पैर में चोट लग गई है। इन्हें मेडिकल रूम में ट्रीटमेंट करवा कर कार से घर छुड़वा देना।
नहीं मैं चली जाऊँगी। रमा कराहते हुए बोली।
मैं जब कह रहा हूँ ना कि आपको घर छोड़ दिया जाएगा तो चुपचाप चली जाईए ये हमारे कॉलेज के नियमों में है। अनुज चिल्लाते हुए बोला।
रमा चुप रही वो स्टाफ के साथ लंगड़ाते हुए बाहर निकल गई।
उसे प्राथमिक उपचार के बाद कॉलेज की कार से घर छोड़ दिया गया।
क्रमशः
मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।