दोस्ती से परिवार तक - 4 Akash Saxena "Ansh" द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दोस्ती से परिवार तक - 4

मनीष अपनी शर्ट से अपने आंसू पोंछता है और अपने हाथ मे पकड़ी उस चीज को देखता है... "ये क्या है"
खून से सनी होने की वजह से उसे साफ नहीं दिखता... इधर कहीं से एम्बुलेंस की बहुत हल्की सी आवाज आने लगती है,जो शायद रात के सन्नाटे को चीरती हुयी मनीष की तरफ ही आ रही होती है....मनीष तुरंत अपने खून से सने हाथ को अपनी पेंट की जेब मे डालता है और रुमाल निकाल कर उसे साफ करने लगता है.... जैसे जैसे उस चीज़ पर से खून साफ होता जाता है वैसे वैसे मनीष की आँखों से आंसू आने लगते हैँ...

'नहीं ऐसा नहीं हो सकता... ये उसका नहीं है
....ये राहुल का वॉलेट नहीं है...उसका कैसे हो सकता है?... उसके पास तो है ही नहीं'(मनीष अपने आप मे बड़बड़ाने लगता है और उसके आंसू झरने की तरह बहने लगते हैं)....

अपने कांपते हुए हाथों से उस वॉलेट बड़ा डरते डरते धीरे से खोलता है, और मनीष उसमे से कुछ पैसे और कागज़ निकालता है,..'ये है क्या? किसके हैँ? आईडीज़ भी भीग चुकी हैँ खून से' .......मनीष अभी सब देख ही रहा होता है की एक कागज़ का छोटा सा टुकड़ा ज़मीन पर गिरता है और राहुल तुरंत उस टुकड़े को उठाता है,उस पर से भी खून साफ करता है....साफ करते करते खून के कुछ धब्बों मे से राहुल की तस्वीर की झलक देखते ही मनीष सदमे में चला जाता है........वो वहीँ भीड़ मे ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है, तभी एम्बुलेंस के साइरन की धीमी आवाज भी तेज़ होने लगती है ....,और तेज़...,और मानो लाउडस्पीकर की तरह तेज हो जाती है,वो सिर्फ एक एम्बुलेंस की ही नहीं बल्कि उसके साथ आ रही पुलिस जीप की भी आवाज़ होती है ....

एंबुलेंस और पुलिस की गाड़ी की लाल नीली रोशनी देख और सायरन की तेज आवाज़ सुनकर रिया भी गाड़ी से बाहर उतर आती है... "हे भगवान! ये क्या हो रहा है?ये मनीष कहां गया?... मनीष!मनीष!..." रुआसी सी होकर रिया मनीष को ढूंढने लगती है....,... इधर मनीष की आंसू भरी नजरें एंबुलेंस और पुलिस पर पड़ती है.....

और मनीष को ढूढ़ती हुयी रिया की नज़र फिर से भीड़ पर ही पड़ती है, जो पहले से लगभग 3 गुना हो चुकी होती है...
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एंबुलेंस की तेज आवाज में मनीष के रोने की आवाज़ मानो कहीं गुम सी हो जाती है... रिया फिर भीड़ की तरफ बढ़ती है..." मनीष! मनीष!....मनीष यार तू यहांं है क्या?"

मनीष अब भी राहुल की तस्वीर में लिए वहीं बैठा रो रहा होता है...

" अरे मनीष क्या हुआ? तू रो क्यों रहा है? क्या हुआ मनीष बता ना यार?.... कुछ बोल ना यार क्या हुआ है आखिर?"........रिया मनीष को इस तरह देख कर उस से ढेरों सवाल करने लगती है,जिसके जवाब उसे मिलेंगे भी या नहीं उसे नहीं मालूम होता....

'रिया....रिया....वो राहुल...'..
.-" राहुल क्या मनीष?"....

मनीष रिया का हाथ पकड़कर उसे वह खून से सना हुआ राहुल का पर्स और फिर राहुल की तस्वीर थमा देता हैै...
-" ये क्या है?...पर्स को टटोलते हुए वो पर्स खोलती है और फिर उसकी नज़र राहुल की फोटो पर जाती है
.... "नहीं! ये नहींं हो सकता...ये तो राहुल का है ना!... तुझे कहां सेे मिला?... और ये राहुल है कहां?"...

रिया को भी मानो सदमा सा लग जाता है और वो ना जाने ऐसे कितने सवाल फिर मनीष से करने लगती है और मनीष के पास कोई जवाब नहीं होता, बल्कि वो खुद अपने आप से सवाल कर रहा होता है,दोनों की धुंधली नज़रें फिर भीड़ को छान ने लगती हैँ....
तभी ° हटो हटो सब साइड हटो हमें आगे जाने दो.... हटो ना जल्दी° स्ट्रेचर लिए एंबुलेंस की तरफ से आए कुछ लोग और उनके साथ कुछ हवलदार और एक इंस्पेक्टर भीड़ को हटाते हुए उस आदमी की तरफ तेज़ी से बढ़ते हैं,हवलदार एम्बुलेंस तक एक पीले रंग का फीता बांध देते हैँ और वहां खड़े सभी लोगों को उसके पीछे कर देते हैँ ।

-" मनीष बता ना ये तुझे कहां से मिला?"( रिया रोते हुए पूँछती है)....'वहां से!'(मनीष सड़क पर पड़े उस आदमी की तरफ इशारा करता है)...' उसका है ये '....
-"तुझे पता भी है तू क्या बोल रहा है,पागल हो गया है तू"....कहते कहते रिया की आवाज़ बुलंद होने लगती है....

-'रिया! रिया शांत हो जा....रियाआ बस !..."यही सच है यार"
-"नहीं..... वो तो ... राहुल यहां.... कैसे.....क्यों... ये उसका नहीं है...वो....मनीष.....साथ"(रिया को मनीष की बात पर यकीन ही नहीं होता)....' ये सच है रिया'

रिया उठकर भीड़ मे खड़े एक एक आदमी के चेहरे को अपनी सुर्ख आँखों से घूरने लगती है...''राहुल!.....राहुल!.....राहुल!''....मनीष रिया को अपनी तरफ खींचता है ....रिया संभाल अपने आप को...रिया!'....
"रिया होश मे आ"....मनीष रिया को पकड़ कर ज़ोर से झंझोड़ता है....और रिया मनीष को कस कर गले लगा कर रोने लगती है....
-'मनीष अब हम उसके घर वालों से क्या कहेँगे?(रिया रोते हुए मनीष के कान मे धीमी सी आवाज़ मे बोलती है)...तभी स्ट्रेचर पर कुछ लोग उस आदमी को उठाकर ला रहे होते हैं....और लाकर रिया और मनीष से कुछ ही दूरी पर रख देते हैँ....


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अब ,क्या रिया और मनीष उस आदमी को पहचान पाएंगे?
क्या वो आदमी राहुल ही होगा? अगर हाँ तो क्यों? और अगर नहीं, तो फिर राहुल कहाँ है?....सभी सवालों के जवाब जानने के लिए अगला भाग पढ़ें.......और प्लीज प्लीज रिव्यु ज़रूर दें।