छल... ! Deepak Bundela AryMoulik द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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छल... !

छल... !

ज़िन्दगी तो एक धोखा है
जी लो इसे यहीं मौका है.. !

उदय अपने चेंबर से फ़ोन पर बात करते हुए निकला था.. चेंबर से निकलते ही एक बड़ा लंबा हॉल है जिसकी 20×60 की चौड़ाई और लम्बाई है जिसके दोनों तरफ हाफ केबिन लाइन से बने है जिसमें लगभग 30 से 40 लोग बैठे काम कर रहें है..

उदय - बस आप पहुंचिए मैं भी पहुँचता हूं
और वो फोन पर बात करते हुए जूही के केबिन के पास रुकता है..

उदय - जूही जी.. चलिए एक अर्जेन्ट मीटिंग में चलना है..

(उदय जूही को कशिश भरी नज़रों से देखता है जूही भी अपनी साड़ी का पल्लू सम्हालते हुए कहती है )

जूही - ओके सर.. क्या टेंडर फाइल भी रख लूं..

उदय- (मुस्कुराते हुए) हां.. और पिछले साल की ऑडिट शीट भी रख लेना..

इतना कह कर उदय निकल जाता है.. जूही जल्दी से टेंडर फाइल उठती है और ऑडिट फाइल लेती है और अपना पर्स और सामान लेकर जल्दी जल्दी जाती है.. आगे खड़े ऑफिस के ही दो वर्कर जूही बड़े ही अजीब अंदाज़ में देखते है..

अजय - किस्मत हो तो जूही मेम की तरह हो एक ही साल में बॉस की पर्सनल सिक्रेट्री बन गई.

दिनेश- अपन को साला 5 साल हो गये यहां काम करते करते बॉस ने आजतक सीधे मुंह बात नहीं की.. और इन मेडम को देखो... मुझें तो ये फ़िल्म ही कुछ गड़बड़ ही लगती है..

अजय - लें दें कर अपने ऑफिस में 9 फीमेल ही तो है ये उन सब से हसीन खूबसूरत निकली तभी तो बॉस ने लपक ली

दिनेश - जब साला यहां ज्वाइन किया था तो कहा गया था कि हर 2 साल इंक्रीमेंट किया जायगा कुछ नहीं हुआ मेडम को देखो आते ही ठाट हो गए....

तभी अजय को कोई आवाज़ देकर बुलाता है
कि उसके लिए किसी का फोन है.. अजय अपने केबिन की तरफ चला जाता है..
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(कुछ तोहफ़े ऐसे भी होते है जो बहुत कुछ लें लिया करते है)

कार शहर में बन रही पॉज कॉलोनी में एक लम्बी इमारत के सामने आकर रूकती है..

जूही - हम यहां क्यों आए है उदय..?

उदय - पहले कार से बाहर तो निकालिए

दोनों कार के बाहर निकलते है और गाड़ी के बोनट के आगे आकर खड़े हो जाते है.. उदय बिल्डिंग को निहारते हुए जूही से पूछता है

उदय - ये सोसायटी कैसी है जूही..?

जूही - पॉज़ कॉलोनी की सोसायटी है रिच कॉलोनी है..

उदय- अगर मैं तुमसे पुछू के यदि इस बिल्डिंग में तुम अपने लिए एक फ्लेट लें रही हो तो किस फ्लोर पर रहना पसंद करोगी..

जूही- आपभी उदय ऐसा तो कभी मैंने अपने सपने में भी नहीं सोचा..

उदय- सोचने में क्या हर्ज़ है..?

और उदय जूही के पास आ कार उसके कंधे पर हांथ रखते हुए सट कर खड़ा हो जाता है

जूही- अगर ऐसा है तो मुझें टॉप फ्लोर का फ्लेट लेना पसंद करूंगी.

उदय- हूं.. अब अगर मैं ये कहूं कि ये विश तुम्हारी पूरी होने वाली है.. तो तुम क्या करोगी..?

जूही- (चौकते हुए)...रियली उदय...?

उदय हां में सिर हिला कर सहमति देता है

जूही- कहीं तुम मजाक तो नहीं कर रहें हो..?

उदय- जूही मैं मजाक नहीं कर रहा ये हकीकत में होने वाला है..

जूही- (खुश होते हुए) तुम जो कहोगे मैं करूंगी पर ये कैसे होगा उदय..? देखो मुझें मजाक बिलकुल पसंद नहीं..

उदय जूही को अपने सीने में भीचते हुए कहता है..

उदय- ये मज़ाक़ नहीं है जूही.. अगर तुम चाहो तो..?

जूही- मैं... मतलब..समझी नहीं ?

उदय- मतलब ये कि आज जिस टेंडर पर खन्ना जी के साइन होने है तुम जानती हो वो कितने करोड़ का टेंडर है..? पूरे सौ करोड़ का टेंडर है बस उस की फ़ाइनल रिपोर्ट की चाबी खन्ना है.. और खन्ना चाहता है कि..

जूही- खन्ना जी क्या चाहते है..?

उदय- तुम वो तुम्हे चाहता है

जूही इतना सुन कर खामोश हो जाती है

उदय- क्यों क्या हुआ..?

जूही- तुम्हे ये अच्छा लगेगा.

उदय- बात सौ करोड़ की है जानू... पूरी लाइफ सेट हो जाएगी तुम्हारी हमारी..

जूही- मुझें सोचने का मौका दो उदय मुझें लगता है कहीं हम कुछ गलत तो नहीं कर रहें है..

उदय- बिलकुल भी नहीं जान.. इस डील में किसी को कुछ पता नहीं चलेगा..

जूही- चलो ठीक है मैं ये सब करने को तैयार हो जाती हूं पर तुम्हे कोई एतराज तो नहीं होगा..?

उदय-बिलकुल भी नहीं....इंसान की ज़िन्दगी में ऐसे कई मौक़े आते है जूही, बस इंसान सही और गलत की सोच में अवसर गवा देता है.. तुम समझदार हो अगर तुम्हारा साथ रहा तो हम बहुत आगे तक जाएंगे..

जूही- ओके लेकिन ऐसा हर बार नहीं होगा.. ये निर्णय मेरा पहली और आख़िरी बार का ही है... कब मिलना होगा खन्ना से..?

उदय- आज रात को ही..

जूही- आज..?

उदय- क्यों कोई परेशानी...?

जूही- तुम तो जानते हो घर पर कितना सुनना पढ़ता है..

उदय- यार वो तुम्हारा पति कुछ करता धरता तो है नहीं.. वेबजह की प्रॉब्लम ख़डी करता है उसको समझाओ बड़ी बड़ी कोम्पनियों में जॉब यूही नहीं मिलती.. मुझें ये समझ नहीं आता तुमने उस ढोर से शादी कैसे करली यार..

जूही - खैर वो सब छोड़ो यार... मैं समझा लूंगी उमंग को अभी उसे फोन करके बोले देती हूं..

और जूही अपना सेल फोन निकल कर अपने पति को फोन करती है..

जूही - सुनिए ना.. वो मुझें आज ना अर्जेन्ट मीटिंग में पूना पहुंचना था एक बहुत बड़े टेंडर की डील होनी है .. आप नाराज़ मत होइए.. मैं.. कल दोपहर तक लौट आउंगी.. आप अपना ख्याल रखना..

उमंग- ओके अपना ख्याल रखना.. और कौन कौन है तुम्हारे साथ.

जूही- ऑफिस के 7-8 लोग है साथ में वो क्या है इस टेंडर की सारी तैयारी मैंने ही की थी इसलिए बॉस ने कहा कि मेरा जाना भी जरूरी है..

उमंग- वेस्ट ऑफ़ लक.. जानू..

जूही- ओके बाय... सी यू...

और जूही फोन काट देती है.. और सोच में डूब जाती है..

उदय- ओ हल्लो क्या हुआ..

जूही- कभी कभी लगता है कहीं उसे शक तो नहीं होता होगा मुझ पर..?

उदय- अगर होता भी होगा तो वो कुछ नहीं बोलेगा.

जूही- क्यों..?

उदय- जब तुम्हारे पास अच्छा फ्लेट और बहुत सारा पैसा जो होगा.. फिर क्या बोलेगा वो कुछ नहीं तुम जैसा कहोगी वैसा ही करेगा..ये मेरा एक्सपीरियंस कहता है.

और दोनों आपस में लिपट जाते है..

उदय- तो अब अब चले थोड़ा मूढ़ फ्रेश कर लेते है..

और दोनों हंसते अलग होते है.. और कार में बैठते है

जूही- मैं देख रही हूं आजकल आप मूढ़ ज्यादा फ्रेश करने लगें है..

उदय- यार तुम हो भी तो बला की खूबसूरत..तभी तो खन्ना की निगाहें तुम पर टिक गई..

और जूही थोड़ा सा झेप सी जाती है और उदय गाडी स्टार्ट करके सड़क की तरफ बढ़ा देता है..
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दूसरे दिन सुबह के 9 बजे थे उदय होटल के अपने कमरे में खन्ना के आने का इंतज़ार कर रहा था तभी बेल बजती है तो उदय लपक कर दरवाजा खोलता है..

उदय- वेलकम खन्ना जी आइये

खन्ना अपना लेदर का साइड बैग हाथ में लिए अंदर आता है और साइड में रखें सोफे पर बैठ जाता है

खन्ना- भई मज़ा आ गया..

उदय- कोई दिक्कत परेशानी..

खन्ना- ओ ना जी ना ज़न्नत का मज़ा आ गया प्राजी.. दिल खुश कर दिया यार तूने.. ए लो ये फाइल.. ये टेंडर तुम्हारा हुआ जी..

उदय फाइल लेता है और पेपर पूरे चेक करता है..

खन्ना- यार माल बड़ा गजब का था.. कभी एकाद बार और मूढ़ फ्रेश करवा दो यार अब तो हमारा तुम्हारा मिलना जुलना लगा ही रहेगा..

उदय- आप हम पर ऐसी ही नज़रे बनाये रखिये खन्ना जी हम हमेशा आपकी खिदमत है नज़राने परोसते रहेंगे..

खन्ना- बिलकुल बिलकुल चलो जी फ्लाइट का समय हो रहा है अब मैं चलता हूं..

और दोनों हांथ मिलाते है.. और खन्ना विदा होकर चला जाता है.. उदय दरवाज़ा बंद करके फाइल को अपने बैग में रख कर सोफे पर चुप चाप बैठ जाता है. कुछ सोचता है.. फिर अपना सेल फोन उठता है... और फोन लगता है

उदय- आ जाओ.. ओके... नहीं... आ जाओ.. !

और उदय फोन काट कर एक तरफ सोफे पर रख देता है.. और उदास भाव चेहरे पर प्रकट कर बैठ जाता.. तभी दरवाज़े पर नॉक होता है

उदय- दरवाजा खुला है..

दरवाजा खोलती हुई जूही अंदर आती है.. और दरवाजा अंदर से बंद करके उदय के पास आ कर बैठती है..

जूही- क्या हुआ जानू..?

उदय- रात तुम्हारी कैसी रही..?

जूही- मेरी छोड़ो.. खन्ना जी ने क्या कहां...?

उदय- खन्ना जी एक पेंच अड़ा गए है.. !

जूही- कैसा पेंच..?

उदय-तुमने इतना उसे खुश कर दिया के उसने टेंडर को फोर स्टेज में डाल दिया. !

जूही- मतलब..?

उदय- मतलब ये कि वो तीन रातें और तुम्हारे संग बिताने के लिए बोल गया है... अभी उसने 25 करोड़ के ही पेपर साइन किये है. ऐसा क्या कर दिया जो इतना मुरीद हो गया वो तुम्हारा. !

जूही- (घबराते हुए ) तुम मज़ाक कर रहें हो ना..?

उदय- नहीं ये बात बिलकुल सही है. ज़रा हम भी तो देखें आखिर तुमने ऐसा क्या किया..?

जूही- चलो हटो.. तुमने तो मुझें टेंसन में डाल दिया..? जो कल रात हुआ वो अब आगे कर पाना मेरे बस में नहीं है जानू.. मैं सिर्फ तुम से प्यार करती हूं और इसी प्यार के खातिर इतना बड़ा कदम मैंने उठाया था... जो मैंने सिर्फ तुम पर भरोसा कर के ये सब किया..

उदय- करना पढ़ता है जानू अब जब हमने उस राह पर कदम रख ही दिया है तो चार क़दमों के बाद मंज़िल ही मंज़िल है.. और फिर ये तुम जानती हो और या मैं.. क्या तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं है... ये बड़ी कंपनियों के लोग भी बहुत मुढ़ी होते है.. इन्हे अपने काबू में ऐसे ही करना पढ़ता है जान.. (और वो जूही को अपने सीने में सीमेट लेता है )तुम भी यार.. क्यों इतना सोच रही हो.. देखो यार मैं भी मानता हूं बात एक बार की ही हुई थी.. लेकिन हम अब कर भी क्या सकते है.

जूही उदय के सीने में सिमटी हुई सोच में डूब जाती है उसकी ज़िन्दगी में अब तीन पुरुष आ चुके होते है पति, प्रेमी और एक अइयाश जो प्रेमी और बड़ा बनने की चाह में अपने जिस्म की नुमाइश के जाल में फंस चुकी थी उसने जिस छल से उदय को फंसाया था आज वही छल उदय के छल में जकड़ चुका था उसे उमंग का चेहरा बार बार दिखाई दें रहा था इधर उदय की वासना उसे जकड़ती जा रही थी.. जूही जिन्दा लाश की तरह चुप लेटी सोच रही थी उसे महसूस हो चला था कि उदय उससे प्यार नहीं प्यार के नाम पर उसे स्तेमाल कर रहा है. तभी उदय ने उसे उसके गाल पर काटा था जिसके दर्द से जूही की उसकी चीख निकल गई...

उदय- ओह आईएम सॉरी जान.. मैं जानता हूं तुमने कल कितना दर्द सहा होगा...

जूही- आप भी कभी भी शुरू हो जाते है.. चलो हटो..

उदय-जब जिस्म की जिस्म से गुफ़्तगू होने लगें तो अपने दिमाग़ को चुप रखना चाहिए इस गुफ़्तगू में ज़रूरी नहीं की रात ही हो..

और उदय जूही से इस तरह पेश आता कि वो एक पेशेवर कॉलगर्ल हो...
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जूही चुप सोच में बैठी थी... तभी उदय नहा कर तैयार हो कर आता है.. जूही को देखता है कि उसके आने पर जूही ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.. वो समझ जाता है

उदय- दिन के एक बजने को है जूही अब आप भी जल्दी नहा कर तैयार हो जाओ..

जूही चुप रहती है... उदय अपना सेल फोन निकलता है और जूही के एकाउंट में 5 लाख का ट्रांसफर करता है.. जूही के सेल फोन में sms आता है जूही का ध्यान अपने फोन पर जाता है. वो अपना फोन उठती है उसे देखती है फिर उदय को देखती है..

जूही- बस इतना ही..?

उदय- अ... अभी तुम ये रखो जैसे जैसे काम होता जाएगा वैसे वैसे तुम्हे और अलग से देता रहूंगा अभी ये पांच लाख रखो.. अब तुम्हे तो पता है उस खन्ना ने..

जूही अपने फोन में विज़ी हो जाती है.. तभी उदय के फोन में एक वीडियो sms आता है उदय sms को देखता है जिसमें उसकी और खन्ना की बातों का और फाइल लेने का वीडियो है.. उदय के होश उड़ जाते है..

उदय - ओह... तो मेडम आप अब मुझें ब्लैक मेल करेंगी

जूही- नहीं उदय जी बिजनेस बड़े बड़े सौदों में तो ये सब तो चलता है आप क्या सोच रहें थे क्या मैं इतनी बेवकूफ हूं... ये वीडियो मैंने ऑलरेडी किसी को सेंट कर दिये है अगर मेरा ok का sms वहां नहीं पहुंचा तो ये वीडियो sms कहां कहा पहुंचेगा ये तुम सोच भी नहीं सकते..

उदय-मतलब तुम मेरे साथ ऐसा करोगी..?

जूही- जब तुम मेरे साथ ऐसा कर सकते हो तो मैं क्यूं नहीं इस बिजनेस में जब तुम्हारे नज़रिये से सब चलता है तो समझ लो मैं भी बिजनेस ही कर रही हूं आखिर सीखा तो तुमसे ही है मैंने..

उदय अपना सिर पकड़ कर बैठ जाता है.. जूही उठते हुए

जूही- मैं तैयार होकर आ रही हूं सोचलो क्या करना है.

और वो बाथरूम की तरफ चली जाती है.
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उदय जूही को जाते हुए देखता है फिर उसके फोन की तरफ देखता है.. कुछ सोच में पड़ जाता है.. फिर एक कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए जूही का फोन उठता है और अपने फोन से जूही के फोन पर कॉल करता है जूही का फोन बजने लगता है वो जूही का फोन लेकर उठता है और बाथरूम की तरफ जाता है बाथरूम का दरवाजा नॉक करता है..

उदय- जान उमंग का फोन है..

जूही कुछ ही छणों में दरवाज़ा खोलती है और मौका पाते ही उदय बाथरूम के अंदर चला जाता है और बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है..
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दूसरे दिन टीवी चैनलों और अखबारों में खबर प्राथमिकता से दिखाई जाती है.. और ये सिलसिला पोस्टमार्टम रिपोट के आने तक खूब शोर शरावा किया जाता है और होता बही है जो हम नहीं चाहते केस हत्या का नहीं आत्महत्या का बता कर आवाज़ उठाने वालों को शांत कर दिया जाता और तफ्शीस की फ़ाइल कचरे के डिब्बे में फेक दी जाती है.. ऐसी वारदातों के अक्सर ऐसे युवा और लोग शिकार होते है जो मंज़िलों की चाह में शॉर्टकट का रास्ता अपनाते है... और छल का शिकार हो जाते है..
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एक महीने बाद

शहर का नामी कॉफी हाउस.. उदय और 28 साल की अनामिका दोनों कॉफी की चुस्किया लें रहें है.. अनामिका कॉफी हाउस के लगें कांच के बाहर देख रही है

अनामिका- ओह वाओ सौ क्यूट कार..

उसके सामने बैठा उदय पलट कर बाहर की तरफ देखता है.. और मुस्कुराते हुए फिर पलट कार कॉफी पीने लगता है. अनामिका उस कार को देखें जा रही है उसमें से कार कम्पनी का वर्कर कार से बाहर निकलता है और कॉफी हाउस में अंदर आता है.. और सीधे इनकी टेबल के पास आकर खड़ा हो जाता है.

वर्कर- सर गाड़ी लें आया हूं.. ये रही गाड़ी की चाबी

उदय चाबी लेता है और अनामिका को देता

उदय- योर सरप्राइज़ गिफ्ट

अनामिका इतना सुनकर चौक जाती है....

अनामिका- आज मैं बहुत खुश हूं सर आज आपने मेरी दो विश पूरी कर दी..आज ही आपने मझे अपना परसनल सिक्रेट्री बनाया और आज ही आपने मेरे सपनों की कार भी गिफ्ट कर दी थेंक्यू शोमच सर.. आज मैं बहुत खुश हूं..

उदय- अच्छा तो फिर आज क्यों ना हम एक लंबी ड्राइव करके गोवा चलें..

अनामिका- "गोवा".....रियली सर... आज आप जो कहेंगे मेरी तरफ से हां है.

उदय अमानिका को गौर से निहारता है.. और अनामिका उसे प्यार भरी निगाहों से देखती हुई अपनी नज़रे झुका लेटी है..
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छल.... !