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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 4

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा

जितेन्द्र शिवहरे

(4)

"टीना! यह नहीं हो सकता। वो मर चूकी है। मेरा विश्वास करो।" धरम ने टीना को समझाने का प्रयास किया। मगर

टीना थी की मानने को तैयार ही नहीं हो रही थी। टीना ने धरम को बताया की आज रात वह फिर से उसके सपने में आयेगी। क्योंकी निवेदिता ने उससे कहा है कि इस बार वह टीना की जान लेकर रहेगी।

धरम टीना को अपने हृदय से लगाये हुये था। वह उसे पीठ पर हाथों से सहला रहा था। टीना अब कुछ शांत हो थी। धीरे-धीरे वह पुनः नींद के आग़ोश में चली गयी।

धरम जान चूका था की टीना को निवेदिता की आत्मा का गहरा वहम हो गया है। अब उसे पल-पल अपनी आंखों के सामने ही रखना होगा।

चिड़ियों की चहचाहट वातावरण में गुंज रही थी। आसमान साफ और नीला दिखाई दे रहा था। सुबह की ठण्डी हवायें शरीर को छुकर सुखद अनुभूति करवा रही थी। दुध वाले के हार्न ने टीना की नींद खोली। वह उठकर खिडकी की ओर देखने लगी। जहां से सुबह का बहुत ही खुबशुरत नज़ारा देखते ही बनता था। धरम ने दुधवाले से दुध लिया और किचन में जाकर रख दिया। वह अपनी बाकी की एक्सरसाइज़ के लिए बालकनी में फिर से चला गया।

टीना बेडरूम की खिड़की से नीचे देख रही थी। जहां से मुख्य सड़क साफ देखी जा सकती थी। गिनती के कुछ लोग मास्क पहने यहां-वहां चलते हुये देखाई दे रहे थे।पुलिस वाले जवान आने-जाने वालो से उनके घर से बाहर निकलने का कारण पुछ रहे थे। बिना कारण घर से निकलने वालों को पुलिस वाले दण्ड बैठक भी लगवा रहे थे। धरम ने एक्सरसाइज़ खत्म की। वह सीधे टीना के पास बैडरूम में जा पहूंचा। जहां टीना खिड़की के किनारे हाथ बांधें खड़ी थी।

धरम ने पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में भर लिया।

"गुड मॉर्निंग जान!" धरम ने टीना के गाल पर चूम्बन देते हुये कहा।

"गुड माॅर्रिंग धरम।" बदले में टीना ने भी अपना मुंह कुछ पीछे करते हुये धरम के गाल को चूम लिया।

"धरम! सबकुछ पहले जैसा कब होगा? हम खुली हवा मे सांस कब ले सकेंगे? टीना ने पुछा।

"जल्दी ही होगा टीना! सभी कोशिश कर रहे है। डाॅक्टर, नर्स, पुलिस और हमारी सरकार। सभी दिन- रात जुटे है। धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे है। और फिर ये सब पाबंदी हमारे जीवन को बचाने के लिए ही तो है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा।" धरम ने टीना से कहा।

"आई होप सो।" टीना बोली।

"चलो ब्रश कर लो। मैं चाय बनाता हूं।" धरम ने टीना का मुंह अपनी तरफ करते हुये कहा।

"छींईईईईई!" टीना घृणा से बोली। वह धरम से कुछ दुर हो गयी।

"क्या हुआ?" धरम बोला।

"तुम्हारे पसीनें की कितनी बदबू आ रही है।" टीना ने बताया।

"अब एक्सरसाइज़ करूंगा तो पसीना तो आयेगा न! और बदबू भी।" धरम ने कारण बताया।

"तुम जाओ! पहले अच्छे से नहाकर आओ। मैं चाय बनाती हूं।" टीना ने कहा।

"ओके बाबा! मैं जाता हूं नहाने।" धरम बोला। वह कबर्ड में से टावेल लेकर बाथरूम की ओर चला गया।

यह टीना ने क्या कह दिया। अब उसे फिर से किचन में जाना होगा! जहां उस निवेदिता का कब्जा था। मगर अब दिन था। उसने अपने दिल को मनाया और किचन में चल गयी चाय बनाने।

किचन में अब भी उसे रात वाले स्वप्न में दिखाई देने वाली निवेदिता का आभास हो रहा था। वह अपने हृदय से निवेदिता को भुला देना चाहती थी मगर चाहकर भी निवेदिता का ख़याल उसके मन से नहीं जा रहा था। जैसे-तैसे उसने चाय बनाई। कुछ बिस्किट प्लेट में रखकर वह चाय डायनिंग टेबल पर ले आयी।

धरम तब तक नहा चुका था। टीना ब्रश करने चली गयी। डायनिंग टेबल पर धरम बैठ गया। टीना भी उसके सामने आकर बैठ गयी। चाय पीते-पीते टीना गुमसुम थी। उसके मन में क्या चल रहा था, यह धरम जानता था। उसने टीना के हाथ पर अपना हाथ रखा।

"टीना! जो हुआ उसे भुल जाओ। अपनी हिम्मत को यूं कम मत होने दो।" धरम ने कहा।

"मगर धरम! उसने मेरा गला पकड़कर मुझे ऊंचा उठा दिया था। अगर तुम मुझे नहीं जगाते तो शायद आज मैं जिंदा नहीं रहती।" टीना ने बताया।

"वह सपना था टीना। हक़कीत नहीं।" धरम ने कहा

"नहीं धरम! उसका भयानक चेहरा सपना हो सकता है मगर वह मेरी सांस फुलना, दम घुटना और वह गले में उठता दर्द सपना नहीं हो सकता।" टीना ने बताया।

"चलो! अगर तुम्हारी बात मैं मान भी लुं तो निवेदिता मुझे क्यों नहीं दिखी? वह मेरे सपने में क्यों नहीं आई। उसे एक लड़के ने चीट किया था। इस हिसाब से तो उसे मुझे परेशान करना चाहिये।" धरम ने तर्क दिये।

"मुझे ये सब नहीं पता। मगर वह मुझे परेशान करने आज फिर आयेगी। और हो सकता है कि वह आज मुझे मार ही दे।" टीना ने कहा।

"क्या पागलपन है टीना! इतना समझा रहा हूं मगर तुम समझने को तैयार ही नहीं हो।" धरम क्रोध में आ

गया। वह उठकर खड़ा हो गया।

"अच्छा ठीक है। वह आज तुम्हारे सपने में फिर आयेगी न। मैं तुम्हारे साथ पुरी रात जागने को तैयार हूं। न हम सोयेंगे और न ही वो तुम्हारे सपने में आयेगी।" धरम ने कंधे से टीना को पकड़ते हुये कहा।

"मेरी वज़ह से तुम बहुत परेशान हो रहे हो न! धरम! आई एम साॅरी।" टीना ने धरम के हृदय से लगकर कहा।

"नहीं टीना। ये सच नहीं है। मैं तुमसे परेशान नहीं हूं। तुम्हें परेशान देखकर परेशान हूं।" धरम ने कहा।

"क्यों? तुम मुझे देखकर इतना परेशान क्यों हो?" टीना धरम के मुख से कुछ सुनना चाहती थी।

"वोsss अsss मैंsss!" धरम बोलते हुये रूक गया।

"बोलो धरम! मैं सुनना चाहती हूं।" टीना बेसब्र हो रही थी।

"हां टीना! मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं। आई लव यूं।" धरम ने कह दिया।

"ओहहह धरम! मैं ये कब से सुनने के लिए बेकरार थी। आज तुमने मुझे अपना ही लिया। अब मुझे किसी से डर नहीं है! क्योंकि अब तुम्हारे प्यार की शक्ति मेरे पास है। आई लव यूं टू।" टीना प्रसन्न होकर पुनः धरम के सीने से लग गयी।

धरम भी प्रसन्न था। उसने टीना को आज अपना बना लिया था। आज दोनों वास्तविकता में एक-दुसरे के प्रेमी-प्रेमिका बन गये थे।

धरम कंधे पर टावेल रखकर टीना के सम्मुख आ खड़ा हुआ। टीना अपने बाल संवार रही थी। धरम टीना को ईशारों में कुछ कहना चाह रहा था। मगर मुंह से कुछ बोल नहीं पाया।

"क्या?" टीना ने आंखें बड़ी करते हुये बोली।

धरम ने अपने सीने पर हाथ फेरते हुये पुनः इशारा किया। टीना समझ गयी थी। मगर वह अनजान बनने का ढोंग कर रही थी।

"क्या हुआ धरम? खुल कर बताओ!" टीना बाल संवारना छोड़कर बोली।

धरम ने अपनी टी-शर्ट उतार दी। वह अब भी अपने सीने पर हाथ फेर रहा था।

"ओह! हो! तो ऐसा कहो न कि तुम्हें भी रीतिक रोशन बनना है।" टीना ने कहा। उसके चेहरे पर मुस्कराहट तैर रही थी।

वह धरम के पास आई। टीना अपना हाथ से धरम के सीने पर घुमाने लगी।

"गुदगुदी हो रही है टीना। जल्दी अपना काम करो। ताकी मैं नहा सकूं।" धरम ने कहा।

"ठीक है। यहाँ आकर बैठो। टीना ने आईने के पास लगी कुर्सी पर धरम को बैठने के लिए कहा। धरम वहां आकर बैठ गया।

टीना ने शेविंग कीट निकाल ली। उसने धरम के सीने से लेकर पेट तक शेविंग क्रिम लगा दिया। ब्रश की सहायता से वह शरीर के उपरी भाग के बालों को नरम करने में तल्लीन थी। धरम की नज़रें टीना पर जमी थी। टीना भी नज़रे बचाकर धरम को निहार लेती। कभी धरम शरमा जाता तो कभी टीना। कुछ देर के बाद टीना ने जीलेट ब्लेड से धरम की छाती के बाल साफ करना आरंभ कर दिये। धरम का यह पहला अनुभव था। उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि टीना जैसी एक बेहद ही खुबसूरत लड़की उसकी सेवा कर रही है। उसे भविष्य की संभावनाओं के विषय में सोचकर डर भी लग रहा था। कहीं एक वर्ष के बाद दोनों को अलग होना पड़ा तब क्था होगा?

"लो धरम! अब देखो! तुम्हारी बाॅडी अब रितिक रोशन से कम नहीं लग रही।" टिना ने कहा।

धरम उठकर खड़ा हो गया। वह आईने के सामने खड़े होकर अपने सिक्स पैक देख रहा था। उसका शरीर टीना के स्पर्श से खिल उठा था। धरम नहाने के लिए बाथरूम जाना चाहता था। मगर टीना ने उसे कुछ देर रूकने को कहा। टीना ने उसकी बाॅडी की फोटो लेने लगी। धरम भी कम न था। उसने विभिन्न तरह की पोज़ देना शुरू कर दी। टीना ने धरम की बहुत सी फोटो ली। इसके बाद धरम नहाने के लिए बाथरूम चला गया।

"टीना! जरा यहां आना तो!" धरम ने बाथरूम से ही आवाज़ लगायी।

"मैं खाना बना रही हूं धरम। बोलो क्या काम है।" टीना ने किचन से ही आवाज़ दी।

"मेरी पीठ पर साबुन लगा देना तो!" धरम बोला।

टीना मन में--'अरे! आज इसे क्या हो गया?'

"आती हूं रूको जरा।" टीना ने धरम से कहा।

"क्या बात है धरम! तुम खुद मुझसे साबुन लगाने का कह रहे हो। जबकी तुम तो इसके लिए कितना नखरे किया करते थे।" टीना बाथरूम के पास चूकी थी। उसने धरम से कहा।

"हां सही है। लेकिन हम दोनों लवर है इसलिए इतना तो चल सकता है।" धरम ने कहा।

"ओहहह !हो। बड़े आये।" टीना ने हाथ में साबुन लेकर धरम की पीठ पर मलना शुरू कर दिया।

"धरम! एक बात कहूं?" टीना ने पुछा।

"हां पुछो!" धरम ने कहा। वह स्नान का आनंद ले रहा था।

"मुझसे इतना प्यार मत करो। कभी-कभी मुझे डर लगता है।" टीना बोली।

"डर! कैसा डर!" धरम ने पुछा।

"यही की कल यदि हम बिछड़ गये तो?" टीना ने कहा।

"ऐसा नहीं सोचते टीना। कल क्या होगा इसकी चिंता अभी से क्यों करे?" धरम ने कहा।

"मगर•••"टीना कुछ बोलना चाहती थी मगर धरम ने उसका हाथ पकड़कर उसे बाथरूम के अंदर खींच लिया।

"ये कर रहे हो धरम?" टीना ने पुछा।

"क्यों! शरारत केवल तुम्हें ही करनी आती हैं! मुझे नहीं।" धरम ने टीना पर पानी छिड़कते हुये कहा।

"ये बात है तो फिर ये लो।" टीना ने शाॅवर स्प्रे का हेडिण्ल अपने हाथ में लेकर धरम के ऊपर पानी छिड़काव आरंभ कर दिया।

"एsssएsss! ये चीटींग है!" धरम अपनी ओर आ रही पानी की तेज धार को अपने हाथों से रोकते हुये टीना से बोला। टीना मगर कहाँ मानने वाली थी। वह धरम पर पानी छिड़कती रही।

"अरे! निवेदिता तुम!" धरम ने टीना के पीछे देखकर कहा।

टीना डर गयी। वह पीछे देखने लगी। इतने में धरम ने उसके हाथ से शाॅवर का हेण्डिल छीन लिया। अब वह टीना को पानी से भिगोने लगा। टीना चमक गयी। वह पुनः धरम की ओर देख रही थी। मगर पानी की तीव्र बौछार उसे धरम तक पहूंचने नहीं दे रही थी। वह धरम को अपने हाथों से मारना चाहती थी क्योंकि धरम ने उसे निवेदिता के नाम से डरा दिया था। धरम लगातार टीना पर पानी की बौछार कर रहा था। जिससे टीना के कपड़े पुरी तरह भीग चूके थे। गीलें कपड़ों में वह अब भी धरम से शाॅवर छीनना चाहती थी। मगर धरम उसकी सभी कोशिशें विफल करता जा रहा था। टीना जब अधिक जोर जबरदस्ती करने का प्रयास कर रही थी तब धरम ने उसे कमर के बल अपनी ओर खींच लिया। हेण्डिल शाॅवर बंद कर उसने ऊपर का शाॅवर चालु कर दिया। टीना धरम के बहुत नजदीक खड़ी थी। उसके चेहरे पर शरम के भाव उभर आये थे। शाॅवर का पानी धरम और टीना पर एक समान गिर रहा था। धरम ने अपने दोनों हाथों से टीना के गालो को थाम रखा था। टीना धरभ से नज़र नहीं मिला पा रही थी। धरम इससे पहले की उसे चूम पाता, टीना मारे हया के उसके सीने में घुस गयी। वह धरम से चिपक गयी। धरम उस पर प्यार लुटाना चाहता था। मगर टीना अब भी उसे छोड़ना नहीं चाहती थी। धरम ने शैम्पू की बाॅटल टीना के बालों में उड़ेल दी। शैम्पू का झाग निर्मित हो गया। टीना ने अपने बालों पर अच्छे से शैंपू मला। उसने धरम के सिर पर भी शैम्पू लगा दिया। दोनों एक-दूसरे के बालों पर शैम्पू मल रहे थे। टीना के हाथ धरम के शरीर पर साबुन मल रहे थे। उसने धरम को प्यार से नहलाया। जब धरम उसे नहलाना चाहता था तब टीना ने धरम के इरादे भांपकर उसे बाथरूम से बाहर धकेल दिया।

"अरे! मेरा टावेल अंदर ही रह गया।" धरम चिल्लाया।

टीना ने कुछ पलों के बाद टावेल दरवाजा धीरे से थोडा खोलकर बाहर फेंक दिया। धरम ने टावेल उठा दिया। वह अपना सिर पोछ रहा था।

टीना ने बाथरूम के अंदर से चिल्लाया- "धरम मेरा टावेल दे दो।"

"ठीक है।" धरम ने टीना कहा। वह टीना को बाथरूम के गेट पर आकर टावेल देना चाहता था। उसने टीना का हाथ पकड़ लिया।

"धरम! ये क्या कर हो। छोड़ो न प्लीज!" टीना ने प्रार्थना की।

"क्यों! मुझे धक्का देकर बाहर फेक दिया था न! अब तुम ऐसे ही बाहर आओ।" धरम ने कहा।

"धरम! ये क्या कह रहे हो मैंने कपड़े नहीं पहने है! प्लीज मुझे माफ कर दो।" टीना ने कहा।

"एक शर्त पर।" धरम बोला।

"मुझे एक प्यार भरी पप्पी देनी होगी।" धरम ने कहा।

"नहीं" टीना नाराज़ होकर बोली।

"ठीक है तो फिर तुम्हें टाॅवेल भी नहीं मिलेगा।" धरम बोला।

"अगर मुझे पता होता की तुम इतने बेशर्म हो तो तुम्हारे साथ कभी यहाँ नही आती।" टीना चिढ़ते हुये बोली।

"अब क्या करे डार्लिंग। तुमने अगर गलती की है तो इसका खामियाजा भी तो तुम्हें ही भूगतना पड़ेगा।" धरम ने कहा।

"ओके। मैं तैयार हूं।" टीना ने कहा।

"तो मैं भी तैयार हूं।" धरम ने टीना के चेहर के आगे अपना गाल कर दिया।

टीना ने चुम्बन देकर धरम के हाथों से टाॅवेल खींच लिया।

टीना कुछ देर नहाने के बाद बाथरूम से निकल आई।

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धरम कुछ समय बाद घर लौटा। वह गुमसुम था। उसके चेहरे पर अचरच साफ दिखाई दे रहा था।

"क्या बात है धरम?" कुछ परेशान दिखाई दे रहे हो?" टीना ने उसके हाथों पर सैनेटाइजर की कुछ बुंदे छिड़क दी। धरम ने हाथों को आपस में रगड़ लिया। इसके बाद वह बाथरूम में चला गया। स्नान के बाद वह हाॅल में आ गया। टीना ने उसे पानी का गिलास दिया। पानी पीने के बाद चाय भी तैयार ही थी।

"तुमने बताया नहीं धरम! तुम उदास क्यों हो? तुम तो उस बुढ़े बाबा के घर गये थे न! वो मिले क्या?" टीना ने पुछा।

"नहीं टीना! वो नहीं मिले।" धरम बोला।

"तो इसमें इतना टेंशन लेने की बात की क्या बात है। लो चाय पीओ।" टीना ने चाय कप धरम की ओर बढ़ा दिया।

"नहीं आज चाय पीने की इच्छा नहीं हो रही?" धरम के स्वर धीमे थे।

"क्या बात है धरम! इतने परेशान क्यों हो? मुझे नहीं बताओगे?" टीना धरम के पास आकर बैठ गयी।

"टीना! मैं जिस बुजुर्ग की तलाश में बाहर गया था। वह कहीं है ही नही?" धरम ने कहा।

"क्या मतलब?" टीना ने पुछा।

"मलतब की वह बाबा हमारी आंखों का धोखा था। एक फरेब था।" धरम ने बताया।

"क्या पागलों जैसी बातें कर रहो हो!" टीना ने कहा।

"हां टीना। मैं जो भी कह रहा हूं वह सच है। वह बाबा जो उस दिन हमारे साथ खाना खाने आया था ऐसा कोई भी बुजुर्ग हमारे अपार्टमेंट में कभी आया ही नहीं। और यह बात उस गार्ड नें मुझे बतायी।" धरम ने कहा।

"मगर तुम उस दिन गार्ड से मिले भी थे न! और उसे समझाने भी गये थे की अगर वह बाबा दोबार हमारे यहां आये तो उन्हें आने दे।" टीना ने कहा।

"हां मैंने जगन गार्ड को उस दिन की बातें याद दिलाई। मगर वह मेरी बातें मानने को तैयार ही नहीं है। वह कह रहा था कि उस दिन जब मैं बाबा को लेकर गाॅर्ड के पास गया था तब वहां मैं अकेला ही खड़ा था। वहां कोई बाबा नहीं था।" धरम ने बताया।

"मगर तुमने उस बुजुर्ग बाबा का नाम पता वहां रजिस्टर में लिखा होगा न?" टीना ने पुछा।

"हां मैंने वह भी देखा। तुम्हें यकिन नहीं होगा। मैंने अपने हाथों से बाबा का नाम और पता उस रजिस्टर में लिखा था। मगर मैंने पुरा रजिस्टर छान मारा मगर बाबा का नाम उसमें कहीं दिखाई नहीं दिया।" धरम ने आगे बताया।

"हो सकता है किसी ने वह पन्ना ही फाड़ दिया हो जिसमें उन बाबा का नाम और पता लिखा हो।" टीना ने अपना तर्क दिया।

"इससे मगर किसी को क्या लाभ होगा?" धरम ने कहा।

"वह भी सही है। फिर तुमने क्या किया?" टीना ने पुछा।

"मैं जगन गाॅर्ड पर खुब बरसा। और उसे झुठा साबित करने का प्रयास करने लगा। मगर फिर उसने मुझे वह दिखाया जिससे मेरे होश उड़ गये।" धरम ने बताया।

"ऐसा क्या बताया उसने तुम्हें?" टीना ने पुछा।

"गार्ड जगन ने मुझे उस दिन के सीसीटीवी फुटेज दिखाये। जिस दिन वह बुजुर्ग बाबा हमारे घर आया था। ये देखो। वह क्लिपिंग्स मैं अपने मोबाइल में ले आया हूं।" धरम ने मोबाइल निकालकर टीना को दिखाया। मोबाइल पर वीडियो क्लीप्स चल रही थी। रात के समय की फुटेज थी। वीडीयो फुटेज में धरम और जगन गार्ड दिखाई दे रहे थे। धरम गाॅर्ड से बात कर रहा था। उसने रजिस्टर पर एन्ट्री भी की। इस पुरे घटनाक्रम में वो बाबा कहीं दिखाई नहीं दिये। जबकी धरम का दावा था की उस समय बाबा उसके साथ ही थे।

"ये तो बड़ी अज़ीब बात है। ऐसे कैसे हो सकता है?" टीना ने धरम से कहा।

"पता नहीं। अगर उस दिन वह बाबा हमारे साथ नहीं थे तो हमे कैसे दिखाई दे रहे थे। और अगर हम दोनों ने उस बाबा को देखा तो वे उस गार्ड ने क्यों नहीं दिखे?"

"समझ नहीं आ रहा है?" टीना ने कहा।

धरम चिंतामंग्न था। वह सोच रहा ही था की टीना ने उसके कंधे पर हाथ रखा।

"धरम मैं भी तुम्हें कुछ बताना चाहती हूं।" टीना बोली।

"क्या?" धरम ने पुछा।

"दरअसल उस रात जब निवेदिता मेरे सपने में आयी थी और उसने मेरा गला पकड़ा था!" टीना बोली।

"हां तो•••।" धरम ने टीना को आगे बताने को कहा।

"वह निवेदिता अब भी मेरे सपने में हर रोज़ आती है।"

टीना ने कहा।

"क्या कहा?" धरम ने आश्चर्य से पुछा।

"हां! मुझे लगा तुम परेशान हो जाओगे इसलिए मैंने तुम्हें कुछ नहीं बताया?" टीना ने कहा।

"वह तुम्हारें सपने में क्यों आती है,उसने कुछ बताया?" धरम ने पुछा।

"पहले पहल तो उसने मुझे डराने और यह घर छोड़ देने की धमकी दी। मैंने ध्यान नहीं दिया। मगर जब हर रात सपने में वह यही धमकी देती, तब मैंने उसे हिम्मत कर बोल दिया की मैं यह घर छोड़कर नहीं जाऊंगी। तब वह क्रोध में आ जाती। और मुझे मारने पीटने लग जाती। वह मुझे चाबुक से मारती। यह देखो।" टीना ने अपनी टी-शर्ट उँची कर दिखाई। उसकी पीठ पर कोड़े मारने के निशान उभर आये थे। जो हल्के लाल-हरे रंग के दिखाई दे रहे थे।

"ओहहह माई गाॅड! टीना यह सब। तुम इतना कुछ सहती रही। मुझे बताया क्यों नही?" धरम ने कहा।

"मुझे अब जीना आ गया है धरम! और दर्द सहना भी।" टीना बोली।

"नहीं टीना! तुमने कोई गल़ती नहीं की है जिसके कारण तुम्हें इतना कुछ सहना पड़े।" धरम बोला।

धरम ने फ्रिज से बर्फ निकाली। उसने टीना के जख़्मों पर बर्फ की सेंक शुरू कर दी।

"निवेदिता ने और क्या कहा तुमसे?" धरम ने पुछा।

टीना पीठ के बल सोफे पर लेटी थी। धरम उसकी पीठ पर बर्फ की सिकाई कर रहा था।

"मैंने उससे इस बारे में पुछा की वह क्या चाहती है? तब उसने जो बताया वह बात हैरान कर देने वाली थी।" टीना ने बताया।

"क्या थी वह बात?" धरम ने पुछा।

"निवेदिता की आत्मा ने बताया की वह चाहती है कि मैं धरम से यानी की तुमसे सभी तरह के संबंध तोड़ लूं।" टीना ने कहा।

"मगर वह ऐसा क्यों चाहती है?" धरम ने पुछा।

टीना अब सोफे पर ठीक से बैठ चूकी थी। धरम भी उसक के पास बैठ गया।

"निवेदिता जिसे प्यार करती थी उसने निवेदिता को प्यार में धोखा दिया। इसलिए वह उन सभी लड़कों को सज़ा देना चाहती है जो प्यार में है। अपने लवर को धोखा देने के बाद वह लड़कों को भी वैसे ही तड़पाना चाहती है जैसे लड़कीयां तड़पती है।" टीना ने बताया।

"मगर ऐसा क्यों? निवेदिता को धोखा उसके प्रेमी ने दिया तब वह उसे सज़ा दे। मुझे क्यों?" धरम ने पुछा।

"उसने अपने धोखेबाज प्रेमी को सज़ा दे दी है धरम!" टीना ने कहा।

"क्या?" धरम ने पुछा।

"हां धरम! उसने अपने लवर को मौत के घाट उतार दिया है। निवेदिता ने बताया की पुलिस स्टेशन से वह ज़मानत पर छुट गया था। तब निवेदिता की आत्मा ने उसकी कार का ब्रेक फेल कर दिया। वह सड़क हादसे में मारा जा चूका है।" टीना ने बताया।

"ओहहह नो!" धरम ने संवेदना व्यक्त की।

"हां। मगर इस बात से भी उसकी आत्मा शांत नहीं हुई है। वह चाहती है की वह अपने आसपास ऐसे तमाम लड़कों को सबक सिखायेगी जो किसी लड़की से प्यार करते है। उसका मानना है की सारे लड़के एक जैसे ही होते है। और वह किसी न किसी लड़की को चीट करते ही है।" टीना ने आगे बताया।

"फिर क्या हुआ?" धरम ने पुछा।

"निवेदिता ने मुझे यह भी कहा की धरम तुम्हें प्यार नहीं करता है। एक न एक दिन वह भी तुम्हें छोड़ देगा। वह तुम्हारे विरूद्ध मुझे उकसा रही थी ताकी मैं तुम्हें छोड़ कर चली जाऊं?" टीना ने बताया।

"तुम्हें क्या लगता है टीना। क्या निवेदिता की आत्मा ने जो कहा वो सच है?" धरम ने पुछा।

"हां धरम! उसने सच ही कहा कि तुम मुझे प्यार नहीं करते हो?" टीना ने कहा।

"क्या!" धरम ने आश्चर्य से पुछा।

"तुम मुझे प्यार नहीं करते बल्कि बहूत बहुत प्यार करते हो धरम!" टीना ने कहा।

धरम मुस्कुरा दिया। उसने टीना को गले से लगा लिया।

"मगर अब इस निवेदिता से कैसे निपटें टीना!" धरम ने पुछा।

"मुझे लगता है कि उसकी आत्मा को हमें ये भरोसा दिलाना पड़ेगा की हम एक दुसरे से बहुत प्यार करते है। हम सारी जिन्दगी एक-दुसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेगे। तब शायद वह कुछ शांत हो सके।" टीना ने बताया।

"हो सकता है। मगर हम ये साबित कैसे करेंगे?" धरम ने पुछा।

"इसका उपाय मिलकर सोचते है।" टीना ने धरम से कहा।

टीना ने धरम को यह भी बताया की निवेदिता की आत्मा प्रतिदिन रात मे उसके किचन में हकीकत में आती है। वह वहां अपने हाथों से खाना बनाकर खाती है। इसी कारण उसके यहां किराना सामान बड़ी जल्दी-जल्दी खत्म हो जारा करता था। धरम ने आज की पुरी रात जागकर हकीकत अपनी आंखों से देखनी चाही। उसने टीना को विश्वास में लेकर रात को जागने का प्लान बनाया। धरम और टीना खा-पीकर सो गये। रात के बारह बज चूके थे। निवेदिता इसी वक्त अपने काॅल सेन्टर के जाॅब से वापिस आया करती थी। वह अपने फ्लैट से होती हुई सीधे टीना के किचन में आ गयी। निवेदिता खाना बनाने लगी। धरम जाग रहा था। उसे किचन से विभिन्न तरह की आवाज़े आने लगी। इधर टीना भी बिस्तर पर कुछ बड़ बडा रही थी। धरम समझ चूका था कि टीना निवेदिता की आत्मा से बात कर रही है। वह दबे पांव किचन की तरफ बड़ रहा था। जैसे ही वह किचन के पास पहूंचा उसके होश उड़ गये। निवेदिता वहां खाना बना रही थी। वहां टीना भी थी जो निवेदिता को अपना किचन इस्तेमाल नहीं करने के लिए डांट रही थी। मगर निवेदिता अपनी गति से खाना पका रही थी। जब खाना बन चूका तब निवेदिता ने खाना प्लेट में रखा और वह डायनिंग टेबल की ओर आ गई। धरम उसे आता देख छिप गया। निवेदिता चुपचाप भोजन कर रही थी। टीना की आत्मा उसे डांटते हुये डायनिंग टेबल तक आ पहूंची।

धरम शांति से छिपकर दोनों की गतिविधि देख रहा था। जब निवेदिता ने खाना खा लिया तब वह टीना पर पर टुट पड़ी। वह टीना को मारने के लिए दौडी। टीना भी कम न थी। वह उससे बचकर यहाँ-वहां भाग जाती। कुछ देर यही चलता रहा। अंततः टीना को निवेदिता की आत्मा ने पकड़ ही लिया। उसने टीना का गला पकड़ लिया। धरम ने बैडरूम में लेटी टीना की तरफ देखा। वह अपने दोनों हाथों से अपने गले की पकड़ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। उसका दभ घुट रहा था। धरम से यह देखा न गया। वह दौड़ते हुये निवेदिता को पकड़ने दौड़ा।

"ऐsss छोड़ो उसे। छोड़ो।" धरम ने निवेदिता का हाथ पकड़ लिया।

"ओहहह! तो अब तु भी आ गया। अच्छा है। तुझे भी मौत के आगोश में पहूंचा देती हूं।" निवेदिता ने कहा। उसने अपने हाथ को हवा में उड़ाया जिसे धरम ने कसकर पकड़ रखा था। देखते ही देखते धरम हवा में उछलकर दूर जा गिरा।

"धरम। तुम यहाँ क्यों आये। वापिस बैडरूम में चले जाओ। वहाँ ये निवेदिता नहीं आ सकती। जल्दी भागो।"

टीना की आत्मा चिल्लाई।

"मगर तुम।" ये मुझे मार नहीं सकती धरम। क्योकिं मैंरे पास तुम्हारे प्यार की शक्ति है। जब तक हम दोनों एक-दुसरे से जुदा नहीं हो जाते ये हमारा कुछ नही बिगाड़ सकती। मगर तुम्हें अकेले पाकर निवेदिता तुम्हें नुकसान पहूंचा सकती है।" टीना वही दुर से चीख रही थी।

धरम दौडते हुये बैडरूम के दरवाजे तक पहूंचा ही था की निवेदिता ने उड़कर उसकी टांग पकड़ ली। उसके बाद निवेदिता ने धरम को टांगो से उछालकर दूर फेंक दिया। अब टीना की आत्मा धरम की रक्षा करने आगे आयी। वह निवेदिता से हाथापाई करने लगी। तब तक नज़र बचाकर धरम बैडरूम के अंदर जा पहूंचा। निवेदिता की चीख निकल गयी। उसने हाथ के प्रहार से टीना को दुर जा फेंका। तत्पश्चात वह गायब हो गयी।

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