आदमी का शिकार - 18 - अंतिम भाग Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आदमी का शिकार - 18 - अंतिम भाग


मनकी और योका ने जश्न की व्यवस्था बहुत अच्छी की थी. देवता की मूर्ति के आगे युवक की लाश जंजीरों से बंधी खड़ी थी.मनकी लाश के आगे इस तरह नाच रही थी कि लोगों की नजरें एक पल से अधिक लाश को नहीं देखपारही थीं.आज उसने श्रृंगार भी विशेष रूप से किया था.जंगल की सारी खूबसूरती सिमटकर मनकी में समा गई थी.
योका धनुष बाण लिए निशाना लगाने को तैयार खड़ा था.आँख लाश पर टिकी हुई थी.वह मनकी को बचाकर लाश की गर्दन उड़ाने का मौका देख रहा था. सरदार, तन्वी और देवता भाई के चेहरे से खुशी टपक रही थी. सरदार खुश था बस्ती में उसकी इज्ज़त ऊँची होने बाली थी.तन्वी अपने बेटे की शादी के लिए खुश थी.देवता भाई की खुशी दोगुनी थी.मनकी की शादी और मानव धड़ के बदले शराब.
नूपर की निगाहें सब से हटकर योका पर टिक गई. रतन और शम्भु अपनी जगह सतर्क थे.
तभी योका ने मनकी को बचाते हुए तीर छोड़ दिया. एक ही झटके में लाश का सिर धड़ से अलग हो गया.
मनकी खुशी से योका से लिपट गई. सरदार और तन्वी ने फूलों से भरे टोकरे योका और मनकी पर उड़ेल दिए.सब बहुत खुश थे आज.
इन्हीं खुशियों के साथ योका और मनकी की शादी हो गई.
सरदार ने शिकार का सिर देवता के कटोरे में रख दिया. धड़ देवता भाई को सोंप दिया. देवता भाई धड़ लेकर अपनी छाँव की ओर चल दिया.
"रतन अंकल, देवता भाई का पीछा करो."नूपर हाथ म़े बंधी घड़ी में फुसफुसाई.
"शम्भु ,तुम इधर सँभालो. मैं देवता भाई के पीछे जा रहा हूँ."कहकर रतन देवता भाई के पीछे चल दिया.
देवता भाई लाश का धड़ लेकर अपनी छाँव में चला गया .रतन वहीं रूककर देवता भाई की निगरानी करने लगा.
"शम्भु, देवता भाई अपनी झोपड़ी में है. मैं इधर ही रहूंगा. तुम सुरंग के छोर पर पहुंच जाओ."रतन ने शम्भु को सूचना दी.
काफी चहलपहल के बाद जश्न समाप्त हो गया. सब अपनी छाँव में वापस लोट गये. तन्वी, योका और मनकी को लेकर अपनी छाँव में आ गई. सरदार और तन्वी भी साथ थे.

......
पूरी बस्ती में पुलिस वाले छिपे हुए थे. देवता भाई की छाँव को रतन ने कवर किया हुआ था. शम्भु फोर्स के साथ सुरंग के छोर पर था.नूपर और मनकी उस जगह थीं,जहां हेलीकॉप्टर से विदेशी उतरे थे. योका ने सरदार और तन्वी को देवता भाई की सच्चाई बता दी थी.वह उनके साथ था.
चारों ओर घेराबंदी इस तरह थीकि अपराधी बचकर नहीं जा सकते थे. सभी अपनी जगह सतर्क थे.
काफी इंतजार के बाद नूपर को अपने सिर के ऊपर आसमान में गड़गडाहट सुनाई दी. उसने ऊपर देखा एक हेलीकॉप्टर नीचे उतर रहा था. नूपर और मनकी झाडिय़ों के पीछे छिप गईं.
हेलीकॉप्टर से जो लोग नीचे उतरे उन्हें नूपर पहचान गई. यह वही लोग थे जो देवता भाई से मानव धड़ लेने की बात कर रहे थे. नूपर ने तुरंत शम्भु को सूचना दी-"हैलो.. विदेशी हेलीकॉप्टर से उतर कर सुरंग की ओर चल दिए हैं."
नूपर से सूचना मिलते ही शम्भु ने अपने आदमियों को सतर्क कर दिया.
अपराधी बेफिक्र आगे बढ़ रहे थे. उन्हें यहां खतरे की सम्भावना नहीं थी.
शम्भु ने इस तरह जाल बिछाया था कि सभी की नजर अपराधियों पर थी.
सुरंग के पास जाकर अपराधी रूक गये. उनमें से चपटी नाक बाले ने हाथ बंधी घड़ी मुँह पर लगा कर पांच मिनट तक बात की.दूसरे अपराधी ने सुरंग पर रखी झाडियों को हटा दिया.
लगभग आधे घंटे बाद देवता भाई पीठ पर बोरा लादे सुरंग से बाहर निकला.
देवता भाई को देखते ही शम्भु ने रतन को सूचना दे दी-"सरदार और बस्ती के लोगों को लेकर सुरंग के पास आ जाओ."
जैसे ही देवता भाई बोरा लेकर अपराधियों के पास पहुंचा शम्भु ने रिवाल्वर उस पर तान दिया-"हाथ ऊपर उठाओ."
अपराधी यह देखकर घबरा गए. उन्होंने भागने की कोशिश की. तब तक रतन का रिवाल्वर उन पर तन चुका था-"तुम्हारा खेल खत्म .तुम पुलिस की हिरासत में हो."
पलभर के लिए दोनों अपराधी हक्केबक्के रह गये. लेकिन अगले ही पल चपटी नाक वाले अपराधी का जूता रतन के हाथ से टकराया. रिवाल्वर छिटककर दूर जा गिरा.दोनों अपराधी भाग छूटे. तभी पुलिस वालों ने उन पर छलांग लगा दी.अब दोनों अपराधी और देवता भाई पुलिस की हिरासत में थे.
"जेल जाने से पहले देवता भाई अपनी कहानी बस्ती बालों को बता दो."नूपर देवता भाई के सामने आकर बोली.
"मुझे माफ कर दो.मैं शराब के लालच में पड़ गया था."देवता भाई रोते हुए माफी मांग रहा था.
"जरा तुम भी अपनी राम कथा सुना दो".रतन ने दोनों अपराधियों की ओर रिवाल्वर से इशारा किया.
"मैं एक बार अपने साथियों के साथ इधर शिकार खेलने आया था. यहां मानव शिकार देखकर मुझे मानव अंगों का व्यापार करने का लालच आ गया था."दोनों अपराधियों ने अपना अपराध कबूल कर लिया.
रतन और शम्भु ने तीनों अपराधियों को पुलिस के हवाले करके सरदार को हिदायत दी-"आगे से कोई वलि देवता के आगे नहीं दी जायेगी."
सरदार ने कान पकड़ कर तौबा की-"हम अंधविश्वास में थे.अब यहां कोई शिकार नहीं करेगा."
"अरे,अंकल, आप का काम तो हो गया. हमें भी तो घर जाना है."इतनी देर से चुप खड़ी नूपर रतन का हाथ हिलाकर बोली.
"हेलीकॉप्टर आने वाला है.केवल तुम ही नही हमारे साथ योका, मनकी और सरदार भी चल रहे हैं."रतन ने कहा.
"हम लोग भी?"सरदार आश्चर्य से बोला.
"हां,सरदार, तुम्हें सरकार से स्कूल और हस्पताल की सहायता दिलवानी है.बच्चों को तो सरकार अपराधियों को पकड़वाने के वैसे भी इनाम देगी."शम्भु ने स्पष्ट किया.
शम्भु की बात सुनकर सबके चेहरे खुशी से खिल गये.

****
समाप्त
आभा यादव
7088729321