सुबह नूपुर की आँख खुली तो झोपड़ी खाली थी.उसने एक अंगड़ाई ली और बाहर निकल आई.
झोपड़ी के बाहर कोया खड़ा था .नूपुर को देखकर बोला-"जाग गई."
"हां,सब लोग कहां गये हैं?"नूपुर ने खाली बस्ती देखकर कोया से पूँछा.
"जश्न की तैयारी करने."
"देवता के आगे"योका बुझे मन से बोला.
तब तो बड़ा मजा आयेगा. नूपुर खुश होकर बोली. बहुत समय बाद उसे कोई कार्यक्रम देखने को मिलने वाला था.नूपुर अभी जश्न के बारे में सोच ही रही थी. तभी एक जंगली लड़की दौड़ती हुई आयी और योका से लिपट गई-"योका ,तू शिकार कर लेना."
"मनकी,तू मुझे मजबूर न कर."योका रोती हुई लड़की को अलग करते हुए स्वयं भी सिसक पड़ा.
"योका तू शिकार कर लेना... योका तू शिकार कर लेना..."कहकर रोती हुई जंगली लड़की भाग गई.
"यह लड़की कौन थी?"नूपुर ने पूँछा. उसे माजरा समझ नहीं आ रहा था.
"देवता भाई की लड़की है.वह चाहती है कि मैं जश्न में शिकार करूँ ताकि उसकी मुझसे शादी हो जाये."योका अपने आँसू पोंछते हुए बोला.
"तब तुम शिकार करो न !"नूपुर ने अनुरोध किया.
"नहीं, नुप्पू, नहीं."योका इतनी जोर से चीखा कि नूपुर बुरी तरह डर गई.
अभी नूपुर योका के पास डरी सहमी सी खड़ी थी. तभी पीछे से एक जंगली युवक ने आकर योका के आगे सिर झुकाकर कहा-"सरदार ने बुलाया है."
योका बिना कुछ कहे उस युवक के साथ चल दिया. नूपुर भी इन लोगों के पीछे हो ली.जल्दी ही युवक योका को लेकर देवता वाले टीले पर पहुंच गया.
यहां बस्ती के सारे लोग एकत्र थे.एक ओर पंक्ति में युवतियां खड़ी थीं. उन्होंने जंगली फूलों का श्रंगार किया था. उनके चेहरे और पीठ पर लाल-पीले रंग से चित्रकारी हो रही थी. वे हाथों में जलती मशालें पकड़े थीं.युवतियों के सामने युवकों की पंक्तियां थी.उनके भी चेहरे और पीठ पर लाल-पीले रंग की चित्रकारी थी.यह हाथ में धनुष बाण लिए थे.
एक ओर हटकर स्त्री, बच्चे, बूढे जमीन पर बैठे थे.देवता की मूर्ति के आगे एक युवक जंजीरों में बंधा खड़ा था.उसका चेहरा लटका हुआ था. भय से आँखें फटी हुई थीं. होंठ सूख रहे थे. बाल भी बिखरे हुए थे. वह जंगली नहीं था.किसी सभ्य समाज का लग रहा था. उसे देखकर नूपुर को आश्चर्य हुआ. यहां कहीं सभ्य लोग भी रहते हैं.
जंजीरों से बंधे हुए युवक के पास ही सरदार और तन्वी खड़े थे.सरदार के पास ही देवता भाई हाथ में कोई हड्डी की बांसुरी लिए खड़ा था.देवता के आगे मनका जंगली फूलों की माला लिए खड़ी थी. उसने भी फूलों का श्रंगार किया था.सात युवक जंजीर से बंधे युवक के धनुष बाण लिए खड़े थे.
योका सरदार के पास खड़ा हो गया. नूपुर भी उनके साथ खड़ी हो गई. तभी देवता भाई ने हड्डी की बांसुरी बजायी .मनकी ने देवता पर फूल चढ़ा दिए.इसके साथ ही जंगली युवतियों के पैर थिरकने लगे.
नूपूर की निगाहें नाचती हुई युवतियों पर टिक गई. नाचते-नाचते युवतियां मशालें युवकों के आगे कर देतीं. युवक मशालों को तीर से उड़ा देते थे.
"कमाल है. कितना अद्भुत दृश्य है."नूपुर ने पास खड़े योका को झंझोड़ दिया.
योका ने एकबार नूपुर की ओर देखा फिर नजरें झुका लीं.उसका चेहरा भावशून्य था.
नूपुर फिर नृत्य देखने में लग गई. यह नृत्य तब तक चला जब तक सारी मशालें युवकों ने अपने बाणों से बुझा नहीं दीं.नृत्य समाप्त होते ही युवक-युवतियां जमीन पर बैठ गए. सबके चेहरे उल्लासित थे.
तभी देवता भाई ने एकबार फिर बांसुरी बजायी. अब मनकी थिरकती हुए जंजीर से बंधे युवक के पास पहुंच गई. सरदार ने एक धनुष बाण योका के हाथ में थमा दिया.
"योका एक ही बार में निशाना साध लेना."तन्वी का स्वर कांप रहा था. उसके माथे पर चिंता की रेखाएं थीं.
योका बोझिल कदमों से जंजीर से बंधे युवक के सामने पहुंचा. मनकी थिरकती हुई योका के सामने पहुंच गई. उसने कातर नेत्रों से योका की ओर देखा.
योका एकदम बिचलित हो गईं. उसकी भुजाएं फड़क उठीं. उसका बाण जंजीर से बंधे युवक की ओर तन गया.
क्रमशः