आदमी का शिकार - 7 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आदमी का शिकार - 7


ऊपर पहुंच कर नूपुर ने झोपड़ी में झांका.झोपड़ी खाली थी.नूपुर अंदर चली गई. झोपडी में कुछ मिट्टी और पत्थर के बर्तन रखे थे. उसने एक बड़े से मिट्टी के बर्तन को खोलकर देखा. उसमें उबला हुआ चावल था.चावल देखकर नूपुर को भूख लग आई.उसने थोड़ा सा चावल मुँह में डाला. चावल मीठा था.नूपुर जल्दी -जल्दी बहुत सारा चावल खा गई. चावल जायदा स्वादिष्ट न था.फिर भी इतना बुरा नहीं था कि खाया न सके .
पेटभर चावल खाने के बाद नूपुर झोपड़ी की तलाशी लेने लगी.झोपड़ी मे बर्तन के अलावा तीर कमान, कुल्हाड़ी, भाले आदि थे.पूरी झोपड़ी देखने के बाद नूपुर नीचे उतर आयी.
नीचे आते हुए नूपुर सोच रही थी-आदमखोर चावल नहीं खाते. फिर झोपड़ियों में कौन रहता है.
चावल खाने के बाद नूपुर को प्यास लगने लगी थी.लेकिन पूरी बस्ती छान मारने पर भी उसे कहीं ल नहीं दिखाई दिया. पानी की तलाश में नूपुर बस्ती के पीछे की ओर चलदी शायद उधर कहीं पानी हो.
बस्ती के पिछले भाग में नदी देखकर नूपुर ने राहतकी सांस ली.नदी पर पहुंच कर उसने पानी पिया. पानी काफी ठंडा और साफ था.साफ पानी देखकर नूपुर को नहाने की इच्छा होने लगी.जहाज दुर्घटना के बाद से अभी तक उसे नहाने का मौका नहीं मिला था. उसका शरीर और कपड़ें काफी गंदे हो गए थे.नूपुर ने कपड़ें धोकर घास पर फैलाये फिर नदी में नहाने घुस गई. अच्छे से नहाने के बाद वह नदी से बाहर निकल आई.उसके कपड़े अभी गीले थे .वह वहीं घास पर बैठकर कपड़े सूखने का इंतजार करने लगी.
अभी कुछ ही देर हुई थी नूपुर को बैठे हुए .तभी उसे अपने पीछे कदमों की आवाज सुनाई दी. उसने घबरा कर पीछे मुडकर देखा. उसके पीछे रीछ की खाल पहने एक आदमी खड़ा था.एकदम काला.उसके गले में घोघें और सीपों की माला थी.
"तुम कौन हो?यहां कर कर रही हो ?"उस आदमी ने नूपुर के पास आकर पूँछा।
"मेरा नाम नूपुर है. रास्ता भूल गईहूँ."नूपुर सहम कर खड़ी हो गई.
"अकेली हो?"
"हां."नूपुर धीरे से बोली.
तभी खेतों की ओर से सत्तरह -अट्ठारह साल का लड़का दौड़ता हुआ आया. उसके हाथ में गन्ना था.वह नूपुर को सिर से पाँव तक देखकर उस आदमी से बोला-"यह कौन है?"
"परदेशी है.रास्ता भूल गई है."
"तुम लोग कौन हो?"नूपुर ने डरते डरते पूँछा.
"यह इस कबीले के सरदार का बेटा है."आदमी ने बताया.
"तुम्हारा नाम क्या है?"नूपुर ने लडके से पूँछा.
"योका."लड़के ने बताया.
"यह कौन है?"नूपुर ने आदमी की ओर इशारा किया.
"यह देवता भाई हैं."योका आदर से बोला.
"देवता भाई कौन होते हैं,"
"जो देवता की पूजा करते हैं."योका ने बताया.
"तुम्हारा देवता कहां है"?नूपुर ने पूँछा.
"चलो दिखाऊँ ."योका नूपुर का हाथ पकड़कर खींचते हुए बोला.
"रूको,कपड़े पहन लूँ."नूपुर घास पर पड़ी फ्राक उठाते हुए बोली.
'यह किस जानवर की खाल है?"योका ने नूपुर की फ्राक छूकर पूँछा.
"यह जानवर की खाल नहीं कपड़ा है."
"कपड़ा क्या होता है. यह कहां से आता है."
"पहले कपास की खेती की जाती है. फिर उससे कपड़ा बनता है."नूपुर ने फ्राक पहनते हुए कहा.
"कपास की खेती यहां नहीं हो सकती. क्या हम भी इसे पहन सकते हैं?"योका ने पूँछा. उसे नूपुर की फ्राक अच्छी लगी थी.
"हो सकती है."
"हूं."योका खुश होकर बोला.

"चलो,अपना देवता दिखाओ.
"चलो.

योका नूपुर को साथ लेकर चल दिया.


क्रमशः