आदमी का शिकार - 3 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आदमी का शिकार - 3


नूपुर को लगा यह रीछ उससे दोस्ती करना चाहते हैं. अन्यथा अब तक उसका काम तमाम कर देते. रीछों ने उसको कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाया.खाने के लिए शहद भी दिया. मधुमक्खियों से बचाया भी.काफी देर तक वह रीछ के साथ खेलती रही.उसे फिर भूख लगने .शहद से उसका पेट भरा नहीं था.
खाने की तलाश में नूपुर ने चारों ओर देखा.बांयी ओर अंगूर की बेल थी.जिस पर बहुत सारे अंगूर लगे थे.नूपुर का चेहरा खुशी से चमक गया. वह अंगूर की वेल की ओर चल दी.उसने ढ़ेर सारे अंगूर तोड़कर फ्राक में भर लिए. इसके बाद, वह वापस आकर रीछों के पास पत्थर पर बैठ गई. कुछ अंगूर उसने रीछों के आगे डाल दिए.फिर स्वयं खाने लगी.नूपुर को अंगूर खाते देखकर रीछ भी अंगूर खाने लगे.
जब उसका पेट भर गया तो उसने बचे हुए अंगूर रीछों के आगे डाल दिए.
भूख मिटाने के बाद नुपूर को नींद सताने लगी.वह वहीं पत्थर पर लेट गई और अपनी आँखें बंद कर लीं. जल्दी ही उसे नींद आ गई.

*****
नूपुर की आँख खुली तो सूरज सिर पर चढ़ आया था. उसने अंगडाई ली और उठकर बैठ गई. फिर उसने चारों तरफ देखा.खुशी की लहर उसके चेहरे पर दौड़ गई. कोई भी रीछ यहां नही था.वह अकेली थी.उसने सोचा -चलो, रीछों से जान बची .अब वह यहां से निकल सकेगी.
यहां से चलने से पहले अंगूर खा लिए जायें ,सोचकर वह अंगूर की बेल की ओर बढ़ी.लेकिन, तुरंत रुक गई. देर करने से रीछ वापस आ गए तो यहां से निकल नहीं पायेगी. इस समय यहां से जाना जरूरी था.
इस कुंज से निकलने के लिए केवल एक ही रास्ता था.बाकी सब ओर से यह झाडिय़ों और लताओं से घिरा था.नूपुर बाहर जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ गई.
अभी नूपुर यहां से बाहर निकली ही थी कि ठिठक कर रूक गई. सामने से रीछों का झुंड वापस आ रहा था. अब,वह निर्णय नहीं कर पा रही थी कि यहां से जाये या रूके.यहां रूकने की उसकी इच्छा नहीं थी.वह रीछों के बीच रहकर अपना समय नहीं बरबाद करना चाहती थी. किन्तु रीछों के स्वभाव के बारे में भी उसे विशेष जानकारी नहीं थी.वह नहीं जानती थी, उसके यहां से जाने पर रीछों पर क्या प्रतिक्रिया होगी. हो सकता है-उसके जाने से रीछ नाराज हो जाये. नूपुर रीछों को किसी भी हालत में नाराज नहीं करना चाहती थी. उसे पता था-इन हिंसक जानवरों को क्रोध दिलाना .मौत को बुलावा देना है. एक बार मौत के मुँह से निकलने के बाद वह दोवारा मौत के मुँह में नहीं जाना चाहती.
एक गहरी सांस लेकर नूपुर टूटे हुए पेड़ के तने पर बैठ गई. उसने यहां से निकलने की बात फिर कभी पर छोड़ दी.
रीछों का झुंड पास आ गया था.कुछ रीछ लगड़ाकर चल रहे थे. लेकिन, उनके पैरों में चोट नहीं लगी थी.बल्कि वह अपने अगले पैरों में खाने की वस्तुएं पकड़े थे.कुछ रीछों के पास फल थे.कुछ मांस के टुकड़े पकड़े थे.जो शायद उनके खाने से रह गए थे.
नूपुर हैरान थी.यह क्या तमाशा हो रहा है. तभी नूपुर की हैरानी और बढ़ गई. जब रीछ फल उसकी गोद में डालने लगे.फलों को देखकर नूपुर को भी भूख लग आयी.उसने गोद में एक पीला फल उठाया और खाने लगी.अभी उसने फल को मुँह में लगाया ही थाकि एक रीछ ने मांस का टुकड़ा उसकी गोद में डाल दिया. नूपुर एकदम हड़बड़ा कर उठ गई. उसे यह उम्मीद नहीं थीकि यह मांस का टुकड़ा भी उसके खाने के लिए आया है. हांलाकि वह मीट खा लेती है लेकिन, कच्चा मांस खाने की तो कल्पना भी नहीं कर सकती थी.
रीछ भी नूपुर की हरकत देखकर हक्का बक्का रह गया. नूपुर का ध्यान रीछ की ओर गया. उसके भाव अजीब से थे.
वैसे वह नाराज नहीं लग रहा था. स्थिति को देखकर नूपुर ने समझदारी से काम लिया. उसने फ्राक में गिर पड़े फल उठाए और एक फल उस रीछ के मुँह में डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगी.रीछ की आँखों में प्यार उमड़ आया. वह नूपुर के पैर चाटने लगा.नूपुर ने उसे एक फल और खिलाया. फिर वहीं टूटे हुए पेड़ पर बैठ गई. रीछ नूपुर के आसपास बैठ गए.
काफी देर तक नूपुर यूँही बैठी रही. लेकिन, कुछ ही देर में उसका मन ऊबने लगा.उसकी इच्छा घूमने की हो रही थी. उसने सोचा -यही इधर उधर घूम लिया जाये. रीछ भी नाराज नहीं होगें और उसका मन भी ठीक हो जायेगा.
घूमने का विचार करके नूपुर उठ खड़ी हुई. वह धीरे धीरे फूलों के पेड़ों की ओर बढ़ने लगी .फूल जंगली थे.लेकिन खूबसूरत थे.फूलों को देखकर उसका मन ललचा गया. वह फूल तोड़कर अपनी फ्राक में भरने लगी.जल्दी ही उसकी फ्राक फूलों से भर गई. उसने फूल तोड़ने बंद कर दिए.कुछ देर यूँही खड़ी रही.फिर उसने रीछों की तरफ देखा. सभी रीछ उसे ही देख रहे थे.जैसे उसकी निगरानी कर रहे हो.उसने एक गहरी सांस ली.उसे विश्वास हो गया .इन रीछों के सामने यहां से निकलना संभव नहीं है.
नूपुर सोच में डूबी थी .तभी उसकी नजर लाल रंग के बड़े से फूल पर पड़ी जिस पर काले रंग की खूबसूरत तितली बैठी थी.वह तितली पकड़ने तेज से उसकी ओर बढ़ी।
तितली पकडऩे के लिए नूपुर उसके पीछे भाग रही थी. तितली एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर पहुंच जाती.तितली के पीछे भागते भागते नूपुर थक गई. उसने रुक कर गहरी सांस ली. फिर पलटकर रीछों की ओर देखा.उसका मुँह आश्चर्य से खुला रह गया. रीछ अपने पिछले पैरों पर ठुमक रहे थे. रीछों का नाच देखकर वह तितली को भूल गई. वह दौड़कर रीछों के पास पहुंच गई .उसने फ्राक में भरे सारे फूल रीछों पर उछाल दिएऔर ताली बजाकर हंसने लगी. रीछ के नाच म़े तेजी आ गई.
कुछ देर नूपुर रीछों का नाच देखती रही.रीछ मस्ती में नाच रहे थे. वह भी रीछों के नाच में शामिल हो गई.


क्रमशः