आदमी का शिकार - 15 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आदमी का शिकार - 15


नूपर नहीं चाहती थी कि पड़ोसी कबीले के लोग बेकसूर मारे जायें. लेकिन ,उसे समझ नहीं आ रहा थाकि उन्हें कैसे बचाये. तभी उसके दिमाग में एक विचार आया-यदि सरदार जश्न मना ले तो पास के कबीले पर हमला होने से बच जायेगा. उसने अपनी युक्ति योका को बतायी.
"बेबात के जश्न कैसे मनाया जा सकता है."योका ने समस्या बतायी.
"तुम शिकार करने को तैयार हो जाओ."नूपर जल्दी से बोली.
"मैं और मानव...""
"सोचो, योका, तुम्हारे एक शिकार से बहुत से लोगों की जान बच सकती है. इसके बाद हम कुछ और सोचेंगे. बरना देवता भाई सरदार से पास के कबीले पर हमला करवा देगा. इसके साथ ही मानव हत्याओं का सिलसिला शुरू हो जायेगा."नूपर बिना रूके कहती चली गई.
"मेरे शिकार करने से यह सिलसिला रूक जायेगा?"योका को अभी भी संशय था.
"शिकार के बाद देवता भाई जैसे ही मानव धड़ विदेशियों को देगा हम उसे रंगें हाथों पकड़वा देगें."नूपर बोली.
"अगर हम अपनी बात सही साबित न कर सके तो देवता भाई हमारी बली दे देगा."योका डरा हुआ था.
"योका भाई भरोसा रखो."नूपर ने योका का कंधा थपथपाया.
"लेकिन, शिकार के लिए आदमी कहां से लायेंगे."योका ने परेशानी बतायी.
"हम जंगल में ढूंढ लेगें .अक्सर लोग शिकार खेलने आते रहते हैं."नूपर ने सुझाव दिया.
"चलो,यह काम हम आज से ही शुरू करते हैं."योका उठते हुए बोला .
"ठीक है, चलो."नूपर भी योका के साथ चल दी.
.....
"बापू, तुझे पता है. बस्ती में जश्न होने बाला है."मनकी देवता भाई के पास बैठती हुई बोली.
"योका के प्यार में पगला गई है.बिना बात जश्न क्यूँ होने लगा."देवता भाई मनकी के ब्याह को लेकर दुखी था.
"अबकी योका शिकार करेगा. इसलिए बस्ती में जश्न होगा."मनकी ने बताया.
"सच ,मेरी मनकी का ब्याह होगा. योका शिकार करेगा."देवता भाई का चेहरा खुशी से चमक गया.
एक तरफ उसे मनकी के ब्याह की खुशी थी.दूसरी तरफ मानव धड़ मिलने की.मिलने वाली दारू का नशा देवता भाई पर चढ़ने लगा था.
मनकी अपने ब्याह के सपने बुन रही थी.

.....

योका और नूपर जंगल में काफी देर भटक कर वापस बस्ती में आ गए थे. उन्हें शिकार के लिए कोई आदमी नहीं मिला था.लेकिन,जश्न मनाना निश्चित था और इसकी सूचना पहले से सरदार को भी देनी थी.
पहल नूपर ने ही की-"सरदार, योका ,तुम्हारे वास्ते कुछ करना चाहता है."
"मेरे वास्ते?"सरदार को कुछ समझ न आया.
"वह तुम्हें और बाई को दुखी नहीं देखना चाहता है. उसे समझ आ गई है कि बस्ती में रहने के कुछ उसूल होते हैं."नूपर अपनी बात को घुमाफिरा कर कहना चाहती थी.
"नुप्पू, तुम क्या कहना चाहती हो?साफ-साफ कहो."तन्वी नूपर के पास आते हुए बोली.
"योका भाई कुछ कहना चाहता है लेकिन कह नहीं पा रहा है."नूपर अभी भी बात घुमा रही थी.
"योका क्या कहना चाहता है."तन्वी नासमझी से योका की तरफ देखने लगी.
"बाई,मैं मनकी के लिए शिकार करना चाहता हूं."योका धीरे से बोला.
"तुम शिकार करोगे?"सरदार का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया.
"हां,बापू, मैं शिकार करूँगा."योका सिर झुका कर बोला.
"सच कह रहा है तू?"सरदार को अभी भी विश्वास नहीं आ रहा था.
"योका भाई सच में शिकार करना चाहते हैं."नूपर ने कहा.
"सच,योका शिकार करेगा. उसका ब्याह होगा. उसके बच्चे छाँव में खेलेंगे."तन्वी खुशी से चहक पड़ी.
"आज में बहुत खुश हूँ.आने वाला सरदार योका होगा. मैं जश्न और शिकार की तैयारी करता हूँ."सरदार उठते हुए बोला.
"नहीं, बापू. शिकार मैं खुद ढूंढ कर लाऊंगा. जश्न की तैयारी मनकी और नूप्पू करेगीं."योका ने स्थिति को स्पष्ट किया.
"यह तो मेरे लिए और भी गर्व की बात है."सरदार की आँखें खुशी से चमक रही थीं.
"नुप्पू, तुम बहुत अच्छी हो.तुम्हारे साथ से ही योका शिकार करने को तैयार हुआ है."तन्वी ने अपनी नाक नूपर की नाक पर रख दी.
उधर सरदार खुशी से अपनी नाक योका की नाक से रगड़कर खुशी जाहिर कर रहा था.

क्रमशः