Peacock - 3 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

Peacock - 3

“सोई नहीं पीकॉक क्या सोच रही है ? “ नानी ने प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा । “नानी बाबा समझते नहीं है कि मैं डांस करना चाहती हूँ । ठीक है मैं कॉलेज खत्म कर अपने पैरो पर भी कड़ी हो जाऊँगी, मगर मैं अभी डांस सीखना चाहती हूँ ताकि आगे चलकर किसी राष्ट्रीय स्तर पर नृत्य कर सको।“ पीहू ने तारे को देखकर उत्तर दिया । “हमेशा यह बाबा कहाँ समझते है? जानती है, मेरा नाम है तारा और वो अँगरेज़ मुझे ट्विंकल कहता था । अगर शायद मैंने हिम्मत की होती या उसने भी थोड़ा ओर ज़िद की होती तो आज शकूर बस्ती में न होती लंदन में घूम रही होती ।“ नानी ने तारे को देखकर कहा। “आप उससे मिली कैसे नानी ? क्या उम्र रही होंगी? पीहू ने नानी की उदास आँखों में देखकर पूछा। मेरी सिर्फ दस साल और वो बारह साल मेरे बाबा उसके यहाँ माली का काम करते थें, बस बचपन ऐसे ही बीत गया उसकी वजह से दसवीं पढ़ पायी फिर एक दिन लंदन से उसके पिता के पिता की मौत की खबर आयी और वो लोग चले गए, जाते वक़्त उसने पूछा भी चलना है मेरे साथ? मैंने अपने बाबा से पूछा तो उन्होंने मना कर दिया और बस फिर उसने भी ज्यादा नहीं कहा और हमेशा के लिए चला गया । जाते -जाते अपना हिमाचल वाला घर हमें दे गए ताकि हम सब आराम से रह सके।“ नानी एक ही सांस में कह गई सारी कहानी ।

“फिर क्या हुआ नानी?” पीहू ने फिर पूछा ? “बस फिर तेरे नाना से शादी हो गई फिर तेरी माँ और तेरे नाना के जाने के बाद यहाँ आ गई ।“ नानी ने बताया। “नाना इतने बुरे नही थें न? नानी मैंने उन्हें ठीक से देखा नहीं था ।” पीहू ने पूछा। “बहुत अच्छे थें, वैसे भी अच्छे लोग ज़िन्दगी से जल्दी चले जाते है पीकॉक,” नानी ने एक बार फिर तारे को देखा। “तो क्या मुझे भी अपना सपना भूलना होगा ? पीहू ने पूछा। “तेरा बाप गलत नहीं है, सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू तो कर दें, अब तो तेरे पैर काफी ठीक है, बैसाखी के बिना चल लेती है । अगर ईश्वर ने चाहा तो तेरा सपना ज़रूर पूरा होगा। चल अब सोजा वरना वो शिव शंकर भी जाग जायेंगा ।“ नानी ने हॅसते हुए कहा ।

नानी तो चली गयी पर उसे पता था कि उसकी आँखों में नींद नहीं है । पता नहीं, ईश्वर को क्या मंजूर है, पीहू अपने टेढ़े-मेढ़े पैरों को देखते हुए बोली ।

वहाँ पूरा हिमाचल बारिश के बाद बेहद खूबसूरत लग रहा था । आरव ऐसे ही घूमने पहाड़ों पर आ निकला और उगते हुए सूरज को देखते हुए बोला, “काश ! हम ज़िन्दगी के कुछ पन्नों को फिर से लिख सकते । ‘उसे लगा कि कोई पीछे खड़ा है मुड़कर देखा तो सफ़ेद रंग के कपड़ों में रिदा आँख में आँसू और होठों पर हँसी लिए खड़ी थीं। आरव देखता रह गया बस इतना ही निकला रिदा मुझे माफ़ कर दो !! प्लीज ! रिदा कुछ नहीं बोली उसे छूने के लिए जैसे ही उसने हाथ बढ़ाया, नीचे से किसी ने पुकारा, “आरव!’ और रिदा गायब !!! आरव ने फिर चारों तरफ देखा मगर कोई नहीं था। नीचे देखा तो उसका होने वाला बहनोई ऋषभ खड़ा था । अरुणा का मंगेतर उसके साथ उसके चैनल में काम करता था। आरव नीचे उतरकर आया तो दोनों गले मिले और साथ घर की तरफ़ चलने लगे।

“और बता ? क्या चल रहा है ।“ ऋषभ ने पूछा? “कुछ नहीं वही कैफ़े और फिर घर? बस कभी बंटी तो कभी विक्की से बात और इससे ज्यादा क्या चलना है” “कुछ नया क्यों नहीं करता?” ऋषभ ने कहा। “जैसे कि?” आरव ने पूछ लिया । “कुछ ऐसा जो तेरे मन को सकूँ दे और तुझे अच्छा लगता हों कुछ संगीत और नृत्य ही सीख ले, पहले तो बड़ा गाता-बजाता और नाचता भी फिरता था” ऋषभ ने मूड बदलने के उद्देश्य से पूछा । रिदा के जाने के बाद कुछ भी करने का दिल नहीं करता आरव ने पहाड़ों को देखकर कहा । कब तक वही पिछली यादें पकड़कर बैठा रहेंगा नज़रे घुमाकर देख दुनिया बड़ी खूबसूरत है । कोई और रिदा मिल जायेंगी,” ऋषभ ने आरव की आँखों में देखकर कहा । मगर आरव को ऋषभ की बात अच्छी न लगी और उसने मुँह फेर लिया ।