Peacock - 2 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Peacock - 2

दिल्ली की गलियों में लबालब पानी भरा हुआ है और इन्हीं गलियो में एक छोटा सा घर जहाँ छत पर खड़ी, वो बारिश को बड़ी मासूमियत से निहारते हुए भीग रही है, वह चाहती है कि वह खूब नाचें छत की नाली से जाते हुए पानी को उसने कपड़े से बंद कर दिया है । छत पर भरे पानी में तैरने का मन तो है और तैरने की कोशिश भी कर रही है , तभी नीचे से आवाज़ आई, “ पीहू नीचे आजा! बेटा, बहुत बारिश है""। “आती हूँ, बाबा" बस थोड़ी देर और” पीहू ने कहा। “अरे ! आजा बेटा कहीं तुझे चोट न लग जाए”, आवाज़ फिर तेज़ हो जाती है । “मैं भी बारिश में नाचना चाहती हूँ पूरा बचपन सिर्फ भीगते हुए बीता है, अब तो कॉलेज की पढ़ाई भी शुरू कर दी है मगर मैं शायद ही कभी डांस कर पाऊँगी ? “ धीरे-धीरे कदमो से सीढ़िया उतरते हुए पीहू बड़बड़ायी जा रही थीं। आजा! मेरी बिटिया देख, नानी ने पकोड़े बनाए है, गर्म -गर्म चाय के साथ खाकर मज़े ले बेटा । बाबा ने पकोड़े खाते हुए कहा ।

“माँ ज्यादा अच्छे पकोड़े बनाती थी” पीहू ने पकोड़ा मुँह में ठूँसकर कहा। “नानी की कोई चीज़ तुम्हें क्यों अच्छी लगेगी माय डियर पीकॉक” नानी हॅसते हुए बोली । “क्यों छेड़ती रहती हूँ मेरी बेटी क, चलो अब तुम दोनों पकोड़े खाओं, मैं ज़रा टीवी पर कोई फिल्म देख लूँ । कहकर बाबा अंदर बाबा अंदर चले गए । ‘मेरे बाबा शिवप्रसाद लाल मुझे जितना प्यार करते है, उतना माधुरी दीक्षित को भी करते है । केबलवाले को कह उनकी फिल्मे टीवी पर लगावते रहते है । मोबाइल में उन्हें माधुरी ज़्यादा सुन्दर नहीं लगती । “ले मेरी पीकॉक गोभी का पकौड़ा खा! ले मेरी, लाडो नानी ने पकौड़ा पीहू के मुँह में ठूँस दिया । ‘मेरी नानी मुझे पीकॉक क्यों बोलती है, इसका कारण है मेरे टेढ़े-मेढ़े पैर । जन्म से ही ऐसे है । मेरा जन्म घर पर हुआ । मेरी माँ बचपन से ही बीमार रहती थीं और मुझे दस साल की उम्र में छोड़कर हमेशा के लिए चली गई । मेरा नाम पीहू उन्होंने ही रखा था । नानी का मुझे पीकॉक बुलाने के पीछे एक कारण और भी है, उनका अंग्रेजी से प्यार । आई मीन अंग्रेज़ से प्यार आज़ादी के बाद भी कुछ अंग्रेज़ भारत छोड़कर देर से गए , मेरी नानी पहले वहीं हिमाचल में रहती थीं वहीं अंग्रेज़ उनसे टकरा गया । वहीं शुरू हुआ यह प्यार, उसने नानी को अंग्रेज़ी सिखाई और नानी ने उन्हें हिन्दी । नानी शादी भी उसी से करती मगर वो वापिस लंदन चला गया और नानी की शादी मेरे नाना से हो गई । भले ही अँगरेज़ छूट गया, मगर उन्होंने अंग्रेज़ी नहीं छोड़ी । जब मौका मिलता है, वो तब-तब अंग्रेजी बोलती है। उन्हीं की वजह से बाबा के अलावा सब मुझे पीकॉक कहते हैं।

“बेटा, अब मैं तेरे आगे की पढाई के बारे में सोच रहा था। मैं चाहता हूँ, तू पढ़-लिखकर अपने पैरो पर खड़ी हो जाए, बाबा ने कहा। तो नानी को हँसी आ गई, वो कौन सा तेरे पैरो पर खड़ी है? नानी ने ज़ोर से बाबा का मज़ाक बनाते हुए कहा । “देखो ! अम्माजी हम दोनों बाप -बेटी के बीच में न बोलो” बाबा ने नकली गुस्सा दिखाते हुए नानी को कहा । “देख बेटा! मैं तेरा बाप शकूरबस्ती में नगर निगम का कर्मचारी बन साफ़-सफाई का काम देखता हूँ. मगर आज तक मेरी नौकरी पक्की न हो सकी । वही पहले प्राइवेट झाड़ू लगाया और जब यहाँ कह-सुनकर लगा भी तो कॉन्ट्रैक्ट पर । दसवीं पास की मगर क्या फ़ायदा???” “आप कहना क्या चाहते है बाबा !” पीहू ने पूछा । “कल मेरी राधे श्याम से बात हुई थीं उसने बताया अपना नहीं तो अपनी बेटी का भविष्य ही बना ले । पीहू तू न सरकारी नौकरी की तैयारी कर, वैसे भी वो अपनी कसरत करवा सारा दिन इंटरनेट पर डांस देखती रहती है या फिर कभी बैसाखी के सहारे या डंडे के सहारे डांस करती रहती है ।“ बाबा ने अपने बिस्तर पर बैठते हुए कहा । “मुझे नाचना अच्छा लगता है बाबा मैं डांस करना चाहती हूँ।“ पीहू के स्वर में उदासी थीं ।

“सच्चाई यह है कि बच्चे मैंने बहुत कोशिश की तेरे पैर ठीक हो जाए, पर मैं ठहरा गरीब सफ़ाई कर्मचारी तेरी माँ को भी बचा न सका, अब यही मान ले कि ऐसे ही जीना है । पर अगर तेरी सरकारी नौकरी लग जायेगी तो कोई भी लड़का तेरा हाथ भी थाम लेगा । तुझे पता नहीं है बेटा, राधेश्याम की भतीजी के हाथ काम नहीं करते थें मगर देख लो क्लर्क लगते ही दो साल बाद शादी भी हो गयी और फिर हम तो आरक्षण कोटे में भी आते है और तू पढ़ाई में भी ठीक है,” बाबा ने गर्व से कहा । “वाह ! शिव प्रसाद वाह ! बेटी को हैंडीकैम कोटे से फार्रम भरवाएगा और फ़िर तू है तो चमार वाह !” “इसमें गलत क्या है अम्माजी? जब सरकार ने नियम बनाए है, तो लाभ तो उठाएं । कल पीहू जब पैरों की कसरत करवाकर लौटेंगी तो राधेश्याम की भतीजी उमा से बात करवाऊंगा और किताबें भी ला दूंगा । जैसे ही कॉलेज के तीन साल पूरे होंगे हमारी पीहू बन गयी सरकारी नौकर वाह! तेरी महिमा निराली है महादेव ।“ बाबा ने आँख बंदकर कहा । “अब सोजा शिव भक्त सुबह झाड़ू भी मारना है, कहकर नानी ने कमरे की लाइट बुझा दी ।

मगर पीहू सबके सोने के बाद छत पर आ, बारिश के बाद हुए साफ़ आसमान को देखने लगी ।