Peacock - 10 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Peacock - 10

आसुंओं से भरा आरव रोहन के आने से जैसे होश में आया हूँ । “आप बाहर किससे बातें कर रहें थें। वो लड़की कौन थीं भाई ? रोहन ने फिर पूछा । “बस जानकर थीं, जाओं जाकर सो जाओ।“ आरव ने दरवाज़े की तरफ़ देखकर बोला । जिससे रोहन समझ गया कि आरव नहीं चाहता रोहन कमरे में रहें । बची-कुची रात आरव ने करवटें बदलकर गुज़ारी । सुबह शादी वाले घर की भागदौड़ और फिर बारात का आगमन । ऋषभ बहुत खुश नज़र आ रहा था । एक हैंडसम दूल्हा और प्यारी दुल्हन अरुणा दोनों ही एक दूसरे के लिए बने लग रहे थें। सभी रीति-रिवाजों के साथ शादी संपन्न हुई । कन्यादान मामा-मामी ने किया । भीगी पलकों से सभी ने अरुणा को विदा किया। अरुणा अपने माँ-बाप को याद कर फिर रो पड़ी । “ज्यादा मत रो दीदी, यही आपका घर है । पास मे जब चाहे आ जाना ।“ आरव ने बहन को गले लगाते हुए कहा। “अपना ख्याल रखना आरव ज्यादा मत सोचना। अरुणा ने भी आरव के आँसू पौंछते हुए कहा । शादी दिन की थीं इसलिये सूरज ढलने से पहले ही विदा हो गई आरव और बाकि लोग घर का सामान समेटने लगे।

पीहू और सोनू ने पालमपुर देखा फिर भारी मन से पीहू सोनू के साथ बस अड्डे पहुंच गई । “अब जाओं और बाबा की पसंद की नौकरी करो और फ़िर उनकी पसंद से शादी भी कर लूँ, अपनी मर्ज़ी तो कोई हैं ही नही मेरी ।“ पीहू ने उदास होकर सोनू को बोला । तेरे सपनो का राजकुमार भी आयेंगा पीकॉक देख लियो” सोनू ने पीहू का मूड बदलने के अंदेशे से कहा । जैसे ही वो लोग बस में चढ़ने लगे तभी किसी ने पीछे से आवाज़ लगाई “पीकॉक”। मुड़कर देखा तो आरव खड़ा था । शेरवानी में आरव गज़ब का लग रहा था, पीहू तो उसे देखती रह गई। तभी आरव पास आकर बोला । “ मत जाओ तुम्हे डांस सीखना है न मैं सीखाऊंगा।“ आरव ने पीहू को कहा। “आप ?” पीहू ने हैरानी से पूछा। “हां मैंने शास्त्री जी से डांस सीखा हैं मैं तुम्हे वेस्टर्न और प्राचीन नृत्य दोनों का तालमेल सिखाऊंगा। मत जाओं प्लीज पीकॉक अपना सपना पूरा करो ।“ आरव ने बड़ा विनय होकर कहा । “भाईसाहब इसका नाम पीहू है और ऐसे किसी अजनबी से डांस नहीं सीखना हमें । सोनू की आवाज में जलन की अनुभूति हुई । “शास्त्रीजी को जानते थें क्या ?” इतनी दूर से आई हों निराश होकर मत जाओं । तुम मेरे घर किराए पर रह लेना पास में मेरी बहन रहती है, तुम्हे कोई दिक़्क़त नहीं होगी । चाहो तो किराया भी दे देना, पता नहीं शास्त्री जी आएंगे भी या नहीं कुछ ही महीनों में यहाँ एक डांस प्रतियोगिता जो हर साल होती है, उसमे भाग लेना क्या पता जीत जाऊँ ।“ आरव एक सांस मैं सारी बात कह गया और पीहू से कुछ बोले नहीं बन रहा था । “चल पीकॉक कोई पागल है, यह चल घर चले।“ सोनू ने पीहू का हाथ पकड़ खींचा । पीहू ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा कि “सोनू तो जा मैं नहीं जाऊँगी । “पागल हो गयी है क्या हम इसे जानते ही कितना है ? मैं तुझे अकेला नहीं छोड़ सकता।“ सोनू ने पीहू का हाथ खींचा । “आख़िर तू मुझे शास्त्री जी के पास छोड़कर भी तो जा रहा था, अब क्या हुआ?” “कुछ नहीं होगा, मैं जीवन अपने हिसाब से जीना चाहती हूँ सोनू । मैं कल कोई पछतावा नहीं लेकर जीना चाहती कि मुझे एक चांस मिला और मैं डर गई ।“ पीहू ने हाथ छुड़ाते हुए कहा । बहुत कहने पर भी पीहू नहीं मानी और सोनू उसे रोज़ फ़ोन करने को कह बुझे मन से बस में बैठ गया, आज वो सचमुच पीहू के लिए फिक्रमंद था या आरव को उसके लिए इतना करते देख जलन हो रही थीं पता नहीं।

पीहू ने आरव से नृत्य सीखना शुरू किया । अरुणा भी पीहू से मिलकर खुश हुई । शुरू-शुरू में पीहू ने हिम्मत हार मान ली मगर आरव ने उसे हारने नहीं दिया । दिन धीरे-धीरे बीतते गए । बाबा , नानी और सोनू से रोज़ पीहू बात करती । एक घर में रहने के कारण दोनों को एक दूसरे की आदत होने लगी । एक दिन उसने पूछ ही लिया “आप मेरे लिए इतना सब क्यों कर रहे हैं आरव?” “मैं शायद अपने लिए कर रहा हूँ पीकॉक । तुम्हारी नानी ने सच में तुम्हारा नाम सही रखा है। कल तुम जब बारिश में नाच रही थीं तो मुझे किसी पीकॉक से कम नहीं लगी।“ आरव ने पीहू को देखते हुआ कहा । मैं और सोनू स्कूल के वक़्त से ही बारिश में भीगते थें वो तो नाचता हुआ घर जाता था और मुझे पीकॉक कहता था । पागल! कहीं का। आपने भी उसके मुँह से ही मेरा यह नाम सुना होगा ?” पीहू ने पूछा । “सोनू सिर्फ तुम्हारा दोस्त है या कुछ उससे बढ़कर? आरव ने सवाल किया। दोस्त ही है...”” कहते हुए पीहू की आँखों की चमक उससे छिपी न रह सकी ।

अब वो दिन आ गया जब पीहू स्टेज पर थीं, आरव की कोशिशे रंग लायी थीं और पीहू ने शुरू के राउंड में सबका मन जीत लिया । अरुणा ने पीहू की कहानी चैनल पर दिखा दीं । और हुआ वही जिसका डर बाबा, नानी, और सोनू के साथ पालमपुर पहुंच गए । नानी तो खुश थीं कि पीहू ने यह कदम उठाया और तो और यही वो जगह थीं जहाँ उस अंग्रेज़ से मिली थीं पालमपुर । जब पीहू जीती और उसके हाथों में ट्रॉफी थीं और उसने अपने बाबा, नानी सोनू को स्टेज पर बुलाया और आरव को भी बुलाया तो आरव ने दूर से मना करते हुए बाहर मिलने का इशारा किया । क्योंकि वह चाहता था कि “सब देख ले कि सपने किसी पैरो के मोहताज़ नहीं यह वो होंसले की उड़ान है जिसे पीहू ने स्वयं में भरी है।“ तभी पीहू के पीछे आरव को रिदा मुस्कुराती हुई दिखाई दीं तो वह मुस्कुराते हुए स्टेडियमसे बाहर आ गया । जब अकेला ही चलने लगा तो पीछे से किसी ने आवाज़ दी “आरव” !!!! आरव ने मुड़कर देखा तो रिदा आज रोते हुए नहीं' मुस्कुराते हुए खड़ी थीं, “आरव मैंने तुम्हें माफ़ कर दिया।“ “सच रिदा?” आरव ने पूछा। रिदा ने सिर हिलाया और एक अनजान दिशा में खो गई ।

“पीहू की जिंदगी बदल गयी थीं । उसने कई राष्ट्रीय पुरुस्कार जीते । आरव ने उसका पूरा साथ दिया । उसने सरकारी नौकरी तो नहीं की । पर सरकार ने उसकी प्रतिभा को देखते हुए उसके इलाज का खर्च विदेशों में उठाना स्वीकार कर लिया । और आज वो आरव का एयरपोर्ट पर इंतज़ार कर रही थीं । “और पीकॉक तेरी लाइफ बदल गई न? कैसा लगा रहा है” सोनू भी उसे एयरपोर्ट पर छोड़ने आया है। अब भूल मत जाइयो मुझे कही पंखो के साथ वापिस लौटे।“ सोनू ने पीहू को गले लगा लिया । “तुझे कैसे भूल सकती हूँ पागल तूने बहुत साथ दिया मेरा ।“ पीहू की आँखों में हलके से आँसू थें। तभी आरव भी वहाँ आ पहुँचा और सोनू वहाँ से हट गया। “मुझे तुमसे कुछ माँगना है ?” पीहू ने आरव को देखते हुए कहा । “बताओ क्या माँगना है”मुझे लगता नहीं अब तुम्हे किसी चीज़ की ज़रूरत है ??” आरव ने पूछा ? “तुम मेरे डांस पार्टनर बनोंगे? जब मैं वापिस आऊँगी ।“ पीहू ने आरव की आंखों में देखते हुए कहा। “मैंने तुम्हें बताया था कि अब मैं किसी का डांस पार्टनर नही बनना चाहता रिदा का नहीं बन सका तो अब किसी का बनकर क्या करूँगा । अब तो मैं हर पीकॉक की उड़ने में मदद करूँगा । एक स्पेशल डांसिंग स्कूल खोल लिया है । अरुणा ने अपने चैनल के माध्यम से काफी मदद भी की है, देश से सभी बच्चे चाहे वो गरीब हूँ सब डांस सीखने आएंगे । मैं ऐसे ही शरीर से लाचार बच्चों को डांस सिखाकर उन्हें ज़िन्दगी के नए रास्ते पर ले जाऊँगा। आरव ने गर्व से कहा । “सच ! यह बहुत अच्छी बात है । और मेरे डांसिंग पार्टनर नहीं बनेगे ???” पीहू ने पूछा।जब पीहू ने फ़िर वहीं प्रश्न पूछा तो आरव के पास इसका कोई ज़वाब नहीं था या वो शायद इसका जवाब देना नहीं चाहता था । अभी सिर्फ पीहू की ख़ुशी में खुश होना चाहता था, अब उसे यह एहसास हो चुका था कि लफ्ज़ सिर्फ़ उम्मीद ही नहीं तोड़ते बल्कि दिल भी तोड़ देते हैं ।

“चल पीकॉक, देर हो रही है बेटा, नानी ने पुकारा । “सोचकर जवाब दीजियेगा मैं इंतज़ार करुँगी।“ पीहू जाते-जाते बोल गयी। और फ्लाइट के लिए अंदर चली गई । “मैं भी तुम्हारा इंतज़ार करूँगा पीकॉक”, आरव ने धीरे से कहा । बड़ी देर तक आरव और सोनू पीहू को जाते हुए देखते रहें । दोनों को ही उसका इंतज़ार रहेंगा ।