आदमी का शिकार - 12 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आदमी का शिकार - 12


योका दर्द से तड़प रहा था. नूपर योका की चोटों का उपचार करना चाहती थी. लेकिन यहां उसके पास कोई दवाई न थी.वह इसी उधेड़बुन में कभी योका के पास बैठती कभी झोपड़ी के दरवाजे टर खड़ी हो जाती. सरदार और तन्वी भी वापस नहीं आये थे.योका होंठों को भींचे आँखें बंद किए पड़ा था.नूपर उसके दर्द को महसूस कर पा रही थी.परेशान सी नूपर योका के पास बैठ गई. तभी उसे लगा झोपड़ी के अंदर कोई आया है. उसने मुड़कर देखा.मनकी थी.उसके हाथ में पत्थर का बर्तन था.मनकी ने पत्थर के बर्तन से हरे रंग का लेप निकाल कर योका की चोटों फर लगाना शुरू कर दिया.
"रहने दे ,मनकी.यह तो हमेशा की बात है."योका ने मनकी का हाथ पकड़ लिया.
"तू ऐसे कब तक मार खाता रहेगा?"मनकी की आँखों में आँसू थे.
"जब तक आदमी का शिकार बंद न हो जाये."योका के शब्दों में दृढता थी.
"तू अकेले यह जुल्म रोक पायेगा?"मनकी आँखें पोंछते हुए बोली.
"मनकी तुम साथ दो तो हम इस जुल्म को अवश्य रोक लेगें."अब तक चुप बैठी नूपर ने कहा.
मनकी प्रश्नसूचक नजरों से नूपर को देखने लगी.
"मनकी ,नुप्पू ठीक कह रही है जैसा वह कहे ,करो."योका ने नूपर की बात का समर्थन किया.
"बोलो,मुझे क्या करना है?"मनकी ने पूँछा.
"देवता भाई तुम्हारा बापू है?"नूपर ने पूँछा.
"हां."मनकी ने जबाव दिया.
"तुम्हारी मां?"
"उसे शेर खा गया."कहकर मनकी उदास हो गई.
"ओह!"नूपर ने मनकी के कंधे पर स्नेह से हाथ रखा.
"जश्न के बाद शिकार हुए आदमी का धड़ देवता भाई की छाँव में रखा जाता है?"नूपर ने मुद्दे की बात पर आते हुए पूँछा.
"हां."मनकी ने स्वीकृति में सिर हिलाया.
"देवता भाई उसका क्या करते हैं ?
"पता नहीं .एक रात वह छाँव में रहता है. फिर पता नहीं कहा चला जाता है."मनकी ने बताया.
"तुमने कभी देवता भाई से इस बारे में कभी पूँछा नहीं?"नूपर फिर प्रश्न किया.
"बापू ने बताया देवता ले जाता है. मनकी ने सीधा सा जबाव दिया.
"मनकी ,तुम मुझे अपनी छाँव दिखा सकती हो?"नूपर को कुछ दाल में काला लगा.
"नुप्पू, देवता भाई की छाँव में कोई नहीं जा सकता."मनकी की जगह योका ने जबाव दिया.
"क्यों?"नूपर को आश्चर्य हुआ.
"देवता भाई की छाँव में जो गया उसकी देवता के सामने बली दे दी गई."योका ने बताया.
"अगर हम चुपचाप देवता भाई की छाँव में जाये तो?"नूपर को विश्वास हो गया देवता भाई कुछ गड़बड़ कर रहा है.
"हां,नुप्पू, बापू ,सांझ के झुटपुटे में बाहर जाता है फिर देर रात वापस आता है. आज भी सांझ ढ़ले बाहर जायेगा. तभी तुम मेरी छाँव में चलना."मनकी ने कहा.
"लेकिन, तब तक बाईऔर बापू वापस आ जायेंगे. उनके सामने नुप्पू तुम्हारे साथ कैसे जायेगी?"योका ने परेशान होकर कहा.
"मैं सांझ ढ़ले यहां रहूंगी. नुप्पू दिशा मैदान जाने की बात बाई से कहेगी. तभी मैं नुप्पू को अपनी छाँव में ले जाऊंगी."मनकी ने राय दी.
"मनकी ,तुम सच में बहुत होशियार हो."नूपर ने मनकी की पीठ थपथपा कर कहा.
"अच्छा, अब ,मैं चलूं."मनकी उठते हुए बोली.
"शाम को आना न भूलना."नूपर ने हिदायत दी.
"कैसे भूल जाऊँगी?शाम को योका के लिए काढ़ा भी तो लेकर आना है."कहते हुए मनकी ने योका की तरफ देखा .
"कैसा काढ़ा?"नूपर को कुछ समझ न आया.
"मनकी ,दर्द दूर करने के लिए काढ़ा बनाकर पिलाती है."योका ने बताया.
"मनकीडॉक्टर है?"नूपर ने हैरानी मनकी की ओर देखा.
"नुप्पू, हम जंगली लोग जड़ी बूटियों से अपना इलाज स्वयं कर लेते हैं. यहां डॉक्टर नहीं होते."मनकी हँसकर बोली.
"वाह"नूपर अभी भी आश्चर्य में थी.उसके यहां बीमार होने पर लोग डॉक्टर के पास ही जाते हैं.
"अच्छा चलूं. काढ़े के लिए जड़ी बूटियां भी लानी हैं."कहते हुए मनकी छाँव से बाहर निकल गई.
नूपर ने राहत की सांस ली.


क्रमशः