Karm Path Par - 75 books and stories free download online pdf in Hindi

कर्म पथ पर - 75








कर्म पथ पर
Chapter 75


आज लीना के ड्रामे का शो नहीं था। वह अपने बगीचे में बैठी थी। इधर सर्दी कुछ अधिक ही पड़ रही थी। लेकिन बहुत दिनों के बाद आज खुली हुई धूप निकली थी। दोपहर के साढ़े तीन बजे थे। लीना अपने गार्डन में आकर बैठी थी। ढलती हुई गुनगुनी धूप उसे बहुत अच्छी लग रही थी। उसकी गोद में एक किताब थी।‌ पर उसे पढ़ने की जगह वह अपने खयालों में खोई हुई थी।
अब वह हैमिल्टन के बहुत निकट आ गई थी। दो बार उसकी हवेली पर भी जा चुकी थी। इस समय वह हैमिल्टन के आने की राह देख रही थी।
नौकर ने आकर पूँछा,
"मैडम हैमिल्टन सर के आने पर वाइन लानी है या चाय ?"
"चाय और पापा ने जो बिस्किट भिजवाए हैं ले आना।"
नौकर चला गया।‌ लीना उठकर बगीचे में टहलते हुए वह एक पुस्तक पढ़ने लगी। तभी हैमिल्टन ने आकर कहा,
"हैलो लेडी....हाऊ आर यू।"
लीना ने अपनी किताब बंद कर दी। उसने कहा,
"हैलो मिस्टर हैमिल्टन... मैं ठीक हूँ। आप कैसे हैं ?"
"मैं भी ठीक हूँ।"
हैमिल्टन ने साथ लाए हुए फूलों का गुलदस्ता उसे पकड़ा दिया। उसे लेते हुए लीना बोली,
"थैंक्यू मिस्टर हैमिल्टन.. ब्यूटीफुल फ्लावर्स।"
दोनों गार्डन में पड़ी कुर्सियों पर बैठ गए।नौकर ने लीना के हाथ से गुलदस्ता ले लिया। ‌लीना ने उससे कहा कि चाय ले आए।
हैमिल्टन ने कहा,
"मिस लीना क्या पढ़ रही थीं आप ?"
"विलियम फौकनर की ऐज़ आई ले डाइंग।"
"टहलते हुए पढ़ रही थीं।"
"हाँ बैठे बैठे थक गई थी। इसलिए सोचा कुछ चहलकदमी कर लूँ।"
नौकर ने चाय लाकर रख दी।‌ लीना जानती थी कि हैमिल्टन किस तरह की चाय पीता है। उसने उसके लिए चाय बनाई और प्याला उसकी तरफ बढ़ा दिया। हैमिल्टन ने उसे धन्यवाद दिया। लीना ने बिस्किट की प्लेट बढ़ाते हुए कहा,
"मेरे पापा ने इंग्लैंड से मंगवाए हैं।"
हैमिल्टन ने एक बिस्किट उठा लिया। दोनों चुपचाप चाय पीने लगे। हैमिल्टन को लगा कि जैसे लीना कुछ सोच में है। उसने पूँछा,
"क्या बात है मिस लीना ? आप कुछ फिक्रमंद लग रही हैं।"
लीना सचमुच कुछ सोच रही थी। उसकी थिएटर कंपनी ने कह दिया था कि दस दिनों के बाद वह अपना ट्रूप लेकर दक्षिण भारत जाना चाह रही है। उसे अब लखनऊ में अच्छा लगने लगा था। खासकर हैमिल्टन का साथ उसे बहुत पसंद था। वह लखनऊ छोड़कर नहीं जाना चाहती थी। उसने हैमिल्टन से कहा,
"मिस्टर हैमिल्टन मेरी कंपनी अब यहाँ से जाना चाह रही है। मुझे भी उनके साथ जाना होगा। पर अब मेरा मन और अधिक इस ड्रामे को करने का नहीं है। पर मेरी मजबूरी है। मैं कॉन्ट्रैक्ट से बंधी हूँ। उसे तोड़ नहीं सकती हूँ। बस इसी बात को लेकर फिक्रमंद हूँ।"
हैमिल्टन भी नहीं चाहता था कि लीना उसे छोड़कर जाए। वह चाहता था कि लीना के साथ शादी करके घर बसाए। उसकी बात सुनकर वह भी चिंता में पड़ गया। उसने कहा,
"मिस लीना आपकी थिएटर कंपनी का मालिक कौन है ?"
"रॉबर्ट विलियम...."
"कितने समय का कॉन्ट्रैक्ट है ?
"अभी आठ महीने और बचे हैं। पर मेरा मन अब इस ट्रूप के साथ रहने का बिल्कुल भी नहीं है। पर मजबूरी है।"
लीना ने अपनी आवाज़ में बेबसी दिखाते हुए कहा। हैमिल्टन ने उस समय कुछ नहीं कहा। पर वह मन ही मन सोच रहा था कि वह लीना को इस कॉन्ट्रैक्ट से मुक्त कराने की कोशिश करेगा।
लीना और हैमिल्टन काफी देर तक बातें करते रहे। बातचीत का मुद्दा कुछ देर तक लीना के कॉन्ट्रैक्ट पर रहा। उसके बाद साहित्य और संगीत पर आ गया। हैमिल्टन उससे बातें तो कर रहा था पर जो उसके मन में था वह कह नहीं पा रहा था। लीना भी इस बात को समझ रही थी। लेकिन वह अपनी तरफ से बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी। वह चाहती थी कि अपने मन की बात करने में हैमिल्टन ही पहल करे।
हैमिल्टन के जाने के बाद लीना भीतर अपने कमरे में में चली गई। उसे कुछ ठंड सी लग रही थी। वह रजाई ओढ़ कर बिस्तर पर लेट गई। वह हैमिल्टन के बारे में सोचने लगी। उसकी और हैमिल्टन रूम में बहुत अधिक अंतर था। हैमिल्टन उसके पिता से भी एक दो वर्ष बड़ा होगा। लेकिन फिर भी वह उसकी तरफ आकर्षित थी। ऐसा नहीं था कि वह उसके प्रेम में दीवानी थी। बल्कि वह एक बहुत महत्वाकांक्षी लड़की थी।
लीना के पिता शराब के थोक व्यापारी थे। उन्होंने अपने व्यापार से खूब पैसा बनाया था। तभी उसे विलायत पढ़ने के लिए भेजा था। लेकिन उसकी माँ के मरने के बाद उसके पिता ने अपने शराब के व्यवसाय पर ध्यान देने की बजाय खुद को ही शराब में डुबो दिया था। इसके कारण व्यापार में बहुत नुकसान हुआ। अब उनकी माली हालत ठीक नहीं थी। यही कारण था कि उसको यह ड्रामा कंपनी ज्वाइन करनी पड़ी थी। हमेशा से ऐशो आराम में पली लीना को यह जीवन रास नहीं आ रहा था। वह चाहती थी कि उसकी शादी किसी ऐसे पुरुष से हो जो उसे वही जीवन दे सके जिसकी वह आदी रही थी। हैमिल्टन से मिलने के बाद उसे ऐसा लगा कि यही वह पुरुष है जो उसकी इच्छाएं पूरी कर सकता है। खासकर जब उसने हैमिल्टन की विशाल हवेली देखी तो मन बना लिया कि वह उससे ही शादी करेगी।
पहली मुलाकात में ही लीना समझ गई थी कि हैमिल्टन उसकी तरफ आकर्षित है। उसने भी उसके आकर्षण का फायदा उठाने का मन बनाया। अपने मोहरे उसने बहुत सोच समझकर चले। जैसे कोई पतंग उड़ाता है तो कभी ढील देता है और कभी डोर खींच लेता है। उसी तरह से लीना भी हैमिल्टन के साथ पेश आती रही। उसका परिणाम भी निकला। हैमिल्टन उसका दीवाना हो गया।
पच्चीस वर्ष की लीना के जीवन में इससे पहले भी कई पुरुष आए थे। पर उनके साथ वह अधिक दिनों तक नहीं टिकी। उसका सबसे लंबा इश्क अपने ड्रामे के हीरो विश्वजीत रॉय के साथ चला।
विश्वजीत एक सुदर्शन और सुसभ्य पुरुष था। उसने एक अच्छा जीवन साथी बनने की सभी लक्षण मौजूद थे। लीना उसके साथ खुश रह सकती थी। पर वह जानती थी कि विश्वजीत उसे प्रेम और खुशियां दे सकता है। लेकिन ऐशो आराम से भरी जिंदगी नहीं। वह जिंदगी उसे केवल हैमिल्टन के साथ ही मिल सकती थी। इसलिए उसे ना तो हैमिल्टन की उम्र से कोई एतराज था और ना ही इस बात से कि उसकी एक आँख नहीं है।


अपने घर लौट कर हैमिल्टन ने इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर को फोन लगाया। उसने इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर से कहा कि वह रॉबर्ट विलियम के बारे में पता करके उससे एक मुलाकात तय करे।
हैमिल्टन सोच रहा था कि यदि उसे लीना को प्रभावित करना है तो उसे इस कॉन्ट्रैक्ट से बाहर आने में उसकी मदद करनी होगी। यदि वह इस काम में सफल हो गया तो फिर वह लीना के सामने शादी का प्रस्ताव रख सकता है।
लीना ने कभी दिखाया तो नहीं था पर हैमिल्टन जानता था कि वह भी उसकी तरफ आकर्षित है। वह उम्र में उससे बहुत बड़ा है। वृंदा ने उसकी एक आँख फोड़ कर उसे कुरूप बना दिया है। अगर किसी स्त्री को प्रभावित करना चाहता है तो उसे अपना रुतबा और दौलत दिखानी होगी। दौलत की झांकी तो वह पहले ही दिखा चुका था। अब इस कॉन्ट्रैक्ट से उसे बाहर निकाल कर वह उस पर अपना रुतबा भी साबित करना चाहता था।

रॉबर्ट विलियम एक बहुत ही रंगीन मिजाज और अय्याश किस्म का आदमी था। उसका कई औरतों से संबंध था। लखनऊ में रहते हुए भी उसने यासमीन नाम की एक औरत को अपने फंदे में फंसा लिया था। उसने सोचा था कि हर बार की तरह इस बार भी वह आसानी से यासमीन को छोड़कर चला जाएगा। लेकिन उससे भी ज्यादा तेज स्त्री थी।
यासमीन का पति जॉन बहुत ही चालू किस्म का इंसान था। वह अपनी पत्नी का प्रयोग ऐसे ही पुरुषों को फंसाने में करता था। बाद में जब वह पुरुष यासमीन को छोड़कर जाने का प्रयास करता तो उसे धमकी देता कि वह उसकी पत्नी का लाभ उठाने का आरोप लगाकर उसे बदनाम कर देगा।
रॉबर्ट के लखनऊ में इतने दिनों तक ठहरने का कारण यासमीन ही थी। लेकिन धीरे धीरे उसे एहसास होने लगा था कि यासमीन उसे जाल में फंसा रही है। यह समझ में आते ही उसने तय कर लिया कि वह अब यह शहर छोड़कर दूर चला जाएगा। इसलिए उसने मद्रास जाने का फैसला किया था। लेकिन जैसा जवान हर एक के साथ करता था वैसा ही उसने रॉबर्ट के साथ किया। उसने उसे धमकी दी कि वह लोगों को बताएगा कि किस तरह उसकी पीठ पीछे रॉबर्ट ने उसकी उसकी भोलीभाली पत्नी को फुसलाकर उसके साथ गलत संबंध बनाए। वह रॉबर्ट से एक मोटी रकम की मांग कर रहा था।
रॉबर्ट के लिए इतना पैसा दे पाना संभव नहीं था। वह बहुत परेशान था। उसी समय इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने उससे कहा कि हैमिल्टन उससे मिलना चाहता है।
रॉबर्ट जानता था कि हैमिल्टन एक रसूखदार इंसान है। वह यह भी जानता था कि उसका झुकाव लीना की तरफ है। वह उससे मिलने को तैयार हो गया।
हैमिल्टन ने जब उसके सामने लीना को कॉन्ट्रैक्ट से बरी करने की शर्त रखी तो उसने भी अपनी शर्त रख दी कि उसे यासमीन वाले चक्कर से मुक्त करा दे। हैमिल्टन ने हाँ कर दिया। उसने इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर से जॉन को धमकी दिलाई कि यदि उसने रॉबर्ट को परेशान किया तो वह उसे कानून के पचड़े में फंसा देगा।
रॉबर्ट अपनी भतीजी रोज़लीन को अपनी ड्रामा कंपनी की हिरोइन बनाना चाहता था। वह बस लीना का कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने की राह देख रहा था। उसके लिए राह आसान हो गई थी।




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