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रोगमुक्त और हट्टा कट्टा युवा

एक तंदुरुस्ती हजार नियामत

राजनारायण बोहरे:

कोटा राजस्थान में पिछले दिनों अपने प्रवास के समय मेरा एक शाम तमाम तरह के नाश्ता और इसने बेचने वाले एक चमकता रेस्टोरेंट में जाना हुआ, तो मैंने देखा कि वहां किशोरों से लेकर युवाओं तक की एक बहुत बड़ी भीड़ की रेलम पेल मची हुई है । दरअसल देशभर के छात्रों का गढ़ बनते जा रहे कोटा में मुझे पहली बार अनुभव हुआ कि बच्चे यानी किशोर और युवा क्या खाना पीना पसंद करते हैं । कोटा राजस्थान का एक मध्यम श्रेणी का कस्बा नुमा शहर है , आईआईटी और पीएमटी की कोचिंग के ऐसे ऐसे संस्थान खुल गए हैं , जो मिट्टी के कच्चे लौंद की तरह के नन्हे बच्चों को आप से लेते हैं और आत्मविश्वास से भरे किशोर तैयार करके आपको सौंपने का दम भर देते हैं । साल दर साल वे अपने यहां आईआईटियन और डॉक्टर बनने के लिए ज्यादा से ज्यादा बच्चे तैयार करते हुए प्रगति कर रहे हैं और भी झूठ भी नहीं बोलते । आकड़े उनके पक्ष में है ।

फिर मैं उस दिन शाम को कोटा में था और एक बड़े रेस्टोरेंट में था। काउंटर से टोकन लेकर रेस्टोरेंट की नियत जगह पर मैंने जमा किया और अपने लिए पोहे और चाय का आर्डर देख कर अपनी बारी का इंतजार कर रहा था । मुझे सामान्य सी उत्सुकता थी कि मुझे यह जानने की उत्सुकता थी कि आज की पीढ़ी आगे क्या खाना पीना पसंद करती है। हमारे जमाने की बात और थी हम तो अब पुराने हो गए। मैंने आसपास नाश्ता कर रहे बच्चों को देखा, लगातार देते ऑर्डर और हाथ में काउंटर से सामान लेकर लौटते बच्चों को देखा, तो मैंने जाना कि आज का युवा परंपरागत नाश्ता यानी पोहे , हलवा या दलेया जैसा घरेलू नाश्ता कम तला नाश्ता कम तले खाद्य पदार्थ पसंद नहीं करता बल्कि उसकी पसंद में आज वर्गर और नूडल जैसे फास्ट फूड की चीजें हैं ।

12 माह 24 घंटे तक जगह मिलने वाली चीजे हमारे युवा वर्ग इस तरह से अपना चुका है कि उसे घर या मेस का खाना नहीं भाता, बस मजबूरी के चलते वह रोटी दाल खाता है । उसका बस चले तो इसी तरह का जंग फूड खाता रहे । उसे इस बात की कतई परवाह ही नहीं है कि इन चीजों का उसकी सेहत पर क्या असर हो रहा है ? यह चीजें उसके लिए अति अनिवार्य और स्टेटस सिंबल भी बनने लगी है । पुरानी कहावत है एक तंदुरुस्ती हजार नियम इसका मतलब है कि केवल तंदुरुस्ती बनाए रखो यही हजारों वरदान हैं, लाखों को दुऑएं हैं और करोड़ों मेहरबानियां हैं । अच्छी सेहत का स्वास्थ्य का मूल आधार आदमी के खानपान से जुड़ा होता है । अगर किसी को स्वस्थ रहना है तो वह अपने खानपान व्यायाम और रहन-सहन पर जरा सा ध्यान दें तो सब कुछ ठीक बना रहता है । इसके बजाय यदि कोई अपने खाने-पीने में नियम ना पाले यानी सावधानी ना रखें और मनमाने तरीके से बनी चीजें खाता रहे तो वह जल्दी ही बीमार पड़ जाएगा, क्योंकि आज सबसे ज्यादा अनियमितता खानपान में होती है ।

इस कारण हमारे चारों ओर पीले चेहरे वाले कमजोर बच्चे खराब सेहत के युवक कम उम्र में ही बूढ़े दिखने वाले लोग बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं । ऐसे लोग तो बहुत कम संख्या में हैं जो अपने खान-पान का ध्यान रखते हैं और बीमारियों को दूर से ठेंगा दिखा देते हैं । ऐसे लोग हमेशा सेहतमंद बने रहते हैं वह बुढ़ापे को भी चकमा देने में सफल हो जाते हैं यानी कि खानपान में तनिक सा ध्यान देना किसी चमत्कार से कम नहीं है । देखा जाए तो अपने खान-पान का ध्यान रखना ऐसा कोई कठिन काम नहीं है कि कोई रात दिन इसी में बिजी रहे और उसी चक्कर में दुबला होता चला जाए । बस मोटी मोटी 10 पांच बातें जानकर अपने रोज के कामों में शामिल कर ली जाए तो कोई भी आदमी हमेशा भला चंगा और तंदुरुस्त बना रह सकता है ।

सही बात तो यह है कि सेहत ठीक करने की आदत है किशोरावस्था से ही शुरू होती हैं । इसलिए सेहत के बारे में बात करते वक्त हमें किशोरों की दिनचर्या और आदतों पर ध्यान देना पड़ेगा । आज का जमाना कठिन प्रतिस्पर्धा का जमाना है ,बच्चों को आगे बढ़ने के मौके तभी मिल सकेंगे जबकि वह कठिन मेहनत करें । यह मेहनत उसके स्कूल और पढ़ाई के समय से ही शुरू हो जाती है । अनेक कन्वेंट स्कूलों में हर कक्षा में सबसे ज्यादा अंक पाने वालों के नाम लिखकर बाहर करने की परंपरा है, तो स्कूल के प्राचार्य के कार्यालय के बाहर ऐसी सूचना दी जाती हैं इनमें पिछले कई वर्षों से पूरे विद्यालय में सर्वोच्च अंक पाने वाले छात्रों के नाम लिखे रहते हैं । ऐसी सूचियों में अपने नाम लिखे देखने की लालसा में हर छात्र अपना खाना पीना सोना जागना भूल कर पढ़ाई में दिन रात एक कर देता है ।

इस पढ़ाई के चक्कर में ना वह समय पर सो पाता ना ठीक प्रकार से नींद ले पाता । जितनी कि उसे तंदुरुस्त बने रहने की जरूरत है तो नींद पहला कारण हुआ जो सेहत को खराब करता है । नींद कम लेना या जरूरत से कम नींद लेना भी नुकसानदायक होता है इतनी मेहनत करने वाले बच्चों को जहां अपने शरीर को भी सही मात्रा में खुराक देना जरूरी होता है यानी कि उन्हें ऐसा खाना पीना चाहिए जो उनके बदन और दिमाग को तंदुरुस्त बनाए रखें । आज के किशोरों का खानपान ही सबसे ज्यादा बिगड़ा हुआ है समय पर खाने और धीरज से चबाकर भोजन करने की तो जैसे उन्हें फुर्सत ही नहीं है । घर में बना खाना उन्हें कतई पसंद नहीं आता । खाने का उनका अपना मैन्यू है जिसके हटके नई चीज खाना उनके लिए आउट ऑफ कोर्स है । आउट ऑफ कोर्स खाना ज्यादा उपयुक्त, ज्यादा मुफीद ज्यादा सही हो, पर वे ऐसा खाना लेना पसंद करते हैं जो पके हुए हालात में तत्काल उपलब्ध हो इसके लिए फास्ट फूड पसंद करते हैं ।

फास्ट फूड यानी बीमारी की आहट

फास्ट फूड यानी कि तत्काल लो और गपा गप! किशोरों और युवाओं के समय और परिश्रम की बचत करता है , इस श्रेणी के पदार्थों में पेटिस, बर्गर, नूडल्स, पिज़्ज़ा तले चिप्स और अन्य तरह के स्नैक्स आते हैं । यह सारी चीजें जंक फूड चखने में भले ही स्वादिष्ट और अच्छे दिखाई दें लेकिन असलियत यह है कि यह चीजे बढ़ती उम्र के बच्चों की सेहत की जानी दुश्मन होती है । दरअसल यह सारे पकवान हमारे देश में ही जान नहीं किए गए बल्कि यह तो ग्लोबलाइजेशन की प्रक्रिया के चलते हमारे देश में रातोंरात लाकर सजा दिए गए और टेलीविजन पर प्रचार प्रसार कर कर के बच्चों के मन में यह बिठा दिया गया कि जो यह सब खाए भाई आधुनिक स्टैंडर्ड स्टेटस वाला । जबकि इनमें ना कोई विटामिन है ना मीनल है और ना कोई पौष्टिक चीजें हैं ,जो शरीर के लिए आवश्यक होती हैं । दरअसल भारत के बाहर तमाम ऐसे देश हैं जहां दिन-रात भयानक ठंड बनी रहती है उन स्थानों पर गर्म खाना तैयार करना और ताजा भोजन लेना एक बड़ी समस्या है । ना तो वहां के लोगों को इतनी फुर्सत है धीरज के साथ आजा नाश्ता या भोजन बना सकें, ना उनके यहां भोजन कितने प्रकार हैं कि वे चाहें तो रोज नई तरह की डिश बना पाएं । जंक फूड में ज्यादातर ऐसा होता है तो महीनों से लेकर हफ्तों तक का बना कर रखा हुआ होता है ,इस तरह के खाने में ज्यादातर तली हुई चीजें के दौरान इन चीजों में तेल जमता जाता है । कुछ समय के बाद इतना नुकसानदायक होता है, इसके द्वारा शरीर को किए गए नुकसान को खत्म करना बहुत मुश्किल है । इस तरह फेवरेट बसा से खून गाढ़ा तो होता ही है उसमें कुडली भी पड़ जाते हैं मैदा जैसी चीजों से बनने के कारण यह चीजें अपाचे भी होती हैं, आँतो में चिपकने लगती हैं । जिसके लंबे समय तक चिपकने की वजह से पेट में अल्सर भी होते हैं । इस खाने को पचाने में पेट के पाचन तंत्र को भारी परिश्रम करना पड़ता है और धीरे-धीरे ज्यादा मेहनत करने के कारण पाचन से जुड़े पेट के भीतरी अंग कमजोर होते चले जाते हैं । इनकी कमजोरी से भोजन पच नहीं पाता ,गैस बनती है, गैस से शुरू होता है, पेट दर्द, भूख ना लगना और बिना किसी कारण के नींद गायब हो जाना घबराहट उल्टी दस्त होने का सिलसिला कभी तो पेट के भीतरी अंगों में पथरी बनने की आरंभ हो जाती है यानि कि एक बार ठीक नहीं होगी बल्कि उसके लिए आगे भी पथरी बनती रहेगी । इसलिए फास्ट फूड से जितना ज्यादा बचा जाए उतना ही ठीक है, इसके बजाय अपने खाने की ऐसी व्यवस्था होना चाहिए हर बार ताजा ले जाएं -ताजे फल, अंकुरित अनाज, गर्म रोटी ,पराठा | जंक फूड जहां पेट के अंदर जाकर जमता है , ताजा चीजें पचती हैं और 6 घंटे में ही द्वारा भूख महसूस होने लगती है । फास्ट फूड में किसी भी तरह की विटामिनहीं होती, ताजा खाने में ऐसी चीजें और रेशेदार पदार्थ होते हैं , विटामिन मिनरल्स लेने से ठीक से पचता है और इससे मांसपेशियां मजबूत होती है | फास्ट फूड के आमाशय में लंबे समय तक बने रहने के कारण छाले और अल्सर पैदा करने का बहुत बड़ा कारण बनते हैं|

च्युस च्युस च्युंगम

बहुत से लोग अपने मुंह में लगातार च्युंगम चलाते रहते हैं, यानी कि उनकी जीत आलू और दांत रह-रह कर मुंह में रबड़ की तरह के पदार्थ से बनी एक लिस्ट सी चीज से अठखेलियां करती नजर आते हैं |पूछो तो वे कहते हैं कि च्युंगम से कोई नुकसान नहीं होता |उसका एक और लाभ बताते हैं कि च्युंगम चलाते रहने से मुंह से जुड़े तमाम अवयवों की कसरत होती रहती है |कुछ लोगों का यह भ्रम है कि च्युंगम में शक्कर नहीं होती ,दरअसल सुनी सुनाई बात है, असलियत यह है कि च्युंगम में शकर की जगह सरविटोल नाम का केमिकल मिलाया जाता है, जो ज्यादा मात्रा में पेट में पहुंचता है तो धीरे-धीरे गैस बनाने लगता है |गैस के कारण 50 तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं -डायरिया, सीने में दर्द |

कोल्ड ड्रिंक

आज के ज्यादातर किशोरों का समय समय पर कोल्ड ड्रिंक पीते देखे जा सकते हैं | कोल्ड ड्रिंक शरीर के भीतरी यानी कि छोटी आंत बड़ी आंत से लेकर किडनी और लीवर के लिए नुकसानदायक है |सब जानते हैं कि हर कोल्ड्रिंक सोडा गैस और खतरनाक केमिकल को मिलाकर बनाया जाता है |ठंडा हो जाने पर इसकी बोतल खोली जाती है उस में झाग निकलता है |यह ड्रिंक प्रवेश करते ही झन्नाटेदार तरीके से हमारी नाजुक जी कोमल गले से होते हुए आंत तक पहुंचती है |जो लोग इसके अभ्यस्त नहीं होते उन्हें तो अचानक ही नाक में से गैस का बहूका निकलता महसूस होता है |ऐसा झन्नाटेदार पदार्थ जिससे होकर गुजरता है, सनसनाहट देता है, बार-बार महसूस होती है, सनसनाहट लंबे समय के बाद और लंबे समय तक उपयोग करते रहने के बाद इन नाजुक अंगों की संवेदनशीलता को खत्म कर देती है| इन पदार्थों के रासायनिक रूप को देखने के लिए हम किसी पत्थर या कपडे़ पर कोल्ड ड्रिंक डालें तो देखें तो मैं तुरंत पता लग जाएगा कि गंदा मटमैला पत्थर एक चमकदार और सां साफ पत्थर बन जाता है और कपड़े पर डालें तो कपड़े पर एक खराब दाग बन जाता है |इस तरह विचार करें जिस चीज को गिराने से पत्थर साफ हो जाए उसका महल कट जाए और साफ पत्थर पर दाग बन जाए या कपड़ों पर ऐसा तो बन जाए जो कभी ना निकले |केमिकल का हमारे शरीर के सुकोमल आंतों आज ऐसे अंगो पर क्या असर होता |फिर किडनी और लीवर जैसे महत्वपूर्ण अंग इसके दुष्प्रभावों से बच पाते होंगे?

लगभग 5 साल तक ऐसे कोल्ड का परीक्षण करने के बाद लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के एक दल ने 1996 में बताया था कि ज्यादातर कोल्ड ड्रिंक में ओ0 ए0 वी नाम का एक केमिकल पाया जाता है जो सीधा मनुष्य के शरीर में मौजूद बारिक नसों को सुन करता है ,ज्यादा मात्रा में प्रयोग करने से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है लकवै का खतरा बढ़ जाता है| डॉक्टरों ने लंबे समय तक प्रयोगशाला में कोल्ड ड्रिंक में बड़े खतरनाक केमिकल मिलाने का प्रमाण पाया है, ऐसे केमिकल में रहते हैं जो बहुत सारा जिनका बहुत सारांश बनाने की प्रक्रिया में गुजर जाने के बाद भी बचा रहता है यह विष इतनी अधिक मात्रा में होता है कि कोल्डड्रिंक की सर्फ कुछ बूंदें यदि जमीन पर चलते कीड़ों पर छिड़क दी जाएँ तो पल भर में कीड़े मर जाते हैं। योग और प्राणायाम को लोकप्रिय बनाने वाले संत रामदेव ने कहा है उन्होंने अपनी हरिद्वार में मौजूद प्रयोगशाला में किया है, हमारे देश के समाज तमाम समाजसेवी संगठनों ने देश के अनेक गोल्ड का रासायनिक परीक्षण कराया तो हैरान रह गए| सचमुच इस सारे के सारे कोल्ड ड्रिंक्स और पीने के लिए वाले वाटर में कीटनाशकों की मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक विषैले तत्वों से भरपूर पाई गई| इस संगठन की प्रवक्ता सुनीता नारायण ने मीडिया के सामने इस परीक्षण की रिपोर्ट पेश की तो हड़कंप मच गया, सारे के सारे कोल्ड ड्रिंक्स माता ताल ठोकने लगे कि उनके पैर में कोई विषैले तत्व मौजूद नहीं है| इस तरह के विषैले तत्वों से भरपूर पर एक आद बार पीने पर ही भारी नुकसान पहुंचा देते हैं फिर कोई बार-बार पिए तो क्या हाल होता होगा? इन कोल्ड ड्रिंक्स की जगह ठंडाई पाने के लिए हमारे यहां जाने कितनी चीजें मौजूद हैं -जैसे ताजा फलों का जूस, सब्जियों का रस ,ठंडा दूध ,दही का मट्ठा !कुछ ना मिले तो गन्ने का रस !इनमें से एक भी चीज का प्रयोग किया जाए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है |सही अर्थों में ठंडाई यही चीजें प्रदान करती हैं ,शीतलता यही चीजें लाती है |आजकल यह सब चीजें भी गंदे और खराब दिखने वाले ढंग से नहीं परोसी जाती |अब लोग जागृत हो गए हैं तो गन्ने का रस ठंडाई अच्छे दिखने वाले तरीके से अच्छे गिलासों में परोसे जाने लगे हैं| इसलिए सबको ऐसे चीजों का ही उपयोग करना चाहिए |

मसालेदार खाना

आज के किशोरों को घर में बने कम तेल और साधन मसालों का खाना अच्छा नहीं लगता| इस कारण वे यह प्रयत्न करते हैं कि घर का बना खाना छोड़कर ढाबे होटल और रेस्टोरेंट पर जाकर तेज मिर्च मसाले का खाना खाएं| इस तरह का तेज मिर्च मसाले का खाना जीभ को स्वाद तो देता है लेकिन जीभ से नीचे उतरते ही शरीर के भीतरी अंगों को जलन से भर देता है| लंबे समय तक मसालेदार खाना खाने से अपच कब्ज होती है, भूख कम लगती है पेट में दर्द , उमटन और अकड़नहोती है, अमाशय में मिर्च लंबे समय तक बनी रहे , छाले पैदा करती है और यही बाद में जाकर अल्सर बनाते हैं और अल्सर ही कैंसर बन जाता है| दरअसल ढाबों पर न तो अच्छे किस्म का तेल प्रयोग में लाया जाता है और न देखभाल कर के अच्छे मसाले लाए जाते हैं इसलिए कई बार ऐसी घिनौनी स्थिति सामने आती है ग्राहक जो सब्जी के प्लेट में काकरोच निकलता है कभी किसी के पेट में चूहों की लेंडी अब ऐसे भोजन करके आप कैसे स्वस्थ रहेंगे|

कैल्शियम लेने में लापरवाही

स्वस्थ रहने के लिए तो मनुष्य को बहुत सारे मिनरल और विटामिन की जरूरत होती है| लेकिन कैल्शियम तो शरीर का राजा है| कैल्शियम के ही कारण हमारे हृदय की धड़कन मांसपेशियों के संकुचन ,निर्माण, आंख और नाक के क्रियाकलाप ठीक चलते हैं |यही तो वह पदार्थ है जो फास्फोरस के साथ मिलकर हड्डियों को मजबूत करता है| दांतो के लिए यही तत्व जवाबदेह है| हमारे देश में जब से आधुनिकता ने प्रवेश किया है हमारी सभ्य और आधुनिक सोसायटी पुरानी चीजों से दूर होती जा रही है जो कैल्शियम का सबसे बड़ा स्रोत मानी जाती है| आंवला कैल्शियम का बहुत बड़ा भंडार है, इसमें मौजूद विटामिन सी ,उठने पर, पीटने पर, उबालने पर, तलने पर कभी भी खत्म नहीं होता| आंवला का हमेशा बना रहता है |डॉक्टर बताते हैं कि दूध में लावासिन नाम के एमीनो एसिड अम्ल की अधिकता रहती है जो शरीर को केल्शियम के सोखने व पचाने में खासतौर पर सहयोगी होता है| यहीं से मौजूद कैल्शियम की कमी से हड्डियों से जुड़े होते हैं यदि इन बीमारियों से दूर रहना है तो जरूरी है कि कम से कम एक गिलास दूध पिया जाए और एक आंवला लाया जाए, चाहे वह अचार के रूप में हो, सब्जी के रूप में हो, मुरब्बा के रूप में हो या चटनी के रूप में |

मौसमी फल व पानी

पहले लोग उठकर अपनी दैनिक क्रियाओं से मुक्त होतेटहलने जाते और कसरत करते थे। लेकिन अब लोग बिस्तर पर आंख खुलते हैं जी चाय की सौगंध कहीं आस-पास में सोती है| इस तरह जाकर सीधे बिस्तर पर चाय लेने की आदत जब से हमारे देश में घुस आई है तब से तमाम अनियमितताएं और नई-नई बीमारियां घर करती जा रही हैं | बिस्तर पर चाय लेने वाले लोगों का स्वास्थ्य निरंतर खराब होता जाता है| इसका एक असर यह भी है कि सुबह सवेरे जो नाश्ते की मांग होती है चाय समाप्त कर देती है| एक स्वस्थ आदमी के लिए सुबह का नाश्ता बेहद जरूरी होता है | दरअसल सांझ को भोजन हो जाने के बाद रात 12:00 बजे तक उस खाने को पचाने में लगा हमारे शरीर का पाचन तंत्र सुबह 6:00 बजे तक काम करता है और 6:00 बजे के बाद तुरंत ही हल्के से नाश्ते की मांग करता है |हर आदमी को 6:00 बजे हल्की सी भूख लगती है कुछ लोगों को 8:00 बजे तक लग सकती है| लेकिन शरीर मांगता है, पाचन तंत्र मांगता है ,कुछ नाश्ता, कुछ भोजन ,कुछ ठोस और हम उस में डाल देते हैं एक कप, तो कप या तीन कप गरम गरम खोलती हुई चाय| ऐसे लोगों को कहां से समय पर भोजन की इच्छा होगी |भूख लगेगी लेकिन पाचन तंत्र तो कुछ मांग रहा है हमको भूख लगी है हम , पाचन तंत्र कुछ नहीं देते तो वह विकल्प के तौर पर हमारे शरीर में जमा करके रखे हुए तत्वों से अपना काम चला लेता है |पाचन तंत्र धीरे-धीरे हमारे शरीर से महत्वपूर्ण तत्व निकलता रहता है तो हमारा शरीर कमजोर होता चला जाता है और बाद में बड़ी बीमारी पैदा कर लेता है| एक और हमारे देश में किशोरावस्था से नहीं डाली जाती दिन में कम से कम एक बार फल की| फल विटामिन रहते हैं जो एक मनुष्य को स्वस्थ रहें और रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं |सही है महंगे फलों मौसमी, अनानास नहीं दे पाती, लेकिन कुदरत ने हर मौसम में ऐसे फल जरूर तैयार किए हैं जो महंगे फलों की कमी पूर्ति करते हैं| यदि मौसम संबंधी लेते रहने की आदत बनी रहे तो कोई कारण नहीं कि बिना अतिरिक्त डाइट के बिना अतिरिक्त भोजन के एक व्यक्ति स्वस्थ ना बना रहे|

स्वस्थ रहने के लिए किशोरों को यह भी सिखाना जरूरी है वह घर में तैयार होने वाला भोजन करें और इस से मौसम में आने वाले फल, दाल, हरी पत्तेदार सब्जी जरूर जरूर शामिल करें |दालों में प्रोटीन हरी सब्जियों में मिलता है तो हल्दी राई तक में औषधीय तत्व|

शरीर के लिए अति जरूरी है भरपूर पानी पीना| लेकिन पढ़ने में इतने आलसी हो जाते हैं प्यास लगी होने के बाद भी उठकर पानी पीने नहीं जाती है| पर्याप्त पानी से शरीर में चमक बढ़ती है, हाजमा ठीक रहता है, खूब लगती है, अधिक जागने चाय पीने से पैदा हुई शरीर की गर्मी शांत होती है |

इस तरह स्वस्थ शरीर का मालिक बने रहने के लिए कोई बहुत ज्यादा नहीं करना पड़ते, थोड़ा सा खान-पान पर ध्यान दिया जाए तो रोगमुक्त एक हट्टा कट्टा बन पा लेना कठिन नहीं है |

अब भोजन के बाद दूसरा नंबर आता है व्यायाम का बल्कि कहना चाहिए कि भोजन तो बाद में शुरू होता है व्यायाम पहले शुरू हो जाता है| जागते ही अगर हर व्यक्ति 20 मिनट अपने शरीर को मोड़ने तोड़ने, सांसो को साधने या घूमने के लिए शुरू हो तो शरीर बहुत स्वस्थ बना रहता है| शाम को और सुबह 20:20 मिनट अर्थात दिन भर में 40 मिनट शरीर के स्वास्थ्य के लिए देने पर शरीर के अंग प्रत्यय मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं इसलिए कहा गया है एक तंदुरुस्ती हजार नियामत यानी सेहत ठीक तो सब ठीक|

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