Karm Path Par - 70 books and stories free download online pdf in Hindi

कर्म पथ पर - 70




कर्म पथ पर
Chapter 70


हैमिल्टन की हवेली पर दरबान ने मदन और जय को रोक लिया। उसका कहना था कि साहब अभी हवेली पर नहीं है। वह लोग नए हैं। उसने उन्हें पहले कभी नहीं देखा। इसलिए साहब की इजाजत के बिना वह उन्हें अंदर नहीं जाने दे सकता है।
जय एक मकसद के तहत सूट पैंट पहन कर आया था। मदन ने दरबान को उसका परिचय एक अंग्रेजी मैगजीन के रिपोर्टर के तौर पर दिया। उसने बताया कि इनका नाम कार्ल मर्फी है। इनकी मैगजीन विलायत तक जाती है। कुछ दिन पहले कार्ल की बात हैमिल्टन से हुई थी। कार्ल ने उन्हें बताया था कि वह अपनी मैगजीन के लिए उनका इंटरव्यू लेना चाहता है। हैमिल्टन ने खुद उसे अपनी हवेली पर आने की दावत दी थी। इसलिए वह और कार्ल उसके साहब से मिलने यहाँ आए हैं। इसलिए वह जाकर अंदर उन्हें सूचना दे दे।
दरबान ने कहा कि वो झूठ नहीं बोल रहा। साहब सचमुच अभी कहीं गए हुए हैं। इस पर मदन ने कहा कि वह उस जगह का पता बता दे जहाँ उसके साथ गए हैं। वह लोग वही जाकर उनसे मिल लेंगे। दरबार नहीं जानता था कि हैमिल्टन कहाँ गया हुआ है। उसने कहा,
"हम तो हवेली के दरबान हैं। हमें कहाँ पता होता है कि साहब कहाँ जा रहे हैं। कब तक लौटेंगे। इसलिए आप लोग अभी जाइए। दो एक दिन बाद जब साहब आ जाएं तब आकर उनसे मिल लीजिएगा। अभी आप लोग यहाँ से जाइए।"
दरबान को दिखाने के लिए जय गुस्से में अंग्रेजी में कुछ बोलने लगा। मदन ने दरबान से कहा। कार्ल साहब गुस्सा हो रहे हैं। उन्हें कुछ ही दिनों में विलायत जाना है। उससे पहले वह जहाज पकड़ने के लिए बंबई जाएंगे। उनके पास दोबारा आने के लिए वक्त नहीं है। अगर वह तुम्हारे साहब का इंटरव्यू लिए बिना चले गए तो हैमिल्टन साहब तुम्हें माफ नहीं करेंगे। इसलिए हमें उस जगह का पता बता दो जहाँ तुम्हारे साहब गए हैं।
दरबान दुविधा में पड़ गया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें। उसे सचमुच नहीं पता था कि हैमिल्टन कहाँ गया है। उसकी दुविधा देखकर मदन ने कहा,
"अगर तुम्हें नहीं पता है तो कोई बात नहीं। पर अंदर जो नौकर काम करते हैं उनमें से तो किसी को पता होगा। हमें अंदर जाने दो। हम सब पता कर लेंगे।"
दरबान कुछ देर खड़ा सोचता रहा। फिर बोला,
"ठीक है आप लोगों पर भरोसा करके आपको अंदर जाने दे रहे हैं। आप अंदर जाकर मंगल से पूँछ लीजिए। शायद उसको कुछ पता हो। वह सभी नौकरों का हेड है। साहब अक्सर उससे बता देते हैं कि वह कहाँ जा रहे हैं और कब तक आएंगे।"
मदन और जय हवेली के अंदर चले गए। उन्होंने एक नौकर से कहा कि वह मंगल से मिलना चाहते हैं। उन्हें बहुत जरूरी काम है। हैमिल्टन साहब ने कहा था कि मंगल से मिल लेना। उस नौकर ने उन लोगों को बैठने को कहा और मंगल को बुलाने चला गया। कुछ ही देर में मंगल उन दोनों के सामने हाजिर हो गया। उसने बड़ी नम्रता के साथ कहा,
"कहिए मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ ?"
मदन ने उसे भी वही बताया जो उसने दरबान से कहा था। वह बोला,
"हैमिल्टन साहब ने बताया था कि वह अपने दूसरे बंगले में जा रहे हैं। हम तुमसे वहाँ का पता लेकर वहीं आकर उनसे मिल लें। तुम हमें उनके बंगले का पता दे दो।"
मदन की बात सुनकर मंगल भी सोच में पड़ गया। मदन ने उससे कहा कि अधिक समय नहीं है। कार्ल साहब को जाना है। उससे पहले उनका हैमिल्टन साहब से मिलना बहुत जरूरी है। इसलिए देर ना करे। उनका विश्वास करे। वरना बाद में उसे बहुत डांट पड़ेगी। कुछ सोचने के बाद मंगल ने उन्हें हैमिल्टन के बंगले का पता दे दिया।


घर पर श्यामलाल बेसब्री से मदन और जय के लौटने की राह देख रहे थे। उनके मन में कई तरीके के ख्याल आ रहे थे। कहीं ऐसा ना हो कि दोनों पकड़े जाएं। यदि ऐसा हुआ तो बहुत बुरा होगा। वह मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे।
मदन और जय जब लौट कर गए तो उन्हें देखकर श्यामलाल को तसल्ली मिली। जय ने उन्हें बताया कि अपनी सूझ बूझ से उन लोगों ने हैमिल्टन के बंगले का पता कर लिया है। अब दोनों वृंदा को लेने उस बंगले पर जाएंगे। जय‌ ने श्यामलाल से विनती की कि वह उसे मोटर ले जाने की इजाज़त दें। श्यामलाल ने कहा कि यह उसका घर है। उसे किसी भी चीज़ के इस्तेमाल के लिए इजाज़त मांगने की आवश्यकता नहीं है। पर जाने से पहले वह लोग खाना खाकर जाएं।

खाना खाते हुए जय ने श्यामलाल से पूँछा,
"पापा आजकल आप कोर्ट नहीं जाते हैं क्या ?"
श्यामलाल ने दार्शनिक अंदाज में कहा,
"बेटा ना अब मुझे पैसा कमाने की कोई इच्छा रह गई है और ना ही नाम कमाने की। इसलिए मैंने कोर्ट जाना छोड़ दिया है।"
जय कुछ देर अपने पापा को देखता रहा। जबसे वह आया था उसने महसूस किया था कि उनका व्यवहार काफी बदल गया है। अब वह पहले की तरह अपने रुतबे की अकड़ में नहीं रहते हैं। भोला से भी नम्रता से बात करते हैं। यह बदलाव उसे बहुत अच्छा लगा। उसने कहा,
"पर पापा...इस तरह से कैसे काम चलेगा ? कुछ तो करना ही होगा। आपने हमेशा काम किया है। खाली कैसे बैठ पाएंगे ?"
श्यामलाल ने कहा,
"तुम्हारी तरह मैंने भी अपने जीवन का लक्ष्य तलाश कर लिया है। जैसे तुमने खुद को लोगों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया है। वैसे ही मैंने भी तय किया है कि यह धन दौलत लोगों की भलाई के काम में लगाऊँगा। क्या करना है ? कैसे करना है ? यह अभी तय नहीं है। पर इतना तय है कि मैं अब अपने समाज की भलाई का काम करूँगा।"
अपने पापा की यह बात सुनकर जय को माधुरी की याद आ गई। श्यामलाल जो कह रहे थे उसके हिसाब से माधुरी को अपने डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के लिए उनसे मदद मिल सकती थी। उसने श्यामलाल को माधुरी के बारे में सब कुछ बताते हुए कहा,
"पापा क्या आप माधुरी की मदद कर सकते हैं ? वह स्टीफन के उसे डॉक्टर बनाने के सपने को पूरा करना चाहती है। पर उसके माता पिता के पास इतने पैसे नहीं है। अगर आप उसकी मदद कर देंगे। तो वह अपना सपना पूरा कर सकेगी।"
श्यामलाल ने जवाब दिया,
"अगर मेरा पैसा किसी का सपना पूरा करने के काम आ सकता है तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। मैं तो चाहता हूँ कि जो दौलत मैंने कमाई है वह किसी भले काम में लगे।"
"मैं वृंदा का पता लगा लूँ। फिर माधुरी को यह सूचना दूँगा। यह जानकर बहुत खुश होगी।"

खाना खाने के बाद जय कुछ देर के लिए भीतर गया। जब वह लौटा तो उसने सूट पैंट की जगह कुर्ता पजामा पहन रखा था।
जब दोनों हैमिल्टन के बंगले के लिए निकल रहे थे कल श्यामलाल ने एक बार फिर उन्हें सावधान रहने के लिए कहा। जय ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे मुसीबत में फंसे।
जब मदन और जय कार में बैठने जा रहे थे तो मदन ने कहा,
"तुमने कोट पैंट बदलकर यह कुर्ता पजामा क्यों पहन लिया है ?"
जय ने कहा,
"आराम के लिए...."
मदन को आश्चर्य हुआ। उसने इतने दिनों में उसे कभी कुर्ता पजामा पहने हुए नहीं देखा था। जय उसकी दुविधा समझ गया। वह बोला,
"परेशान ना हो सब समझ आ जाएगा। मोटर में बैठो।"
दोनों मोटर में बैठकर निकल गए। जय मोटर चला रहा था। उसने मदन से कहा,
"तुम सोच रहे हो कि मैंने आज कुर्ता पजामा क्यों पहना ? तुम्हारी तरफ जो कुर्ते की जेब है उसमें हाथ डालो।"
मदर ने जेब में हाथ डालकर देखा तो दंग रह गया। उसमें रिवाल्वर था। उसने आश्चर्य से पूँछा,
"यह कहाँ से ले आए ?"
"पापा का है। कपड़े बदलने के बहाने इसे ही लेने गया था। काम आ सकता है।"
"चाचा जी को पता चला तो ?"
"देखा जाएगा। पर वहाँ ना जाने क्या हो ? इसलिए सिर्फ हमारी सुरक्षा के लिए रखा है।"
मदन को उसकी बात ठीक लगी। रास्ते में वह दोनों में बातें करने लगे कि वहाँ पहुँचकर क्या करना है। जय ने सुझाव दिया कि पहले मोटर बंगले से कुछ पहले ही किसी सुरक्षित जगह खड़ी कर दी जाएगी। हैमिल्टन जय को पहचानता है। इसलिए मदन मोटर से उतर कर बंगले के पास जाकर स्थिति का जायजा लेगा। सही तरीके से सब समझ लेने के बाद वह उसे आकर सब बताएगा। हर हाल में उन्हें सावधानी बरतनी है। नहीं तो वृंदा की जान को खतरा हो सकता है।

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