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कोरोना पॉजिटिव

"चलिए लाइन से आइए, एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाए रखिये, तुम्हरा मास्क कहा है?? तुम्हे समझ नही आता क्या तब से एलाउंस किया जा रहा है कि बिना मास्क के कोई भी यहा नही आएगा" - मुन्नी लाल (सरकारी अस्पताल के पर्चा बनाने वाले कर्मचारी लगातार चिल्लाते हुए पर्चा बना रहे थे।)

एक तो सरकार ने गुटखा बन्द कर दिया पता नही गुटखे से क्या कोरोना फैलता । (मन मे बड़बड़ाते हुए)

(तभी चौरसिया जी एक चिट्ठी लेकर आते है।)

"अरे हे मुन्नी भइया...!!! तुम्हारा ड्यूटी लगाया गया है क्वारन्टीन सेंटर में डेटा कलेक्ट करने के लिए" - चौरसिया (सरकारी अस्पताल के ही गैर चिकित्सीय कर्मचारी)


"का बात कर रहे हो हम न जाएंगे , कितनी बार बोले है हमसे मजाक न किया करो" - मुन्नी लाल


"हम काहे मजाक करने लगे तुमसे तुम कोई हमाये साले हो की जीजा अजीब बात करते हो बे, लो चश्मा लगा के पढ़ लो चिट्ठी निचे बड़े साहब के साइन भी है"- चौरसिया (ड्यूटी का लेटर मुन्नी लाल की डेस्क पर पटकते हुए चले गए)


मुन्नी लाल लेटर को लगभग कांपते हुए पढ़ते हैं। मन तो नही होता है वहां जाने का लेकिन करते भी क्या सरकारी फरमान था जाना तो था ही । वैसे भी कोरोना की ड्यूटी में मना करने का कोई चान्स था ही नही।


अगले दिन अपने मोटरसाइकिल से दिए गए पते की तरफ मुन्नीलाल जी रवाना होते है। क्वारन्टीन सेंटर की हालात देख कर मुन्नीलाल की रूह कांप जाती है।


लगभग सभी बेड़ो के मरीज तेजी से हांफ रहे होते है और उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही होती है।


मुन्नीलाल जी जाकर डेटा इक्कठा करना शुरू करते है। जो कि एक कार्यलयी सर्वे होता है जिसमे यह रिपोर्ट शासन को जाती है कि क्वारन्टीन सेंटर में सबकुछ व्यवस्थित रूप से चल रहा है। हालांकि वहां की व्यवस्था संतोषजनक नही होती है लेकिन महामारी के समय जो व्यवस्था थी वह पर्याप्त थी। मुन्नीलाल जी रिपोर्ट को संतोषजनक बता कर आगे भेज देते है और करते भी क्यों नही ऊपर से दबाव भी था।


मुन्नीलाल जो कि थोड़े ज्यादा सीधे और सरकारी किस्म के व्यक्ति थे। कोरोना से डरते बहुत थे। ऊपर से लॉक डाउन की छुट्टियां उनके लिए थी ही नही क्योंकि वो तो कोरोना वारियर थे।

अगले दिन से पुनः मुन्नीलाल जी अपने अस्पताल पर्चा काटने के काउंटर पर बैठ जाते है। वही मिलेजुले डायलॉग के साथ पूरा दिन मरीजों के पर्चे बनाते है । वे इतना डरते होते है कि काउंटर पर एक कटोरी में सेनेटाइजर भर के रख देते है कि जो भी उन्हें ज़रा सा भी संदिग्ध लगता उससे वो पर्चे का रुपया न लेकर उस कटोरी में डलवा देते।

मुन्नीलाल को दोपहर से कुछ बुखार जैसा लगता है और गले मे खरास होती है उन्हें यह लगता है कि वो कोरोना से संक्रमित हो गए है। लेकिन क्वारन्टीन सेंटर की हालात वो पिछले 5 दिन पहले देखकर आये थे इस लिए डर का स्तर ऊपर से कही ऊपर था। समस्या नित्यप्रति बढ़ती जा रही थी और उनका डर भी।


बहुत डरते हुये उन्होंने अस्पताल के मित्र जो कि वार्डबॉय थे दयाराम को अपनी दिक्कत बताई।

"मेरे प्यारे भाई दया ....!!! मुझे लगता है मुझे कोरोना हो गया कुछ ऐसा जुगाड़ बिठाओ की जांच भी हो जाये और किसी को पता भी न चले" -मुन्नी लाल

दयाराम थोड़ा उल्टी खोपड़ी का था।

"5 की पत्ती लगेगी लेकिन काम हो जाएगा। कल तुम टेस्टिंग सेंटर आ जाना सुबह 10 बजे।" - दयाराम


मुन्नी लाल नियत समय पर दया राम से मिलते है। दयाराम ने मुन्नीलाल का सैम्पल लिया और बिट्टू चौधरी के सैम्पल से बदल दिया।


"मुन्नी किसी को बोलना मत लेकिन तेरी जांच के लिए मैंने सैम्पल भेज दिया है बिट्टू चौधरी भगवन नगर के नाम से, अगर बिट्टू पॉजीटिव आये तो समझ लेना तुम पॉजिटिव हो। और तुरन्त भाग जाना गांव और काढा पी पी कर खुद को ठीक कर लेना"- दयाराम


(मुन्नीलाल घबराये हुए अस्पताल पहुँचते है और कार्य शुरू कर देते है आज समय कट ही नही रहा था अभी तो मात्र 2 बजे थे। बारी बारी से सबसे वो कोरोना के लक्षण पूछते और अपने लक्षणों से मिलाते, कभी मन हल्का होता कभी भारी हो जाता)


अगले दिन भी इसी तरह दिनचर्या बीती, आखिर आज वो दिन आ गया जिस दिन रिपोर्ट आनी थी।

सुबह से 10 बार दयाराम को फोन कर चुके थे।

" हेलो दया बिट्टू की रिपोर्ट का क्या हुआ?"- मुन्नीलाल

" अरे यार काहे बांस करे हो जब कही दीन जैसे रिपोर्ट आई तुम्हे फोन कर देबे"- दया (इतना कह कर झल्लाते हुए फोन दयाराम ने काट दिया)

(दोपहर के दो बजे गए थे अभी तक दयाराम का फोन नही आया था और मुन्नीलाल की बेचैनी और बुखार अब बढ़ चले थे।)


2:15 बजे दया का फोन आया।


"हेल्लो मुन्नी बिट्टू की रिपोर्ट पोजिटिवी आई है"- दयाराम

यह सुनकर मुन्नीलाल के जबान पर दही जम गया वो चाह कर भी कुछ बोल नही पाए। फोन हाथ से छूट गया। किसी तरह खुद को संभाला और बड़े बाबू के केबिन की तरफ दौड़े।


" अरे बाबू जी मेरी पत्नी छत से गिर पड़ी है हमे छुट्टी दे दो हमे गांव जाना है। लॉक डाउन है तो उसे दिखाने जाने में बड़ी दिक्कत है " - मुन्नीलाल


(बड़े बाबू चाह कर भी रोक न सके, और रोकते भी क्या मुन्नीलाल सुने तब ना। मुन्नीलाल ने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और गमछा बांध कर सीधा गांव की तरफ रवाना।)

इधर बिट्टू चौधरी जो कि एक प्रसिद्ध नामी गिरामी पार्टी का युवा नेता है। के घर पर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ पुलिस के एक जीप पहुँचती है । पीपीई किट पहने हुए स्वास्थ्य कर्मी बिट्टू चौधरी को उठाकर जबरन एम्बुलेंस में जरूरी सामान सहित बैठा देते है। उसे क्वारन्टीन सेंटर ले जाया जाता है।

"अरे मुझे बात करने दो कहा ले जा रहे हो" - बिट्टू

" तुम्हरा टेस्ट पॉजिटिव आया है ले जाना है ऊपर से आर्डर है"- स्वास्थ कर्मी


(बिट्टू किसी को फोन लगाता है)

"हेल्लो नेता जी हमे ये ले जा रहे है बचाइए" - बिट्टू

"बिट्टू मेरे भाई परेशान मत हो सब सेट है घर जैसा माहौल मिलेगा तुम्हे कोई टेंशन नही है।" - नेता जी (इतना कह कर नेता जी ने फोन काट कर युवानेता से जान छुड़ाई)


(बिट्टू को तीन दिन तक क्वारन्टीन सेंटर में रखा जाता है और तीसरे दिन दोबारा उसका सैम्पल लिया जाता है जो कि निगेटिव आता है।)

रिपोर्ट को सीएमओ साहब के सामने कर्मचारियों द्वारा पेश किया जाता है।


"देखिए सर कितना अच्छा ट्रीटमेंट हमारे सेंटर पर हो रहा है मरीज 3 दिन में ठीक हो गया। और ये बिट्टू चौधरी विधायक जी का आदमी है लगे हाथ विधायक जी को बधाई दे दीजिए"- अधीनस्थ कर्मचारी जिला अस्पताल



सी एम ओ साहब विधायक जी को फोन कर के जानकारी देते है।

" सर आपके कार्यकर्ता बिट्टू 3 दिन में हमने ठीक कर दिया देखिए कितना ख्याल रखा है हमने बस अब जरा हमारा ख्याल रखा जाए" - सी एम ओ साहब

" जी बिल्कुल...!!! सेवा किये है तो मेवा भी मिलेगा"- विधायक ने फोन रख दिया।


मीडिया में खबर फैल गयी। चारो तरफ सरकारी क्वारन्टीन सेंटर और स्वास्थ्य कर्मियों की जयजयकार होने लगी। मीडिया कर्मी इनके बाइट्स लेकर छापने लगे। इस जयजयकार से स्वास्थ्य कर्मियों में भी उत्साह आ गया। वही लोग अधिक से अधिक मात्रा में अपनी जांच करवाने आने लगे।


उधर मुन्नीलाल अपने गांव में खासते हुए काढ़े पे काढ़ा पिये जा रहे थे। लेकिन उनकी बीमारी पर कोई असर नही हो रहा था खुद को एक दलान में बन्द कर रखा था। किसी तरह से खबर गांव के मनचलों को लग गयी। उनमे से किसी ने स्वास्थ्य विभाग को फोन कर दिया। सायरन बजाती हुई एम्बुलेंस आकर मुन्नीलाल के दरवाज़े पर खड़ी हुई। सबकों गाड़ी में बिठा कर ले गयी। सभी का सैम्पल लिया गया पूरा परिवार मुन्नीलाल के साथ साथ पॉजिटिव निकला......✍🏼

(इस कथानक के माध्यम से मैं मेरा उद्देश्य केवल सरकारी व्यवस्था पर कुठाराघात करना ही नही है अपितु अपने पाठकों में और जनमानस में यह संदेश देना है कि यदि आपको कोरोना के लक्षण लगते है तो इसको छुपाए नही अपितु तुरन्त स्वयं को असोलेट करे और सुरक्षित रहे और दूसरों को सुरक्षित रखे। सरकारी व्यवस्था एक तंत्र से चलती है जिसमे बहुत से लूप होल होते है लेकिन इनका अनुचित लाभ उठाना न केवल आपको अपितु पूरे समाज को समस्या में डालता है।)

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