आदमी का शिकार - 2 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आदमी का शिकार - 2


नूपुर चारों ओर से रीछों से घिरी हुई थी. रीछ नूपुर के इर्दगिर्द चक्कर काट रहे थे. रूक -रूक कर वे नूपुर को सूंघ भी रहे थे. शायद,वह परख रहे थे कि वह जीवित है या नहीं.
भय से नूपुर का बुरा हाल था. लेकिन, वह हिम्मत करे रही .उसने सांस पूरी तरह रोक रखी थी.नूपुर को रीछों के वापस चले जाने का इंतजार था.
लेकिन, तभी एक अनहोनी घटी.
रीछों ने नूपुर को मृत जानकर भी छोड़ा नहीं. बल्कि एक बड़े से रीछ ने नूपुर को अपनी पीठ पर लाद लिया. अब रीछों का झुंड उसी दिशा में वापस चल दिया जिस दिशा से आया था. नूपुर रीछ की पीठ पर पड़ी थी .यह.रीछ झुंड के बीच में चल रहा था.
यह अजब तमाशा देखकर नूपुर को अपने बचने का विश्वास खत्म हो गया. उसे अब सांस रोके रखना भी मुश्किल हो रहा था. बीच -बीच में वह गहरी सांस ले लेती.
रीछ जिस रास्ते से नूपुर को ले जा रहे थे ,उस रास्ते पर फलों से लदे हुए पेड़ थे.लेकिन, अब नूपुर की भूख हवा हो गई थी.मौत को सामने देखकर भूख भी किसे रहती है.
नूपुर को लादे रीछ आगे बढ़े चले जा रहे थे.
अचानक रीछ की चाल में गजब की तेजी आ गई. नूपुर को लगा वह जमीन पर गिर जायेगी. उसने घबरा कर आँखें खोल दी.रीछ ढ़लान से नीचे उतर रहे थे. नूपुर समझ गई ढ़लान से उतरने के कारण ही रीछ की चाल में तेजी आई.
लगभग घंटे भर चलने के बाद ढ़लान खत्म हो गई.रीछ रुक गये. नूपुर ने चारों ओर देखा.यह स्थान एक बड़े कमरे नुमा था.जिसकी दीवारें और छत झाडिय़ों और लताओं की बनी थीं.
रीछ ने धीरे से नूपुर को नीचे उतार दिया. नूपुर ने फिर सांस रोक ली.उसे डर था जीवित जानकर रीछ उसका खून पी जायेंगे.
अगले ही पल नूपुर के शरीर में एकसाथ कई सुईयां चुभी.हड़बड़ा कर उसने आँखें खोल दी. चारों ओर ढ़ेरों शहद की मक्खियां उड़ रही थीं. उसे समझते देर न लगीं, कि यही मक्खियां उसे डंक मार रही हैं. इस मुसीबत से बचने के लिए उसने भागने की सोची.लेकिन, भागने से मक्खियां उसका पीछा करतीं. वह चुपचाप जमीन पर लम्बी पड़ गई.
तभी एक भारी भरकम रीछ ने नूपुर को दबोच लिया. नूपुर के मुँह से एक तेज चीख निकल गई.
पलभर के लिए रीछ झिझका लेकिन, फिर उसने नूपुर को पूरी तरह से ढ़क लिया.
नूपुर मौत की घड़ियां गिनने लगी.
लगभग आधे घंटे बाद रीछ नूपुर से अलग हो गया.
नूपुर के मुँह से फिर चीख निकल गई. यह चीख आश्चर्य में डूबी हुई थी. रीछ आधे घंटे तक नूपुर को दबोचे रहा .लेकिन, इस बीच उसने नूपुर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया. नूपुर जीवित थी.उसे कहीं खरोंच तक नहीं आई थी.
अभी नूपुर यह सोच ही रही थी कि उसके होठों से कोई सख्त सी चीज टकराई.नूपुर ने चौंक कर सामने देखा तो उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गई .जो.रीछ उसे यहां तक लाया था.वह अपनी पिछली टांगों पर खड़ा था.उसने अपनी अगली टांगों से एक पत्थर का बर्तन पकड़ रखा था.इसका आकार कटोरे नुमा था.जिसमें शहद भरा था.जिसे रीछ नूपुर को पिलाने का प्रयत्न कर रहा था.
नूपुर को तेज भूख लगी थी.वह झट से उठकर बैठ गई. उसने रीछ से कटोरा लेकर होठों से लगाया और गटागट पी गई. एक बार के लिए वह यह भूल गई कि उसे जीवित देखकर रीछ उसे नुकसान पहुंचा सकता है.
शहद पीकर कटोरा नूपुर ने एक ओर रख दिया. अब,वह चारों ओर का जायजा लेने लगी.इतनी देर के जीवन ने उसे हिम्मत दे दी थी.उसने बहादुरी से हालातों का मुकाबला करने का निश्चय किया.
चारों ओर का निरीक्षण करते हुए नूपुर की निगाहें सामने खड़े रीछ पर ठहर गई. नूपुर एकबार फिर आश्चर्य में पड़ गई. रीछ की आँखों में कोई हिंसक भाव नहीं थे.बल्कि ऐसे भाव थे कि नूपुर खिची हुई सी रीछ की ओर बढ़ गई.
रीछ के पास पहुंचते ही इस रीछ ने भी शहद का कटोरा नूपुर के होठों से लगा दिया.
यकायक नूपुर को मजाक सूझा. उसने कटोरा रीछ के हाथ से लेकर उसी रीछ के मुँह से सटा दिया. रीछ अपनी जीभ से शहद चाटने लगा.
जल्दी ही रीछ कटोरे का सारा शहद चाट गया. नूपुर ने खाली कटोरा जमीन पर रखा और वहीं पास पड़े पत्थर पर बैठ गई.
रीझ भी नूपूर के पैरों के पास बैठ गया.नूपुर के हाथ रीछ की पीठ पर फिसलने लगे.रीछ ने मुड़कर नूपुर की ओर देखा. उसकी आँखों में मैत्री के भाव थे.
बाकी रीछ भी नूपुर के चारों ओर बैठ गए. नूपुर के हाथ रीछ की पीठ पर फिसल रहे थे. रीछ नूपुर के पैर चाट रहा था.
नूपुर रीछ के पास बैठी उनके इस अनोखे व्यवहार के बारे में सोच रही थी. अब तक वह जंगली जानवरों को खूँखार ही समझती थी. लेकिन, आज से नूपुर की इस बारे मे राय बदल गई. रीछों का व्यवहार देखकर वह सोच रही थी-जंगली जानवर केवल हिंसक ही नहीं होते. बल्कि मैत्री करना भी जानते हैं. उन्हें प्यार करना भी आता है.

क्रमशः