यूँ ही राह चलते चलते - 27 Alka Pramod द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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यूँ ही राह चलते चलते - 27

यूँ ही राह चलते चलते

-27-

यात्रा लगभग पूरी होने को थी अगला पड़ाव नीदरलैंड था।वहाँ की राजधानी एम्स्टर्डम जाने के मार्ग में कतार में पवन चक्कियाँ दिखायी पड़ रही थीं। यह इस देश की राष्ट्रीय हेरिटेज और यह खेती विद्युत उत्पादन, फर्नेस ब्लो करने और पम्प के लिये प्रयोग होती हैं। निश्चय ही यह यूरोप के सुन्दरतम देशों में से एक है।

जब उनका कोच होटल एन एच एम्स्टर्डम के सामने रुका तो सबने ताली बजा कर सुमित की प्रशंसा की और उसको धन्यवाद दिया इतने भव्य होटल में रुकवाने के लिये।

होटल का गलियारा ही बहुत बड़ा और विशाल था इतने कमरे थे कि अपना कमरा ढूँढना कठिन था। अनुभा कमरे से निकली तो अर्चिता और यशील एक दूसरे की आँखों में खोए हुए कुछ वार्तालाप कर रहे थे। वार्तालाप का विषय क्या रहा होगा इसका अंदाज लगाना अनुभा के लिये कठिन न था। उसके मन में न जाने क्यों वान्या का ध्यान आ गया वह सोचने लगी कि इस समय वो कहाँ होगी और अर्चिता और यशील को ऐसे बात करते देख कर उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी।

अनुभा को विश्वास हो गया था कि यशील अर्चिता के प्रति ही आकर्षित है।इन्ही विचारों में उलझी वह आगे बढ़ी ही थी कि उधर से वान्या आती दिखायी दी वह हड़बड़ा गयी कि किस तरह अर्चिता को बता दे कि वान्या आ रही है जिससे वान्या उनके मधुर क्षणों में कटुता न घोले। उसके कुछ समझने से पहले वान्या ने अर्चिता और यशील को पानी में चीनी के समान घुल कर बातें करते देख लिया था। उसकी प्रतिक्रिया अपेक्षित थी पर वान्या ने जो किया वह अपेक्षा से कही अधिक था, उसने यशील का हाथ पकड़ा और लगभग खींचते हुए वहाँ से लॅाबी की ओर ले गई यशील और अर्चिता उसके इस अप्रत्याशित व्यवहार से हतप्रभ रह गये। वान्या भी क्या करती उन दोनों का इतना सामीप्य उससे सहन नहीं हुआ उसे बस यही लगा कि किसी प्रकार उन दोनों को दूर कर दे और उसने ऐसा असामान्य व्यवहार कर दिया।

यशील ने कहा‘‘ व्हाट इस दिस वान्या, ये क्या तरीका है? ’’

वान्या की आँखें नम हो गयीं वह स्वयं अपने इस व्यवहार पर लज्जित थी पर वह तो अचानक बस हो गया। यशील ने वान्या जैसी दृढ़ लड़की की आँखंे नम देखीं तो उसे अपने इस तरह बोलने पर पश्चाताप हुआ।उसे संतुलित करने के लिये उसने कहा ‘‘ सारी यार, पर तुमने जिस तरह मुझे खींचा मेरा ऐसा रिएक्शन हो गया।’’

वान्या भी लज्ज्ति थी अतः उसने कहा ‘‘ आय एम आलसो सारी ।’’

दोनों ने एक दूसरे की हथेली को मार कर हँसते हुए बात को हवा में उड़ा दिया। उधर अर्चिता जो स्वप्नों के रथ पर सवार सातवें आकाश में उड़ रही थी धड़ाम से धरती पर आ गिरी। जो काँटा उनके मध्य से एक बार निकल गया था अब कुछ अधिक ही गहराई से चुभने लगा था। उसे संकेत पर क्रोध आ रहा था कि वह वान्या को इतनी छूट क्यों दे रहा था।

अभी तो वो अपनी भावनाओं को यशील के समक्ष प्रकट करने का उपाय सोच ही रही थी कि वान्या उसे झपट कर छीन कर ले गयी। अर्चिता को अब अनुभव हो रहा था कि बहुत देर हो चुकी है इस तरह लुकाछिपी का खेल ख्ेालने से काम नहीं चलेगा और उसे यशील को उसके प्रति अपनी भावनाओं से अवगत कराना ही होगा नहीं तो किसी दिन वान्या इसी प्रकार यशील को उससे छीन कर ले जाएगी और वह हाथ मलती रह जाएगी। वह व्यग्र हो उठी, उसे आशंका थी कि कहीं वान्या यशील से आज ही अपने प्रेम की अभिव्यक्ति न कर दे ।उसके विश्वास की नैया डगमगाने लगी थी, वह सोच रही थी कि पता नहीं यशील उसे पसंद करता भी है, चाहता है या उसे ही यह भ्रम है। वह इधर से उधर बेचैनी से टहलने लगी।

श्रीमती चन्द्रा अर्चिता को व्यथित देख कर आयीं और बोलीं ‘‘ क्या हुआ अर्चू ?’’

‘‘ कुछ नहीं मम्मा लेट्स गो फार बे्रकफास्ट’’और दोनांे डाइनिंग हाल पहुँच गयीं। मिसेज चन्द्रा तो प्लेट ले कर ब्रेड लेने चल दीं पर अर्चिता खाली प्लेट लिये यशील को ही खोज रही थीं। तभी उसे यशील और वान्या आते दिखे । वह यशील के पास इस तरह खड़ी हो गयी कि वह उसे देख ले पर वह स्वयं उससे नहीं बोली। यशील ने उसे देखा भी और समझा भी और इसीलिये उसे मनाने के उद्देश्य से जूस का गिलास ले कर उसके पास आया और बोला‘‘ लो जूस पी लो। ’’

अर्चिता ने उसकी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।तब यशील ने कहा‘‘ अरे यार हम लोग कितनी इन्टरेस्टिंग बातें कर रहे थे, पता नहीं वान्या कहाँ से आ कर मुझे घसीट ले गयी, मैं क्या करता ।’’

‘‘ हा तुम तो नन्हे बच्चे हो जो वो ले गयी और तुम चल दिये’’ अर्चिता ने रूठते हुए कहा।

‘‘ ओ के लो मैं माफी माँगता हूं ’’ कान पकड़ते हुए यशील ने कहा। अर्चिता ने कहा ’’प्लीज नाटक मत करो पर यशील अगर तुम उसे इतनी लिफ्ट न दो तो वो क्यों तुम्हारे पीछे पड़ेगी ।’’

‘‘अरे तो क्या मुझसे कोई बात करे तो मैं उससे मुँह मोड़ लू एटीकेट्स भी कुछ होते हैं’’यशील ने झुँझला कर कहा।

फिर स्वयं को तुरंत संयत करते हुए कहा ‘‘चलो गुस्सा छोड़ो लेट्स हैव ब्रेकफास्ट।’’और उसने एक कुकीज अर्चिता के मुँह में खिला दिया अर्चिता मुस्करा दी।

कोच में एम्स्टर्डम का चक्कर लगाते हुए आगे बढ़़ा। सभी ग्रुप के सदस्य उस शहर की सुन्दरता से अभिभूत थे। उनका कोच एम्स्टर्डम नदी के किनारे रुका वहाँ से उन्हे मोटर बोट से शहर का दृश्यावलोकन करना था। राह में इतने संुदर बँगले जैसे एक से घर बने थे, जो वहाँ रहने वालों की सौंदर्यप्रियता का जीता जागता उदाहरण थे वास्तव में यहाँ की स्थापत्य कला बेजोड़ है। जब सब एम्स्टर्डम नदी के पास पहुँचे तो नदी तक जाने का मार्ग अवरुद्ध था ज्ञात हुआ कि वहा इस समय जीरोथिटेलिया यानि की साइकिल की रेस होनी थी। सैकड़ों सायकिल वहाँ स्टैंड पर एक-एक खम्बे के साथ लाक की हुई खड़ी थीं और कितने लोग सायकिल रेस के लिये तैयारी कर रहे थे।

पूरे शहर के मार्ग बन्द थे । रजत ने कहा ‘‘ ये तो सुना था कि नीदरलैंड में सायकिल चलाना बहुत लोकप्रिय है परन्तु ये तो कोई बात नहीं कि ऐसी रेस करो कि शहर के मार्ग ही बन्द कर दो और इतनी दूर से आये यात्री शहर ही न देख पायें।’’

सुमित ने कहा ‘‘ सर इतना निराश होने की जरूरत नहीं है इन्होने मार्ग बन्द किये हैं पर उसकी जगह अन्य मार्गों का प्राविधान है। ’’

‘‘ अच्छा वो कैसे? ’’

‘‘सर हम लोग उस तरफ चल कर घाट से नावों से उस पार मोटरबोट तक जाएँगे और मोटरबोट से शहर का नजारा लेंगे।’’

‘‘वाउ ये तब तो मजा आ जाएगा’’ निमिषा चहकी।

सब एक रस्सी की रोक को पार कर घाट पर पहुँचे और थोड़े-थोड़े लोग बारी-बारी से नावों से नदी के उस पार खड़ी मोटरबोट तक पहुँच गये और हो गये सवार मोटरबोट पर एम्स्टर्डम की सैर करने को।

ऋषभ ने संजना से कहा ‘‘ तुमने देखा यहाँ के लोग कितने लम्बे हैं ?’’

‘‘अब तुम्हारे लिये तो सभी लम्बे हैं ’’ संजना ने उसे चिढ़ाया, क्योंकि ऋषभ की लम्बाई कम ही है। सब हस पड़े तो उसे बुरा लग गया वह गंभीर हो गया। तब संजना ने उसे मनाते हुए कहा ‘‘ अरे तुम तो बुरा मान गये, मैं मजाक कर रही थी। ’’

सचिन ने कहा ‘‘तुम भले मजाक कर रही थी पर ऋषभ ने सच ही कहा है, यहाँ के लोग विश्व में सबसे लम्बे होते हैं।’’

सुमित ने कहा अब मैं आपको यहाँ के बारे में बताता चलूँगा, सब जानना चाहते हैं न ’’उसने विशेषकर निमिषा की ओर देख कर पूछा।

निमिषा को सुमित को उसे तरह लक्ष्य करके पूछना अच्छा नहीं लगा उसने कहा ‘‘ हम हर समय अंत्याक्षरी नहीं खेलते, चलिये लेक्चर शुरु करिये ।’’

सुमित ने बताया ‘‘यहाँ के लोग डच है पर द्वितीय महायुद्ध के बाद अनेक जगह के लोग यहाँ आ गये और अब अनेक जाति के लोग यहाँ रहते हैं ।’’

मीना ने पूछा ‘‘ सुमित यहाँ काफी भीड़-भाड़ है लगता है यहाँ की जनसंख्या अच्छी खासी है ?’’

‘‘हाँ यह घना बसा है लगभग 450 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर में रहते हैं। यही कारण है कि इन्हांेने सागर को रिक्लेम किया है ?’’

अर्चिता ने यशील से पूछा ‘‘यानि कि सागर पर भी रहते हैं?’’

‘‘ जी नहीं सागर रिक्लेम का मतलब है कि सागर पर मिट्टी और बालू डाल कर अपने देश की धरती का क्षेत्रफल बढ़ा लिया है और अब इनके देश का क्षेत्रफल 10000 वर्ग किलोमीटर है।’’ वान्या ने अपना ज्ञान प्रदर्शन करने के साथ-साथ अर्चिता को नीचा दिखाने के सुअवसर का लाभ उठाया।

‘‘अरे वाह तुम्हारी नालेज तो अल्टीमेट है ’’चंदन ने वान्या की प्रशंसा की जिसने अर्चिता के लिये जले पर नमक छिड़कने का काम किया, उसने चंदन को देख कर मुँह बनाया और बात पलटते हुए नदी पर बने घरों को दिखाते हुए यशील से कहा ‘‘ अरे यशील वो देखो यहाँ भी अपने कश्मीर जैसी हाउसबोट हैं।’’

उस ओर ध्यान जाते ही सभी ने कैमरा सँभाल लिया । यशील ने सुमित से कहा ‘‘ सुमित तुम्हंे इन हाउसबोटों में हमें रखना चाहिये था, सो रोमांटिक।’’

‘‘यहीं क्यों ’’अर्चिता ने पूछा।

‘‘ क्योंकि यहाँ 40 प्रतिशत लोग नास्तिक हैं इस देश के कानून बहुत लचीले हैं यहाँ सब कुछ करने की स्वतंत्रता है और यहाँ बहुत सी अवैधानिक सामाजिक कार्यों को करने की मान्यता मिली है जैसे ड्र्रग, मर्सी-किलिंग, प्रोनोग्राफी, गे विवाह आदि।

यशील ने धीरे से अर्चिता से कहा‘‘ क्यों न यहीं रुक जाएं ।’’

‘‘यहाँ क्यों रुकेंगे हम कुछ गलत काम करने तो नहीं जा रहे हैं, जो करेंगे पैरेन्ट्स की सहमति से करेंगे ’’अर्चिता ने गंभीर होते हुए कहा।

बात उल्टी पड़ते देख कर यशील सँभल गया उसने कहा ‘‘ अरे यार जस्ट जोकिंग ।’’

चंदन ने कहा ‘‘ यशील यार अर्चिता तो तुम्हंे ले कर काफी गंभीर है, अब तुमको सोच समझ कर आगे बढ़ना चाहिये ।’’

‘‘अब तुम अपना भाषण मत शुरु कर दो ’’ यशील ने बोर होते हुए कहा।

निमिषा सचिन से बोली ‘‘ तुमने हमें नहीं बताया था कि यहाँ हर काम की छूट है, इसी लिये तो तुम अकेले नहीं आते यहाँ’’?

संजना ने उसे छेड़ने के लिये बोला ‘‘ हा अब हम समझ गया सचिन यहाँ क्यों आता है ।’’

सचिन ने कहा‘‘ क्यों मेरे लिये आफत खड़ी कर रही हो अभी निमिषा ने सच मान लिया तो पूरा टूर बेकार हो जाएगा ।’’

निमिषा ने कहा ‘‘ अब इतना विश्वास तो है तुम पर मैं तो मजाक कर रही थी ।’’

‘‘ देखा मेरी पत्नी कितनी समझदार है ’’ सचिन ने निमिषा को प्रसन्न करने के लिये कहा।

क्रमशः------------

अलका प्रमोद

pandeyalka@rediffmail.com