यूँ ही राह चलते चलते
-10-
लौटते में सब को सुमित वेनिस की एक गली में ले गये, वह एक सँकरी पर साफ-सुथरी गली थी । वहाँ सुमित ने सबको अपनी अपनी मन पसंद की आइसक्रीम खिलाई।संजना ने मिन्ट फ्लेवर की ली, तो सचिन ने स्ट्राबेरी। अनुभा को रोम ट्रेवी फाउन्टेन पर खाई पिस्टाचियो बहुत भाई थी, अतः उसने वही ली, उसे देख कर रजत ने भी पिस्टाचियो आइसक्रीम ही ली।
रोम की परम्परा के अनुसार यहाँ भी विशालकाय मूर्तियाँ बनी थीं । लौटते में सब स्क्वेअर पर रुके जो एक दूर तक फैला चैाक था, वहाँ एक ओर कुछ लोग वा़द्य यंत्र बजा कर गीत गा रहे थे संभवतः वहाँ का कोई बैन्ड था दूसरी ओर ढेर सारे कबूतर थे, जिन्हें लोग दाना खिला रहे थे । सुमित बता रहे थे कि यहाँ रैली आदि होती हैं तथा प्राचीन काल में यहीं पर राजा सभा को सम्बोधित करते थे। सुमित ने बताया ’’नेपोलियन इसे ड्र्राइंगरूम कहते थे ।‘
तभी श्रीमती चंद्रा घबराई सी बोली ’’आपने अर्चिता को देखा है।‘‘
सबका ध्यान सुमित से हट कर श्रीमती चंद्रा की ओर चला गया ।
संजना ने कहा ’’आंटी आप घबराइये नही यहीं कहीं होगी ।‘‘
’’नहीं हम बहुत देर से उसे ढूँढ रहे हैं, वह ऐसे नई जगह कहाँ जा सकती है। ‘‘
सुमित बोला ’’वो कबसे आपके साथ नहीं है? ‘‘
’’लगभग एक घंटा हो गया। ‘‘
सुमित को चिंता हो गयी, सबको सम्भालना उसका उत्तरदायित्व था
मीना बोली ’’यशील कहाँ है, उसी के साथ होगी ।‘‘
अब वान्या बोली ’’ चंदन को तो मैंने अभी काफी शाप पर देखा था, ‘‘ फिर कुछ सोच कर बोली ’’यू आर राइट वह अकेला था इट्स मीन यशील और अर्चिता साथ होंगे‘‘ और इस कल्पना से ही उसका चेहरा उतर गया ।
मीना बोली ’’एक तरफ तो लड़की को इतनी छूट दी हुई है, दूसरी तरफ इतना शोर मचा रही हैं जैसे छोटी बच्ची है जो खो जाएगी। ‘‘
श्रीमती मतोंडकर बोली ’’देखा मैं कहती थी न ये नार्थ वाले बड़े चालू होते हैं देखियेगा जाते जाते ये अपनी लड़की की वेडिंग करके ही जाएँगी और एक हमारे भोलानाथ है कि खुद तो कुछ कर नहीं पाते और लड़की को यशील जैसा अच्छा लड़का पसंद है तो भी कुछ नहीं कर रहे हैं उल्टे कह रहे हैं कि अपने लोगों में लड़की देंगे । ‘‘
मीना ने कहा ’’सच में ये तो हद ही हो गयी। ‘‘
’’अब आप ही बताइये मेरी वान्या क्या अर्चिता से कम है देखने में लम्बी है, नैन नक्श अच्छे है संस्कारी है ‘‘ लता ने मीना का समर्थन मांगा।
फिर अपने को ही समझाती सी बोली ’’जब अर्चिता पीछे ही पड़ गयी होगी तो वो साथ चला गया होगा, कर्टसी भी तो कोई चीज होती है। ‘‘
मीना बोली ’’मिसेस मतोंडकर आप भी थोडा़ लिबरल बनिये। ‘‘
उधर श्रीमती चंद्रा और श्री चंद्रा परेशान से इधर-उधर घूम रहे थे श्रीमती चंद्रा की आँखों में तो आँसू ही आ गये । सुमित भी काफी परेशान थे उसने दो बजे तक सबको मेट्रोपोल होटल के सामने इकठ्ठा होने को कहा था सभी लोग आ गये थे । बस यशील और अर्चिता ही नहीं आये थे ।
सचिन बोला ’’वैसे भी इटली माफियाओं का गढ़ है। ‘‘
निमिषा ने कहा ’’अरे माफिया उन दोनों का क्या करेगा। ‘‘
’’उन्हें किडनैप ही करना होगा तो किसी करोड़पति को करेंगे कि इन लोगों पर अपना टाइम वेस्ट करेंगे ।‘‘
अनुभा को हाल में ही देखी फिल्म ’टूरिस्ट‘ की याद आ गयी, उसमें भी तो पूरी वेनिस की ही शूटिंग थी । किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। श्रीमती चंद्रा सुमित से कहने लगीं ’’यहाँ की पुलिस से सहायता लीजिये।‘‘
सुमित किसी से मोबाइल पर बात कर रहा था तभी घबराहट में श्रीमती चंद्रा को चक्कर आ गया और वह बेसुध हो कर गिर पड़ीं ।सभी लोग उनको सँभालने में लग गये । टूर के सारे लोग उन्हें घेर कर खड़े हो गये । सुमित वैसे ही परेशान था उस पर यह नई मुसीबत वह खीज उठा ’’प्लीज आप लोग हवा आने दीजिये । मैं देखता हूं बैग में कोई दवा हो तो निकालूँ ।‘‘
श्री रामचंद्रन अपने बच्चे से बोले ’’आओ तब तक तुम्हे चाकलेट दिला दूँ। ‘‘
सुमित जो काफी परेशान था बोला ’’प्लीज अब और कोई यहाँ से नहीं जायेगा नहीं तो मै बिल्कुल वेट नहीं करूँगा और चला जाऊँगा, आगे उसकी खुद की जिम्मेदारी होगी । ‘‘
तभी संजना चीखी ’’वो देखो वो दोनों आ रहे हैं ।‘‘
सबने मुड़ कर देखा तो दोनों लगभग दौड़ते चले आ रहे थे । कई लोग एक साथ बोल पड़े ’’कहाँ थे तुम लोग?‘‘
यशील ने थोड़ा झेंपते हुए कहा ’’ वो हम लोग बातों में इतने इन्वाल्व हो गये कि समय का पता ही नहीं चला ।‘‘
’’ये अर्चिता ही बोलती रही होगी, कितना तो बोलती है बाई गाड!‘‘वान्या ने कहा।
अर्चिता इठला कर बोली ’’ वैसे फार योर काइंड इन्फार्मेशन हम दोनों ही अपने-अपने व्यूस डिस्कस कर रहे थे ।‘‘
सुमित ने कहा ’’पहले मिसेस चंद्रा को देखो उन्हे होश आया कि नहीं। ‘‘
तब सबको श्रीमती चंद्रा का ध्यान आया उन्हें होश आ गया था और श्री चंद्रा उन्हें सहारा दे कर उठा रहे थे । अब सुमित की साँस में साँस आयी । उन्होंने कहा ’’लीजिये मिसेस चंद्रा आपकी बेटी आ गयी। पर प्लीज आप सब से मेरी रिक्वेस्ट है सब साथ में रहिये जिससे हम सबका टाइम वेस्ट न हो और कोई प्राब्लम न हो क्योंकि हम सब विदेश में हैं और अगर कोई हमारे ग्रुप से अलग हो गया और उसे कोई प्राब्लम हो गयी तो हम उसकी कोई सहायता नहीं कर पाएँगे । सो प्लीज कोआपरेट मी।‘‘
लता श्री मातोंडकर को गुस्से में घूर रही थीं मानो उन्होंने ही अर्चिता और यशील को एक साथ भेजा था ।
काफी देर हो चुकी थी इसलिये सब लोग मोटर बोट में बैठ कर वापस चल दिये । पर इतनी देर घूमने और इस टेन्शन के बाद सब लोग थक गये थे और आते समय अन्त्याक्षरी का जोश ठंडा पड़ गया था ।
चंदन वान्या से कुछ बात कर रहा था यशील भी वहीं आ गया उसने कहा ’’वान्या तुमने क्या क्या देखा हम तो आज कुछ देख ही नहीं पाये ।‘‘
वान्या ने यशील की बात का कोई जवाब नहीं दिया और वहाँ से हट गयी । यशील को कुछ समझ नहीं आया उसने कंधे उचका कर चंदन की ओर देखा ।
चंदन ने कहा ’’अब तुम इतनी देर अर्चिता के साथ अकेले गायब रहोगे तो उसे बुरा तो लगेगा न।‘‘
’’क्यों वान्या कहती तो मैं उससे भी बात करता अर्चिता ने काफी का आफर दिया तो मैंने मान लिया उसमें क्या गलत है?‘’
’’अब इतने नादान भी नहीं हो कि तुम इसमे क्या है, समझ न पाओ ‘‘चंदन ने उसकी खिँचाई करते हुये कहा ।
फिर बोला ’’वैसे वान्या की जगह कोई भी हो उसे बुरा ही लगेगा ।‘‘
’’अरे अभी देखो में उसका मूड ठीक कर देता हूँ । ‘‘
यशील वान्या के पास गया और पीछे जा कर एक दम से जोर से बोला ’’हो...........‘‘
पर वान्या चैांकी भी नहीं चुप चाप बैठी रही ।
यशील बोला ’’ सारी यार, प्रामिस अगली बार हम तीनों काफी पियेंगे बल्कि चारों, उस चंदन के बच्चे को छोड़ेंगे तो अगली बार उससे सॅारी बोलना पड़ेगा।‘‘
’’मुझे तुम्हारे साथ जाने का कोई शौक नहीं है और वो तुम्हारी अर्चिता उसके साथ तो कभी मैं सोच भी नहीं सकती ।‘‘
’’ओ के उसे नहीं ले चलेंगे वैसे भी मैं तुम्हें सच बताऊँ कि आई रियली इन्जाय युअर कम्पनी पर अर्चिता को मना तो नहीं कर सकता न?‘‘
इस समय वान्या बिल्कुल आक्रामक मूड में लग रही थी । इतना मनाने पर भी उसका मूड ठीक नहीं हुआ, वह झटके से उसकी बात का जवाब दिये बिना आगे बढ़ गयी। उसकी आई लता जो उनकी बातें सुन रही थी पास आ गयी, तो वह उनसे बोली ’’ चलो आई ’’।
पर उन्होंने उसका साथ नहीं दिया। लता जी को यह स्वर्णिम अवसर लगा यशील से बात करने का । जबसे उन्होंने देखा था कि श्रीमती चन्द्रा यशील से बात करती रहती हैं उन्होने सोच लिया था कि यदि श्रीमती चन्द्रा उससे आत्मीयता बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं तो वह भी अपनी बेटी के लिये कुछ भी करेगी।
उन्होने यशील से पूछा ’’अपने मुबई में कहाँ रहते हो? ‘’
’’जी खार में ‘‘
’’अरे वो तो हमारे घर के पास ही है, तुम तो अपने ही इलाके के हो कभी हमारे घर आना ।‘‘
’’जी आंटी। ‘‘
’’देखो बेटा डोन्ट टेक अदर वाइस, तुम्हारे पापा क्या करते हैं?‘‘
’’जी उनका बिजनेस है ।‘‘
’’अच्छा किस चीज का बिजनेस है?‘’
’’जी इलेक्ट्रानिक्स का है।‘‘
’’अरे वाह! तब तो हमारे काम का है एक्चुअली आय एम गजेट फ्रीक।वैसे कहाँ है शाप ?‘‘ लता प्रश्न पर प्रश्न पूछे जा रही थी।
यशील ने ऊबते हुये कहा ’’ आंटी सिटी माल में है आप आइयेगा।‘‘यशील वहाँ से चलने लगा पर लता छोड़ने के मूड में नहीं थीं उन्होने पूछा ’’अरे दुकान क्या मैं तुम्हारे घर आऊँगी अब तो हमारा इन्ट्रो हो गया है। ‘‘
तभी श्री श्रीकृष्ण आ गये वो लताजी को देख कर बोले ‘‘ तुम यहाँ हो, मैं तुम्हे ढूँढ रहा था। ’’
लता जी उनकी बात अनसुनी करती हुयी बोलीं ‘‘आपको पता है यशील की इलेक्ट्रानिक की बहुत बड़ी शाप है हम लोग मुम्बई पहुँच कर कुछ लेना हो तो वही चलेंगे। ’’
‘‘ क्यों हम उसकी दुकान पर क्यों जाएँगे उसने बुलाया है क्या? ’’
‘‘ सर आइये इट्स माई प्लेजर’’ यशील ने सौजन्यता वश कहा।
‘‘हमारे घर के पास इतनी बड़ी-बड़ी दुकाने हैं तो हम इतनी दूर क्यों जाएंगे, ’’श्री श्रीकृष्ण ने कहा।
फिर उन्होंने कहा ‘‘ एण्ड आई वान्ट टु क्लिअर यू आय एम नाट इन्टरेस्टेड इन यू तुम्हें बहुत उम्मीद करने की जरूरत नहीं है और मेरी बेटी से दूर ही रहो। ’’
यह कहने के साथ यशील को भौंचक और लता जी को लज्जित छोड़ कर वो आगे बढ़ गये। लता जी अपने पति के पीछ-पीछे चली गयीं।यशील के अहम् को उनके व्यवहार ने चोट पहुँचायी और उसने सोच लिया कि अब उनकी बेटी वान्या से दूरी बना कर रखेगा।
चंदन ने कहा’’ यार ये मातोंडकर जी का व्यवहार कुछ समझ नहीं आया, बिना बात ही बिगड़ गये। ’’
यशील बोला ‘‘ समझते क्या हैं अपने को पहले अपनी बेटी को रोकें तब किसी पर गुस्सा दिखायें।’’
क्रमशः-----------
अलका प्रमोद
pandeyalka@rediffmail.com