गाली सिद्धार्थ शुक्ला द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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गाली

#गाली

हर मां बाप अपने बच्चों को बहुत संभाल कर रखते हैं कि बचपन में लड़कपन में वे कोई बुरी संगत में न पड़ जाएं । खूब ख्याल रखते है मगर कितना ही बचा बचा कर चलो बच्चे अक्सर ऐसे लोगों के संपर्क में आ ही जाते हैं जिन से कुछ शब्द सुनने को मिलते हैं संसार में । सब कुछ बदल जाता है बस नहीं बदलते तो वह शब्द जिन्हें हम गाली के रूप में भी जानते हैं और यह गालियां मुझे पता नहीं किसने ईजाद की?

जिसने भी ईजाद की वह भयंकर रूप से काम पीड़ित रहा होगा इतना पीड़ित कि विक्षिप्त होकर उसे ऐसे शब्दों का निर्माण करना पड़ा। क्योंकि सब गालियां मनुष्य के प्रजनन तंत्र से संबंधित है और इन शब्दों का निर्माण करने वाला कोई पागल पुरुष ही रहा होगा क्योंकि गालियां सिर्फ और सिर्फ स्त्री के प्रजनन तंत्र से ही संबंधित होती हैं कोई भी उठा लो बस वो गुप्त अंगों से संबंधित होती है और आश्चर्य यह है इन्ही अंगों के द्वारा मनुष्य का पृथ्वी पर अवतरण होता है उन अंगों से इतनी घृणा उनके प्रति इतना विरोध उनके प्रति इतना वैमनस्य क्यों कि गाली ही उनके नाम पर रखी जानी पड़े ?

यह बात मुझे समझ में नही आती और अब तो समय ऐसा आ गया कि महिलाएं भी उन्हीं गालियों का इस्तेमाल करती है दूसरी महिलाओं के लिए यह सोचने का विषय है क्या हमारा काम केंद्र इस भयंकर रूप से बाधित हो गया है कि हमारी उर्जा उसके पार जा ही नहीं पाती?

अब तो कईं प्रान्तों में सामान्य भाषा के अंदर गालियों का बड़ी शान से प्रयोग होता है उसके बिना मानो कोई जीवन ही नही। गाली से उठ कर उसी शक्ति का सही दिशा में पुनः स्मरण किया जाए तो कमाल हो जाये। नही तो ये बड़ा ही निम्न स्तर का रेचन है उसके अलावा कुछ नही।

और मुझे नहीं लगता यह कोई ज्यादा पुरानी बात है क्योंकि पुराने जमाने में राजा महाराजाओं के जमाने में तो अपशब्द भी बहुत सभ्य तरीके से बोले जाते थे तो मेरा मानना यह है यह पिछले 50 वर्षो के अंदर ही हुआ है मैं यह नहीं कहता कि गाली देना कोई पाप है क्योंकि पाप पुण्य हमारी धारणा हैं मगर हां मनुष्य के शरीर में जो पवित्रतम स्थल हैं उनका आदर करना सीखें , बच्चों को उनके बारे में बताएं प्रकृति की इस शक्ति के बारे में उचित मार्गदर्शन करें ताकि वह गलत रास्ते पर ना चले और उनकी यौन ऊर्जा गलत दिशा में भटक न जाएं।

लिंग और योनि प्रकृति के पितृ और मात्र रूप के प्रतीक हैं। उनके बारे में अधकचरा ज्ञान भयंकर अंधकार में ले जा सकता है और ले भी गया है। शब्दो मे शक्ति होती है अतः ख्याल रखा जाना जरूरी होता है कि हमारे शब्दो से किसी गलत चीज को शक्ति न मिले। जिस मार्ग से हम सबका जन्म होता है उसका आदर होना चाहिए। माँ बहन गाली नही सम्मान के योग्य हैं वो कोई व्यक्ति नही भावनाओ की बात है मानसिकता की बात है