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रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड - 2 - 4

रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड

अध्याय 2

खण्ड 4

वहाँ से निकल कर साबू अपने ऑफिस आ जाता है। तभी उसकी सेकेट्री उसके पास आ कर उसको याद दिलाती है। कि आज उनकी मीटिंग डॉ आशुतोष से सुबह 10 बजे की थी जो सही टाइम पर अटेंड ना करने के कारण वो कई बार काल कर चुके हैं। मगर साबू का ध्यान इन सब बातों में नहीं था इसलिए बिना कोई जवाब दिए वो अपने केबिन में चला जाता है।

उसकी ये बात सेकेट्री को बहुत अजीब लगती है। क्योंकि उसको याद है एक बार डॉ आशुतोष की मीटिंग के पीछे उसको काफी डांट खानी पड़ी थी और इसलिये वो डॉ आशुतोष को फोन करके बुला लेती है।

यहाँ पर डॉ आशुतोष के बारे में कुछ बातें जान लेना बेहद ज़रूरी है।

डॉ आशुतोष देश के जाने माने साइंटिस्ट है। जिन्होंने विज्ञान जगत में अपने अनोखे कारनामों से दुनिया को चौका दिया था उन्होंने गॉड पार्टिकल की सहायता से विश्व को असीमित और अनंत ऊर्जा सोर्स का निर्माण करके दिखाया था जो संसार के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी इन्हीं की रिसर्च में साबू ने अपनी सम्पत्ति का पैसा लगा दिया था जो डॉ आशुतोष की सफल उपलब्धि के बाद कई गुना अधिक हो गया था और आज भी डॉ आशुतोष को किसी भी प्रोजेक्ट के लिए इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता होती है। तो उनकी सहायता के लिए साबू सदैव तत्पर रहता है। फिलहाल डॉक्टर आशुतोष एक ऐसे फार्मूले को बनाने की खोज में थे जिससे किसी प्रकार मनुष्य की आयु घट जाए और वो अपनी उम्र से छोटा हो जाए। लेकिन इसको करने के लिए उसको कुछ मानव परीक्षण की आवश्यकता थी जो संसार में बैन थे। इसलिये उसने उन परीक्षणों को साबू की सहायता से गुप्त रख कर किया। और इसी सिलसिले में उसको साबू से काम था। जब उसने साबू की सेकेट्री की बातें सुनी तो वो सीधा साबू के पास जा पहुँचा। और बोला " यार ये क्या तरीका है तुम्हारा,

उस एक्सीडेंट की रात से ना तो तुम मेरे पास आए और ना ही तुमने मुझे कोई कॉल किया। मुझे लगा तुम आज तो पक्का आओगे। लेकिन तुम्हारी सेकेट्री से जब ये पता चला कि तुम कुछ जवाब नहीं दे रहे हो तो तुम्हारी चिंता होने लगी। और मुझसे रुका नहीं गया। आखिर बात क्या है।

डॉ आशुतोष जिस साबू को अपना दोस्त मान कर बातें कर रहें थे असल मे वो साबू तो कोई और था इसलिए उसकी बातें साबू को समझ ही नही आई, और वो बड़ी गहरी उलझन को दर्शाता हुआ। बोला" तुम क्या कह रहे हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।

डॉ " क्या हो गया तुम्हें? कही उस एक्सीडेंट से तुम्हारी याददाश्त पर तो असर नहीं पड़ा। अच्छा ये बताओ जब हम पहली बार मिले थे तो कहाँ मिले थे।

साबू खिसियाना सा हो कर बोला " भाई माफ करो में पहले से ही परेशान हूँ। ना जाने कौन कौन सी नई नई बाते इन दिनों पता चल रही है ऊपर से तुम दिमाग खाने आ गए। जाओ भाई अपना काम करो।

डॉ के साथ साबू का उससे यूं गेरो की तरह बात करना काफी खला लेकिन डॉ को लगा ज़रूर साबू की याददाश्त पर कोई असर हुआ है। डॉ को ये सन्देह होने लगा। इसलिए वो किसी प्रकार से साबू को अपने साथ अपनी लेब ले जाता है। और उसको बताता है। कि किस प्रकार कुछ दिन पहले वो अपना एक चूहे पर उसके साथ गुप्त परीक्षण करते समय एक हादसा हुआ था। जिसके कारण कुछ अल्ट्रा वोल्टेज पार्टिकल उसके ऊपर आ कर गिरे और वो कुछ क्षणों के लिए बेहोश भी हो गया था। और फिर पूछता है। क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं।

साबू उससे बोलता है। कि असल में 2010 की एक रात वो अपने बिस्तर में सोया था उसके बाद वो सीधा 2022 की सुबह उठा इसके बीच उसको कुछ भी याद नहीं। और फिर अपने साथ घटी सारी घटना विस्तार से बताता है। डॉ आशुतोष खुद एक साइंटिस्ट था इसलिए सारी चीजों को समझते उसको देर ना लगी । और वो फिर बोला यानी उसके आयु कम करने के एक्सपेरिमेंट में किसी तरह दो अलग अलग डाईमेंशन के लोगों की आत्मा को आपस में बदल दिया है। और उसके ग्रह के साबू की आयु तो कम हुई। पर वो किसी और यूनिवर्स में पहुँच गया।

साबू " तुम्हारी सारी बात ठीक है। मगर मेरी फैमिली का मुझे समझ नही आ रहा।

डर " सिम्पल सी बात है। कि 2006 में जब इस आयाम में एक शादी के लिए जा रही तुम्हारी पूरी फैमिली की दुर्घटना वश डेथ हो गई थी। तुम्हारे ग्रह पर किसी कारण से वो शादी के लिए निकली ही नहीं और जीवित रही।

साबू " हा सही कहा आपने, 2006 में मेरे मामा की शादी थी जिसके लिए मेरे पिता जाने की तैयारियां भी कर रहे थे पर एंड मोके पर मैंने उनके सारे पैसे चुरा लिए थे जिसके कारण उनका शादी में जाना कैंसिल हो गया था और मुझको इसकी बहुत मार भी पड़ी थी।

डॉ " इसलिये तुम्हारी फैमिली जीवित है। और इसी लिए जब तुम्हारी फैमिली मरी ही नहीं तो उनका सरकार द्वारा कोई मुआवजा भी तुम्हें नहीं मिला और मुआवजा नहीं मिला तो तुमने कभी मेरे काम में इन्वेस्टमेंट नहीं किया। और हाँ जो वो तानाशाह था क्या नाम बताया।

साबू " हिटलर

डॉ " हाँ वही हिटलर उस आर्टिकल से साफ जाहिर होता है। कि उस सोल्जर ने तुम्हारी धरती पर उस हिटलर को नहीं मारा होगा। जिससे आगे चलकर वो द्वितीय विश्व युद्ध का बहुत बड़ा नाम बना। लेकिन हमारी धरती के सोल्जर ने उसको मार डाला और वो गुमनाम रह गया। जिसके कारण आज हमारी दुनिया में उसका कोई वजूद नहीं है।

साबू बोला " वो सब तो ठीक है। मगर क्या कोई तरीका नहीं है। कि किसी तरह में घर वापिस जा पाऊं।

डॉ साबू को देख कर काफी जिज्ञासु हो जाता है। और उसको तसल्ली दे कर के डॉ साबू को उसके घर पहुँचा सकता है। वो साबू से लगातार कई ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र कर साबू को उन सभी का अपनी दुनिया के हिसाब से उल्लेख करने को कहता है। पर कम पढ़ाई और आवारा गर्दी करने के कारण साबू को इन सब का कोई ज्ञान नहीं होता, और वो डॉ को साफ बता देता है। कि अपनी धरती पर वो ज्यादा अधिक पड़ नहीं पाया था। जिसपर डॉ को अपनी जिज्ञासा शांत करनी पड़ती है।

अंत में डॉ साबू को वही क्रिया दोबारा दोहराने के लिए बोलता है कि जिस प्रकार से तुम आये थे उसी प्रकार से हम तुम्हें वापस भेजने का प्रयत्न कर सकते है।

कुछ देर में डॉ वादे अनुसार सारी प्रतिक्रिया दोहराता है। जिस से कुछ पावरफुल किरणें साबू पर गिरती है। पर उन सब से कोई भी फायदा नहीं होता। ये सब देख कर डॉ काफी अचम्भित हो जाता है और साबू से सप्ताह भर का समय मांग कर उसको विदा कर देता है। ताकि वो कोई रास्ता निकाल सके।

इस घटना से साबू काफी हद तक टूट गया,

अब उसको अपने परिवार वालो के लिए एक प्रकार के नए जुड़ाव का अनुभव होने लगा था। जिसके कारण उसको अब किसी भी हाल में वापस जाना था। खेर वो अपने घर पहुँच कर सो गया।

और जब अगले दिन उसकी आंख खुली तो उसने खुद को अलग ही कमरे में पाया, जहाँ पर एक सिंगल बेड और सीधे हाथ की दीवार पर साधारण सा वाश वेशन था। वाश वेशन के ऊपर एक शीशा भी लटका हुआ था जिसमें साबू ने देखा तो खुशी से पागल सा हो गया। वो वापिस से 20 वर्ष का हो गया था। अब उसने अपने बेड के पास पड़े एक अखबार को उठाया। तो उसमें 2010 की दिनांक थी। उसके बाद वो कमरे का दरवाजा खोलने के लिये आगे बढ़ा जो कि मजबूत लोहे से बना था। पर वो नहीं खुला।

उसने पूरा जोर लगाया। पर दरवाज़ा नहीं खुला तभी उसको कमरे के बाहर किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। तो वो जोर जोर से चिल्ला कर उस व्यक्ति को बुलाने लगा। थोड़ी ही देर में गुस्से से भिनभिनाते हुए दो लोग, जिन्होंने सफेद यूनिफोर्म पहन रखी थी वहां आ कर उस दरवाजे में बने छोटे से मोखले को खोलते है। फिर उनमें से एक अकड़ कर बोला " क्या है।

साबू विनम्रता से बोला" मैं कहाँ हूँ। और मुझे कैद क्यों किया है।

वो व्यक्ति खिसियाते हुए बोला " ज्यादा शान पट्टी मत कर नहीं तो तेरे लिए ठीक नहीं होगा।

और इतना बोल वो व्यक्ति जोर से मोखले को बंद कर देता है। और आगे बढ़ चलता है। और उसके साथ वाला दूसरा कर्मचारी जो शायद नया नया भर्ती हुआ था उस पहले कर्मचारी से बोला" सर इसका क्या केस है।

पहला कर्मी " अरे क्या केस साइको है साला एक दिन सुबह उठा और अपनी ही फैमिली पर ये कह कर हमला कर दिया। की मेरी फैमिली तो बहोत पहले मर चुकी है। और उनको गंभीर रूप से घायल कर दिया। उसके बाद कैसे तैसे इसको काबू कर के इस पागल खाने में लाया गया। तब से ही रोज कुछ न कुछ उल जलूल बकता रहता है। कभी कहता है। मेरी बीवी को बुलाओ कभी कहता था मेरे वकील से बात कराओ, और कभी कभी तो खुद को करोड़ पति तक कह देता है।

इतना बोल कर दोनों जोर से ठहाका लगा कर हँसने लगे, और साबू की चीखों पुकार को पूरी तरह से अनदेखा कर अपने काम में लग गए।

वसुंधरा

उसकी इस बात पर मैं चोंक गया और पहाड़ी से नीचे झांकने लगा तो कई मानव कंकाल मुझे नीचे पड़े दिखे।

मैं तुरंत पीछे हटा और बोला " क्या आप सठिया गए हो यहाँ से कूदने के बाद मैं कभी जीवित नहीं बचूंगा।

वृद्ध " विश्वास करें ऐसा कुछ नहीं होगा।

हम्जा " कैसे बोल सकते हो कुछ नहीं होगा। नीचे पड़ा वो मानव कंकालों का ढेर कैसा है।

वृद्ध " वो ढेर उन लोगों का है। जो अपने सवालों का जवाब चाहते थे।

हम्जा " यानी वो सब भी उसी कारण से मरे है जिस के लिए तुम चाहते हो मैं भी यहाँ से कूद जाऊँ।

वृद्ध " महाराज वो लोग अपनी मर्जी से यहाँ से कूदे थे। और वो चुने हुए नही थे उन्हें लगता था वो चुनें हुए है।

हम्जा " तो आपके हिसाब से मैं चुना हुआ हूँ।

वृद्ध " जी हाँ।

हम्जा " किसने कहा आपसे।

वृद्ध " आपने

हम्जा " मैंने...? मैंने कब कहा।

मेरी इस बात को सुन कर वृद्ध अपने हाथों में बंधा एक विशेष मोती मुझे दिखाने लगा। और जानते हो नरसिम्हा वो मोती कौन सा था ये वही मोती था जो हमारे यहाँ राज गद्दी पर बैठा व्यक्ति अपने अगले राज गद्दी के वारिस को देता आया है।

नरसिम्हा आश्चर्य से बोला " पर ये मोती तो पूरे संसार में केवल एक ही है। जो कि केवल हमारे वंश के उत्तराधिकारी के पास होता है।

हम्जा बोला " इसी प्रकार से मैं भी आश्चर्य मैं पड़ गया, और उसके मोती को एक हाथ में लेकर अपने मोती से मिलाने लगा तभी उस वृद्ध ने मुझे धक्का दे दिया।

यूँ अचानक गिरते समय मेरी पीठ धरती की ओर थी और मुंह आकाश की ओर जिसके कारण मैंने अपने जीवन का सबसे सुंदर और विचित्र दृश्य देखा,

मेरे गिरने की गति सामान्य से काफी धीमी थी और मैं आसमान में तेजी से होते परिवर्तन को देख पा रहा था जिसमें प्रति क्षण दिन और रात होती जाती सूर्य अपनी सामान्य दिशा के विपरीत जाता दिखता। आस पास के कुछ वर्ष पुराने वृक्षों को छोटा और फिर अंकुर में परिवर्तित होते देखा मेरे नीचे गिर कर मरे लोगों के कंकालों पर वापिस मांस चढ़ते और उनको गिरने की दिशा के विपरीत जा कर पहाड़ी की चोटी पर पहुँचते देखा। वो सारा दृश्य ऐसा था जैसे समय वापिस जा रहा हो।

और फिर मैं बड़े ही धीमी गति में धरती पर आ कर गिरा और मेरे गिरते ही सब कुछ सामान्य हो गया। पर अब वहाँ पर वो कंकाल नहीं थे जो मैंने देखे थे।

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