रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड
अध्याय 1
खंड 3
जिसे देख कर हरीश बोखला गया असल में हरीश के गणना अनुसार ये सब नहीं होना था उससे ऐसी भूल हुई जो उसके भविष्य को बिगाड़ देगी इसलिए वो बहुत घबरा गया था लेकिन थोड़ी देर में उसने खुद को शांत कर समस्या का हल ढूंढने में जुटा दीया शांति से सोचने पर उसने तय किया के पहले जिस कार्य हेतु वो आया है। उस कार्य को समाप्त करेगा उसके बाद जहाँ से भी वो शिशु आया है उसको छोड़ कर आ जाएगा। और अपनी गलती को सही करेगा। पहले तो वो सीधा सबसे नजदीक के होटल में एक रूम लिया और उस नवजात शिशु को उस रूम में सोता हुआ लॉक कर के बाहर खरीदारी करने निकल पड़ा, ऐसे गंभीर समय में खरीदारी करना दो कारणों से आवश्यक था पहला हरीश को इस बात का आभास हुआ के उसके पहनावे में और दूसरों के पहनावे में काफी अन्तर है। जिसके कारण लोग उसको घूर रहे थे और वो लोगों की नज़रों से छुपकर ये काम करना चाहता था इसलिए वो समय के आसार कपड़े लेने गया था दूसरा उस बच्चे के जागने से पहले उसके दूध पीने की व्यवस्था करने के लिये
जब हरीश होटल वापस आया, तो उसको अपने रूम के बहार कुछ लोगों को होटल के एक कर्मचारी साथ खड़ा देखा, इस तरह के दृश्य ने हरीश को डरा दिया, वो पल भर के लिए रुका फिर हिम्मत करके अपने रूम की ओर चल दिया वहाँ पहुँच कर उसने पूछा क्या हुआ ??
पास में खड़ा एक आदमी बोला " ये आपका रूम है।
हरीश अपने माथे का पसीना पोंछते हुए" जी सर मैं ही इस रूम में रह रहा मगर बात क्या हुई जनाब
पास खड़ा दूसरा आदमी बोला" बड़े ही लापरवाह आदमी हो आप, कोई ऐसे भी करता है। आपको इतनी भी अक्ल नहीं के किसी छोटे बच्चे को अकेला नहीं छोड़ते।
पहला आदमी" आपका बच्चा इतनी देर से बिलख बिलख रो रहा था के हमने बस तय कर लिया था आपके रूम का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसने का,
दूसरा आदमी " आपकी पत्नी कहाँ है। कम से कम वो तो बच्चे के पास रुक सकती थी
हरीश को एक के बाद एक आदमी खरी खोटी सुनता ही जा रहा था और अंतिम सवाल ने तो हरीश की घिग्गी सी बांध दी इसलिये इस समय उसका दिमाग सही से काम नहीं कर रहा था और उसके मन में जो आया हरीश ने बक दिया " सर मेरी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है।
इस एक बात ने सब की बोलती बंद कर दे और अभी तक जो व्यक्ति लोगों के क्रोध का पात्र था इस बात को सुन लोगों की नज़रों में दया का पात्र बन गया। सब हरीश को अब प्यार से समझाने और नसीहत देने लगे, आखिर कार किसी प्रकार हरीश अपनी जान छुड़ा कर रूम में घुसा और उस नवजात शिशु की ओर देखा वो अभी भी सो रहा था पर उसके आंखों के नीचे निकले आंसुओं के निशान साफ बता रहे थे कि वो मासूम भूख के कारण रो रो कर दोबारा सो गया हरीश ने फौरन दूध तैयार किया और उस बच्चे को पिलाया
अब हरीश इतना तो समझ गया इसको होटल में अकेला छोड़ना सही नहीं होगा इसलिये उसने अपने साथ बच्चे को ले जाने का निर्णय लिया।
हरीश को उसकी सौतेली माँ ने बताया था कि जिस दिन हरीश को उनके घर के बहार कोई छोड़ कर गया था उस दिन वो घर से रात 9 बजे एक पार्टी में गए थे और करीब ग्यारह बजे के आस पास वापिस अपने घर आये,
इसी बीच हरीश को कोई छोड़ गया था इसलिये हरीश को रात 9 बजे से ग्यारह बजे तक निगरानी रखनी थी रात के 8 बजे हरीश होटल से अपने पुराने घर पहुँच गया एक ऐसे कोने में छुप गया जहाँ से कोई उसको देख ना पाए और वो घर को साफ साफ देख सके ठीक 9 बजे कुमार फैमिली पार्टी के लिए घर से निकल गए और हरीश वही बैठा हुआ इंतज़ार करने लगा, 10:30pm तक कोई वहां नहीं आया मगर हरीश के साथ आया बच्चा अचानक उठ कर रोने लगा जिसको हरीश चुप कराने के लिए अपनी गोद में ही हिलाने लगा और थोड़ी देर में वो बच्चा सो गया तभी हरीश की नज़र उस बच्चे की बांह पर पड़ी जिस पर हूबहू हरीश के जैसा जन्मजात निशान था।
उसे देख कर हरीश सहम गया पहले तो उसने 11 बजने से पहले उस बच्चे को पास में पड़े एक फल के टोकरे में कुमार के घर के बाहर रखा, और वापिस अपनी जगह पर आकर बैठ गया ठीक ग्यारह बजे मिस्टर एंड मिसेज़ कुमार वापिस आये और अपने घर के बाहर एक नवजात शिशु को देख कर पहले थोड़ा घबराए फिर भगवान का आशीर्वाद समझ कर खुशी से बच्चे को अपना लिया।
इसके बाद हरीश वहाँ से चल दिया, हरीश का मन बुरी तरह टूट गया उसके मन में अपने सगे माता पिता के लिये जो मलाल था आज वो आत्मा ग्लानि में परिवर्तित हो गया, उसके माता पिता ने कभी भी हरीश का त्याग नहीं किया था वो निर्दोष थे और असल दोष हरीश का था उसने खुद को ही अनजाने में अपने माता पिता से अलग किया था इसलिए हरीश के आँखों से निरन्तर आँसू बहते रहे, वो समय यन्त्र का उपयोग कर अपने सही समय यानी साल 2018 में वापिस आ गया,
वापिस आकर उसने तय किया किसी प्रकार वो उस अज्ञात समय का पता लगा कर उस समय में वापिस जाएगा जहाँ यंत्र ने खराबी के चलते गलती से उसको पहुँचाया था और अपने असली माता पिता का पता चलाए गा, इसके बाद हरीश लगातार दो वर्षों तक मेहनत करके उस अज्ञात समय तक पहुँचने का भरपूर प्रयास किया मगर हर बार वो विफल ही हुआ अंत में क्रोध वश उसने ये सोच कर यंत्र को नष्ट कर दिया। के ये कभी मानव उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकता इससे केवल मनुष्य को पीड़ा ही प्राप्त होगी।
उसके बाद हरीश सब कुछ भुला कर साधारण जीवन बिताने लगा, इसी बीच हरीश ने एक अत्यंत सुंदर युवती से प्रेम विवाह कर अपनी सुखद ग्रसती बसाई।
31 मार्च 2021 हरीश की पत्नी सेंट मेरी हॉस्पिटल में अपने बच्चे को जन्म देते समय अपार पीड़ा से गुजर रही थी वही हरीश डिलीवरी रूम के बाहर खड़ा अपनी पत्नी और आने वाले बच्चे की चिंता में डूबा हुआ था तभी एक नर्स रूम से बहार निकल कर आई और हरीश से बोली " आपको लड़का हुआ है। मगर••••?..
हरीश " मगर क्या....?
नर्स" आपकी पत्नी बच्चा पैदा करनी की पीड़ा सहन नहीं कर पाई, हमें अफसोस है इसलिये हम उसको बचा नहीं पाए, और आपका बच्चा भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं था इसलिए उसको कुछ समय के लिये हमने ऑब्जेर्वेशन में रखा है फिलहाल आप उसको केवल देख सकते है।
इतना बोल कर नर्स हरीश को एक ऐसे रूम के पास ले जाती है। जो चारों तरफ से पैक होता है। बस उस रूम के अंदर झांकने के लिए एक पारदर्शी शीशा लगा होता है। जिसमें हरीश का बेटा अपनी गहरी नींद में एक पाले में सोया था हरीश उस को देख कर बेहद भावुक हो गया, तभी हरीश ने अपने बेटे के पाले पर गौर किया तो उसको वो कही देखा हुआ सा लगा जिसको हरीश ने कहाँ देखा है ये याद करने के लिए वो अपने दिमाग पर जोर देता है। वो जब तक याद करता के उसने पाला कहाँ देखा उस कमरे में एक जोर दर आवाज़ होती है। जिसमें हरीश का बच्चा था और क्षण भर के लिए एक व्यक्ति उस कमरे में प्रकट होता है। और उस बच्चे को अपने साथ पाले समेत ले जाता है। हरीश इस क्षण भर की क्रिया में उस व्यक्ति को देख लेता है। और वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि 2018 का हरीश ही था
इन सब से हरीश समझ गया कि जिस अज्ञात स्थान पर वो गलती से पहुँचा था वो 31 मार्च 2021 था
*****