यूँ ही राह चलते चलते - 23 Alka Pramod द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

यूँ ही राह चलते चलते - 23

यूँ ही राह चलते चलते

-23-

यात्रा का अगला लक्ष्य था फ्रांस और फ्रांस में भी सपनों का शहर पेरिस। कल की बहस के बाद आज जब सुमित बोलने खड़े हुये तो सब चुप हो गये और तन्मयता से उनकी बात सुनने लगे ’’ पेरिस को रोमन लोगों के द्वारा राजधानी बनाया गया परन्तु उसके पूर्व यहाँ पेरिजी नामक जाति के लोग रहते थें और उन्ही के नाम पर इसका नाम पेरिस पड़ा । ‘‘

‘‘यह सेन नदी पर बसा है न ?’’ऋषभ ने पूछा।

‘‘यस वेरी गुड ‘‘ सुमित ने प्रसन्न होते हुए कहा ‘‘आप लोगों को यूरोप के बारे में काफी पता है वैसे मैं बता दूँ कि यह नदी 370 किमी लम्बी है और एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है जिसके दोनों ओर शहर बसा है और आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि इस पर 75 पुल हैं । एक मान्यता है कि नदी का उत्तर किनारा चिन्तन के लिये है तथा दक्षिण किनारा खर्च करने के लिये है । ’’

‘‘ यानि कि यहाँ की संस्कृति में आध्यात्म और व्यवहारिकता का समन्वय है ’’रजत ने कहा।

पेरिस का पड़ाव मर्क्यूर होटल में था मर्क्यूर एक शानदार होटल था जिसकी लाबी की साज सज्जा पेरिस की सौन्दर्यप्रियता केा परिलक्षित कर रही थी।प्रवेश करते ही घूमने वाला शीशे का दरवाजा था। अन्दर जाते ही यहाँ के गार्ड ने कहा ’’ बोशूर‘‘

सुमित ने बताया इसका अर्थ ’गुड मार्निंग‘ है ।

सबने समवेत स्वर में कहा ’’बोशूर‘‘।

फ्रांस के लोग अपनी संस्कृति और भाषा के लिये गर्व अनुभव करते हैं और इस सन्दर्भ में अनुदारता की सीमा तक कट्टर हैं, वो इंगलिश बहुत कम लोग बोलते हैं, अपनी ही भाषा में बात करते हैं भले, आपकी भाषा समझते हों। इसीलिये सबको रिसेप्शन पर भी कुछ पूछने और अपनी बात समझाने में काफी मुश्किल हो रही थी।

सचिन ने कहा ‘‘ सुमित गुडमार्निंग तो बोशूर हो गया गुडईवनिंग को क्या कहते हैं ?’’

‘‘ गुड इवनिंग को ‘बोशवा’’ कहते हैं तथा ‘मार्सी’ थैंक्यू को कहते हैं ।’’

होटल में विश्राम करके काफिला पुनः भ्रमण पर निकल पड़ा। कुछ ही देर में वो लोग मुख्य पेरिस में प्रवेश कर चुके थे पेरिस की विशेषता है कि पुराना पेरिस गोलाई में बसा है। सम्पूर्ण पेरिस में एक 35 कि0मी0 लम्बी रिंग रोड है जिसके बायीं ओर पुराना शहर है। इस सड़क पर लगभग 1-1.2 मिलियन लोग रहते हैं।वहाँ एक विशाल चैराहा है जहाँ से 24 ओर रास्ते जाते हैं । इस चैराहे पर एक विक्टोरिया आर्च बना था जिसे आर्क डी ट्रायम्फ कहते हैं यह 1823 में शहीदों की याद में बनाया गया था। जिसमें 212 स्टेप हैं, यह 150 फीट ऊँचा है 45 फीट चैाड़ा है।

विक्टोरिया आर्च पर एक मशाल जल रही थी, सुमित ने बताया कि 1889 में नेपोलियन के द्वारा विजयप्राप्त करने के बाद से शहीदों की स्मृति में दिनरात मशाल वहाँ जल रही है । उस विशाल रिंग रेाड से निकलने वाली 24 राहों में से सबसे महत्वपूर्ण सड़क का नाम शान्जेलिजें है। वह सीधी चैड़ी सड़क है जिस पर आधे में विश्व के प्रसिद्ध ब्रैंडेड शोरूम हैं और आधे में हरीतिमा है । विशेष बात यह थी कि वहाँ पर ट्रैफिक लाइट नहीं थी। शान्जेलिजें की विशेषता है कि वह बिल्कुल सीधी सड़क है, यदि एक सिरे पर खड़े हों तो पूरी सीधी सड़क दूसरे अन्त तक दिखाई देती है।

यद्यपि मीना के ज्ञान प्रदर्शन पर उसका काफी मजाक बनता है पर फिर भी वह यह बताने से स्वयं को रोक नहीं पायी कि मैदानी पर्यटन स्थलों में पेरिस सर्वाधिक लोकप्रिय स्थल है। फ्रांस औद्योगिक विकास में ब्रिटेन के बाद दूसरे नम्बर पर है और रेलवे लाइन सबसे पहले यहीं प्रारम्भ हुई थी।

अनुभा ने कहा‘‘ रजत देखिये यहाँ सभी इमारतें एक बराबर मंजिल की लग रही हैं ।’’

रजत के बजाए सुमित ने जवाब दिया ‘‘ जी मैडम आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं पेरिस की खूबी यह है कि वहाँ सारी इमारतें लगभग एक ऊँचाई की हैं करीब 6-7 मंजिल की हैं यही नहीं उनका निर्माण औेर योजना भी एक सी है यानि कि सबसे नीचे दुकानें होती हैं फिर दूसरे तल पर या तो मालिक रहते हैं या रेस्ट्रां होता है यह तल सबसे ऊँचा होता है ।ऊपर का दो और तीन तल सबसे महँगे होते है सबसे ऊपर सबसे सस्ता । ’’

‘‘ एक बात और यहाँ इन इमारतों में विज्ञापन लगाने की आज्ञा नहीं है। ’’

लता जी बोलीं ‘‘ सच में इनकी प्रशंसा करनी पड़ेगी कि इन्होने अपनी धरोहर को इतना सँभाल का रखा है अपने देश में तो यदि सरकार आदेश करे भी तो कोई मानता नहीं।’’

‘‘ अरे जब देश के नेता ही भ्रष्ट होंगे तो क्या होगा ’’रामचन्द्रन ने कहा।

‘‘ आप ने मेरे मुँह की बात छीन ली ’’ रजत ने उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा। अनुभा रजत को देख कर मुस्करा दी, क्योंकि यह तो रजत का तो तकिया कलाम था ।

अगले दिन सब लोग वहाँ का विशेष आकर्षण ऐफिल टावर देखने गये। अर्चिता ने होटल की लाबी में रखी पेरिस की टूरिस्ट गाइड रखी थी उठा ली।

सब लोग एफिल टावर के लिये कोच में चल दिये। कुछ देर में अर्चिता ने यशील के पास बैठते हुए कहा ‘‘तुम्हें पता है कि एफिल टावर को आयरन लेडी भी कहते हैं ।’’

यशील ने कहा ‘‘ अच्छा मुझे नहीं पता था ।’’

अर्चिता ने ईमानदारी से कहा ‘‘ पता तो मुझे भी नही था अभी टूरिस्ट गाइड में पढ़ा तो सोचा तुम पर इम्प्रेशन मार दिया जाए ’’दोनो हँस पड़े।

उनसे दूर बैठी वान्या उनकी बात तो नहीं सुन पायी पर उनका यूँ खिलखिलाना देख उसने मुँह बना कर अप्रसन्नता अवश्य व्यक्त कर दी।

गाइड से ही यशील और अर्चिता ने पढ़ा कि एफिल टावर 1896 में डी एफिल द्वारा पेरिस में होने वाली एक्सपो के लिये आने वाले लोगों के आकर्षण के लिये बनाया गया था । इसके बनाने 7000 टन लोहा प्रयोग हुआ है । इसकी विशेषता यह है कि इतने विशाल रचना में कहीं भी वेल्डिंग नहीं हुई है और 25 मिलियन नट बोल्ट से इसे खड़ा किया गया है।

उन्हें पढ़ता देख कर निमिषा बोली ’’ इतना सुंदर पेरिस शहर का नजारा छोड़ कर तुम दोनों क्या रिसर्च कर रहे हो?’’

‘‘अरे मैंने सोचा जिस ऐतिहासिक अद्भुत टावर को देखने जा रहे हैं उसके बारे में थेाड़ा जान भी लें ’’अर्चिता जो यशील के साथ गाइड पढ़ने में मगन थी सफाई सी देते हुए बोली।

‘‘उसके लिये सुमित कम है क्या ’’ निमिषा ने कहा जिस पर आस पास सब हँस पड़े। गनीमत है कि सुमित ने नहीं सुना नहीं तो उसे बुरा लग जाता और वह पहले की भाँति फिर मौन धारण कर लेता।

तभी सुमित ने माइक पर कहा ‘‘आप सब को पता है कि हम जिस एफिल टावर को देखने जा रहे हैं उसे पहले पेरिस वालों ने पसंद नही किया था।’’

निमिषा ने हह्यसते हुये कहा‘‘ देखा मैंने क्या कहा था अभी सुमित का लेक्चर शुरू होने वाला है।’’

अनुभा ने निमिषा को आँखों के इशारे से चुप रह कर सुमित की बात सुनने के लिये कहा।

’’पेरिस वासी इस अपनी स्थापत्य कला की विशेषता के प्रति अति जागरुक हैं इसीलिये जब एफिल टावर बना तो वहाँ की जनता नाराज हो गयी क्योंकि उनके अनुसार यह लोहे का एक ऐसा निर्माण था जो पेरिस की खूबसूरती और एकरुपता में बाधा था अतः इसे तोड़ने का इरादा किया गया । पर इसके निर्माण में डी एफिल के पैसे भी लगे थे अतः उनके कर्ज को चुकाने के लिये इसके टिकट से जब तक उनके पैसे वसूल न हो जायें, इसे बने रहने का निर्णय लिया गया।’’

‘‘ओह नो’’ वान्या ने कहा ‘‘फिर इसे तोड़ा क्यों नहीं गया ?’’ उसने उत्सुकता से पूछा। वान्या ही नहीं सभी यह जानने को उत्सुक हो गये कि एफिल टावर कैसे बचा।

सुमित ने बताया ‘‘जब तक डी एफिल के कर्ज की वसूली पूरी हुई यह विश्व स्तर पर इतना लोकप्रिय हो गया कि यह पेरिस की शान और पहचान तो बन ही गया साथ में विश्व के सात आश्चर्यों में भी स्थापित हो गया । ‘‘

सब लोग एफिल टावर तक पहुँच गये। वहाँ तो एफिल टावर देखने के लिये एक लम्बी लाइन लगी थी।

मीना ने कहा ‘‘ओ माई गाड क्या हम लोगों को इस लाइन में लगना पड़ेगा?’’

लता जी बोली ‘‘इसमें खड़े खड़े तो शाम हो जाएगी।’’

ऋषभ ने सुमित से कहा ‘‘आप को ग्रुप टिकट अलग लेना चाहिये था, ऐसे तो हम लोगों का पूरा दिन एफिल टावर देखने में ही निकल जाएगा।’’

सुमित ने बताया ’’वैसे तो हमने ग्रुप टिकट ही लिया है पर इस समय एफिल टावर में एक ओर रिपेयरिंग का काम चल रहा है इस लिये दो लिफ्ट बन्द है । मजबूरी है हमें कुछ देर लाइन में लगना पड़ेगा।’’

मरते क्या न करते सब लाइन में लग गये।वहाँ इतनी तेज हवा थी कि ठंड के कारण खड़ा होना कठिन हो रहा था। सभी ने अपने-अपने शाल, स्टोल, दुपट्टे अपने चारों ओर लपेट लिये थे।

अर्चिता तो ठंड से काँपने लगी, वो बोली ‘‘इट्स सो कोल्ड, आई कान्ट फेस इट’‘ सच में ठंड बहुत थी ।

तभी यशील ने अपना जैकेट उसे देते हुये कहा ’’टेक इट। ‘‘

अर्चिता ने झिझकते हुये कहा’’ नहीं नहीं यशील तुम्हें ठंड लगेगी’’।

‘‘कम आन मै इतना वीक नहीं हूँ। ’’

‘‘मतलब मै वीक हूँ’’ अर्चिता ने झूठा गुस्सा दिखा कर इठलाते हुये कहा।

’’नहीं वो बात नहीं है, पर कुछ भी कह लो तुम लोग फेयर सेक्स वाले नाजुक तो होते ही हैं ।’’

’’सब नहीं होते’’ वान्या ने पीछे से आ कर कहा। फिर यशील से बोली‘‘ मुझे देखो तुम्हारे कंधे से कंधा मिला कर चल सकती हूँ एण्ड आई थिंक आज की डिमांड भी यही है।‘‘

स्ंाकेत जो वान्या के साथ ही था उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोला ’’ यस माई वान्या इज ए स्ट्रान्ग वुमेन ।‘‘

यह सुन कर अर्चिता का मूड जो यशील की जैकेट पहन कर रोमांटिक हो रहा था खराब हो गया। वह समझ रही थी कि यशील ने उसे जैकेट दिया इसीलिये वान्या उसे नीचा दिखा रही है उस पर संकेत ने उसकी प्रशंसा करके अर्चिता को और नीचा दिखा दिया। वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे, न तो वह यशील का जैकेट उतारना चाह रही थी न ही वान्या के सामने कमजोर पड़ना चाह रही थी। उसने यशील से कहा ‘‘यशील प्लीज तुम अपना जैकेट ले लो नहीं तो यहाँ इक्वेलिटी का इशू खड़ा हो जाएगा और कहीं तुम्हे ठंड लग गई तो अननेसेसरी मुझे ब्लेम किया जाएगा।’’

‘‘कम आन यार, तुम लड़कियाँ मजाक को भी सीरियसली ले लेती हो। अगर मुझे ठंड लग रही होती तो मैं अपनी जैकेट तुम्हे नहीं देने वाला था।’’

यह सुन कर अर्चिता हँसने लगी और बोली ‘‘थैंक्स यशील सो नाइस आफ यू।’’

‘‘ माई प्लेजर’’ यशील ने नाटकीय ढग से झुकते हुये कहा। अर्चिता यशील के जैकेट की गर्मी में उसके स्पर्श की कल्पना से रोमांचित होती मगन हो गयी।

क्रमशः------------

अलका प्रमोद

pandeyalka@rediffmail.com