दो बाल्टी पानी - 21 Sarvesh Saxena द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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दो बाल्टी पानी - 21

आँधी के साथ तेज बारिश शुरू हो चुकी थी पिंकी सड़क के उस पार वाले नल के पास नीम के पेड़ के नीचे खड़ी सुनील की राह देखते-देखते परेशान हो गई, आंधी गांव में दस्तक दे चुकी थी पिंकी अपने दुपट्टे को बार-बार संभाल रही थी तभी उसे ख्याल आया कि जब तक बाल्टी भर ले आखिरकार यही तो सहारा है घर से निकलने का, हवा के झोंके इतनी तेज हो गए कि मानो नीम उसी पर ही गिर पड़ेगा, पिंकी घबरा गई और बाल्टी लगाकर नल चलाने लगी लेकिन हत्था हिला तक नहीं, पिंकी ने बहुत कोशिश की पर नल नहीं चला, जैसे बरसों से जाम पड़ा हो, पिंकी घबरा गई, हवा के थपेड़े उसके शरीर को जैसे छेद रहे थे, उसने जल्दी से बाल्टी उठाई और सुनील को कोसती हुई घर की तरफ जाने को जैसे ही कदम बढ़ाया की नीम की एक डाल टूट कर उसके आगे गिर पड़ी जिससे डर कर उसने आंखें बंद कर ली और जब आंखे खोली तो सामने एक औरत खड़ी थी, जिसकी लाल साड़ी हवा में उड़ कर लहरा रही थी, उस औरत का चेहरा ढका था, पिंकी डर के मम्मी मम्मी पुकारने लगी और बाल्टी छोड़कर भागी पर उस औरत ने पिंकी को कस कर पकड़ लिया और आँधी और तेज हो गई |

उधर सरला ने कुण्डी खोलकर सुनील के कमरे में खाना रखते हुए कहा, अरे लल्ला… ले खाना खा ले, पर सरला ने जब रोशनदान खुला देखा तो छाती पीटने लगी "हाय भाग गया… हाय लल्ला भाग गया… उस मरी चुड़ैल ने लल्ला को बस में कर लिया, घर से भी भगा ले गई, हाय राम…" | सरला ने आव देखा न ताव जल्दी-जल्दी घर के किवाड़ बंद किए और तेज आंधी पानी में सुनील को ढूंढने निकल पड़ी |

यह भले ही उस चुड़ैल का किया धरा हो पर पानी बरसने से गांव वाले बहुत खुश हो गए, सबने अपनी-अपनी छतों और चबूतरो पर पानी की बाल्टी और कई बड़े बर्तन रख दिए थे, बारिश के पानी से सारे बर्तन भर जाए और कम से कम पानी की किल्लत कम हो जाए, बिजली कड़क कड़क कर गांव वालों को डरा रही थी, सरला तेज दौड़ती हुई आंधी तूफान को चीरती हुई सुनील को ढूंढती सड़क के उस पार तक आ गई, दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था और फिर एकाएक बिजली चमकी, बिजली चमकने से सरला की आंखों ने जो देखा वह अविश्वसनीय और अकल्पनीय था पेड़ के नीचे जमीन पर बारिश के पानी की धार बह रही थी कीचड़ से सना हुआ सुनील लाल साड़ी में लिपटा हुआ एक लाल दुपट्टे से ऐसी हरकतें कर रहा था, जैसे वो वह लाल दुपट्टा नहीं उसकी कोई प्रेमिका हो, सरला की आंखें फटी जा रही थी वो हनुमान चालीसा पढ़ने लगी और सारे भगवानों को याद करने लगी, अब उसे कोई शक नहीं था कि उसके बेटे को चुड़ैल ने पूरी तरह से धर लिया है, बारिश आज लग रहा था जैसे गांव बहा देगी, अब सूखे ताल उफान मारने लगे और हर जगह पानी पानी हो गया | सरला सुनील के पास गई और उसके गाल पर जोरदार चटकना मारा तो उसे होश आया, सरला उसे खींच रही थी पर सुनील अपनी तरफ जोर कस रहा था, चिल्लाए जा रहा था "मुझे जाने दो… मुझे जाने दो.. वो मेरी राह देख रही होगी, हाय अम्मा वो कहाँ गई, मैं उसके बिना जी नहीं सकता" सुनील पिंकी के पीछे पागलों की तरह चिल्ला रहा था और तड़प रहा था लेकिन सरला परेशान थी कि उसका बेटा तो उसके हाथ से गया वो इतनी गुस्से में थी कि चुड़ैल गलती से भी उसके पास आ जाती तो वह चुड़ैल का खून पी जाती | वो चिल्ला कर सुनील को झटकते हुए बोली,"हाँ मुझे मालूम है ये उस कलमुही चुड़ैल का जादू टोना बोल रहा है तेरे सर, अब चलता है या ईंट मारूं तेरी खोपड़ी में" | ये कहकर सरला सुनील को घसीटते हुए उस तूफानी बारिश मे घर ले आई |