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चूरमा प्रसादी



कल विवाह पंचमी पर संस्कृति बचाओ समिति द्वारा चौक पर हर साल की तरह इस बार भी जानकी विवाह का खेला हो रहा था । खालिद मियाँ विधायक के मुँहलगे हैं इस हैसियत से इस आयोजन के व्यवस्थापक हैं और खर्चा बचाने के लिए अपनी ओरिजनल दाढ़ी और भैंस की पूंछ की मूंछ लगाए दशरथ बने हुएं हैं ।

राजनीतिक कारणों से इस बार गजोधर यादौ को इस खेला से बॉयकाट किया गया है । वरना हर साल वो हनुमान बनते और जनता का भरपूर मनोरंजन करते थे ।

बारात पूजन की रस्म चल रही थी कि अपने लगुओं भगुओं के साथ गजोधर आ धमके " ई बियाह नहीं हो सकता है । "

गुरू वशिष्ठ बने रामफल बिदके " तू कौन होता है रोकने वाला । "
गजोधर पचास फीट ऊपर तैयार द्रव्य (ताड़ी) को पचास फीट नीचे लाकर ग्रहण किये हुए थे । ऐसी घुड़कियों से उनको डराना संभव न था ।
पंखे की हवा के साथ थोड़ा हिलते हुए बोले " गाँव जवार के रिश्ते से हम भाई लगते हैं इसके । "
गुरूजी ने विद्वता दिखाई " क्या कारण है इसका बताइए जरा । "
सामने विद्वतजन को देख गजोधर नरम पड़े " इ बियाह के तो ले जाएंगे रखेंगे कहाँ खुद तो टेंट में रहते हैं । न इनका कौनो मंदिर है जो समझें कि चढ़ावा से खर्चा पानी चल जाएगा । कौना उम्मीद से इनकरे संग बियाह के विदा कर दे । "

बात का प्रभाव पड़ते देख हिम्मत बढ़ी " अखबार में नहीं पढ़ते आपलोग अब तो घर में शौचालय नहीं होने के कारण लड़कियां ससुराल जाने से इनकार कर देती है । "

मामला बिगड़ते ही दशरथ अपने दाढ़ी की सुरक्षा हेतु शमियाना उठा कर खिसक लिए ।

गुरूजी ने विधायकजी को फोन लगाया " देखिए इ गजोधरा इहाँ भंडोल कर रहा है कार्यक्रम । "
फिर पूरी बात बताये । विधायकजी उधर से हूं हा करने लगे तो राम बने युवक ने फोन ले लिया " इ कह रहे हैं घरबार हैये नहीं है तो बियाह को चीज पर करें । मरदे ओतना चंदा ओसूले आप लोग मंदिर कहिया बनाएंगे बताईए न त आइए आपही समझाईए इसको । "

विधायक जी ने सात्वंना दी "आएंगे आएंगे जरूर और मंदिर तो अवश्य ही बनेगा आप चिंता न करें । "

रामजी झल्लाए " कहिया आप आएंगे , एखनी आइए इहाँ , हमरा जईसन कलाकार के बात नहीं है । रामजी का बाना घरे हुए हैं ,समझते हैं इसका मतलब । बरियात घुम गया तो केतना बदनामी होगा, इ सोशल मीडिया का युग है । "

विधायक जी के स्वरों में निराशा झलक रही थी " कहिया आएंगे इ , अभी कैसे कह दें बहुत व्यस्त कार्यक्रम है। जानते हैं न , लगन केतना जोर पर है एक दिन में आठ आठ जगह हंकार पूरना होता है सब अपना ही लोग है किसको छोड़ दें । "

गुरू बने कलाकार ने अंतिम प्रयास किया " मत भूलिए की इसी राम की कृपा से विधायक हैं आप । "

इस टोन से विधायकजी का स्वाभिमान आहत हो गया वे झल्लाए " हाँ रामजी खुदै गये थे वोट देने । "

तबतक आज हनुमान बने छगनलाल पहुंच गये मामला समझकर गजोधर पर चढ़ गये " रे ससुर के नाती तू जो इहाँ ताड़ी पी के बखेड़ा खड़ा कर रहा है, बोलाएं की पुलिस के , निशेबाजी में अंदर हो जाएगा छः महीना खातिर भूल गैईले इ बिहार ह । रे मूरख तोरा माई बाप न बतवलस ह कि बेटी के बियाह बिगाड़ल गौहत्या बराबर पाप होला । "

खग ही जाने खग की भाषा छगनलाल के रेर बहेर गजोधर के समझ में तुरत आ गया । पैर पटकते दूर पान गुमटी के पिछवाड़े में जाकर लघुशंका निवारण किये और आकर दर्शक दीधा में पालथी मारकर प्रसादी वाला चूरमा खाने लगे ।


Kumar Gourav

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