रेप जिम्मेदार कौन? pratibha singh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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रेप जिम्मेदार कौन?

रेप- जिम्मेदार कौन?




"क्या कर रहे हो बेटा।" रमा ने अपने बेटे अनुज को आवाज़ दी।


"कुछ नही माँ टीवी देख रहा हूँ।" अनुज कमरे से ही चिल्ला-या।


रमा चालीस साल की एक हाउस वाइफ है। पति एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते है। 15 साल का बेटा अनुज है। अनुज अभी दसवीं क्लास में पढ़ता है।

रमा यूं तो पढ़ी लिखी महिला है। पर वो थोड़ी रूढ़िवादी विचारों की है। लड़कियों की आधुनिकता उसे अच्छी नही लगती।


रमा के मोहल्ले में मिसेज शर्मा रहती है। उनसे रमा की अच्छी पटरी खाती है। उन्ही मिसेज शर्मा के घर मे आज एक नई किरायेदार आयी है अंजलि। अकेली लड़की है। गुड़गाँव में एक आई टी कंपनी में जॉब करती है। कोई तेईस चौबीस के करीब होगी। पढ़ी लिखी आधुनिक लड़की है।


उन्ही मिसेज शर्मा के यहां रमा ने अचार भिजवाया है। रमा के मायके से आया हुआ आम का अचार।


"ले अनुज फटाफट शर्मा आंटी को दे आ।" रमा ने छोटा डिब्बा अनुज को पकड़ा दिया।


अनुज ने मिसेज शर्मा को अचार का डिब्बा दे दिया। उसकी नज़रे गाड़ी से अपना सामान उतार रही उसी लड़की पर टिक गई। डार्क ब्लू रग्ड जीन्स औऱ काला स्लीवलेस टॉप पहने काफी आकर्षक लग रही थी वो। अनुज ने एक नजर देखा औऱ सीधा दौड़ के घर आया।


"मम्मी शर्मा आंटी के यहां एक नई दीदी आयी है।" अनुज ने अपनी माँ को बताया।


"हा देखा था मैंने उसे कल ही जब बात करने आई थी किराये की। हुह कपड़े तो देखो कैसे पहनती है। कोई तरीका ही नही है।" रमा ने यूं नाक सिकोड़ी मानो कोई दुर्गंध नाक में समा गई हो।


अनुज ने ज्यादा तो नही पर इतना समझ लिया कि नई आयी हुई दीदी अच्छी नही है। अनुज अभी किशोरवय में है। वो अपने आस पास के माहौल को बड़ी गंभीरता से देखता औऱ समझता है। वो बोलता कम है पर सुनता हर बात को कान लगा कर है।

उसकी मां किसी के बारे में जो बोलती है अनुज उसी को सच मान लेता है। फिर उसके मन में उस इंसान की वैसी ही छवि बन जाती है। वैसे भी बच्चे अपने आस पास के माहौल से ही हर बात सीखते है।



कुछ दिनों बाद बालकनी में कपड़े डालती रमा को अंजलि दिखी। वो आँफिस जा रही थी। घुटनो तक कि पेंसिल स्कर्ट और शर्ट। रमा चेहरा का आठ कोनों से टेढा हुआ।

नीचे आ अपने पति को नाश्ता देते हुए बोली "ये मिसेज शर्मा की किरायेदार तो बड़ी ही फ़ूहड़ है।"


"क्यो कोई बात हो गयी।" रमा के पति-देव मोबाइल में नज़रें गड़ाए बोले।


"अरे ऐसे तंग और छोटे कपड़े पहनती है कि मुझे तो देख कर शर्म आती है। पर उसको जरा शर्म नही लगती। बालकनी में खड़ी हो जाएगी यू छोटे छोटे निकर औऱ टॉप में। सारे कॉलोनी के लड़कों को बिगाड़ेगी ये देखना। फिर तभी तो रेप होते है। फिर ठीकरा फूटता है लड़कों के सिर।" रमा बड़बड़ाती हुई काम मे लगी रही।


अनुज सब सुन रहा था। अब उसके मन मे और जम गया कि अंजली दीदी बदचलन भी है। ऐसी ही लड़कियों के रेप होते है।



एक रात अनुज अपने कमरे में पढ़ रहा था। पढ़ते पढ़ते उसे प्यास लगी। वो बाहर किचन में पानी लेने आया। तभी उसके कानों में माँ पापा के रूम से आती आवाजे पड़ी।


"हटो जी मुझे सोने दो, सुबह जल्दी जागना है।"


"अरे फिर सो लेना थोड़ी देर की तो बात है।"


"क्या आप भी इस उमर में जवान बनते हो।"


"अरे जवानी तो अभी पूरी भरी है, जरा मौका तो दो दिखाने का।"


अनुज अक्सर अपने मम्मी पापा के प्रेमालाप की बाते सुनता था। उसे आदत सी हो गयी थी ये सब देखने और सुनने की। वैसे भी महानगरों के घर इतने छोटे छोटे हो गए कि बच्चे अपने माँ बाप , भाई भाभी को चोंच लड़ाते हुए देख ही लेते है। अनुज पन्द्रह साल का जरूर था। पर हर बात को समझता था। वैसे भी आज के बच्चे इंटरनेट और फ़ोन की मेहरबानी से जल्दी बड़े हो जाते है।

अनुज भी दिन भर अपने कंप्यूटर और फोन में घुसा रहता। रमा और उसके पति को फ़ुरसत ना थी देखने की वो करता क्या है आखिर।


अनुज के कुछ दोस्त थे कॉलोनी में। उसके सारे दोस्त उसके हम-उम्र थे औऱ उसके साथ ही पढ़ते थे। बस एक मिसेज शर्मा का बेटा अजय जो उससे बड़ा था। अजय से भी उसकी हल्की फुल्की दोस्ती थी।

ऐसे ही एक दिन वो अजय के पास जा रहा था। उस वक़्त अजय अपने किसी दोस्त से फ़ोन पर बात कर रहा था।


"अरे सुन ना मेरे घर मे एक नई पेइंग गेस्ट आयी है। क्या माल है यार। अबे हाँ पूछ मत चिकनी है चिकनी, मुझसे तो पटती नही दिख रही यार तू पटा ले अगर तेरे से पटे तो।"


अनुज ये सब सुन रहा था। अब उसके मन मे ये बात अच्छे से दृढ़ हो गयी कि अंजलि दीदी अच्छी वाली लड़कियों में से नही है।

अंजलि कभी कभार अनुज को देख प्यार से उसके गाल खींच पूछती " और छोटू तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है।" अनुज अपने आस पास से इतना कुछ सीख चुका था कि उसे अंजलि की वो हरकत भी गलत लगती।

अजय भी अक्सर अनुज से अंजलि के बारे में पूछा करता।



एक दिन अनुज के स्कूल के दोस्तों ने। उसे फ़ोन पर एक नई फिल्म दिखाई। ये फ़िल्म बाकी फ़िल्मो से अलग थी। इसमे सब कुछ खुल्लमखुल्ला था।

उसे देख कर अनुज के मन मे जिज्ञासा जाग गयी। अब वो अकेले में ऐसी फिल्में औऱ देखने लगा।

फिल्मो को देखते देखते अब उसका मन वो सब कुछ प्रैक्टिकली करने का होने लगा। उसके दोस्त भी ऐसी ही बाते किया करते थे।


एक दिन अनुज के दोस्त कॉलोनी के गेट पर खड़े थे। सामने से अंजलि आ रही थी। उसे देख अनुज का दोस्त बोला "यार अनुज क्या आइटम है तेरे मोहल्ले में।"


अनुज जो कि अंजलि के लिए एक धारणा बना चुका था, बोला "अरे ये तो ऐसी ही है। कैरेक्टर अच्छा नही है इसका।"


"क्या बात कर रहा है।" अनुज के दोस्त की आंखे चमक गयी।


"हा मैंने खुद इसे कभी कभी रात में एक लड़के के साथ आते देखा है। मेरी माँ खुद बताती है कि ये लड़की बदचलन है।" जिस लड़के का अनुज ने जिक्र किया था वो अंजलि का बॉयफ्रेंड था। कभी जब वो ऑफ़िस से आने में लेट होती तो वो उसे छोड़ देता था।


"तो फिर क्यो ना हम भी ट्राय मारे।" अनुज के दोस्त ने अनुज को आँख मारी।


"मतलब।"


"अरे तूने वो वीडियो नही देखे। जिसमे चार पांच लड़के एक लड़की के साथ वो सब करते है।" ये कह अनुज का दोस्त शरारत से मुस्कुराया।


"पर यार वो तो गलत है अगर हमें पुलिस ने पकड़ लिया तो।" अनुज ने संशय जाहिर किया।


"अबे कुछ नही होगा। हम कौन से अभी अठारह के हो गए है। पकड़ भी ली तो कुछ नही होने वाला।"


"पर यार सबको पता चल गया तो।" अनुज डर रहा था।


"अरे यार तो क्या बोल देंगे। ये लड़की है ही ऐसी। ये लड़की खराब है तो हम क्या करे।"


"हाँ ये तो मेरी मम्मी भी बोलती है, ऐसी ही लड़कियों के रेप होते है।" अनुज को मां की बात याद आयी।


"डरता क्यो है , लगाते है किसी दिन मौका।"



वो मौका लग ही गया एक दिन। रास्ते मे एक जगह खाली सुनसान जगह पड़ती थी। चारों लड़के ताक लगा कर बैठ गए। अनुज शाम को ही घर से ये कह कर निकल गया था कि दोस्त के यहां पढ़ने जा रहा है।

अंजलि रात को 10 बजे आँफिस से आई। आज उसके ब्वॉयफ़्रेंड भी साथ नही था। जैसे ही वो उस सुनसान जगह के पास से निकली। इन चारों ने दबोच लिया। अंजलि ने अनुज को देख लिया। वो उसे देख बोली "अनुज मैं तेरी दीदी हूँ छोड़ दे मुझे।" उसके चिल्लाने की आवाज़ सुन उन लड़कों ने उसके मुंह मे कपड़ा ठूस दिया।

अंजलि बराबर जद्दोजहद कर रही थी। उसका प्रतिरोध देख कर अनुज के उसी दोस्त ने अंजलि के सिर पर एक मोटे डंडे से वार कर दिया। वो बेहोश हो गयी।

फिर उसी हालत में उन चारों ने उसे नोचा खसोटा। चूंकि अंजलि ने इन चारों को पहचान लिया था। इसलिए इन्हें डर लगा कि होश में आकर वो पुलिस को बता ना दे। इसलिए इन चारों ने उसके सिर पर एक बड़ा पत्थर मार कर उसका सिर कुचल दिया।

इन चारों में एक लड़का विज्ञान का स्टूडेंट था। उसे पता था कि फोरेंसिक जांच में क्या क्या चीज पकड़ में आ सकती है। इसलिए उसने आग लगाने की सलाह दी। सबने मिल कर वही पड़ा कूड़ा कचरा इक्कठा कर आग लगा दी।


सुबह लोगो ने देखा। सुनसान में कूड़े के ढेर में पड़ी अंजलि की अधजली लाश।


वो लाश समाज पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह बन कर पड़ी थी। आखिर रेप क्यो होते है। कौन जिम्मेदार है इस दरिंदगी का।

अंजलि की लाश सवाल कर रही थी। क्यो हुआ मेरा रेप इसलिए कि मेरे कपड़े छोटे थे। या इसलिए कि मैं ब्वॉयफ़्रेंड के साथ रात को आती थी। या फिर इसलिए कि लड़कों की मानसिकता गंदी थी, उन्हें संस्कार नही मिले थे।

आखिर कौन है रेप का जिम्मेदार?