यूँ ही राह चलते चलते - 15 Alka Pramod द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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यूँ ही राह चलते चलते - 15

यूँ ही राह चलते चलते

-15-

रजत तो बस के बाहर के अप्रतिम सौंदर्य में खोये थे, यह अस्वाभाविक भी नहीं था चारों ओर दूर दूर तक फैली ऊँची नीची ढलानों पर छायी हरियाली मानो, धरती अपनी हरी चुनरिया हवा में लहरा-लहरा कर अपने में मगन नाच रही हो। दूर पर धरती रूपी गोरी के प्रहरी देवदार जैसे वृक्ष सावधान की मुद्रा में तने खड़े थें। कही-कहीं स्वस्थ भूरे या काले चकत्तों वाली धवल गायें देख कर अनायास ही आभास होता कि अभी कहीं से चितचोर मुरलीधर की वंशी की मधुर तान भी सुनाई पड़ जाएगी। वो लोग ज्यूरिख की ओर जा रहे थे ।रामचन्द्रन ने पूछा ’’यहा की राजधानी तो बर्न है न?‘‘

सुमित ने कहा ’’ हाँ यहाँ की राजधानी बर्न है जहाँ की स्ट्रास स्ट्रीट शापिंग की दुनिया की सबसे एलीगैन्ट जगह है पर सबसे बड़ा शहर ज्यूरिख है जिसकी जनसंख्या साढ़े तीन से चार लाख है । यह स्विटजरलैंड र्का आिर्थक केन्द्र है जहाँ स्टाक एक्सचेंज, और ज्यूरिख बैंक विश्व प्रसिद्ध है । इसका नाम ज्यूरिख 58 बीसी में बसे गुफाओं के लोग जिन्हे ज्यूरिखियन कहते थे के नाम पर पड़ा।‘‘

सुमित ने बताया कि यहाँ सील और लेमार्क नदिया हैं।

रजत ने अनुभा को बताया ’’अधिकतर नामी ब्रैंड तो यहीं के हैं जैसे प्राडो, स्वाच, रालेक्स, ओमेगा, कारटियर, लानजीन्स, टेग्स, टामी हिल फिगर टेसाट्स आदि । ‘‘

’’अरे वाह अंकल आप को तो बहुत पता है‘‘ चुलबुली निमिषा ने कहा ।

रजत यह सुन कर खुश हो गये और शान से बोले ’’अरे अभी तुमने मेरी नालेज देखी कहाँ है वो बात दूसरी है कि कोई कदर नहीं करता । फिर उन्होने अनुभा को तिरछी नजर से देखा। अनुभा समझ गई कि यह कोई वह ही है, वह धीमे से मुस्करा दी।

सुमित ने बताया ’’इसमे कारटियर, टामी हिल फिगर की डिजाइन फ्रेंच है, पर है यहाँ की । स्विस आर्मी चाकू विक्टोरिनास, विंगर प्रसिद्ध हैं ।‘‘

इस पूरी यात्रा में वान्या और अर्चिता आश्चर्य जनक रूप से चुप थीं संभवतः यहा के प्राकृतिक सौदर्य के जादू से वह भी नहीं बच पाई थीं और इस समय उस सौदर्य को अपनी आँखों में संजोने में मगन थीं । सब ज्यूरिख पहुँच गये थे। कोच रुका तो यात्रा में बैठे-बैठे जो सुस्ती का साम्राज्य छा गया था उसे सभी ने एक झटके से उतार फेंका और पुनः सबके बीच हलचल मच गई। यशील ने अर्चिता को आँखों- आँखों में देखा और मुस्करा दिया अर्चिता को तो मानों ऊर्जा मिल गई कोच में उसके पास न बैठ पाने का दुख हवा हो गया, वह आगे बढ़ कर यशील के साथ हो ली । अनुभा यशील के व्यवहार का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने लगी । संभवतः जब वह अर्चिता के साथ होता है तो उसे अनुभव होता है कि वह वान्या के साथ अन्याय कर रहा है और जब वान्या के साथ होता है तो उसे अर्चिता के प्रति अपराधबोध होता है। वह दोनों को प्रसन्न रखने के प्रयास में दोनों के मन में आशा जगा रहा है, पर किसके प्रति गंभीर है पता नहीं, शायद दोनों के प्रति मोह छोड़ नहीं पा रहा है। कोच से उतर कर चारों ओर देखते हुए अर्चिता ने कहा ’’ यशील तुमने ध्यान दिया यहाँ तो सभी इमारतों का आर्कीटेक्चर एक सा है ।‘‘

यशील ने कहा ’’ हाँ यह सभी इमारतें एक ही युग की हैं तो एक सी ही होगी न।‘‘

’’ वैसे तुम्हंे नहीं लगता कि पत्थरों से बनी लगभग एक सी इमारतें वैभव शाली इतिहास की कहानी कह रही हैं‘‘? चंदन ने कहा तो उन इमारतों को अपने कैमरे में उतारते यशील ने सिर हिला कर उसकी बात का समर्थन किया ।

सुमित बता रहे थे ’’ये टाउन हाल चर्च देखा जो 700 वर्ष पुराना है । यहाँ के सन्त पीटर चर्च का टावर बिग बेन से भी बड़ा लगभग 8 मीटर ऊँचा है ।‘‘

वही दूर पर एक पतला ऊँचा टावर दूर से ही दिखाई दे रहा था मीना ने उसे दिखा कर पूछा ’’वह क्या है ?‘‘

सुमित ने बताया कि उसका नाम लेडीस चर्च है यह पहले कान्वेन्ट था । वहाँ एक राष्ट्रीय संग्रहालय भी था। जहाँ पर वो लोग रुके वहाँ एक ओर झील थी ज्यूरिख उसी झील के किनारे बसा है जो लिम्मत नदी से जुड़ी है।झील के किनारे का दृश्य बड़ा मनोरम था। चारों ओर रंगबिरंगे फूलों की क्यारियाँ थीं तथा एक जगह पर फूलों की गोल क्यारी में दो सुई लगा कर बड़ी सी घड़ी बनी थी। हमेशा की तरह सभी लोग उन मनोरम दृश्यों को अपने अपने कैमरें में कैद करने में व्यस्त हो गये। वैसे भले मान्या और महिम का मजाक उड़ाते हों पर फोटो लेने में कोई किसी से कम नहीं था। रजत का कहना भी ठीक ही था जीवन में एक बार ही सब लोग वहाँ गये थे बहुत कम ही लोग उनमें से होंगे जो दोबारा जाएँगें। अब तो याील और अर्चिता अधिकतर साथ ही रहते और चंदन बेचारा उन दोनों की फोटो लेता रहता।

श्री चंद्रा को इस पर थोड़ी आपत्ति हो रही थी इससे पूर्व कि वो कुछ टोकते श्रीमती चंद्रा ने कहा ’’ अगर यशील अपनी अर्चू को पसंद कर रहा है तो आप को क्या प्राब्लम है ?‘‘

श्री चंद्रा ने कहा ’’ अरे हम इस लड़के के बारे में जानते ही कितना हैं ?क्या पता कुछ गलत हो, अरे बेटी की जिंदगी का प्रश्न है, ऐसा न हो कि बाद में पछताना पड़े।‘‘

’’ जब बोलेंगे बुरा बोलेंगे‘’ श्रीमती चंद्रा ने तुनकते हुए कहा, ’’अरे हमने भी दुनिया देखी है ।इतनी अच्छी नौकरी में लड़का बातचीत में कितना सभ्य है, सुंदर स्मार्ट अलग, देख कर ही किसी संस्कारी परिवार का लगता है।‘‘

श्री चंद्रा को फिर भी तसल्ली नहीं हुई उन्होने कहा ’’ चमकने वाली हर चीज सोना नहीं होती ।‘‘

श्रीमती चंद्रा ने कहा ’’ भूल गये वर्मा जी से उनके बेटे के लिये आपने अर्चू के रिश्ते की बात चलायी थी तो क्या कहा था, मेरे बेटे के लिये तो होन्डा सिटी और फ्लैट तक देने को लोग तैयार बैठे है, भिखारी कहीं के ।‘‘

यह सुन कर श्री चंद्रा चुप हो गये तब मिसेज चंद्रा ने लोहा गरम देख कर कहा ’’ उनका तो लड़का भी कोई देखने में खास नहीं था, अपना यशील तो राजकुमार लगेगा जब दरवाजे आएगा तो लोगों की आँखे खुली रह जाएंगीं।‘‘

उसके खयाली पुलाव देख कर श्री चंद्रा उ न्हें धरती पर उतारते हुए बोले ’’ मैडम जमीन पर रहिये वो लड़का अपनी बेटी से केवल बात कर रहा है, हो सकता है पसंद भी करता हो पर वो शादी करेगा कि नहीं उसके घर वाले मानेंगे कि नहीं क्या पता ।‘‘

’’देखिये जी जो होगा अच्छा ही होगा मुझे तो लगता है ईश्वर ने उसे हमारी अर्चू के लिये ही भेजा है।‘‘

’’ मैं तो बस यह ही कह रहा हूँ कि अर्चिता को धोखा न हो ‘‘।

’’ जो होगा अच्छा ही होगा‘‘ श्रीमती चंद्रा ने विश्वास से कहा और मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना की ।

फिर कुछ सोच कर बोली ‘‘ सुनिये क्यों न हम लोग यशील से बात करें ।’’

‘‘ कैसी बात करती हो न उसके घर का पता है न ही उसकी नौकरी का उसने जो कह दिया मान लिया और उसको अपनी लड़की देने की बात भी कर लें ’’श्री चन्द्रा ने कहा।

अपनी बात कटते देख कर श्रीमती चन्द्रा ने तुनक कर कहा ‘‘ ठीक है जब लड़का हाथ से निकल जाएगा, कोई और छीन लेगा तब बैठ कर पछताना ।’’

‘‘ दुनिया में केवल एक यही लड़का नहीं है हमारी अर्चू भाग्य में इससे अच्छा लड़का भी हो सकता है ’’श्री चन्द्रा ने तर्क रखा ।

श्रीमती चन्द्रा व्यंग्य से बोलीं ‘‘ हाँ क्यों नहीं जैसे वर्मा जी का लड़का करोड़ रुपये का मूल्यवान’’?फिर धीरे से समझाती हुयी बोलीं ‘‘ मैं यह नहीं कह रही कि यहीं फेरे पड़वा दो पर बात करके देखो । श्री मातोंडकर ने तो साफ कर दिया कि उन्हे अपने समाज का लड़का चाहिये उस पर से सकेंत का आना हमारे लिये शुभ संकेत है लाख लता जी और वान्या यशील के पीछे पड़े पर उसके पिता की भी कुछ चलेगी कि नहीं? ’’

‘‘यही मौका है तुम अपनी सहमति प्रकट कर दोगे तो यशील, जो दो के बीच में उलझन में है अर्चिता को ले कर गंभीर हो जाएगा।’’

‘‘वैसे भी हमारे पास दहेज देने को लाखों तो हैं नहीं कि जो लड़का चाहें खरीद लें ।’’

श्री चन्द्रा को अपनी पत्नी का बार-बार धन न होने का ताना मारना चुभ गया उन्होंने खीजते हुए कहा ‘‘ अरे सीमित आय में मैंने तुम्हें घर गाड़ी सब सुख दिये अर्चू को अच्छे से अच्छे महंगे स्कूल कालेज में शिक्षा दी, जो चाहा तुम्हें दिया अब कहाँ से लाखों ला कर लड़के वालों का मुँह भरूँ ?’’

श्रीमती चन्द्रा ने कोमल स्वर में कहा ‘‘ मैं जानती हूँ आपने किस तरह घर की हर जरूरत को पूरा किया, कोई कमी नहीं होने दी, यहाँ तक कि मेरे एक बार कहने पर कि अर्चू को शादी के पहले अपने साथ विदेश घुमा दें आप मान गये ।’’

‘‘ मैं आपको ताना नहीं मार रही बल्कि अपनी वास्तविक स्थिति की याद दिला रही हूँ, ऐसे में यदि यशील अपनी बेटी को पसंद करने लगेगा तो उनके लिये लड़की प्रथम प्राथमिकता होगी पैसा नहीं ’’श्रीमती चन्द्रा ने व्यवहारिक पक्ष रखा।

जब शान्त मस्तिष्क से श्री चन्द्रा ने अपनी पत्नी के तर्क के बारे में सोचा तो उन्हें उनका प्रस्ताव बुरा नहीं लगा । यदि यशील और अर्चिता एक दूसरे को पसंद करते हैं तो उसकी नौकरी परिवार की खोज बीन तो बाद में की जा सकती है।यद्यपि अभी भी उनके मन को कहीं कोई सावधान कर रहा था कि यदि बाद में कुछ गड़बड़ हुआ तो उनकी बेटी जो स्वभाव से भावुक है सह नहीं पाएगी ? पर जीवन में कुछ पाने के लिये खतरा तो मोल लेना ही पड़ता है और वैसे भी अर्चिता तो इस सागर में कूद ही चुकी है अब समय की धार में बहना ही श्रेयस्कर है।यही सोच कर श्री चन्द्रा ने गहरी साँस ली।

क्रमशः-------

अलका प्रमोद

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