यूँ ही राह चलते चलते - 16 Alka Pramod द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

श्रेणी
शेयर करे

यूँ ही राह चलते चलते - 16

यूँ ही राह चलते चलते

-16-

ज्यूरिख से सब एंजलबर्ग गये । राह में सुमित ने सदा की तरह अपना माइक पकड़ा और उन जगहों के इतिहास भूगोल से परिचित कराने लगा । सुमित ने पूछा’’ क्या आप बता सकते हैं बर्ग का क्या अर्थ है ‘‘।

निमिषा बोली ’’बर्ग तो पता नही हाँ बर्गर जरूर याद आ रहा है ‘‘। यह सुन कर सब हँसने लगे।

मीना ने कहा ‘‘सुमित आप बताइये ।‘‘

सुमित ने बताया ’’ बर्ग का अर्थ पहाड़, एंजिलबर्ग अर्थात एंजिल का पहाड़ ‘‘ सच में वह सौंदर्य का प्रतिरूप देवियों का पहाड़ ही लग रहा था ।

रास्ते में इतने सुंदर दृश्य थे कि पता ही नहीं चला कब सब लोग एंजिलबर्ग पहुँच गये। एंजिलबर्ग यथा नाम तथा गुण था, चारों ओर दूर दूर तक पहाड़ियाँ फैली थी जिनके मध्य एक ऊँची चोटी पर टेरेस होटल था। वहाँ चार दिन रुकना था।

इस बार के यात्रियों के लिये टूर में ‘यशराज एनचैन्टेड टूर ’नाम से यशराज की फिल्मों से संबंधित एक विशेष आफर था इसमें उन सभी स्थानों पर जाना था जहाँ यशराज की फिल्मो की शूटिंग हुई थी। सबसे पहले दिन सब लोग यशराज एनचैन्टेड टूर पर ही गये। टूर के लिये सभी यात्री विशेष रूप से उत्साहित थे, चाहे युवा हों या बड़े फिल्में सभी को भाती है इसीलिये सभी का उत्साहित होना स्वाभाविक था। पहले सब लोग जीस्टैड गये । यह रईसों का प्रिय गाँव है, जहाँ दुनिया भर के धनी लोग छुट्टियों मनाने या आराम करने के लिये आना पसंद करते हैं। वहीं पर एक पैलेस होटल था जहाँ आ कर प्रायः भारतीय हीरो शाहरुख खान डाइरेक्टर यशराज आदि रुकते हैं । चारों ओर सड़क पर सुन्दरता का साम्राज्य था। जगह-जगह फूलों की क्यारी इस स्थान को और मनोरम बना रही थीं।

सुमित ने बताया कि ‘बचना ऐ हसीनो’, ‘जरा सा झूम लूँ मैं’’ आदि गानों की शूटिंग यहीं हुई थी । अर्चिता ने कहा ‘‘हाँ मैने देखी है फिल्म मुझे याद आ रहा है यह सीन ।‘‘

यशील बोला ‘‘रियली मुझे तो याद नहीं ।’’

चंदन ने कहा ’’अरे तू इतने ध्यान से देखता ही कब है । ‘‘

वान्या ने धीरे से कहा ‘‘अरे देखता तो कोई नहीं है इतने ध्यान से कि सीन याद रहे पर इंप्रेस करने के लिये कुछ भी कह दो।‘‘

मान्या महिम से बोली ’’ वैसे तो हर समय फोटो लेते रहते हो पर ये इतनी खास जगह है तो यहाँ एक भी फोटो नहीं ले रहे हो।’’

फिर सब सीनेन गये सुमित ने वहाँ का ब्लैकड्रिडस ब्रिज दिखाते हुये बताया ’’ यहाँ पर ‘दिल वाले दुल्हनियाँ ले जाएँगे ’ की शूटिंग हुई थी।‘‘

अर्चिता ने कहा ’’ वाउ वो तो मेरी फेवरेट मूवी है। ‘‘

लता जी बोली ’’मेरी वान्या तो हिन्दी मूवी देखती ही नहीं ।‘‘

श्रीमती चन्द्रा को कहाँ बर्दाश्त कि उनकी बेटी को नीचा दिखाया जाय वो भी तब जब यशील भी सुन रहा हो । वो तपाक से बोलीं ’’आपकी बेटी को हिन्दी समझ नहीं आती होगी मेरी अर्चिता का तो हिन्दी इंगलिश दोनो पर पूरा कमांड है।‘‘

फिर यशील से बोलीं’’ बेटा तुम तो हिन्दी मूवीज देखते होगे।‘‘

’’जी आन्टी क्यों नहीं कोई भी अच्छी मूवी मुझसे नहीं छूटती। ‘‘

’’और आंटी अगर कोई मूवी इसे भा जाये तो समझिये मेरी शामत है, मुझे तीन चार बार इसके साथ वो मूवी झेलनी पड़ती है ‘‘ चन्दन ने कहा।

यह सुन कर श्रीमती चन्द्रा की बाँछे खिल गईं उन्होंने श्रीमती लता को व्यंग्य से देखा।

यशील ने कहा ’’ पर आंटी आय एम फान्ड आफ हालीवुड मूवीस उनकी तो बात ही कुछ और है ।‘‘

लता जी गेंद अपनी पाली में देख कर तुरन्त लपक ली और बोलीं ’’तुमने बिल्कुल ठीक कहा हालीवुड मूवीस से बालीवुड मूवीस का कोई कम्पेरिजन नहीं।‘‘

श्रीमती चन्द्रा को जब से अपने पति से मूक समर्थन मिला था उन्होंने तो यशील को भावी दामाद बनाने की ठान ही ली थी। उधर लता जी ने श्री मातोंडकर और संकेत के विरुद्ध जो अभियान चलाया था उसने उन्हें अधिक ही उग्र बना दिया था। पता नहीं यशील का जादू था, अपनी-अपनी बेटियों के लिये अंधा स्नेह, यशील को दामाद के रूप में दूसरा न ले ले इसकी प्रतिस्पर्धा या उन दोनों की अपनी-अपनी परिस्थितियाँ, लता जी और श्रीमती चन्द्रा जी अपनी अपनी बेटियों को ले कर आमने-सामने आने को तत्पर थीं कभी-कभी तो उनका बचकाना व्यवहार हास्यास्पद हो जाता ।

आगे गये तो राह में रोसेनियर झील पड़ी इस झील के किनारे ’हमको हमीं से चुरा लो ‘ गाने को फिल्माया गया था। फिर क्या था ऐसी जगह को कोई कैसे मिस करता, सभी ने अपना-अपना कैमरा निकाल लिया और तरह-तरह के पोज में क्लिक करने लगे। महिम का ट्राइपाड निकल आया । सबने मान्या और महिम का इतना मजाक बनाया था कि मान्या बार-बार पोज देने में हिचक रही थी । पर चंचल निमिषा ‘हमको हमीं से चुरा लो ‘ गाते हुये पूरा फिल्मी पोज दे रही थीं। रजत और ऋषभ में तय था कि हर जगह दोनों एक दूसरे के जोड़े की फोटो लेंगे। रजत ने संजना और ऋषभ की फोटो ली और उसने अनुभा रजत की। निमिषा रूठ कर बोली अंकल ‘‘आप हम दोनों की फोटो नहीं ले रहे हैं दिस इस नाट फेयर ।‘‘

रजत ने चुटकी ली ’’तुम बेचारे सचिन को फोटो खिंचवाने का मौका दो तब न ‘‘ फिर कैमरा लेते हुये कहा ‘‘आओ दोनों लोग पोज दो। ‘‘

जब रजत ने कैमरा सेट किया तो वो सचिन के गले में हाथ डाल कर पूरे रोमांटिक अंदाज में खड़ी हो गई।

यशील ने कहा ‘‘ अंकल मेरी और चंदन की भी एक फोटो ले लीजिये।‘‘

रजत ने कहा ’’श्योर क्यू में लग जाओ इनके बाद तुम्हारा नम्बर ।‘‘

निमिषा ने कहा ’’अरे अर्चिता या वान्या से कह दो तुम्हारी एक नहीं दस फोटो ले लेंगी । ‘‘

चंदन ने उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुये कहा ’’बिल्कुल फर्स्ट क्लास आइडिया दिया है आपने ।‘‘

यशील ने चंदन को घूरते हुये कहा ’’ मैं तुम्हें देख लूँगा ।‘‘

इससे पहले कि रजत उन दोनों की फोटो लेते वान्या अपना नाम सुन कर आ गई और बोली ’’ आप लोग मेरे बारे में क्या बोल रहे थे?’’

चंदन ने कहा ’’हम कह रहे थे कि आप हम दोनों की एक फोटो ले लीजिये ।‘‘

‘‘व्हाई नाट ’’और उसने कैमरा सँभाल लिया। अभी उसने उन दोनो की एक दो फोटो क्लिक की ही थी कि अर्चिता वहाँ आ गई उसने जब वान्या को फोटो लेते हुये देखा तो तुरंत नहले पर दहला मारते हुये वह यशील और चंदन के बीच जा खड़ी हुई और बोली एक फोटो हम सब की भी ले लो ‘‘यशील का वान्या से पुनः मेलजोल अर्चिता की रातों की नींद उड़ा ले गया था वह इसी उधेड़ बुन में रहती कि वान्या को कैसे फिर से यशील से दूर करे।

  • अर्चिता को देख कर वान्या का eq¡ह उतर गया पर यशील की नजरों में वह गिरना भी नहीं चाहती थी अतः मन मार कर उन तीनों की फोटो खींच ली। वैसे भी संकेत के आने ने और पापा के व्यवहार ने यशील को उससे दूर कर दिया था उसे बैलेंस करने के लिये वान्या ने सोच लिया था कि वह यशील पर नाराज नहीं होएगी। अभी वह सोच ही रही थी कि यशील के साथ एक फोटो खिंचवा ले तभी संकेत भी वहाँ आ गया।
  • अर्चिता ने यह सुअवसर नहीं गंवाया और कैमरा हाथ में लेते हुए वान्या की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाते हुए बोली ‘‘ कम आन वान्या तुम्हारा संकेत भी आ गया चलो तुम दोनों की एक पिक ले लें। ’’

    संकेत को भी अर्चिता का प्रस्ताव भा गया उसने उसकी ओर कृतज्ञ दृष्टि से देखते हुए कहा ‘‘सो नाइस आफ यू अर्चिता ।’’

    वान्या इतनी नासमझ नहीं थी कि इन दोनो के यशील को उससे दूर रखने के प्रयास को समझ न सके उसने पास खड़े संकेत को झिड़कते हुए कहा ‘‘ जो कह रहा है उसी के साथ फोटो खिंचवाओ एन्ड आय वार्न यू, डोन्ट फालो मी ।’’

    इतने दिनों से वान्या की उपेक्षा सह रहे संकेत को सबके सामने विशेषकर यशील के सामने यह अपमान सहन नहीं हुआ वह भड़क गया उसने कहा ‘‘मैं तुम्हे फालो नहीं कर रहा हूँ, टूर पर आया हूँ और मैं कहीं भी जाऊँ तुम मुझे रोक नहीं सकती। वैसे भी तुम्हारी जैसी नकचढ़ी बद्दिमाग लड़की से मुझे कोई सम्बन्ध रखना भी नहीं है ।’’

    यशील के समक्ष अपना अपमान देख कर वान्या आपे से बाहर हो गयी उसका चेहरा गुस्से और अपमान से लाल हो गया, अपनी सारी शालीनता ताक पर रख कर उसने आवेश में कहा ‘‘तुमने मुझे नकचढ़ी और बद्दिमाग कहा, तुम्हारा साहस कैसे हुआ मुझे यह कहने का तुम होते कौन हो मुझे यह कहने वाले, ऐसा तो मेरे किसी अपने का भी साहस नहीं है। ’’

    ‘‘ इसीलिये तो कह रहा हूँ कि तुम हो ही इतनी बद्दिमाग कि कोई तुम्हारे मुँह नहीं लगता ’’ आज संकेत का भी इतने दिनों तक वान्या द्वारा की गयी उपेक्षा का दंश उभर आया था।

    बार-बार संकेत द्वारा लगाये आरोप से वान्या की सहनशक्ति अपनी सीमा बिंदु पार कर चुकी थी उसने संकेत को मारने के लिये हाथ उठा दिया पर संकेत ने उसे बीच में ही रोक लिया । स्थिति अनायास ही गंभीर हो गयी थी यशील ने दोनांे का बीच बचाव करने के उद्देश्य से संकेत की कठोर पकड़ से वान्या का हाथ छुड़ाते हुए संकेत से कहा ‘‘ तुम एक लड़की का अपमान ऐसे कैसे कर सकते हो ? ’’

    यशील के कहने पर संकेत चिढ़ गया, यशील ही तो असली जड़ था उसके और वान्या के बीच की दूरी का। यदि यह न मिला होता तो संभवतः टूर के बाद लौट कर वान्या उसकी जीवनसाथी बनती उसने यशील का हाथ झटक दिया और बोला ‘‘ तुम कौन होते हो हमारे बीच में आने वाले, हम लोग बचपन के दोस्त हैं तुम अभी कल मिले हो और हमारे बीच आने की कोशिश कर रहे हो। ’’

    ‘‘बचपन के दोस्त ऐसे होते हैं जो सबके सामने अपनी दोस्त को नीचा दिखाते हैं ’’यशील ने व्यंग्य से कहा।

    ‘‘हम कुछ भी करें तुम अपने मतलब से मतलब रखो नहीं तो अच्छा नहीं होगा ’’ संकेत ने आगाह किया।

    यह यशील के लिये सीधी चुनौती थी, उसने कहा ‘‘ क्या कर लोगे तुम?’’

    स्ंाकेत उससे भिड़ने को आगे बढ़ा पर चंदन ने उसे रोक लिया और संकेत को सावधान किया ‘‘ अपनी सीमा में रहो मेरे दोस्त से बोलना भी नहीं वर्ना हम दोनों साथ मिल कर तुम्हें देख लेंगे ।’’

    तब तक गंभीर स्थिति को देखते हुए अर्चिता सुमित को बुला लायी थी, उसने उन्हें लगभग डाँटते हुए कहा ‘‘ आप लोग दूसरे देश में आ कर चार दिन प्रेम से नहीं रह सकते तो कम से कम लड़िये तो नहीं, कितने शर्म की बात है कि पढ़े लिखे सभ्य हो कर आप लोग यहाँ गुंडों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।’’

    संकेत ने कहा ‘‘ सुमित यह बीच में आया था ।’’

    ‘‘ और तुम जो वान्या के साथ कर रहे थे उसका क्या ’’यशील ने कहा।

    सुमित ने दोनो की बहस बीच में रोकते हुए कहा ‘‘ पहल किसी ने भी की हो इस तरह का व्यवहार कतई शोभनीय नहीं है अगली बार ऐसा कुछ हुआ तो आप दोनों को बीच से ही वापस लौटना होगा और मेरे पास इसके लिये कानूनी अधिकार है ’’ सुमित ने कठोर शब्दों में कहा।

    सुमित की चेतावनी से दोनों ही चुप हो गये, पर वातावरण का उल्लास अनायास ही गुम हो गया। टूर के सभी लोग जो अपने-अपने मनोरंजन में व्यस्त थे आस-पास सिमट आये, उनमें सुगबुगाहट होने लगी, कोई संकेत को दोष दे रहा था तो कोई यशील को। यह सुन कर सुमित ने कहा ‘‘ अब कोई भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे ऐसी अवांछनीय स्थिति उत्पन्न हो । हम सब इतने अच्छे स्थानों का भ्रमण करने आये हैं यह लाइफ टाइम अनुभव है । देखिये, अनुभव करिये और अपने जीवन की परेशानियों को भूल कर इन सुन्दर वादियों में खो जाइये ।’’

    फिर बोझिल हो आये वातावरण को हल्का करने के उद्देश्य से सुमित बोला ‘‘ आज हम सब लोग मिल कर अंत्याक्षरी खेलेंगे । ’’

    यह सुन कर सबसे पहले निमिषा बोली ‘‘हुर्रे ...आज तो सुमित भी गाना गाएंगे ।’’

    सुमित घबरा कर बोले ‘‘अरे नहीं नहीं मैं नहीं गाऊँगा यह अंत्याक्षरी तो आप सब के लिये है ।’’सब हँसने लगे और कुहासा छँट गया।

    क्रमशः--------

    अलका प्रमोद

    pandeyalka@rediffmail.com