दो
"बेटा दो दिन बाद तुम्हारा काउंसिलिंग है,तुमने बोला था देल्ही जाना है, कब निकलोगे।" कन्हैया की माँ बोली जब वो घर लौट कर आया।
"हाँ माँ, टिकट बना लिया है, कल शाम को चार बजे ट्रेन है,आप कुछ खाने का बना देना रास्ते के लिए।" कन्हैया ने माँ से बोला।
"ठीक है बेटा", कन्हैया की माँ ने बोला।
" आज जल्दी मंदिर से आ गए। सब ठीक है ना? "माँ ने पूछा।
" हाँ माँ सब ठीक है।बस आज मन नही लगा पूजा मे। "कन्हैया बोला।
" इसकी वजह क्या है?क्या तुम्हारी तबियत ठीक नही है। "माँ ने पूछा
" तबियत तो ठीक है माँ, पर कुछ बातें है जो दिल को कचोट रहे है। समझ मे नही आ रहा क्या सही है क्या गलत। "कन्हैया बोला।
" मुझे बताओ क्या बात है, मै कुछ मदद कर सकू"माँ बोली।
"माँ दिक्कत ये है कि आज जब मै मंदिर जा रहा था, तो रास्ते मे एक सज्जन मिले वो बोलने लगे कि वहाँ की मंदिर नही है ना ही कोई मूर्ति है। वहाँ तो पुराना एक खंडहर है जो भूतिया है। वहाँ कभी कीई नही जाता, बस जानवर कभी कभी वहाँ अपना घर बना कर रहते है " कन्हैया बोला।
"बेटा मै तो वहाँ कभी गई नही, ना ही मुझे इसके बारे मे कोई ज्ञान है। पर बेटा मै ये जानना चाहूँगी कि क्या तुमने वहाँ कोई मंदिर देखा है?क्या वहाँ तुम्हे मूर्ति दिखती है?क्या तुम्हे वहाँ जाने मे डर लगता है" माँ बोली।
"हाँ माँ मै वहाँ रोज पूजा करता हूँ, वहाँ एक बड़ा ही सुंदर भगवान शंकर की मूर्ति है। मुझे कतई भी डर नहीं लगता। जब भी मैं ध्यान लगता हूँ, मुझे भगवान के दर्शन होते है।" कन्हैया बोला।
"बेटा फिर संशय क्यों? क्या तुम्हे अपने भक्ति पर विश्वास नही है?" माँ बोली।
"सत् प्रतिशत विश्वास है माँ।मैं तो ये बोल कर भी एक महीने से आराधना कर रहा था कि भगवान मेरा नाम एडमिशन सूची मे आ जाएं और देखो वही हुआ जो की असंभव लगता था। मेरा पूरा विश्वास है उन पर। " कन्हैया बोला।
"फिर बेटा मन मे कोई दुविधा मत रखो। कहते है, भक्तो मे इतनी शक्ति होती है कि वो पत्थर मे भी जान डाल देते है। तुम आँख मूंद कर अपने भक्ति मे लगे रहो" माँ ने बोला।
"ठीक है माँ, आपने मेरा द्वंद दूर कर दिया। अब कीई दुविधा नही है। अब चाहें वहाँ भूत हो या चुड़ैल वही मेरा देवता है। "कन्हैया बोला।
"हाँ बेटा। यही अच्छा है। तुम शायद भूल गए अपने बचपन की बात, जब तुम केले की पूजा करते थे और उस केले मे तुमने कितनी ही बार भगवान विष्णु के दर्शन किये है। " माँ ने बोला।
"हाँ माँ याद है मुझे। " कन्हैया बोला।
"शिव तुम्हे शक्ति दे। मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। मै कल जाने की तैयारी करती हूँ। "माँ बोली और आगे बढ़ गई।
कन्हैया ने ठंडी सांस ली और भगवान शिव का स्मरण किया।
" भगवान आप अपनी कृपा बनाये रखना। "कन्हैया आसमान मे देखते हुए बोला।
फिर कन्हैया भी अपने समान बाँधने मे लग गया।