उसका क्या कसूर था Saroj Prajapati द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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उसका क्या कसूर था

आखिर जिसका डर था वही हुआ। सुबह लोगों की आंख पुलिस जिप्सी के सायरन से खुली। आवाज सुनकर लोग घरों से बाहर निकले तो पता चला रामलाल व उसकी पत्नी कमलेश का खून हो गया है। अलमारियों के ताले खुले हुए थे और उनके बेटे दिनेश का कहीं अता पता ना था।

पुलिस आसपास के लोगों से तफ्तीश कर रही थी। पता सबको था कि खून किसने किया है लेकिन कोई पुलिस के चक्करों में पड़ना नहीं चाहता था। पुलिस जरूरी कार्रवाई करने के बाद वहां से चली गई। तब राम लाल के भाई भतीजे रोते पीटते वहां पहुंचे। सब के मुंह पर एक ही बात थी कि 'हमारी सुन लेता तो आज यह दिन देखने ना पड़ते। अपनी लुगाई की बातों में तूने बहुत गलत किया भाई!'

रामलाल एक सरकारी विभाग में क्लर्क की नौकरी करता था। नौकरी भी ऐसी जिसमें ऊपरी कमाई बहुत थी। उसके दोनों हाथ ऊपर वाले की दया से घी मे थी।

हां, एक दुख भी था, उसकी जिंदगी में। धन था लेकिन उसे भोगने वाली औलाद ना थी। शादी को 10 साल हो गए थे। पत्नी जितनी रूपवान थी, उतनी ही कर्कशा । ना आस पड़ोस वालों से उसकी बनती और ना ही रिश्तेदारों से। हर रोज किसी ना किसी से झगड़ा पाले रखती।

सभी बहुत सोचते कि इसके मुंह ना लगे लेकिन आए दिन होने वाले झगड़ों से तंग आकर‌, सब कहने लगे सब कहने लगे थे कि जिस धन के घमंड में तुम इतना चूर रहती हो " देखना दुनिया ही ऐश करेंगी उस पर !"
अगर किसी ने उसे समझाते हुए रिश्तेदारों से बच्चा गोद लेने की कहीं तो उसकी खैर ना थी!
गुस्से से हमेशा एक ही बात कहती, बच्चा खरीद लाऊंगी लेकिन किसी रिश्तेदार को अपने पैसों पर हाथ न लगाने दूंगी और वहीं उसने किया। रामलाल तो वैसे ही उसकी हर बात मानता था।

वह उसने कर भी दिखाया। दोनों अनाथ आश्रम से बच्चा ले आए। बच्चे का नाम दिनेश रखा।
कमलेश ने दुनिया के तानों से बचने के लिए बच्चा तो ले आए लेकिन कभी उसे मां की ममता ना दी। वह उसे प्यार करना तो दूर कभी गोद में भी ना लेती थी। उसे हमेशा यही लगता था कि
पता नहीं किसका पाप होगा!
कौन जात का होगा!
उसके खाने पीने की भी उसे कोई परवाह ना थी। रामलाल को तो वैसे भी घर के मामलों से कोई लेना-देना नहीं था। उसका तो बस एक ही काम था, नौकरी और घूस के पैसे समेटना।
आस पड़ोस वालों को दिनेश पर बहुत तरस आता था। आगे पीछे से वही उसे खाना खिला देते। उसके साथ के सब बच्चे स्कूल जाते और वह घर का काम करता ।
कोई दिन ऐसा ना जाता, जब कमलेश, रामलाल से उसकी शिकायत कर उसे पिटवाती ना हो । उसके चिल्लाने की आवाज से पूरा मोहल्ला उसकी दर्द भरी चीखों से सिसक उठता ।
सबकी जुबान पर बस एक ही बात रहती। अपने पेट से जाया होता तो पता चलता ना दर्द क्या होता है!
भगवान इन दोनों को इनके कर्मों की सजा एक ना एक दिन जरूर देगा। यही पैसा एक ना एक दिन इन दोनों की जान का दुश्मन ना बन गया तो देखना!

15 साल का होते-होते दिनेश को यह पता चल गया था कि वह उनकी संतान नहीं है। उसे यह लोग अनाथ आश्रम से खरीद कर लाएं है। अपने ऊपर होने वाले रोज के अत्याचारों से उसके मन में भी उन दोनों के लिए कोई मोह ना रहा था। धीरे धीरे उसने गलत संगति पकड़ ली थी। वह अब बड़ा हो चला था और रामलाल और उसकी पत्नी बूढ़े।
वह उनसे अब अपने शौक पूरे करने के लिए अक्सर पैसे मांगता और ना देने पर उनको मारने की धमकी और आज उसने 23 सालों के जुल्म, नफरत,भूख का बदला आखिरकार ले ही लिया था।
इतने बड़े जुर्म के बाद भी लोगों को दिनेश से सहानुभूति और रामलाल व उसकी पत्नी से नफरत ही हो रही थी।

सबका मानना था कि उनकी जान दिनेश ने नहीं उनके दुर्व्यवहार व उन लोगों की हाय ने ली है, जिनकी मजबूरी का फायदा उठा रामलाल उनसे घूस लेता था। लेकिन इन सब में उस मासूम दिनेश का क्या दोष था!

क्यों इन दोनों ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर , उसे अपराधी बनने पर मजबूर कर दिया!
अगर उस खरीदे हुए रिश्ते को नफरत से नहीं प्यार से सींचते तो .......!
सरोज ✍️