चिंटु - 36 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटु - 36

सुमति जब बाहर ड्रॉइंग रूम में अाई तो राहुल और स्नेहा टीवी पर मूवी देख रहे थे। सुमति को आता देख राहुल कह रहा है- आओ बेटा, तुम से बात करनी है।
सुमति- जी पापा, कहिए।
स्नेहा- इस सन्डे हमे पुनिश के घर जाना है।
सुमति- क्यों?
स्नेहा- पुनिश की मम्मी यानी तुम्हारी सास ने तुम्हारे लिए सत्यनारायण की कथा करवाने की मन्नत मांगी थी। पुनिश को मंडे को वापस ड्यूटी पर जाना है तो उसके रहते ही यह पूजा करवाना चाहती है। और पूजा में तुम दोनों को ही बैठना है।
सुमति मुंह बिगाड़ते हुए- क्या..? मुजे..??

उस थोड़ा गुस्सा आता है। इस सन्डे तो चिंटु और फ्रेंड्स से मिलने जाना था। फिर सोचती है 'आंटीजी ने मेरे लिए मन्नत मानी है तो मुजे जाना ही चाहिए।'

राहुल- किस सोच में पड़ गई? कोई और प्लान तो नहीं था तुम दोनों का?
सुमति- दोनों?
राहुल- मतलब तुम और पुनिश। वह जाने वाला है तो....
सुमति- नहीं पापा, हम कही नहीं जाने वाले।
स्नेहा सुमति से पूछती है- अब चाय पीनी है या सीधा लंच करेगी?
सुमति- मम्मा, सुबह की चाय तो पीनी ही पड़ेगी। वरना सिर दर्द शुरू हो जाएगा।
राहुल- अभी सुबह की नहीं दोपहर कि चाय बोलो।
सुमति- यस, दोपहर की चाय। बस... खुश...
वह उठकर किचन में चली जाती है।
राहुल स्नेहा को पूछता है- इसे क्या हुआ?
स्नेहा- पता नहीं पर जब से अाई है कुछ अलग तो लग रही है।
राहुल- कही चिंटु के साथ...
स्नेहा- नहीं नहीं, वो ऐसी भुल दोबारा नहीं करेगी। अब उसका रिश्ता भी तय हो गया है। पुनिश से अच्छा लड़का उसे मिल ही नहीं सकता। और वो चिंटु भी किसी के साथ रिलेशन में है। सो डोंट वरी...

इन दोनों की बात सुमति किचन के दरवाजे के पास आकर सुन रही है। वह कहना चाहती है कि अब उनका कोई रिश्ता नहीं है पर अभी ना बोलना ही ठीक समजा। वह चिंटु को मैसेज भेज देती है कि इस सन्डे नहीं मिल पाएगी।

****
चिंटु को गुजरात स्टेट में पोस्टिंग मिली थी। वह यह बात फोन कर के सुमति को बताता है। सुमति कहती है- ओह नो...! अब हम कैसे मिलेंगे?
चिंटु- मिलेंगे पास में ही तो है गुजरात। बस याद करना आ जाऊंगा।
सुमति- में अभी आ रही हुं घर पे। कब से जॉइन करना है?
चिंटु- बस इस पहली तारीख को, यानी अगले मंगलवार को।
सुमति- ओह! तो बहुत कम वक्त बचा है जाने में।
चिंटु- हां, क्या करे? अच्छा, तुम घर आ जाओ। बात करते है।

सुमति के फोन रखते ही रिया का फ़ोन आ गया। चिंटु ने अनमने भाव से कॉल रिसीव किया।
चिंटु- हैलो रिया! बोलो क्या काम था?
रिया गुस्सा करते है- ये क्या बात हुए मिस्टर? आकर एक बार भी मुजे कॉल नहीं किया?
चिंटु- सॉरी! वो थोड़ा बिज़ी था। बोलो क्या काम है?
रिया फिर गुस्सा करते हुए- क्या काम के बगैर में तुम्हे फोन नहीं कर सकती?
चिंटु- आज तक तो नहीं किया।
रिया- क्या मतलब है तुम्हारा?
अपने पापा से कहना कल मै उन्हें मिलने आ रहा हुं।
इतना कहकर फोन काट देता है। उसे वह सब बाते याद आती है जो होटल में रिया अपने पापा से कह रही थी।

****
एक घंटे बाद सुमति चिंटु के घर आ जाती है। वह घर में किसी को ना देखकर सीधा चिंटु से गले लगकर रोने लगती है।
चिंटु उसके खुले बाल संवारते हुए पूछता है- क्या हुआ पगली? रो क्यों रही हो?
सुमति चिंटु के सीने पे अपने हाथ मारती हुई कहती है- आई हेट यू... जाना जरूरी है? मै यहां अकेली पड़ जाऊंगी।
चिंटु- सॉरी स्वीट हार्ट! पर जाना तो पड़ेगा। तुम जानती हो ना इसके लिए मैंने कितनी महेनत कि है। मम्मी और पिया के साथ साथ तुम्हारा भविष्य भी अच्छा करना है मुजे। तुम्हे मै शादी के बाद एक अच्छा जीवन देना चाहता हुं। इसके लिए थोड़ा बलिदान तो देना ही पड़ेगा मेरी जान। मै जल्दी वापस आऊंगा अंकल आंटी से बात करने।
सुमति- मौसी और पिया कहां है?
चिंटु- दोनों सब्जी मंडी गई है। तू आज डिनर हमारे साथ ही कर ले न।
सुमति- ठीक है, अब छोड़ो तो मम्मी को घर पे फोन कर दू। सुमति घर पर फोन करके अपनी मम्मी को बता देती है,' आज घर आने में देरी होगी। मै पिया के साथ हुं।
स्नेहा- ठीक है, और आईएएस चैतन्य कहां है?
सुमति- अभी घर पर ही है। उसकी पोस्टिंग गुजरात में हुई है।
स्नेहा- अच्छा फोन दो उसे बधाई दे देती हुं।

सुमति चिंटु को फोन देती है।
चिंटु स्नेहा से- हैलो आंटी! कैसे है आप?
स्नेहा- एकदम ठीक हुं बेटा। सुना है पोस्टिंग गुजरात में हुई है।
चिंटु- जी आंटी
स्नेहा- तो कब जाना है?
चिंटु- बस इस मंगलवार को ही चले जाएंगे।
स्नेहा- शारदा और पिया तो यही है न?
चिंटु- नहीं आंटी, वे साथ ही आएंगे। जाने से पहले मै आपका और अंकल का आशीर्वाद लेने जरूर आऊंगा।
स्नेहा- अब इसकी कोई जरूरत नहीं है।
चिंटु- क्या?
स्नेहा- मतलब तुम्हे काम भी अब बहुत होगा तो तुम कहां फ्री होगे?
चिंटु- हां, काम तो है पर फिर भी समय रहते आऊंगा।
स्नेहा- ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी। पर एक बात कहना चाहती हुं तुम्हे।
चिंटु- हा कहीए ना आंटी।
स्नेहा- देखो गलत मत समजना पर सौम्या का रिश्ता तय हो गया है और उसकी शादी भी पुनिश से ही होगी। समज गए न मै क्या कहना चाहती हुं।
चिंटु ने मुंह लटकाते हुए कहा- जी समज गया आंटी।
स्नेहा- अच्छा फिर सौम्या को घर छोड़ देना समय पर। ठीक है?
चिंटु ने सिर्फ 'ठीक है' कहकर कॉल काट दिया।

चिंटु के चेहरे से उड़ी रोनाक को देख सुमति ने पूछा- क्या हुआ? मम्मी ने कुछ कहा तुम्हे?
चिंटु- अरे नहीं नहीं! वो तो तुम सबसे दूर जा रहे है तो....
सुमति- ow! जादू की झप्पी चाहिए?
चिंटु कुछ बोलता नहीं तो सुमति उसका मूड ठीक करने के लिए उसके गले लग जाती है। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
सुमति ने दरवाजा खोला तो शारदा और पिया वापस आ गए थे। सुमति को देख पिया चीखते हुए उसे गले लगा लेती है।
सुमति- अरे अरे! गिरा देगी मुजे छोड़...।
पिया- हां, अब तो छोड़कर ही जानेवाली हुं। तब तक तो गले लगने दो।
शारदा अंदर आते हुए- अरे! सांस तो लेने दे उसे, वहीं खड़ी रहेगी क्या? तुम लोग बाते करो मै खाना बनाती हुं।
पिया- भाई, चलो हम सब छत पर चलते है।
सुमति- अच्छा आइडिया है, चलो।

तीनों शाम होने तक टैरेस पर पुरानी यादें ताज़ा करते हुए बैठे रहे। पर जब से स्नेहा आंटी के साथ बात हुई तब से चिंटु कुछ उखड़ा उखड़ा लग रहा था। सुमति को लगा शायद मुजसे जुदा होने का गम है।
शारदा तीनों को छत पर बुलाने आती है- चलो अब, भूख लगी है कि नहीं?
पिया- बहुत जोरो से लगी है मम्मी।
शारदा- तो आ जाओ सब, खाना लगा देती हुं।
तीनों नीचे गए खाना खाने के लिए। चिंटु ने कम खाने से सुमति ने पूछा- क्या हुआ? हमेशा थाली भर के खानेवाले आज इतना ही?
शारदा ने भी देखा- क्यों रे? बड़ा साहब बन गया तो क्या खाना कम खाएगा? पिया परोस इसे ज्यादा। अभी से ऐसा करेगा तो काम कैसे करेगा?
चिंटु- अरे! नहीं मां...
उसके बोलने से पहले सुमति ही उसकी प्लेट में ज्यादा सब्जी रोटी परोस देती है, और साथ में हलवा भी।

खाने के बाद सब बैठकर कुछ कुछ सामान पैक करने लगे। चिंटु ने घड़ी में देखा ग्यारह बज गए थे। वह सुमति से कहता है- सुमति चलो अब देर हो गई है, ग्यारह बज गए देखो।
सुमति- ओह! टाइम का पता ही नहीं चला। अच्छा मौसी, पिया चलती हुं। मंगलवार को आऊंगी मिलने।

चिंटु सुमति को लेकर बाहर आया। सुमति ने देखा वह बाइक नहीं ले रहा था। वह पूछती है- हम बाइक से नहीं जा रहे?
चिंटु- नहीं, टैक्सी से जाएंगे। मेरी बाइक गैरेज में है सर्विस के लिए।

टैक्सी रुकवाकर दोनों बैठ गए। पीछे बैठे दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ रखा था। चिंटु को अब भी स्नेहा के बोल याद आ रहे थे। सुमति उसे पूछती है- क्या हुआ? मै कब से देख रही हुं, तुमने जब से मम्मी से बात कि है तुम्हारा मूड बिगड़ गया है। सच बताओ मम्मी ने कुछ कहा?
चिंटु- कुछ नहीं हुआ बाबा, बहुत सोचती हो तुम। सुमति चिंटु के कंधे पर सिर रख कर आंखे बंद कर देती है। चिंटु उसके माथे पर चूम लेता है।
सुमति के घर दोनों पहुंच गए। फ्लैट्स में सबके दरवाजे बंद थे। चिंटु सुमति को घर के दरवाजे तक छोड़ने गया। दरवाजा बंद देख वह बेल बजाने जा ही रहा था तो सुमति ने उसका हाथ पकड़ लिया। चिंटु ने इशारे से पूछा- 'क्या हुआ?'
सुमति उसके कान के पास जाकर धीरे से बोलती है- गुड नाईट किस नहीं करोगे?
चिंटु- चल अब देर हो गई है। अंकल आंटी इंतज़ार कर रहे होंगे।
चिंटु बोल रहा था तभी सुमति उसके नज़दीक जाकर उसके होंठो को चूम लेती है। चिंटु का हाथ उसकी कमर पर चला जाता है। ना चाहते हुए भी वह सुमति से अलग नहीं हो पा रहा था। पर अब उसने फैसला कर लिया था। उसकी आंखो के कौनो में पानी आ जाता है। और वह सुमति को बेतहाशा चूमने लगता है।

ना चाहते हुए भी चिंटु सुमति को अलग कर के घंटी बजा देता है। सुमति को कुछ समज ही नहीं आता। स्नेहा दरवाजा खोलती है। चिंटु उन्हें नमस्ते आंटी कहकर पैर छूता है। स्नेहा।उसे अंदर आने के लिए कहती है पर चिंटु ने टैक्सी नीचे रुकवाई है कहकर चला जाता है।

****
सन्डे के दिन दोपहर लंच के बाद,
राहुल और स्नेहा तैयार होकर बैठे है पर अभी तक सुमति तैयार होकर नहीं अाई थी। स्नेहा आवाज़ देकर बुलाती है उसे- जल्दी करो बेटा आगे पूजा भी करनी पड़ती है। टाइम से नहीं पहुंचे तो सब में देरी हो जाएगी।
सुमति- आ रही हूं मम्मी...। एक तो आपने ये साड़ी पहनाई है, ऊपर से ये मुज से संभल नहीं रही है। और कुछ नहीं पहन सकती?
स्नेहा चिड़ते हुए कहती है- वहां पूजा है पार्टी नहीं। अब जल्दी करो।
सुमति को लगता है मम्मी आज मुज पे इतनी भड़क क्यों रही है? तैयार हो तो रही हुं।

सब पुनिश के घर पहुंचते है। सुमति पुनिश के मम्मी पापा के पैर छूती है। उसकी सास स्नेहा और राहुल को बाहर बिठाकर सुमति को अपने कमरे में जाती है।
सुमति को उसकी सास एक नेकलेस पहनने को देती है। पर सुमति मना कर देती है। उसकी सास उसे कहती है- बेटी ये तुम्हारा नेक है। आज पहली बार पूजा में तुम बैठ रही हो। तो ये तो बनता ही है।
सुमति- पर आंटी... मैंने ये चैन पहनी हुई ही है।
उसकी सास बीच में ही टोकती है- आंटी नहीं अब से तुम भी मुजे पुनिश की तरह मम्मी ही कहोगी, समजी? उसे पहने रखो और ये भी पहन लो।
सुमति सिर्फ हां में जवाब देती है।

उसकी सास उसे बेड पर बिठाकर वह नेकलेस पहना देती है। फिर दोनों बाहर आ जाती है। पुनिश कुछ सामान लेने बाहर गया हुआ था। जब वह आया तो सुमति को देखता ही रह गया। उसने साड़ी पहने देख उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है। उसके साथ आए उसके दोस्त ने कहा- अबे मुंह बन कर वरना मच्छर अंदर घूम के चला भी जाएगा।
उसकी बात सुन वह अपना मुंह बंद कर लेता है। सुमति ने ग्रीन कलर की साड़ी पहनी थी जिसमे सुनहरी बॉर्डर लगी हुई थी। उसने देखा मम्मी ने उसे नेकलेस पहना दिया था। सुमति पंडितजी के कहने पर पूजा का सामान रखवा रही थी।
स्नेहा और राहुल उसे देख खुश हो रहे थे। उनकी बेटी को इतना अच्छा ससुराल जो मिला था।

पंडितजी ने पुनिश और सुमति को पूजा के लिए बिठा दिया। सारे महेमान भी आ गए। सब लोग सत्यनारायण की कथा सुनने में मग्न थे। कथा सुनते वक्त सुमति का हाथ साइड मै अपने पल्लू के नीचे था। पुनिश ने शरारत करने के लिए अपना हाथ भी पल्लू में उसके हाथ के पास ले गया और उसका हाथ पकड़ लिया। सुमति ने पुनिश को गुस्से में देखा। पर पुनिश की नजर कथा कह रहे पंडितजी पर थी। वह सुमति की तरफ बिना देखे सिर्फ मुस्कुरा देता है।ओर सुमति अपना हाथ छुड़ा लेती है। तभी किचन से सत्यनारायण के प्रसाद की खुश्बू आने लगती है।
पुनिश बोलता है- आह! क्या खुश्बू है!
पंडितजी- बेटा ये तो भगवान का प्रसाद है। स्वादिष्ट भी उतना ही होता है। तुम आम दिन पर यही प्रसाद खाना और आज सत्यनारायण देव की पूजा के वक्त प्रसाद खाओ। दोनों का फ़र्क पता चल जाएगा।

आखिरकार कथा संपन हुई और बाद में सब महाप्रसाद के साथ खाना खाने नीचे पार्किंग में चले गए। खाने का इंतजाम पार्किंग में रखा गया था ताकि गेस्ट्स को सीधे घर जाने में सरलता रहे। धीरे धीरे सारे गेस्ट्स जाने लगे। अब घर पे कुछ नज़दीक के गेस्ट्स जैसे पुनिश के चाचा- चाची, मामा- मामी और नानी भी साथ में बैठे थे। पुनिश सुमति और अपने दोस्तो के साथ बैठा हुआ था। पुनिश की नानी मां में स्नेहा से कहा- बेटा अब आगे क्या सोचा है?
स्नेहा- किस बारे में नानी?
नानी मां- इन बच्चो की शादी के बारे में। भाई अब मेरी तबियत भी कुछ खास ठीक नहीं रहती। बस मेरे पुनिश की शादी देख लू यही ख्वाहिश है।
पुनिश अपनी नानी के पास जाकर उन्हें गले लगाकर कहता है- अरे अभी आपकी उम्र ही क्या है जानु! अभी अभी तो सोलह साल कंप्लीट किए है।
नानी मां- चल हट बावरे। मुजसे बात मत करना तु।
पुनिश- क्यों? अब मैंने क्या किया?
नानी मां- कल फिर मुझे छोड़कर जा रहा है न?
पुनिश- अब जाना तो पड़ेगा न नानी मां।
नानी मां- हां तो अब बहू को भी साथ ले जा। कब तक अकेला रहेगा?
पुनिश कोई जवाब नहीं देता।
नानी मां स्नेहा की तरफ देखते हुए- देखिए सम्बन्ध जी अब दोनों की उम्र तो हो ही गई है। इन बूढ़ी आंखो के बंद होने से पहले दोनों का ब्याह करवा दो। कही ऐसा ना हो कि मेरी आंखे बंद हो जाए शादी से पहले।
पुनिश की मम्मी- मम्मी ये क्या अनाप शनाप बोल रही हो? कुछ नहीं होने वाला तुम्हे। अभी आगे दस साल जीने वाली हो।

उन सबकी बातो में सुमति का दिल बैठा जा रहा था। ये सब क्या बात कर रहे है? कही मम्मी पापा ने शादी के लिए हां बोल दिया तो? वह अपने मम्मी पापा के सामने देखती है। अगर कोई सामने देखे तो इशारे से मना कर दे। पर किसी की नजर उस पर नहीं थी।
वैसे स्नेहा भी चाहती थी के सुमति चिंटु से दूर रहे। इतने वक्त चिंटु के साथ रहकर अाई थी। एक डर सा था, ना जाने चिंटु फिर से उसे चोट ना पहुंचाए। वह राहुल के कान में कुछ कहती है और राहुल सिर्फ हां में जवाब देता है।

स्नेहा नानी मां के पास जाकर उसके पैरो के पास बैठ जाती है। वह उनका हाथ पकड़कर कहती है- अगर आप यही चाहती है कि दोनों की शादी हो जाए तो मुहूर्त निकलवा दीजिए।
सुमति की मानो एक पल के लिए सांस रुक गई।

क्रमशः