चिंटू - 35 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 35

रात के ग्यारह बजे सब सोने के लिए उठे। सुमति अपने मम्मी पापा से कहती है- आप जाइए, मै बाद में आती हुं।
पुनिश वहा बैठा तो उसे भी अभी जाने के लिए कह दिया। वह बेला से कुछ बात करनी है कहकर रुक जाती है। बेला को रोक कर वह दोनों गार्डन में कुछ देर वॉकिंग करती है। वह बेला को पुनिश के बारे में बताती है कि, 'उसने मुजे छत पर बुलाया है अभी बारह बजे।
बेला- हां तो मिल लो।
सुमति- मै उसे चिंटु और मेरे बारे में बताना चाहती हुं।
बेला- देखो वैसे मुजे तुम्हारे मामले में बोलना तो नहीं चाहिए पर अभी कुछ मत बताओ। पहले घर चलो फिर पुनिशजी और तुम्हारे मम्मी पापा को सबको साथ में बताना। एक एक को बताने से बहेतर है सबको साथ मे बताओ। फिर जो होगा देख लेना उस वक्त। मै पुनिश जी को जानती तो नहीं पर जिस तरह से तुम्हारी मम्मी बता रहीं थी के किस तरह वो बांवरे बन कर तुम्हे ढूंढने निकल गए थे। वो भी तुमसे सच्चा प्यार करते है सुमति। और मुजे एक बात पता है तुम उसके बारे में सोचो जो तुमसे प्यार करता है ना कि तुम जिसे प्यार करते हो। मां ने बताया था एकबार। वैसे तुम्हारा और चिंटु जी का रिश्ता कैसे और कब से है?
सुमति बेला को बचपन से लेकर अब तक की स्टोरी कम शब्दों में बयां करती है।
बेला- ओह! तो शायद मैंने जो कहा उस पर गौर करना।

****

चिंटु पहले अपनी मां और पिया के साथ रूम में चला गया था फिर नींद ना आने पर वापस बाहर आ जाता है। वह सुमति और बेला को गार्डन में देख उसके पास जाता है।
सुमति चिंटु को आता देख बेला को चुप रहने का इशारा करती है। जब चिंटु नज़दीक आ गया तो दोनों को खामोश देख पूछता है- क्या हुआ? मेरे आने से तुम दोनों ने बात करनी बंद क्यों कर दी?
बेला हंसते हुए कहती है- ऐसा कुछ नहीं है, बस घर की याद आ रही थी तो दो मिनट सुमति से बात करने रुक गई।
चिंटु- ओह! तो मुजे भी बुला लेते।
बेला- क्यों? लड़कियो की बातो में आपका क्या काम?
चिंटु- वो भी है।
सुमति चिंटु से पूछती है- पर तुम क्यों बाहर आए?
चिंटु- वो मुजे नींद नहीं आ रही थी तो बाहर ठंडी हवा में टहल ने आ गया।
बेला कहती है- अच्छा तुम दोनों बाते करो वरना इवान मुजे ढूंढने निकल पड़ेगा।
बेला दोनों को शुभरात्रि कह कर अपने रूम में निकल जाती है।

रेस्ट हाऊस के चारो तरफ वॉकिंग वे बनाया था और उसी के साथ साथ छोटे बड़े पेड़ भी लगाए गए थे। जहा दोनों शांति से चलते रहते है। फिर चिंटु ने ही पूछ लिया- तो कब बताना है घर में?
सुमति पूछती है- क्या कब बताना है?
चिंटु- हमारे बारे में।
सुमति- वापस घर जाकर ही बताऊंगी। वैसे भी कल यहां से निकलेंगे ही। मौका मिलते ही बात करूंगी।

बात करते करते दोनों रेस्ट हाऊस के पीछे की ओर झाड़ियों के पास आ जाते है। उसकी आड़ में मौके का फायदा उठाते हुए चिंटु सुमति को अपनी ओर खींचता है और धीरे से कहता है- तब तक हमारे मिलने का क्या होगा?
सुमति अपने आप को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करती है पर चिंटु ने उसे कमर से दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा है। थोड़ी छटपटाहट के बाद कहती है- क्या कर रहे हो? छोड़ो कोई देख लेगा।
चिंटु- सबके रूम को देखते हुए आ रहा हुं। सबके दरवाजे बंद है। अब बताओ वापस जाकर कब मिलोगी?
सुमति भी अब चिंटु को कमर से पकड़े हुए कहती है- अभी कैसे कह सकती हुं? एक बार घर तो पहुंचे, बाद की बाद में देखते है।
चिंटु- अच्छा तो एक छोटी सी किस्सी...
सुमति- नहीं, अभी मूड नहीं है।
चिंटु- क्यों? क्या हुआ मैडम के मूड को?

सुमति एकबार सोचती है कि 'अभी पुनिश के बारे में बताऊं? नहीं नहीं एकबार पुनिश से बात कर लूं उसके बाद। वरना ये भी अभी साथ में चल पड़ेगा।'
सुमति को सोच में देख चिंटु बिना चांस गवाए अपने होंठ सुमति के मुलायम होंठो पर रख देता है। सुमति चिंटु की हरकत से जूठा गुस्सा करती है पर अंदर ही अंदर खुश भी हो रही है। अभी बारह बजने में देर थी तो वो भी साथ देने लगती है चिंटु को।

दोनों तब अलग हुए जब वे खड़े थे वहां पीछे के कमरे में किसी ने लाइट्स ऑन कि। सुमति सोचती है पता नहीं कितना टाइम बित गया। पुनिश टैरेस पर आ तो नहीं गया? वह चिंटु से अब रूम में चलने के लिए कहती है।
तो चिंटु जवाब देता है- मै तो कब से तैयार हुं बस एकबार शादी हो जाए।
सुमति- चल हट, बेशरम। मै अपने अपने कमरे में सोने जाने की बात कर रही हुं, चलो अभी।
जाते जाते एकबार फिर चिंटु सुमति को गुड नाईट किस करता है।
दोनों अपने अपने रूम में चले जाते है। रूम में सुमति गई तो दीवार पर टंगी क्लॉक में देखा तो बारह बजने में दो मिनट ही बाकी थे। वह जान बुजकर दस मिनट बाद टैरेस पर जाती है। वहां पुनिश उसका इंतजार कर रहा था।

पुनिश टाइम से पहले ही छत पर आ गया था। वह सुमति की राह देखते देखते मोबाइल में गेम खेलने लगा था। जब उसने पैरो कि आहट सुनी तो देखा सुमति आ गई थी।
पुनिश जट से मोबाईल बंद करके सुमति के पास जाकर उसे गले लगा लेता है। सुमति थोड़ा असहज हो गई। वह धीरे से पुनिश से अलग होती है और पूछती है- बोलो क्या काम था?
पुनिश- काम तो कोई नहीं था पर जब से वापस अाई हो तब से अकेले मिलने का मौका नहीं मिला ना जानु, इस लिए। कल तो हम यहां से वापस जाने वाले है तो सोचा एकबार मिल लूं।
सुमति- क्यों वापस जाकर नहीं मिल सकते थे?
पुनिश- नहीं, फिर मुजे जाना भी तो है अपनी ड्यूटी पर। काफी सारी छुट्टियां हो गई। अब तक सबको पता चल गया है तुम मिल गई हो तो ड्यूटी पर आने का संदेशा भी आ गया।
सुमति- ओह! मुजे पता नहीं था।
पुनिश- तुम्हे मैंने बताया ही नहीं तो कैसे पाता होगा तुम्हे? अच्छा यह बताओ वहां कुछ हुआ तो नहीं था ना? मेरा मतलब किसी ने तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव तो नहीं किया था ना?
सुमति- नहीं, कोई बुरा बर्ताव नहीं किया। यह सब बाते प्रेसवालो को बताई तो थी।
पुनिश- हां पर फिर भी मेरे दिल की तसल्ली के लिए पूछा। उस वक्त मुजे ऐसा लगा शायद बेला को सबसे बचाने के लिए...
सुमति- बेला को वहा कोई जानता थोड़े था जो बचाते! डर तब लगता जब किसीको पता चलता।

पुनिश सुमति का हाथ पकड़ लेता है और उसके करीब जाने की कोशिश करता है। पर सुमति उससे थोड़ा दूर हटकर कहती है- पुनिश मुजे बहुत नींद आ रही है। अगर और कोई बात ना हो तो मै सोने जाऊ?
पुनिश- हां हां, तुम जाओ। मैंने तो बस ऐसे ही...
सुमति- थैंक यू एंड गुड नाईट।
सुमति इतना कह कर नीचे चली जाती है।
पुनिश सोचता है- बेचारी इतने दिनों से ठीक से सोई नहीं होगी। और ड्यूटी पर तीन दिन बाद जाना है तो वापस जाकर पूरा एक दिन साथ बिताऊंगा। और अब ज्यादा देर उसके बगैर नहीं रह पाऊंगा। मम्मी पापा को जाकर ही बोल देता हुं शादी की बात पक्की कर ले। बस सौम्या अब और दूरी नहीं....।

****
अगली सुबह
सब लोग अपने घर जाने के लिए सामान पैक कर के तैयार थे। इंस्पेक्टर राजीव भी सबको मिलने आ गया था। उसे पुनिश के रूप में एक अच्छा दोस्त जो मिल गया था। सब वेटिंग एरिया में इकट्ठा हो गए थे। इंस्पेक्टर राजीव पुनिश से कहता है- अब कब आना होगा यहां?
पुनिश- जब भी मौका मिला जरूर आऊंगा। (सुमति की ओर देखते हुए) पर अगली बार किसीको साथ लेकर आऊंगा।
इंस्पेक्टर राजीव- जरूर जरूर, तब वह जगह भी घुमाऊंगा जो इस बार रह गई है।
पुनिश - तब तो मै जरूर आऊंगा।

स्नेहा और राहुल रेस्ट हाऊस के सफाई कर्मचारी और रसोई घर में काम करनेवाले को बक्षिश देते है। वे सब पहले मना करते है पर राहुल के जोर देने पर उसे स्वीकार करते है। सब के चेहरे पर घर वापस जाने की खुशी है। इंस्पेक्टर राजीव ने सबके लिए इंदौर तक की तीन टैक्सी बुक करवा ली थी। बाद में सब बाय प्लेन मुंबई जाने वाले थे। सब लोग राजीव और उसकी टीम का शुक्रिया अदा करते हुए इंदौर के लिए निकल पड़े। सब लोग अपनी अपनी फैमिली के साथ टैक्सी में बैठे हुए थे।
राहुल ड्राइवर के साथ आगे की सीट पर बैठा हुआ था। पीछे स्नेहा, सुमति और पुनिश बैठे हुए थे। सुमति विंडो सीट पर बैठना चाहती थी पर उसकी मम्मी पहले बैठ गई तो फिर बिना कुछ बोले मिडल सीट पर ही बैठ जाती है। एकाद घंटे बाद पुनिश धीरे से अपनी उंगलियों को सुमति के हाथ की उंगलियों में पिरोता है। सुमति एकदम से कोई रिएक्शन नहीं दे पाती क्योंकि पास में ही मम्मी बैठी थी। वह पुनिश के सामने देखती है तो पुनिश उसे आंख मारता है। वह भी उसे आंखे दिखाती है और मम्मी बैठी है यह इशारा करके अपना हाथ उसके हाथ से खींच लेती है। फिर अपने आपको मम्मी की तरफ मोड़कर उसके कंधे पर सर रखकर सो जाती है।

चिंटु बैठे बैठे सोच रहा है सुमति अभी क्या कर रही होगी? यकीनन सो ही गई होगी। रात को सोने में देर हुई थी और सुबह जल्दी उठ गए थे। वो कही पर भी बैठे बैठे अपनी नींद पूरी कर सकती है। यह सोचते हुए उसे हसी आ जाती है। पिया उसे पूछती है- क्या हुआ? हमे भी जोक सुनाओ, हम भी थोड़ा हस ले।
चिंटु- बस एयरपोर्ट आने ही वाला है। वैसे तुम लोग यहां आए थे कैसे?
पिया- रात भर ट्रेन में और बाद में स्नेहा आंटी ने टैक्सी का बंदोबस्त करवाया था।
चिंटु की मां शारदा कहती है- सच में हमारी सुमति को बहुत अच्छा घर मिल गया और साथ में वर भी। बेचारा रोज तुम सबको ढूंढने के लिए भागा दौड़ी करता रहता था और साथ में हम सबको भी संभालता था।
पिया- ये बात तो सच कही मां आपने। सच में बहुत अच्छे है पुनिश भैया। और हां भैया वो छिपकली का फोन आया था।
चिंटु- कौन?
पिया- वही रिया। आप तब प्रेसवालो के साथ थे। मैंने आप बिज़ी है कहकर फोन काट दिया था।
चिंटु कुछ बोलता नहीं बस कार की विंडो से बाहर का नज़ारा देखे जा रहा था।

****
अगली सुबह सब अपने घर पर आराम से सो रहे थे पर सुमति की आंखो से जल्द ही नींद गायब हो चुकी थी। मम्मी पापा तो पुनिश को तो अपना बेटा ही मानते है। प्लेन में पुनिश पापा के साथ बैठा था। वह और पापा कोई सीरियस बात कर रहे हो ऐसा लग रहा था। क्या बात होगी? मै अभी खामखां जाग रही हुं, आज तो पूरा दिन आराम ही करना है। चल कुछ देर सो ही जाती हुं, जो होगा देखा जायेगा। कुछ देर करवट बदलती रहती है, बाद में नींद आ ही गई।

दोपहर के डेढ़ बजे चिंटु सुमति को फ़ोन करता है। दो बार रिंग गई फिर भी सुमति ने फ़ोन नहीं उठाया। वह सोचता है शायद मोबाइल कही छोड़ बाहर बैठी होगी। उस वक्त वाकई में सुमति नहाने गई थी। बाहर निकलकर देख तो चिंटु का ही फ़ोन था। उसने तुरंत कॉल बेक किया। चिंटु एक ही रिंग में कॉल रिसीव करता है और कहता है- कहां पर थी, फ़ोन क्यों नहीं उठाया?
सुमति- नहाने गई थी बाबा। सुबह जल्दी आंख खुल गई थी तो कुछ देर बाद वापस सो गई। बस अब नहाकर चाय पीने ही जा रही थी तो तुम्हारे मिस्ड कॉल देखे। तुम तैयार हो गए?
चिंटु- हां, इसी लिए तो फ़ोन किया। अभी चीफ सेक्रेटरी साहब ने मिलने बुलाया है। अभी बांद्रा के लिए निकल रहा हुं।
सुमति- तुम जाओगे कैसे?
चिंटु- तेरा होने वाला पति आईएएस अफसर बन गया है जानु। सरकारी गाड़ी आएगी लेने। और एक सरप्राइज दू?
सुमति- क्या?
चिंटु- अपना मन्नू भी आईपीएस अफसर बन गया है। आईपीएस मनहर प्रसाद।
सुमति खुश होते हुए- क्या? सच में? और राधा, वो कहा है अभी?
चिंटु- राधा एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में सीए की जॉब कर रही है। तीसरी बार में ही सीए की एग्जाम्स पास कर ली थी मैडम ने। आज शुक्रवार है न, हम सब इस रविवार को मिलते है। बहुत मजा आएगा।
सुमति- ठीक है तय रहा। अब जाओ वरना देर हो जायेगी।
चिंटु- एक कीस्सी...
सुमति- चल हट, सुधर जा। वरना देश को कैसे सुधारेगा?
चिंटु- वो भी देख लूंगा तु बस अभी गुड लक किस दे दे।
सुमति- असली वाली दूंगी मिलेंगे तब। अब फोन रख्खो और जाओ।

क्रमशः