विश्वास Madhuri Vaghasana द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • जंगल - भाग 12

                                   ( 12)                       ...

  • इश्क दा मारा - 26

    MLA साहब की बाते सुन कर गीतिका के घर वालों को बहुत ही गुस्सा...

  • दरिंदा - भाग - 13

    अल्पा अपने भाई मौलिक को बुलाने का सुनकर डर रही थी। तब विनोद...

  • आखेट महल - 8

    आठ घण्टा भर बीतते-बीतते फिर गौरांबर की जेब में पच्चीस रुपये...

  • द्वारावती - 75

    75                                    “मैं मेरी पुस्तकें अभी...

श्रेणी
शेयर करे

विश्वास

विश्वास

हर चीजो का जश्न मनाना जरूरी है, जिंदगी एक जश्न है।
जो जश्न से अति है वो जीवनभर याद रह जाती है।
12 बजकर 12 मिनट को जब में आई तो सबको यही लगा लड़का है।जब मा को पता चला में लड़की हु तो 3 दिन तक रोई।की में क्यो एक ओर बोझ बनने आयी।जब कि मुजे लड़का चाहिए था।
3 रे दिन उसने मुजे अपनाया था क्योकि वो खुद मेरे आने के गम से बीमार हो गयी थी।

पर जो भी हो मेरे मा-पाप है।
मेरे को ये बात की समज नही थी।आज समजदार हुई तो वो ही ये सब बताते है। बहुत दुख होता है।
पर उसका कोई कसूर नही होगा इसमें सायद हालात की यही मर्जी होगी।
थोड़ी बड़ी हुई मुजे नानी के घर भेज दिया।
सब ठीक चल रहा था।
पापा का अचानक एक्सीडेंट हो गया।
दीदी बड़ी थी। उसकी पढ़ाई चालू थी।
पेसो की सच मे जरूरत पड़ने लगी।
पता नए भगवान ने मुजे इतना सोचने वाला दिमाग क्यो दिया है।
जब मेरे पैर भी नही पोहचते थे मशीन पर फिर भी मेने सिलाई काम चालू किया।
ममी को अच्छा नही लगा कि सबसे छोटी है काम करेगी कोई क्या बोलेगा।
मेने ये दिखावा किया कि मुजे सिलाई काम करना अच्छा लगता है।
जबकि मुजे बीलकुल पसंद नही था।
सुबह 12 वी में पढ़ने जाओ।आकर मशीन पर काम करो।

में खुशी से ये करती थी
क्योंकि मेरा बड़ा भाई होता तो शायद वो पापा को मदद करता जब कि वो आज हमारे साथ नही है।और इसी लिए कही मम्मी को मेरे आने का दुख था।

बस मुजे उसकी कमी नही महसूस होने देनी थी।

थोड़े समय मे सब ठीक होने लगा।

दीदी से ज्यादा घर मे मुजे बड़ी मानने लगे।क्योकी दीदी बहुत सांत स्वभाव की थी।वो कुछ भी हो रोने लगती थी और में कुछ भी हो सबकुछ सुलजाकर समजा देती थी।

बचपन से ही पापा से सबसे ज्यादा डर लगता है। कभी कुछ कहा नही पर पता नय क्यों।और सबसे ज्यादा प्यार मुजे पप्पा ने ही दिया है।
वो यही कहते है कि भगवान इतनी समझदार बेटी सबको दे।
आज सोचने बैठु तो लगता है कि मेरी अबतक लाइफ कोम्प्रोमाईज़ करने में ही गई है।
भाई छोटा है,दीदी बड़ी है।
ओर समजदार हुई तो सपने देखना चालू किया।ये करना है वो करना है
मेहनत करने के बाद यही घर से जवाब होता है।बेटा यहा रहकर जो करना है करो।कही जाने की जरूरत नही है।
पप्पा एकबार मना करे फिर दर के कारण दुबारा कभी पूछने की हिमत नही की है।
दीदी का पापा के साथ अच्छा बनता है।हरबार बोलती है कभी तो समजाने की कोशिश कर मान जायेगे।पर डर ही दिल मे इतना है कि कभी सामने सवाल करने की हिमत ही नही होती।
बस प्यार से बात करनी है।

बचपन से ही हर चीजो को गहराई से जानने की तमन्ना थी जो पसंद आती थी।
थोड़ी सी बड़ी हुई जिंदगी जीने के मायने बदल गये पर कुछ आदते अभी वही थी।
कभी प्यार होगा ये तो सपने में भी नही सोच था।
पर है कभी अकेले बैठकर ख्वाब देखा करती थी कि यार मुजे ऐसा इंसान चहीए,वैसा इंसान चाहिए,जिसमे हजारो बुराईया होगी चलेंगा पर दिल बुरा नही होना चाहिए, ठीक है खड़ूस होगा चलेगा पर दिल का साफ होना चाहिए।पैसे नही चाहिए क्योंकि उससे जिंदगी जीने का मजा नही मिलता जिंदगी की जरूरियात मिलती है।

बस आराम से जिंदगी सादगी से चले उतना होगा तो भी चलेगा।
बचपन से कभी किसीसे सही रितिक्षा क्या है वो बात नही की है में असल मे ऐसी हु नही दिखाया है।सबसे हँसकर बोलना है यही सीखा है।
बस जो इंसान मीले उसके साथ में हु वैसी बनकर जी सकू।

पर डंबो है तू, कोई लड़का पसंद नही आएगा तुजे,
कभी किसीके साथ ऐसे ढंग से बात की है।
हर बार दोस्त यही बोलते थे।
नही है मुजे इन चीजों में मन तो में नही जाती इन चीजों के करीब

मुजे कोई ऐसा लगता ही नही है जो मेरे दिमाग मे बनाई हुई इमेज की तरह हो।
हजारो दोस्त है. कभी कभी किसीको जवाब देने को भी इच्छा नही होती।पर यार कोई प्यार से याद करता है तो उसका अपमान करना सही नही है। ये बात सिखाई है मेरे मम्मी-पापा ने की बेटा सबसे हँसकर ओर प्यार से ही बोलना है। सबको यही लगता था में परफेक्ट लड़की हू, जिनमेदारी है कोई तो पकड़ा दो उसे।
जिंदगी में जब किसी चीज से दूर भागने की कोसिस करते है वही हमारे पीछे भागती है कभी।
एक इंसान है जिसके साथ सायद में 1 साल से भी टच में नही थी ।
उसने मेरी बड़ी मदद किहे। मुजे IT में बिल्कुल मन नही था।पर इच्छा थी एकवार जाऊ इंटरवियू दु क्या ओर केसा होता है। उसने मेरी इस बात में मदद की थी। कभी बात करने में उसकी बातों में अकड़ से ज्यादा सच्चाई नजर आती थीं मुजे।
कॉन्टैक्ट थोड़े टाइम बंध हो गया।
मुजे बेस्ट अकॉउंटनट का अवार्ड मिला।
उसने मुजे विश किया।
मेने कुछ ध्यान नही दिया सब करते थे।में लोगो से दूर भागती थी क्युकी मुजे हर कोई बोलकर जता था कि तू बहुत भोली है।
Be strong
मेने इस इंसान से कभी कभी बात करना चालू किया।
4 महीने मेने देखा कि सच मे उसकी जो बाते है वो उसमे है या वो एक दिखावा है।
पर मुजे प्राउड है की कुछ सीखने के लिए मेने ऐसे इंसान को चुना था जो कुछ भी हो जाए कभी किसीका फायदा नही उठाएगा।
कभी अपनी आइडेंटिटी नही बदलेगा दुसरो की खुशी के लिये।
में डरने लगी कि कही इस इंसान से मुजे प्यार हो गया तो मुजे ये सारे चकरो को हैंडल करना नही आता है।
में उसके साथ रूड बन गई।न बोलने वाली भी बाटे बॉलदी ताकि वो।गुस्सा होकर मेरा कांटेक्ट तोड दे।
पर उसने ऐसा कुछ नही किया।
मुजे खुद पर शर्म आने लगी की में ऐसा कैसे बर्ताव कर सकती हूं?

मुजे अच्छा लगता था उसको समझना ।
में समझती थी उसे अपना कैरियर बनाना था।
क्योंकि हम माध्यम वर्ग के लोगो को कुछ विरासत में नही मिलता।
सबकुछ खुद के दम पर कमाना पड़ता है।
आय लाइक इट।
की उसमे वो जज्बा था।

नही जानती थी बहुत कुछ बस कोशिस कर रही थी।उसको तो शायद ये पता भी नही होगा कि मेंरे दिमाग मे ये सब चल रहा है।

वो उन लड़को में से था जो कभी इन चकरो में पढ़ना नही चाहता था ।
ये क्लियर था।
में भी तो यहीं सोच रखती थी यार
पर क्यों मेने किसी इंसान को इतना नजदीक से पहचान ना चालू किया।
में रोती थी की कही अगर में किसीके विचारो के नजदीक गई तो वापस आना मुश्किल होगा ।
फिर उसके घर पर जाना हुआ
में बिल्कुल खाली दिमाग लेकर गई थी।
कुछ सवाल नही था मेरे जेहन में।
जब वहा उसके घर से निकली तो मेरे अंदर सवालो का भवर मच गया।
यही सोच लिया कि बस कुछ भी हो इस इंसान को उसकी मंजिल तक पहुचते हुए कामयाब बनते देखना है।
बस मुजे एकबार उसे सक्सेस बनते हुए देखना है।

थोड़े दिन के बाद मेने सबकुछ बिगाड़ दिया।
जो में बता भी नही सकती

बस इतना मैसेज है कि सामनेवाले की दिमाग और दिल की हालत जाने बगैर मुँह नही खोलो
क्युकी दुसरो की नजर में बेईज्जत हो जाते है।

किसीकी चुपी भी कभी बहुत कुछ कह जाती है।

पर मुजे गर्व है कि ये मेरा पहला और आखरी पसंद थी
ओर मुजे कहने में भी खुशी है कि मेरी पसंद गलत नही है।
बस में किसीकी पसंद नही बन पाई
उसमे उस इंसान की गलती नाही है।
बस भगवान से यही दुआ है कि उसकी सच्चाई और ईमानदारी बनी रहे और एकबार मेने सोचा था वैसे वो सफल इंसान ओर succes टच करे।

की उसको ढूढने के लिए सब google का उपयोग करे।
जो उसने मुजे बोला था।कि में गूगल पर आऊगा पर टाइम लगेगा।

विश्वास सबसे बड़ा सब्र है बस ये विश्वास बना रहे।

take your time
and be successful person....


By Madhuri vaghasana