चिंटु - 32 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटु - 32

शाम के वक्त बारिश कम हुई पर अंधेरा जल्दी होने आ गया था। पर अब पुनिश ने अपना इरादा बना लिया था कि वो भी सौम्या को ढूंढने जाएगा बिना किसी को बताए। चाहे बारिश आए या तूफान, अब तो सौम्या को ढूंढकर ही वापस आऊंगा।

दो दिन हो चुके थे और दो लोग गुम हो गए थे। सरकार ने दिग्विजय के बेटे को छोड़ने की मंशा बना ली थी पर अभी डिक्लेयर नहीं किया था। अब पांच लोगो की गुमशुदगी का मामला था। इंस्पेक्टर राजीव ने हर तरफ अपने खबरी रखे हुए थे पर मोहन और उसके साथियों को कोई पहचान नहीं पाया था। उसे इसी बात का गुस्सा भी बहुत आ रहा था। ये पहली बार है कि उसे एक केस सॉल्व करने में इतनी मुश्किल हो रही थी। और कुदरत भी इस वक्त उन डाकुओं का साथ दे रही थी।

****
चंबल की नदी उफान पर थी। दो दिन से बारिश इतनी थी कि कोई नहाया भी नहीं था। इवान के मम्मी पापा को आए दो दिन हो गए थे पर अबतक दिग्विजय ने बताया नहीं उन्हें की उन लोगो को यहां क्यों लाया गया था।
रॉबर्ट मेरी से कहता है- मुझे लगता है अब ये लोग राहुल और उसकी वाइफ को यहां लाएंगे। ज्यादा लोगो को किडनैप करके सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए।
मेरी- मुझे ऐसा नहीं लगता। बार बार थोड़े ही रिस्क लेकर सबको किडनैप करवाएंगे? मुझे लगता है अब हमे ही बात कर लेनी चाहिए इनसे।
चिंटु, इवान और सुमति उनकी बाते सुन रहे थे। बेला इस वक्त अपने मां बाबा के साथ थी।

शाम को खाना खाने के बाद रॉबर्ट और मेरी दिग्विजय के पास जाते है।
रॉबर्ट ने यहां वहां की बात ना करते हुए सीधे दिग्विजय से पूछा- आपने हमे दो दिन से यहां बुलाया हुआ है पर अब तक ये नहीं बताया क्यों?
यह सवाल सुनकर दिग्विजय कुछ देर चुप रहता है। वह रमादेवी के सामने देखता है। रामादेवी ने अपना सिर हां में हिला के मानो आगे बात करने की संमती दी हो। फिर दिग्विजय, रामादेवी, रॉबर्ट और मेरी के बीच बात होती है।

रॉबर्ट बातचीत ख़तम होने पर कहता है- क्या यह सही रहेगा? बाद में कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना? क्या पता पुलिस फिर हम पर टूट पड़े की आप भी डाकुओं से मिलेजुले हो।
दिग्विजय- ऐसा नहीं होगा। मै हमारी बेटी को ही आप लोगो के साथ भेजूंगा। मेरा बेटा छूटकर तो कभी न कभी आ ही जायेगा। पर आप लोग मेरी बेला को उसके ससुराल पहुंचा दो बस। मै सिर्फ उसकी खुशी चाहता हुं। हमने बहुत सोच विचार के यह निर्णय लिया है के उसका भविष्य वहां ही है, ना के यहां।
मेरी कहती है- हां, बेला अच्छी बच्ची है। पर उससे ज्यादा मिलना या बातचीत नहीं हुई। बस आज उससे बात कर लेती हुं। वो इस रिश्ते से खुश है के नहीं?
रमादेवी- हमारी बेटी वहीं रिश्ता करेगी जहां हम कहेंगे। वो हमारे फैसले के खिलाफ नहीं जायेगी।
मेरी- अच्छी बात है फिर, हमे आपका फैसला मंजूर है। कहिए कब तैयारी करनी है?
दिग्विजय- कल ही ये सब हो जाए तो अच्छा रहेगा। कब से ये बच्चे यहां पर आए हुए है, तो अब यही सही वक्त है।
रॉबर्ट- पर बेला... मान जायेगी ना?
रमादेवी- उसे में समजा दूंगी। (दिग्विजय से) आप तैयारी शुरू करवा दीजिए जी।
रॉबर्ट- पर ये बारिश...।
दिग्वजय- कल देखते है।

****
मेरी और रॉबर्ट इवान के पास जाते है। हीरा इवान के साथ टेंट में बैठा हुआ था। इवान के मम्मी पापा को देख हीरा मोहन के पास चला जाता है। चिंटु और सुमति बेला के पास गए हुए है। रॉबर्ट ने आकर इवान से कहा- सरदार कल हमे यहां से छोड़ने वाले है।
इवान यह सुनकर खुश हो गया पर दूसरे ही पल उसके चेहरे पे मायूसी छा गई। वह अपने मम्मी पापा से कहता है- आप लोग क्या बात करके आए? और वो.. बेला और चिंटु की शादी?
रॉबर्ट- वो तो कल ही होने वाली है। इस शादी के बदले ही तो वो हमे छोड़ने वाले है।
इवान- क्या? कल... शादी..? आप लोगो ने मेरे बारे में बताया नहीं उन लोगो को?
मेरी- बताया था माय चाइल्ड बट वो लोग अपनी बेटी का भविष्य कहा अच्छा है वहीं देखेंगे न। और अब तो चिंटु बड़ा अफ़सर भी बन गया है। तो...
इवान रोने लगता है। मेरी और रॉबर्ट एक दूसरे के सामने देखते है पर कुछ बोलते नहीं है। कुछ देर बाद इवान के शांत होने पर उसे चिंटु को बुलाने भेजते है। और इवान को वहीं बेला और सुमति के पास बैठने को कहते है।

जब चिंटु आया तब मेरी और रॉबर्ट ने मिलकर उसे समजाया की कल शादी है और उसी के साथ हमारी यहां से बिदाई। कल क्या क्या करना है वह सब चिंटु को बता दिया।
मेरी ने चिंटु से कहा- अब सब तुम्हारे हाथ में है माय चाइल्ड। जीजस करे कल सब ठीक हो जाए और हम जल्दी से अपने घर पहुंच जाए।
चिंटु उनसे पूछता है- क्या यह सब सच है? कही वो हमे कोई जांसा तो नहीं दे रहे है? क्या पता शादी के बाद हमे जिंदगी भर यही रख ले।
रॉबर्ट- नहीं, ऐसा नहीं होगा। जबान से पक्का है ये सरदार। मुझे नहीं लगता पलटेगा अपनी जुबान से।
मेरी- बस कल ये सब ख़तम हो और हम निकले यहां से। तुम्हारी मां तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार कर रही है बेटा।
चिंटु- हां आंटी! अब तो मुजे भी यहां से जाना है।

****
इवान का उखड़ा हुआ मुंह देखकर बेला उससे पूछती है- क्या हुआ? इतना खराब मूड क्यों है तुम्हारा?
इवान की आंखो में आंसू आ जाते है, वह कहता है- तुम्हारी शादी कल करवा रहा है तेरा बाप।
बेला और सुमति एक साथ- क्या?
बेला- क्या बक रहे हो तुम?
इवान गुस्से में कहता है- बक नहीं रहा हुं, सच बता रहा हुं। तेरे बाप ने मेरे मम्मी पापा को बताया अभी। उन्हीं से मिलकर आए है अभी। तभी तो चिंटु को भेजा है मम्मी पापा के पास।
बेला रोने लगती है और कहती है- नहीं बाबा ऐसा नहीं कर सकते मेरे साथ। उन्हें पता है मुजे तुम पसंद हो। मां ने बताया ही होगा उन्हें। (सुमति को कहती है) मुजे ये शादी नहीं करनी। मै भाग जाऊंगी यहां से।
सुमति उसे समजाती है- इतनी जल्दी कोई फैसला मत करो।
हम मिलकर कुछ ना कुछ कर ही लेंगे। पर तब तक के लिए शांत हो जाओ।
सब बैठकर अपने अपने हिसाब से सोचने लगते है।

कुछ देर बाद इवान कहता है- मुझे एक आइडिया आया है।
बेला- कैसा आइडिया?
इवान- कल दुल्हन के रूप में तुम्हारी जगह अगर सौम्या बैठ जाए तो?
सुमति- क्या? ये क्या बकवास कर रहे हो?
इवान- देख सौम्या, मै कोई बुद्धू नहीं हुं। मुजे पता है तुम और चिंटु एक दूसरे को पसंद करते हो। देख इससे दो मसले सुलझ जाएंगे।
सुमति- वो कैसे?
इवान- तुम अपनी पसंद से शादी कर लेना और मै अपनी पसंद से। plz सौम्या मेरी हेल्प तुम ही कर सकती हो इस वक्त। कल तुम बेला के कपड़े पहनकर शादी में आना। और घूंघट निकला हुआ होगा तो किसी को पता भी नहीं चलेगा।
सुमति कहती है- पर इसके लिए मुजे चिंटु से पूछना होगा। और मै कोई सच मै शादी नहीं करूंगी। आखरी फेरे पर मना कर दूंगी शादी के लिए। मै शादी अपने घरवालों की मर्जी से करूंगी।
इवान- फिर तो सबको पता चल जाएगा ना? plz यार, ऐसा मत करो। वापस जाकर शादी तोड़ देना।
सुमति गुस्से से कहती है- शादी कोई मजाक नहीं है इवान।
बेला कहती है- अब सब तुम्हारे हाथ में है सौम्या। अगर मुझे मंडप में बैठना पड़ा तो बिदा होकर मेरी लाश ही जायेगी यहां से।
बेला रोते हुए बाहर चली जाती है। और इवान भी अपने मम्मी पापा के पास जाता है। सुमति अकेले बैठकर सोचने लगती है,' मुजे तो अपना प्यार मिलेगा के नहीं ये नहीं पता पर इन दोनों को अपना प्यार पाने में मै जरूर मदद करूंगी।

इवान के वापस लौटने तक मेरी और रॉबर्ट ने चिंटु को सब कुछ समजा दिया था।

****
सुबह सब जल्दी उठ गए थे। रमादेवी ने अपने हाथो से तैयार किया हुआ लहेंगा बेला के लिए भिजवाया। सुबह बाकी के साथियों नेशादी की सब तैयारी करवा दी थी। उनके लिए अच्छी बात यह थी के शादी करने वाला पुजारी इस गिरोह में शामिल हो गया था। उस बेचारे की बीवी को उसके गांव के ठेकेदार ने उठवा लिया था और दो दिन बाद उसकी लाश मिली थी। तब से यह पुजारी भी बागी बन गया।
चिंटु देख रहा था पता नहीं ये सब तैयारी इन लोगो ने इतनी जल्दी कैसे कर दी? और यह फूल कहा से आ गए, यह वरमाला भी? चिंटु को सोच में देख मोहन ने उसे बताया- यह सब जब शहर गया था इवान के माता पिता को लेने तब उनके यहां आने की सुबह ही यह सब वहीं से एक आदमी के साथ भिजवा दिया था।
चिंटु आश्चर्य से पूछता है- आपको पता था यहां यह सब तय होने वाला है?
मोहन सिर्फ मुस्कुरा दिया।
चिंटु मोहन से पूछता है- भैया ये बताईए, हमारे घरवाले कैसे है?
मोहन जवाब देता है- तुम्हारी मां और बहन आए हुए है। और वो तुम्हारी दोस्त का मंगेतर भी आया हुआ है।
यह सुनकर चिंटु की चिंता बढ़ जाती है। वह सोचता है,' काश आज मेरी शादी सुमति से हो रही होती।'
मोहन चिंटु से कहता है अब इवान को भी तैयार कर लो। और तुम्हे जो बताना है वह बता दो।

इवान के उठते ही चिंटु उसे कपड़े दे देता है। शादी के कपड़े देख इवान को जटका लगता है। वह चिंटु से पूछता है- ये क्या है?
चिंटु उसे बताता है- आज तेरी शादी है। और तूने अगर शादी से मना किया तो ये लोग तेरे मां बाप को मार डालेंगे।
इवान- पर क्यों? मै किससे शादी करने वाला हुं।
चिंटु- सुमति से।
इवान- पर ऐसे कैसे? मै क्यों शादी करू सौम्या से?
चिंटु- वो मुझे नहीं पता। मोहन भाई ये कह के गए है। और सेहरे के पीछे तेरा चहेरा छिपा कर रखना। और एक शब्द भी बोला तो वो लोग तेरे मां बाप को...। कल तेरे मम्मी पापा से उन्होंने सारी बात कर ली है। मुजे अब ना चाहते हुए भी बेला से शादी कर नी पड़ेगी। तुम सब की जिंदगी के लिए।
इवान- पर ये फैसला करने वाले वो लोग कौन होते है? और मम्मी पापा... वो कैसे तैयार हो गए?
चिंटु- तुम्हारी जिंदगी के लिए। वे ना कहेंगे तो तुम्हे अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ेगा। इस लिए चुपचाप मंडप में बैठ जाना कुछ भी बोले बगैर। बाकी का हम वापस जाकर देख लेंगे।

****
यहां बेला के बदले सुमति ने शादी का जोड़ा पहन लिया है। वह बेला से कहती है- अब तो जो होगा देखा जायेगा। तुम यहीं रहना, बाहर मत निकलना। अगर मेरी शादी चिंटु से यहां लिखी है तो यही सही। पर मै तुम दोनों के प्यार को कुर्बानी नहीं देने दूंगी। तुम यहां पर ये चद्दर ओढ़कर सो जाओ। कोई आएगा तो मै थोड़ी खराब आवाज़ में बोल दूंगी तुम्हे बुखार है। वे लोग समझेंगे कि मै सोई हुई हुं।
बेला- मै तुम्हारा ये एहसान कभी नहीं भूलूंगी। और तुम्हारे और चिंटु जी के नए सफर के लिए शुभकामनाएं।
सुमति- थैंक यू बेला। अब तु ये चद्दर ओढ़ ले। मै घूंघट निकाल कर बैठ जाती हुं।

इवान अपने मम्मी पापा को खोने के डर से दूल्हे के कपड़े पहन लेता है और चिंटु उसे सेहरा भी पहना देता है।
इवान चिंटु से कहता है- यार ये सेहरा पहनना जरूरी है क्या? कितना घना है, कुछ दिखता ही नहीं। हमारे यहां शादी में यह सब होता ही नहीं है।
चिंटु उसे कहता है- यार जो भी है यही है। अब मै भी तैयार हो जाता हुं।
इवान चिंटु से पूछता है- और तुम्हारी और बेला की शादी का क्या?
चिंटु- वो कल होगी। हमारा सामान आज तुम लोगो के काम आने वाला है। कल फिर पूरा समान आ जाएगा।
इवान- तुम्हे कैसे पता?
चिंटु- मोहन भाई ने बताया था।

****
पुनिश आज सुबह ही निकल पड़ा था बीहड़ों में। पर वो घूम फिर कर एक ही जगह आ जाता था। वह सोचता है इंस्पेक्टर राजीव सही कह रहा था। इस बीहड़ों में वहीं जा सकता है जो उस रास्ते को पहचानता हो। क्या करू, कहां जाऊं? अब शायद वापस जाना ही ठीक रहेगा। इस बारिश में कहां कहां भटकुंगा। और ये डाकू भी पता नहीं कहां अपना अड्डा जमाए हुए है।
पुनिश को काफी गुस्सा आता है। वह एक घंटे तक वहीं घूमता रहा पर कुछ नसीब नहीं हुआ।

रेस्ट हाउस पर इंस्पेक्टर राजीव आ चुका था। राहुल ने ही फोन करके उन्हें बुलाया था। आज सुबह से पुनिश भी नहीं दिखाई दिया तो उन्होंने तुरंत ही पुलिस थाने फोन कर दिया था।
इंस्पेक्टर राजीव ने आकर सब से पूछताछ की पर कोई क्लू नहीं मिला। उसे अगर अंदाजा होता तो वो भी पुनिश के साथ चला जाता। ऊपर से वैसे भी बहुत प्रेशर था। अब तो केस सीबीआई को सौंपने की बात हो रही थी। यह मुद्दा अब नेशनल बन चुका था।

स्नेहा राहुल से कहती है- अब हम पुनिश के मम्मी पापा को क्या जवाब देंगे? हमारी बेटी के साथ साथ दामाद को भी...
राहुल उसे सांत्वना देते हुए कहता है- कुछ नहीं होगा दोनों को, तुम इतना मत डरो।
स्नेहा के साथ साथ शारदा और पिया भी रोने लगते है। राहुल और इंस्पेक्टर राजीव उन सब को समजा रहे है।

****
पुनिश जैसे तैसे बीहड़ों से बाहर आ जाता है। फिसलन होने के कारण वह बार बार गिर जाता था तो थोड़ी चोटें भी अाई थी हाथ और पैर में। वह बाहर निकलते ही उसे पुलिस थाने से आए हुए कॉन्स्टेबल्स मिले। वे पुनिश को जीप में बिठाकर रेस्ट हाऊस ले गए।
पुनिश को वापस आया देख सब के दिल को राहत मिली। स्नेहा तुरंत उसके पास जाकर गले लग जाती है और कहती है- कहां चले गए थे तुम बिना बताए और ये क्या हाल बना रखा है अपना? पता है हम कितना डर गए थे? क्या जरूरत थी बिना बताए कही जाने कि? अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो मै सौम्या को क्या जवाब देती मै?
पुनिष- अरे अरे आंटी! कितने सवाल करेंगी आप? घबराइए मत, जब तक आप सब का आशीर्वाद है मुजे कुछ नहीं होने वाला है।
राहुल- पर बेटा तुम गए कहां थे?
पुनिश- अपनी सौम्या को ढूंढने। पर रास्ता पल्ले ही नहीं पड़ा।
यह सुनकर इंस्पेक्टर राजीव हस पड़ता है। वो पुनिश से कहता है- जनाब ये चंबल है, बम्बई नही। क्या आप भी, यू हीं चले गए? मुजे बताते तो साथ चलते।
पुनिश- क्या करू? प्यार के हाथो मजबूर था। अब सहा नहीं जाता। कैसे भी करके अब सौम्या और बाकी सब को वापस लाना ही है।
इंस्पेक्टर राजीव- अरे बताकर तो जाते। आज ही हवामान विभाग से न्यूज अाई है कि दोपहर के बाद मौसम साफ होने वाला है। हम सब तैयार ही है वहा जाने के लिए।
पुनिश- यह तो अच्छी बात है। मै तैयार ही हुं जाने के लिए।
इंस्पेक्टर राजीव- अब डाकू दिग्विजय नहीं बच पाएगा हमारे हाथो से।

****
शादी की सब तैयारियां हो गई थी। शादी दिग्विजय के टेंट में ही रचाई जानी थी। क्योंकि वह काफी हद तक बड़ा था। सारे लोग वहीं इकठ्ठा हो गए थे। इवान भी चिंटु के साथ आ गया था। उसने सेहरा हटाकर देखा उसके मम्मी पापा के पीछे हीरा और मोहन बंदूक लेकर खड़े है। वह डर गया यह देखकर। वह सोचने लगा, 'वाकई में मैंने अगर ये शादी ना कि तो मेरे मम्मी पापा को ये लोग... नहीं नहीं। उनके लिए मै ये शादी जरूर करूंगा। माफ़ करना सौम्या पर मै कुछ नहीं कर सकता। मै जानता हुं तुम पर क्या बीत रही होगी। पर वापस जाकर हम डिवोर्स ले लेंगे हं,, तुम चिंता मत करना।

सुमति शादी का जोड़ा पहन कर तैयार हो गई थी। बेला ने सुमति के कपड़े पहनकर उल्टी दिशा में खड़ी हो गई थी। ताकि कोई देखे तो उन्हें शक ना हो। वह सुमति से कहती है- सुमति तुम मेरी खातिर यह सब कर रही हो। मै तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी बहन।
सुमति उसे गले लगाकर कहती है- इसमें शायद मेरा स्वार्थ भी है। मुजे भी चिंटु से शादी करनी है। पर पता नहीं था इस तरह करनी पड़ेगी। और चिंटु को भी कहा पता है कि शादी मै उससे कर रही हुं, ना के तुम। अब जो होगा देखा जाएगा, तुम चिंता ना करो।
बेला- मेरी शुभकामना हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी।

दोनों एक दूसरे को गले लगाती है। तभी रमादेवी वहा आ जाती है बेला को बुलाने। बाहर किसिकी आने की आहट सुनकर जल्दी से बेला चद्दर ओढ़कर सो जाती है। सिर्फ अपने पैर दिखे उतना भाग ही खुला रखा। दरअसल उसने पेंट पहना हुआ था जो बेला कभी नहीं पहनती थी। उसने पैर नहीं पर पहनी हुई पेंट दिखानी थी। ताकि मां को यकीन हो जाए कि वो सुमति ही है।
रमादेवी ने आकर देखा कि कोई सोया है तो उन्होंने शादी के जोड़े में रही सुमति जिसने घूंघट निकाल रखा था उससे पूछा- ये क्यों सोई पड़ी है? अभी तक तैयार क्यों नहीं हुई?
सुमति ने आवाज बदलकर कहा- उसे बुखार है।
रमादेवी ने कहा- ये तुम्हारी आवाज़ को क्या हुआ बेला?
सुमति जवाब देती है- ज़ुकाम हो गया है तो...।
सुमति इतना बोलकर खांसने लगी। वह जितना हो सके उतना कम ही बात करती थी। रमादेवी बेला को उठाने जा रही थी तब सुमति ने उन्हें रोक लिया। वह बोली- पूरी रात ये जगी है इसे सोने दीजिए। (खांसने का नाटक करते हुए) मुजे तैयार करके ही सोई है। इसे मत जगाइए।

****
रमादेवी सुमति को अपने टेंट में ले जाती है। अब बारिश भी कम हो गई थी। सब लोग टेंट में आ गए थे। इवान को बिठाकर आगे की विधि पंडितजी ने करवा दी थी। अब दुल्हन की बैठने की बारी थी। रमादेवी ने सुमति को बेला समजकर इवान के बाजू में बिठा दिया। विधि शुरु होती है। घूंघट के कारण सुमति ठीक से देख नहीं पाती और इवान अपने सेहरे के कारण ज्यादा देख नहीं पाता है। जब पंडितजी ने उन्हें एक दूसरे के हाथ पर हाथ रखने के लिए कहा तब जब सुमति ने इवान के हाथ की हथेली पर अपनी हथेली रखी तो उसे महसूस हुआ कि ये हाथ तो चिंटु का नहीं लग रहा। इतना मोटा हाथ तो इवान का ही हो सकता है। कही इन लोगो ने चिंटु के बदले इवान को तो नहीं...। अरे! नहीं नहीं... मुझे कुछ करना होगा। पक्का ये चिंटु तो है ही नहीं।
पर इवान ने कभी बेला का हाथ ज्यादा पकड़ा नहीं तो उसे पता नहीं चला कि ये सुमति है या बेला। वह तो बेचारा हालातो का मारा, यू ही बैठा रहा अपनी किस्मत को कोसता हुआ।

सुमति परेशान होने लगी और असहज होकर अपनी बॉडी लैंगवेज बदल ने लगी। उसे देख रमादेवी पूछती है- क्या हुआ बेला? ठीक से बैठना।
बेला उन्हें इशारे से बुलाती है और कहती है मुजे झाड़ियों में जाना पड़ेगा।
इसका मतलब था वह बाथरूम जाना चाहती है।
रमादेवी पूछती है- अभी? तो सुमति आवाज़ बदलकर कहती है- वो थोड़ा मुजे पूछकर आएगा। मुझे अभी के अभी जाना पड़ेगा। आप कुछ देर विधि रुकवा दीजिए। शायद दो नम्बर भी जाना पड़े।
रमादेवी मुंह बिगाड़ते हुए पंडित को कुछ देर रुकने के लिए कहती है तो सब उनकी ओर देखने लगे।
रमादेवी कहती है- अरे बच्ची को हलका होने जाना है।
सुमति चिढ़ जाती है। वह रमादेवी से धीरे से कहती है- ये क्या बोल रही है आप? कुछ दूसरा नहीं बोल सकती थी?
रमादेवी कहती है- उसमे क्या? ये तो सबको आता है।
सुमति रमादेवी को अपने पीछे किसी को ना भेजने का कह के अपनी जगह से उठकर पीछे अपने टेंट में चली जाती है।

ये सब बाते चल रही थी तब सबके बीच चिंटु सुमति को ढूंढता है कि वो दिख क्यों नहीं रही है? उसने मेरी आंटी से भी पूछा। तो मेरी आंटी ने बताया उसकी तबियत शायद बिगड़ गई है है। बेला की मां ने बताया था मुजे।
चिंटु धीरे से सबकी नजरो से बचकर पीछे चला जाता है। जब वह सुमति के पास जाता है तो वो उसे सोई हुई दिखाई देती है। वह उसके पास जाकर बेला को सुमति समजकर उसे उठाता है पर बेला अपना नाटक जारी रखते हुए सोती रहती है। कुछ ही मिनट में जब सुमति शादी के जोड़े में अंदर अाई तो उसे आश्चर्य हुआ। ये अभी यहां क्या कर रही है?
सुमति ने जब अपना घूंघट उठाया तो चिंटु और सुमति एक दूसरे को देखकर हक्के बक्के रह गए। दोनों एक दूसरे को एक साथ ही कहते है- तुम यहां?
अब बेला भी उठ जाती है। उस बेचारी को इतना डर था कि वह चिंटु की आवाज भी नहीं पहचान पाई थी। वो भी सुमति को पूछती है- तुम यहां क्यों अाई?
और चिंटु को देखकर पूछती है- आपने दूल्हे के कपड़े क्यों नहीं पहने है?
चिंटु उसे कहता है- सबसे पहले तुम दोनों कपड़े बदल लो जल्दी से। मंडप में मै नहीं इवान बैठा है।
सुमति और बेला एकसाथ- क्या? इवान?
चिंटु कहता है- वो सब में बाद में बताऊंगा। पहले जल्दी तैयार हो जाओ बेला और जल्दी जाओ यहां से। मै बाहर इंतज़ार करता हुं।

सुमति ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े बेला को पहना दिए और खुद के कपड़े वापस पहन लिए। ये सब सिर्फ पंद्रह मिनट में हुआ। बेला ने अपने बाल तक नहीं बनाए और सीधे शादी के मंडप की तरफ चली गई। उसके पीछे चिंटु और सुमति भी धीरे से चले गए।
दुल्हन को वापस आता देख सब वापस शादी की रस्मों में जुड़ गए। सुमति को बेला के साथ देख रमादेवी पूछती है- अब तबियत ठीक है न?
सुमति कहती है- हां आंटी, बेला को इस वक्त मेरी जरूरत थी तो मै आ गई अपनी सहेली के लिए।
रमादेवी सोचती है,' ये इन्हे यहां अगवा करके लाए थे पर यह सब घर के सदस्य ही लग रहे है। आज मेरी बच्ची विदा हो जाएगी। यह सोच सोच रमादेवी के आंखो से आंसू निकलते रहते है।

बेला अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही है, उसकी शादी उसके प्यार इवान से ही हो रही है। पर उस वक्त वह कुछ नहीं बोलती। क्या पता यहां सब क्या सोचेंगे मेरी प्रतिक्रिया पर। वह मन ही मन शरमा जाती है। पर उसे यहां से जाने का दुख भी हो रहा है। मां बाबा को छोड़कर जाने का दुख। ये वही है जिन्होंने उसकी इज्जत बचाई थी और अपनी बेटी की तरह रखा। और आज मा बाप का फर्ज भी अदा कर रहे है।
बेला की आंखे नम हो जाती है।

शादी की सब रस्में पूरी हो गई थी। इवान ने बेला को मंगलसूत्र भी पहनाया। हालांकि वे क्रिश्चियन है पर बेला का परिवार हिन्दू है। तो उसी रीति रिवाज के अनुसार शादी हुई थी। पर इवान अब भी बेखबर है कि उसकी शादी सुमति से नहीं बेला से हुई है। वह हारे हुए सिपाही की तरह अपनी जगह से खड़ा हुआ। उसकी मम्मी ने उसे बड़ों का आशीर्वाद लेने के लिए कहा। वह बेला के साथ सबके पैर छू रहा है। इन सब के बीच जो खुश थे वो थे चिंटु और सुमति।

सुमति ने सब ख़तम होने के बाद पूछा- ये सब क्या था चिंटु? तुम्हारी जगह इवान कैसे आ गया?
चिंटु- अभी सबको जाने दो, बाद में शांति से बताता हुं। अभी चौंकने की बारी इवान की आने वाली है। बस उसके रिएक्शन का इंतज़ार है। बेला को देखकर उसके चेहरे की खुशी देखनी है बस।
सुमति- हां, मुझे भी। कितने लकी है दोनों।
चिंटु- और हम?
सुमति ने कोई जवाब नहीं दिया। तो चिंटु पूछता है- और हम लकी नहीं है क्या? जवाब दो...
सुमति- हम लकी तब होंगे जब हमारे पेरेंट्स इस रिश्ते के लिए हां कहेंगे।
चिंटु- और अगर ना कहा तो?
सुमति- तो... पता नहीं। पर जिन्होंने मुजे अब तक पाला है उनके अगेंस्ट मै नहीं जा सकती। पर मुजे लगता है वे हमे समजेंगे।
चिंटु- आई होप। तुम्हे पता है कल हम यहां से निकलनेवाले है?
सुमति (आश्चर्य से)- क्या? तुम भागने वाले हो?
चिंटु- तुम्हे छोड़कर मै भाग सकता हुं भला?
सुमति- तो?
चिंटु- कल बेला के साथ साथ हम सब की भी यहां से बिदाई होने वाली है।
सुमति खुश होते हुए- सच? तुमने यह बहुत अच्छी खबर सुनाई है। मै बता नहीं सकती के मै कितनी खुशी हुई हुं यह सुनकर। अच्छा अब मै बेला को अपने साथ ले जाती हुं तुम इवान को संभालो। जब मै कहुं तब ही भेजना अंदर। और उससे कहना अंदर आकर धीरे से बातचीत करे। यहां दीवारें नहीं है और सबके कान भी अच्छे है इधर।
चिंटु हंसते हुए कहता है- समज गया तुम क्या कह रही हो। एक्साइटमेंट में चीखने ना लगे वो, यही ना।
सुमति- समजदार हो।
चिंटु- बाय बोर्न।😜
सुमति- ए.. हे..! पता है कितना समजदार है तु। चलो अभी इवान और बेला के पास जाते है।
चिंटु- एक काम तो रह गया।
सुमति- क्या?

चिंटु सुमति को खींचकर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंठो पे अपने होंठ रख देता है। दो पल के लिए समय और स्थान को भुल दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। बाहर किसी के आने की आहट सुन दोनों अलग हुए।
उनके पास मेरी आंटी आए थे। वह सुमति को बुलाने अाई थी ताकि वह बेला के पास रहे। फिर मेरी और सुमति बेला के पास चले गए और चिंटु इवान के पास। अभी भी इवान ने बेला का चेहरा नहीं देखा था। और बेला भी कुछ कम नहीं थी। अबतक उसने भी इवान से बात नहीं कि। ताकि वह पहचान ना सके। चिंटु और बेला ने प्लान बनाया था कि रात तक बेला और इवान को अलग ही रखे। चिंटु आकर इवान को अपने साथ ले गया और सुमति बेला के साथ उसके बैठी रही।

****
शाम हो गई थी। बेला के साथ रमादेवी, मेरी और सुमति बैठे हुए थे। रमादेवी मेरी से कह रही थी- अगर मेरी बिटिया से कोई भुल हो जाए तो उसे माफ कर दीजिएगा।
रमादेवी के आंखो में आंसू आ जाते है। वह आगे कहती है- भगवान ने हमें बेटी नहीं दी, इस बात पर गुस्सा थे उनपे। पर बेला को हमारे जीवन में भेजकर ये कमी भी पूरी हो गई। अब आप भी वापस जाकर अपने रीति रिवाज से दोनों की दुबारा शादी करवा देना मारी बहन।
मेरी उनसे हंसते हुए कहती है- मेरा नाम मेरी है सिस्टर। और ये आप क्या कह रही है? ये भी अब मेरी बेटी ही है। इसका तो में अपने इवान से भी ज्यादा ख्याल रखूंगी। ऐसे हीरे जैसी सन इन लो कहां मुजे मिलने वाली थी?
रमादेवी- क्या कहा आपने?
मेरी- मेरा मतलब ऐसी बहू कहां मिलने वाली है! हम खुद भी इतनी अच्छी बहू नहीं फाइंड कर पाता। मेरा मतलब हमे नहीं मिलती ढूंढने पर भी। बेला बस अब जल्दी से घर आ जाओ। बस फिर हम दोनों बहुत सारी शॉपिंग करेंगे, घूमेंगे, फिरेंगे बस एश करेंगे और क्या।
सुमति- अरे वाह! आंटी, ये तो गाना बन गया। मै भी साथ चलूंगी अभी से कह देती हूं हां। बेला तुम्हे जब कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो जट से कॉल कर देना बंदी हाज़िर हो जाएगी।
बेला शरमा जाती है।

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चिंटु इवान से बात करने की कोशिश कर रहा है पर वह बेचारा अभी भी सदमे में है। चिंटु को मन ही मन बहुत हसी आ रही है पर वह रात की बाज़ी नहीं बिगाड़ना चाहता। वह फिर भी इवान से पूछता है- इवान तुम ठीक तो हो ना?
इवान मरी हुई आवाज में कहता है- क्या ठीक? यहां मेरी लगी पड़ी है और तुम....। मै क्या मुंह दिखाऊंगा बेला को और सौम्या को?
चिंटु अनजान बनकर पूछता है- क्यों? क्या हुआ? ऐसा क्यों बोल रहे हो?
फिर इवान बताता है कैसे उन्होंने प्लान बनाया था कि चिंटु की यानी तुम्हारी शादी के वक्त बेला के बदले सौम्या दुल्हन बनकर मंडप में आएगी। पर उस बेचारी को तो पता ही नहीं चला होगा के दूल्हे के लिबाज़ में तुम नहीं पर मै हूं। ये मै क्या बोले जा रहा हूं । लगता है मै पागल हो जाऊंगा घर पहुंचते पहुंचते।

चिंटु मन ही मन मुस्कुरा देता है। फिर कहता है- अच्छा चल अब मै चलता हुं। तु बैठ इधर, मै तेरी दुल्हन को भेजता हुं।
इवान कुछ बोले उससे पहले ही चिंटु वहा से चला जाता है।

वह सीधे सुमति के पास जाकर कहता है- अब वक्त आ गया है बेला को भेजने का।
उस वक्त मेरी और रमादेवी वहां से जा चुके थे। सुमति भी बेला को कहती है- चल मेरी जान, जाने का वक्त आ गया।
बेला कहती है- अभी रुक जाओ। मै शाम के खाने के बाद ही जाऊंगी। अब मुझे भूख भी बहुत लगी है। उसके पास अभी गई तो वो अपने साथ साथ मेरी भी भूख भुल जाएगा।
उसकी बात पर तीनों हंस पड़ते है।
सुमति कहती है- अच्छा चल अब शाम तो होने ही अाई है तो तेरा भोजन मंगवा ही लेती हुं बहुरानी। सारा दिन कैसे निकल गया पता ही नहीं चला।
बहुरानी सुनकर बेला शरमा जाती है।

शाम को खाना खाने के बाद बेला को सुमति इवान के पास ले जाने के लिए उसे फिर से तैयार करती है। वह उसका घूंघट भी निकाल देती है। फिर वो और चिंटु साथ में बेला को इवान के टेंट तक ले जाते है। और बेला को अंदर भेजकर वे लोग बाहर ही खड़े रहते है।

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इवान को उसकी मम्मी थोड़ा खाना जबरदस्ती खिलाकर चली गई थी। बेला जब उसके टेंट में गई तो उसकी पायल की आवाज़ सुनकर इवान थोड़ा असहज हो गया। वो डरने लगा कि अब वो सौम्या को क्या जवाब देगा? क्या बोलेगा? क्या करेगा?
बेला उसके पास जाकर बैठ जाती है इवान का हाथ पकड़ लेती है। इवान जट से अपना हाथ बेला को सौम्या समजकर छुड़ा लेता है। वह सीधे बोलने लगता है- मुझे माफ़ करदो सौम्या। मुजसेे गलती हो गई। तुम्हारे बदले बेला को ही वहा आना था। इन लोगो ने हमारे साथ चीटिंग किया।
इतना बोलते ही वह इमोशनल हो जाता है और कहता है- पर तुम फिकर मत करना। हम वापस जाकर डिवोर्स ले लेंगे।

बेला घूंघट उठाए बगैर ही मुंडी हिलाकर ना बोल देती है।
इवान उसे ना करता देख चौंक जाता है। वह बेला से पूछता है- तुम मना क्यों कर रही हो। कही तुम्हारा इरादा मेरे साथ रहने का तो नहीं है?
बेला फिर से मुंडी हां में हिलाकर जवाब देती है।
इवान बोलता है- यह तुम क्या कह रही हो सौम्या? मै बेला से प्यार करता हुं।
तो बेला थोड़ा सा घूंघट गले तक उठकर उसे अपना मंगलसूत्र दिखती है।

क्रमश: