मोहन को दो दिन बाद मौका मिला इवान के पापा से बात करने का। सुबह सुबह बारिश कुछ कम हुई तो वे छाता लेकर मॉर्निंग वॉक पर निकल पड़े। लोगो की आवाजाही अभी ना के बराबर थी। मोहन भी उनके पीछे पीछे चल पड़ा। काफी दूर जाने के बाद मोहन इवान के पापा के बाजू में चलने लगता है। वह उनके नजदीक जाकर उनसे कहता है- अगर इवान के पास जाना चाहते है तो कल अपनी पत्नी के साथ अधी रात को ढाई बजे तैयार रहना।
यह सुनकर इवान के पापा एकदम से मोहन को देखकर बोले- कहां है मेरा बेटा? और तुम कौन हो?
मोहन ने उन्हें धीरे बोलने के लिए कहा। और कहा कि अगर अपने बेटे को जिंदा देखना चाहते हो तो अपना मुंह बंद रखना। अगर पुलिस को कहकर मुझे पकड़वाया तो वहा तुम्हारा बेटा खलास, समज गए? और अपनी बीवी को लाना मत भूलना। तुम्हारा बेटा तुम दोनों से मिलना चाहता है। अभी चुपचाप एसे ही चलते रहो। कल सुबह तुम्हे यही मिलना है। ध्यान रखना ठीक ढाई बजे।
इवान के पापा कुछ पुछाना चाहते थे पर मोहन इतना बोलकर पता नहीं कहां चला गया।
इवान के पापा वहीं से वापस लौट गए। जब सुबह के नाश्ते के टाइम सब इकठ्ठा हुए तो वो कुछ असहज दिखते है। उन्हें राहुल ने पूछा क्या हुआ? पर तबीयत ठीक न होने का बहाना बताकर जल्दी नाश्ता करके अपने रूम में चले गए। उनके पीछे उनकी पत्नी भी चली गई। उसने जाकर पूछा- क्या हुआ आपको? सुबह से देख रही हुं आप कुछ बेचैन से दिख रहे है। आपको किसी ने कुछ कहा क्या?
इवान के पापा- कुछ नहीं, बस तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है। आराम कर लूंगा तो ठीक हो जाऊंगा।
वे इवान कि मां से अभी कुछ कहना नहीं चाहते थे। अगर उसने किसी को गलती से बता दिया तो बेटे को खो देने का डर था। बाद में पूरा दिन एसे ही निकला जैसे वे रहते थे ताकि किसी को उन पर शक ना हो। पर अब रात को इस मेरी को कैसे बताऊंगा वहा जाने के लिए।
मेरी डिसुजा इवान कि मम्मी का नाम है और उसके पापा का नाम रॉबर्ट डिसुजा है।
रात के दो बजे वह उठे और मेरी को भी उठाया और कहा की दो तीन कपड़े साथ में ले लो हमे जाना है।
मेरी ने घड़ी में देखा, अभी दो ही बजे थे। उसने रॉबर्ट से पूछा- अभी इस वक्त कहां जाना है?
रॉबर्ट ने जवाब दिया- अभी कुछ मत पूछो और जल्दी से एक बैग में तेरे और मेरे दो तीन जोड़ी कपड़े दाल दे। मै बाद में सब बताता हुं।
मेरी ने कहा- अगर तुम यहां से जाने की सोच रहे हो तो मै नहीं आऊंगी। मै अपने चाइल्ड को लिए बगैर यहां से कहीं नहीं जाऊंगी।
रॉबर्ट ने उसे धीमी आवाज में डांटते हुए कहा- हमारे बेटे के पास ही जाना है। और अपना रैनकोट पहन लो बाहर बारिश है। जल्दी करो...।
अपने इवान के पास जाने की बात से खुश होकर वह जल्दी जल्दी सामान पैक करने लगी। दोनों चुपचाप धीमी चाल से रेस्ट हाउस से बाहर चले गए। बाहर बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था। रॉबर्ट और मेरी ठीक उसी जगह पहुंच गए जहां मोहन ने उसे बुलाया था।
मोहन अपने साथियों के साथ पहले से ही वहां खड़ा था। यह वक्त इसलिए चुना गया था क्योंकि इस वक्त सब गहरी नींद में होते है। यहां तक कि पुलिसवाले भी। और दूसरा की रात के अंधेरे में इन लोगो को अड्डे पर जाने का रास्ता भी नहीं याद रहेगा। मोहन इन दोनों को पांच घंटे घुमा घुमाकर ले जाता है। जब वह ठिकाने पर पहुंचे जहां सब थे, तब आठ बजने को आए थे।
जब वे सब पहुंचे तब इवान भैंसे की तरह सोया हुआ था। चिंटु और सुमति अपनी दैनिक क्रिया निपटाने में बिज़ी थे। जब वे वापस आए तो दो और नए लोगो को देखकर समज गए के ये इवान के माता पिता ही है। चिंटु भागकर इवान के पास जाता है। टेंट में जाकर वह इवान को उठाता है और उसे बताता है तुम्हारे मम्मी पापा आ गए है। पर ये तो इवान है... एक बार में वह कभी नहीं उठता। चिंटु को गुस्सा आया तो उसने इवान को एक लात मारी और कहा- अबे गेंडे उठ, तेरे मम्मी पापा आ गए। इवान एकदम से उठ जाता है और बाहर की तरफ भागता है। उसे बाहर कोई नहीं दिखा। वह वापस आकर चिंटु पर चिल्लाता है- कहां है?
चिंटु- अरे बाहर ही तो है।
इवान- कोई नहीं है बाहर। देखकर तो आया अभी।
चिंटु- शायद सरदार के पास ले गए होगे। जा, जाकर देख वहीं होगे।
इवान तुरंत वहां पहुंच जाता है। टेंट में दाखिल होते ही अपने मम्मी पापा को देखता है। वह एक्साइटेड होकर कहता है- हाय डैड! हाय मोम! हाउ आर यु?
मेरी और रॉबर्ट इवान को देखकर उससे लिपट जाते है। इवान के पापा उसे कहते है- अरे हम एकदम मजे में है, तु बता। तु यहां आकर थोड़ा मोटा हो गया है।
तो मोहन बोलता है- दो जने का खाना अकेले खाता है, मोटा तो होगा ही।
मेरी रोते हुए बोलती है- नजर ना लगाओ मेरे बच्चे पर। जीजस ने मेरे बच्चे को सही सलामत रखा है।
मोहन कहता है- जीजस ने नहीं बहन जी, हमने संभालकर रखा है आपके हाथी को।
दिग्विजय को देखकर मोहन फिर कहता है- मेरा मतलब आपके बेटे को। जीना हराम कर रखा है इसने हमारा।
दिग्विजय इंसको रोककर कहते है- अभी सफर से आए है इन्हे आराम करने दो। इवान अपने साथ ले जाओ अपने मम्मी पापा को।
इवान जैसे ही अपने टेंट में पहुंचा, सुमति, चिंटु, बेला और हीरा वहां मौजूद थे। सुमति तो मानो अपने मम्मी पापा से मिल रही हो एसे खुश थी। बारी बारी सबने उनके पैर छुए सिवाय हीरा। बाद में मोहन भी वहां आ गया। सब बच्चों को सही सलामत देख इवान के पेरेंट्स को तसल्ली हुई। किसी के चेहरे पर दुख नहीं था।
मेरी ने सब से पूछा- आप लोग यहां ठीक तो थे न? आप पर कोई जुल्म तो नहीं हुआ ना?
यह सुन हीरा बीच में ही बोल पड़ा- माताजी! जुल्म तो आपका बेटा कर रहा था हम पर। क्या खिलाया है इसे? हर बार बक बक...। दिमाग हिल जाता है इसकी बारे सुन सुनकर।
तो इवान के पापा बोले- मेरा बेटा है ही ऐसा। किसी को अकेला नहीं पड़ने देता।
हीरा मन ही मन सोचता है पूरी फैमिली एक जैसी लगती है, बातूनी।
सुमति और चिंटु अपने घरवालों के बारे में पूछते है। रॉबर्ट ने सब बताया वहां जो जो हुआ और कौन कौन आए है। पुनिश रात दिन आपको ढूंढने की तरकीब सोचता रहता है पर इस बारिश की वजह से सबके हाथ बंधे हुए है। कल जरा सी बारिश कम हुई तो मै निकला था बाहर और मुजे ये आदमी मिल गया और हम आज यहां आपके पास आ गए। पर मुझे यह पता नहीं चल रहा है अब तक की हमे क्यों बुलाया गया है यहां?
मेरी को फिर याद आया के चिंटु को उसका रिज़ल्ट तो बता दू। वे चिंटु से कहती है- बेटा तुम्हे एक खबर देनी थी।
चिंटु घबरा गया कही मां को कुछ हुआ तो नहीं।
मेरी ने उसे सोच मै देख कहा- चिंता मत करो तुम्हारी मम्मी और बहन सही सलामत है।
चिंटु- आपको कैसे पता चला मै उनके बारे में सोच रहा था।
मेरी जवाब देती है- मै भी मां हुं, समज सकती हुं। पर खबर ये है कि तुमने अपनी एग्जाम पास कर ली है और वो भी टॉप आकर।
चिंटु- क्या? इतनी जल्दी रिज़ल्ट भी आ गया?
रॉबर्ट ने कहा- यस माय चाइल्ड। हमे ये तुम्हारी बहन ने बताया था। वहा सरकार, मीडिया सब जगह तुम्हारा ही चर्चा हो रहा है। टॉप के केंडिडेट को अगवा कर लिया गया है। ये जंगल भी कितना घना है। कहां से कहां जा रहे है कुछ पता नहीं चलता।
मेरी- तभी तो पुलिस यहां पहुंच नहीं पा रही है।
मोहन और हीरा सतर्क होकर इनकी बाते सुन रहे थे।
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रेस्ट हाउस में अफरा तफरी मची हुई थी। इवान के मम्मी पापा गायब थे। उनका सामान तो पड़ा हुआ था पर वे नहीं थे। किसी को शक न हो इसलिए एक छोटे से थैले में मेरी ने अपने कपड़े लिए थे। पुलिस भी डॉग्स स्क्वॉड के साथ आ गई थी। पर बारिश ने सब सबुत मिटा दिए थे। मुख्य रास्ते पर आकर डॉग्स रुक गए थे। बिजलियां जोरो से कड़क रही थी और बारिश का जोर बढ़ने पर सब वापस रेस्ट हाउस चले गए।
रेस्ट हाउस पहुंचते ही राहुल का मोबाईल फोन बज उठा। उसने देखा तो रिया के पापा का फोन था। राहुल ने रिसीव करते हुए कहा- बोलिए सर! बहुत दिन बाद याद आई हमारी।
राहुल का टोंट सुनते ही थोड़े सहम गए रिया के पापा। उन्होंने कहा- हा भाई, यहां की सरकार से बातचीत हो रही है हमारी सब बच्चो को वापस लाने की। हमने दबाव बनाया हुआ ही है। रिया तो कब से वहा आना चाहती है पर वहा के मौसम को देखते हुए मैंने है मना किया हुआ है उसे। बेचारी चिंटु की चिंता में खाना तक भुल जाती है।
राहुल उनकी बात सुनकर बोर हो रहा था। उसने पूछा- बात क्या है बताइए।
रिया के पापा ने कहा- बस वहा के हालचाल पूछने के लिए ही फोन किया था। चिंटु की मम्मी और बहन ठीक से पहुंच गए न? मैंने ही उनको भेजा था वहा।
राहुल ने जवाब दिया- हा ठीक से पहुंच गए। और कोई काम ना हो तो मै फोन रखता हुं। पुलिस स्टेशन जाना है हमे।
रिया के पापा- हां हां ठीक है, और कोई खबर मिले तो फोन जरूर कीजिएगा।
फोन रखते ही रिया से उसके पापा कहते है- इस साले रिपोर्टर को आने दो, बजाता हूं साले की। इसको पता नहीं मै कौन हुं। रहना मुश्किल कर दूंगा इनका।
रिया पिज्जा खाते हुए पूछती है- पापा, क्या हुआ? इतना क्यों भड़क रहे हो?
तो उसके पापा कहते है- कहता है, बहुत दिनों बाद याद आई हमारी? अरे उसे मै क्यों याद करू? मुजे तो मेरी लॉटरी की टिकट का इंतेज़ार है। बाकी सब डूबे वहीं नदी में, मुजे क्या?
रिया- रिलेक्स पापा। यहां हमने सब तैयारी की हुइ ही है। एकबार चिंटु एंड फैमिली को आने दो बाद में देखते है।
पुनिश समज नहीं पा रहा था आखिर ये लोग गए तो गए कहा। वो भी किसी को बिना कुछ बताए। कही वे अकेले ही जंगल में ना चल पड़े हो अपने बेटे को ढूंढने। ये बीहड़ और घना जंगल कहा ढूंढ़ते फिरेंगे? अंकल एकबार कह के तो देखते, मै भी आपके साथ आता। मेरी सौम्या के पास...
देर तक इंस्पेक्टर राजीव, पुनिश और राहुल बैठे रहे।
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मोहन और हीरा बाहर जाकर बैठते है।
इवान ने अपने पेरेंट्स को यहां आने से आज तक की स्टोरी बताई। और साथ में ये भी बताया कि इस चिंटु की शादी बेला से करवा रहे है।
मेरी- क्या? पर उसकी तो गर्ल फ्रेंड है ना?
इवान- है पर नहीं के बराबर ही। इसे अकेला छोड़कर भाग गई भगोड़ी कही की।
चिंटु कहता है- अब वो मेरी गर्ल फ्रेंड नहीं है।
मेरी- ओह! सॉरी। मुझे पता नहीं था।
चिंटु- अरे आंटी, आप क्यों सॉरी कहती है। आपको थोड़ी पता था हमारा रिश्ता अब नहीं है। उस रिश्ते के कारण मेरे अपने कीमती रिश्ते भी छूट गए थे। पर अब सब सही है।
मेरी- डोंट वरी माय चाइल्ड। सब ठीक हो जाएगा। पर ये लोग हमे यहां क्यों लेकर आए है?
चिंटु- शायद इवान कि शादी कि बात करने।
रॉबर्ट और मेरी एक साथ- क्या? इवान की शादी?
चिंटु- हा आंटी, इन लोगो ने मेरी और इनकी लड़की बेला की शादी तय कर दी है वो भी हमारी मर्जी के बगैर। और शायद वे इवान और सुमति के बारे में सोच रहे है।
सुमति बोलती है- आंटी, मुझे इवान से शादी नहीं करनी।
तो रोबर्ट पूछता है- क्यों हमारा बेटा तो अच्छा है। अगर तुम्हे कोई एतराज़ ना हो तो हमे भी कोई प्रॉब्लम नहीं है।
इवान बीच में बोलता है- नो डैड, शी इज ऑलरेडी एंगेज्ड। मै इससे शादी नहीं करना चाहता। मुझे तो बेला पसंद है।
मेरी और रॉबर्ट फिर से शोक्ड...।
इन सब बात चीत के दौरान हीरा और मोहन टेंट के बाहर शेड में बैठे हुए थे। पर उन्हें अंदर हो रही बातचीत सब सुनाई दे रही थी। हीरा मोहन से कहता है- यार, सरदार ने तो बेला बहन का रिश्ता उस पतले लड़के से तय कर दिया है। और यहां वो मोटा हमारी बहन को पसंद करता है। क्या चक्कर है ये?
मोहन कहता है- सरदार की मर्जी भाई। हम क्या कह सकते है। हमने तो अपनी ओर से जानकारी दे दी थी सरदार को। अब उन्होंने क्या सोचा है हमे कैसे पता चलेगा। वैसे सरदार जो बोलते है वहीं करते है। देखते है क्या होता है।
क्रमशः