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चिंटु - 30

इवान मोहन से रास्ते में पूछता है- मुझे क्यों बुलाया तुम्हारे सरदार ने?
मोहन कोई जवाब नहीं देता। वह उसे सरदार के पास छोड़कर चिंटु और सुमति पर नज़र रखने चला जाता है। गिरोह के बाकी सदस्य बारिश के कारण अपनी अपनी जगह पर आराम कर रहे है।
सुमति के पूछने पर मोहन कुछ पता न होने का बहाना बनाकर उन के पास बैठ अपनी चिलम जलाने लगता है।

इस तरफ बेला और इवान दिग्विजय के सामने खड़े थे। दिग्विजय का कड़क चेहरा देख इवान की फटी हुई है। वह इंतजार कर रहा है ये कुछ बोले तो मै अपनी बात करू।
थोड़ी देर चुप्पी के बाद दिग्विजय इवान से पूछते है- क्या काम करते हो तुम लड़के?
इवान- ज.. जी.. मै...?
दिग्विजय- यहां और कोई लड़का दिख रहा है तुम्हे?
इवान- नहीं तो..। जी, बताता हूं। मै एक न्यूज चैनल में काम करता हुं। वो सौम्या है ना, उसके साथ।
दिग्विजय- कितना कमा लेते हो? शादी के बाद घर चला सकते हो अपने पैसों से?
इवान- हा हा, क्यों नहीं! मेरे पापा भी अच्छा खासा कमा लेते है। और गांव में हमारा घर और खेती भी है। वो क्या है कि हम है तो क्रिश्चियन, पर हमारे परदादा को खेतीबाड़ी का शौक था तो वह एक गाव में ही बस गए थे। पर मेरे दादाजी और पापा शहर आ गए थे।
दिग्विजय- तुम्हारे घर में कौन कौन है? और पिताजी क्या करते हैं?
इवान- मेरे डैड एक मल्टीनेशनल कंपनी में एचआर मैनेजर है।
दिग्विजय- डेड? तेरे पिताजी मर गए?
इवान- क्या बोल रहे है आप? वो क्यों मरेंगे भला?
दिग्विजय- तो डेड क्यों बोला?
इवान- डैड मतलब पापा, पिताजी। इंग्लिश में डैड बोलते है, ना कि डेड।
दिग्विजय- तो साफ साफ पिताजी बोलो, समजे?😡
इवान- जी।😔

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आज चिंटु की मां और बहन के साथ साथ इवान कि मम्मी भी यहां आ गए थे। पिया ने स्नेहा और राहुल को बताया कि आईएएस की एग्जाम में भैया ने टॉप किया है। पर भैया अभी वहां नहीं है तो उनकी पोस्टिंग नहीं हुई है। मै और मां बड़े ऑफिस में बात कर के आए है। यहां आकर चिंटु और इवान कि मां का रो रोकर बुरा हाल हो गया था। सब मिलकर उन्हें सांत्वना दे रहे थे। पुनिश बहुत अच्छे से दोनों को समजा रहा था। वह कह रहा था- आंटी आप दोनों फिकर न करे। जैसे ही यह बारिश रुकेगी हम उन्हें ढूंढने निकल पड़ेंगे। आपको पता है?, अब ऊपर से सीधा प्रेशर है पुलिस पर। कुछ भी करके उन सबकी तलाश करने का। और आप टीवी पर भी देखती ही होगी। आर्मी के जवान भी आ चुके है। पर आंटी यह इलाका बहुत बड़ा है। इसलिए थोड़ी देर हो रही है, वरना कबका सबको ढूंढ़ लिया जाता।

स्नेहा पुनिश को ही देख रही थी। कैसे अच्छे से समजा रहा था जैसे उसकी खुद की मां हो। यह लड़का मेरी बेटी के लिए एकदम परफेक्ट है। हमने इसे सौम्या के लिए चुनकर कोई गलती नहीं कि है। बेचारा अपनी नौकरी छोड़कर यहां आ गया है। कितना प्यार करता है मेरी सौम्या को।

स्नेहा और राहुल ने सबके रहने का इंतजाम गर्वनमेंट के रेस्ट हाऊस में कर दिया था। दरअसल इंस्पेक्टर राजीव ने ही यह सुझाव दिया था। उन सबके साथ साथ सेहा और राहुल भी अपना सामान लेकर वहीं चले गए। वहां के एमएलए यादव साहब भी उन सबको मिलकर सांत्वना दे आए। उन्होंने अपनी ओर से हर मुमकिन कोशिश करने का दिलासा दिया। और यह भी कहा कि जब तक बच्चे न मिल जाए तब तक आप लोगो का रहने का और खाने का खर्चा सरकार उठाएगी।
राहुल ने मना किया इन सब के लिए। रेस्ट हाऊस में रहने दिया वहीं काफी है। पर उन्होंने राहुल की एक न सुनी और वहां के कर्मचारी को सबका खयाल रखने का कहकर वहां से चले गए।

पुनिश सबको आराम करने का कहकर और यहां के कुक को खाना बना ने का ऑर्डर देकर अपने रूम में चला जाता है।
रूम में आकर फ्रेश होकर वह बिस्तर पर लेट गया। वह सुमति को की हुई किस को याद करते हुए उसके ख़यालो में खो जाता है। उसका प्यार सुमति को अपने साथ ना पाकर अब हद से बढ़ने लगा है। और दूसरी तरफ यही हालत चिंटू की भी है। वह भी किसी भी हालत में सुमति को खोना नहीं चाहता। वह वापस आकर क्या करेगा, क्या कहेगा सब से? उसे कुछ नहीं पता। बस उसे सिर्फ और सिर्फ सुमति ही चाहिए।

****
बेला ओर इवान एक दूसरे के सामने देख रहे होते है। रमादेवी इवान से पूछते है- तुम्हारी मां क्या करती है?
इवान कहता है- बस आरा...म! मोम पहले नौकरी करती थी पर मेरी जॉब लगने पर मैंने उनसे नौकरी छुड़वा दी।
दिग्विजय ज्ञान के अभाव इवान से पूछते है- मोम, मतबल मोमबत्ती की फैक्टरी में काम करती थी?
इवान ने हसते हुए कहा- अरे नहीं! मोम मतलब मम्मी.., मां...।
दिग्विजय कहता है- तो मां बोल या.. वो.. म.. म्मी बोल। ये क्या मो..म, डे.. ड? ये कोई भाषा है मां बाप को बुलाने की?
इवान कहता है- जी, आगे से ध्यान रखूंगा मै। मम्मी पापा ही बोलूंगा ताकि आपको समज आए।
दिग्विजय- मुझे समज आता ही है। ये विदेशियों की भाषा छोड़ो और स्वदेशी अपनाओ।
इवान- अब से ऐसा ही कहूंगा।
दिग्विजय- तुम्हारी शादी के लिए पिताजी ने लड़की देखी ही होगी न?
इवान- नहीं, अभी तो नहीं। शादी तो मै अपनी पसंद से करूंगा।
रमादेवी बीच में ही बोलती है- तुम्हारे घरवालों को एतराज़ नहीं होगा इससे?
इवान- अरे नहीं। वो तो फ्री माइंड के है। ( दिग्विजय के सामने देखकर) मतलब उन्हें कोई एतराज़ नहीं होगा।
दिग्विजय- तो तुम्हारी शादी अभी करवा दे यहां तो उन्हें एतराज़ नहीं होगा?
इवान- बिल्कुल नहीं। उलटा लड़की ढूंढने की जंजट से उन्हें छुटकारा मिलेगा। मम्मी पापा तो यही कहते है तुजे जो पसंद आए बस हमे बता देना, शादी करवा देंगे।
दिग्विजय और रमादेवी एक दूसरे के सामने देखते है।
दिग्विजय फिर इवान से पूछते है- तुम्हे यहां उठा लाए तो तुम्हारे माता पिता यहां आ गए होंगे न?
इवान- हा, शायद।

दिग्विजय मोहन को आवाज देकर बुलाते है। बारिश में मोहन को सुनाई नहीं देता तो इवान को भेजते है उसे बुलाने।
इवान जाकर मोहन को बुला लाया।
दिग्विजय ने मोहन से कहा- खबर करो इवान के पिताजी यहां आ गए है या नहीं। अगर आए है तो अपने आदमी से बोलो उसे उठवा ले।
इवान और बेला एक दूसरे के सामने देखते है। फिर इवान कुछ सोचकर दिग्विजय से कहता है- मम्मी आई हो तो उसे भी उठाव ही लेना।
यह सुन सब अवाक रह जाते है। रमादेवी इवान से पूछते है- तुम्हारी मां को क्यू?
इवान कहता है- अरे आंटी, मै और पापा ही क्यों किडनैप हो? फिर मम्मी अकेली पड़ जायेगी ना वहां। उन्हें भी मजे लेने दो किडनैपिंग के।
बेला सोचती है,' ये क्या लड़का है? यहां अपने छूटने के लाले है और मां बाप को भी मुसीबत में डाल रहा है।

दिग्विजय मोहन को आदेश देता है के इवान के मां और बाप को यहां लेकर आए। वो भी किसी को बिना खबर पड़े। मोहन अब लोगो को किडनैप करने में माहिर हो गया था। और इसके मां बाप को तो लाना मुश्किल नहीं होगा। बेटे की चाहत में आ ही जाएंगे बिना जिकजिक किये।
मोहन दिग्विजय से कहता है- सरदार! मै अभी ही निकल जाता हुं उन्हें लाने। वो कहां रुके है और मुजे उन्हें लाने का मौका कब मिलता है ये सब सोचना भी पड़ेगा। उसमे शायद तीन चार दिन निकल जाए।
दिग्विजय- अच्छा जाओ। और अपने दो आदमी साथ में लेकर जाओ। और तीनों अपना हुलिया बदल लेना। किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए तुम कौन हो। समजे?
मोहन- जी सरदार। हम कुछ ही देर में निकलते है।
रमादेवी मोहन से कहती है- वो बारिश वाले कपड़े पहन लेना।
मोहन- ठीक है मां, मै निकलता हुं।
इवान पूछता है- बारिश वाले कपड़े कैसे होते है?
बेला जवाब देती है- वह रेइनकोट कह रही है इवान।
इवान- ओह! मुझे लगा होगे एसे कोई कपड़े।
दिग्विजय इवान से कहते है- अब तुम जा सकते हो।
इवान उनसे पूछता है- चिंटू को भेेजु अब?
दिग्विजय- क्यों?
इवान- मुजसे बात की ऐसी उससे भी करनी ही तो।
दिग्विजय गुस्से से कहते है- अपने काम से काम रखो और जाओ यहां से।
इवान अपने टेंट में चला जाता है जहां हीरा बैठा हुआ था।

इवान के जाने के बाद बेला अपने मां बाबा से पूछती है- आपने इवान के माता पिता को क्यों बुलवाया?
रमादेवी जवाब देती है- उनके आने के बाद पता चल जाएगा। तुम अभी जा सकती हो।

बेला सोचते हुए जा रही है ' ये लोग कही सुमति की बात तो इवान के लिए नहीं कर रहे है न? ऐसा हुआ तो???
वह सुमति के पास जाती है और वहा हुई सब बात बता देती है। चिंटु और सुमति यह सुनकर सोच मे पड़ जाते है।
चिंटु कहता है- इवान के मम्मी पापा को क्यों बुला रहे है? कही सच में बेला और मेरी शादी के साथ साथ सुमति और इवान की शादी तो नहीं करवाएंगे न?
पर उसके मा बाप को बुला रहे है तो सुमति के मा बाप को भी बुला लेते। हां शायद ज्यादा लोगो को लाने में यहां के ठिकाने का पता पुलिस को चल सकता है। इसी वजह से अभी एक के है मम्मी पापा को बुला रहे होंगे।
सुमति गुस्से में कहती है- तो तुम बेला से शादी करना चाहते हो?
चिंटु- मैंने ऐसा कब कहा?
बेला बीच में ही बोल पड़ी- भाई, तुम लोगो को जो करना है वो करो पर मै चिंटु जी से शादी नहीं करना चाहती। मुझे तो इवान से...।
सुमति और चिंटु एक साथ- ओ ओ ओ....!
बेला इससे शर्मा जाती है।
चिंटु कहता है- मै अभी जाता हुं तुम्हारे बाबा के पास और उनसे कहता हुं, मै ये शादी नहीं कर सकता।
बेला कहती है- एकबार इवान के माता पिता को आ जाने दीजिए। बाद में देखा जाएगा जो होगा वो।

क्रमशः

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