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कोरोना के संग बटूक की जंग

“आइस कि माँ जल्दी दरवाजा खोलो, देखो क्या लाये है।” बटूक ने जोर जोर से दरवाजा खटखटाते हुए कहा।

उवासी लेते हुए बटूक के पत्नी गीता ने दरवाजा खोला। “ बड़ी जल्दी नही आ गये। “ मुँह बिचकाते हूए कहा। “साढ़े तीन बजे तक कहा मुँह मार रहे थे। और इतना बड़ा डिब्बा में किसके धर का कचड़ा उठा के लाये हो।”

“ कचरा नही है आइस कि माँ, टीवी और डिस एन्टीना है। लाजपत नगर वाले बड़े एस पी साहिब है ना, उन्होने वह बड़ा वाला पतलका टीवी ले लिया तो मुझे पूरानका वाला बकसीस में दे दिया। साहिब बोले तू ले जा यह टीवी सेट, मेरे यहा रहेगा तो रखे रखे कचरा ही हो जायेगा। कचरा करके कचरे वाले को देने से अच्छा है कि पहले ही कचरे वाले को दे दूँ।” हल्की सी मुस्कान लिए बटूक ने कहा।

“ कचरेवाले के घर टीवी, मुझे तो सोच के ही हंसी आ रही है बाबा। आइस और दिनेष देखते ही खुष हो जायेगें” गीता ने कहा।

साढ़े आठ बजे का न्यूज बटूक ने पहलीबार अपने टीवी पर देखा।

“अबतक कि सबसे बड़ी खबर कोरोना के चलते 5 अपैल रविवार को मोदी जी ने पूरे देष में जनता कर्फ्यू का ऐलान किया है।” कम से कम 5 बार तो टीवी ऐंकर ने यही लाइन दोहराया।

“ पापा कल आपको काम पर नही जाना है। देखो मोदी जी कह रहे है।” 10 साल की बेटी आइस ने कहा।

“ नही बेटी यह छूट्टी अमीरो के लिए होगें। बटूकलाल कचरावाला तबतक काम करेगा जबतक उसका सांस चलेगा।” बटूक के इतना कहते ही 9 साल बेटे दिनेष ने कहा “ पापा में बड़ा हो जाऊगा तो आप काम नही करोगे।”

बटूक ने दोनो बेटे को गले से लगा के सोचा “ाायद गरीब के बच्चे जल्दी बड़े हो जाते है। यह सब देखे गीता के आखे नमी हो गर्इ।

रोज की तरह कर्फ्यू के दिन भी बटूक अपना कचड़ा गाड़ी लिये काम पर निकल पड़े। भारत बंद हैं इतना तो उसको पता था पर कोरोना क्या चीज है अब तक उसे नही पता था। रोज की तरह वह जैसे ही लोगो के घर कचरा लेने घुसते, पहले के तीन चार घरवाले ने उसे घर घुसने से मना कर दिया। दिवाकर जी ने घर घुसने तो दिया पर दूर से ही कचरा दे कर दरवाजा बंद कर दिया। बटूक को लोगो का ऐसा व्यवहार से कुछ आष्चर्य हुआ। बटूक, एक कचरावाला होकर साहब लोगो के कलोनी में किसी से इस बारे में पूछने का साहस भी नही कर रहा था। आज कोर्इ रेहड़ीवाले भी दिखार्इ नही पड़ रहे थे जो मन कि संका दूर कर सके। जब टीवी देने वाले एस पी साहिब ने भी दूर से ही कचड़ा दिया तो हिम्मत करके बटूक ने पूछ ही लिया “ साहिब माना की मैं अछूत जात का व्यक्ति हूँ पर दिल्ली “ाहर ने कभी यह एहसास नही होने दिया तो आज क्यों मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हो ?” पहले तो साहिब को हंसी आ गर्इ। फिर विस्तार में कोरोना के बारे में बटूक को समझाया। बटूक को बात समझ में तो आया पर बात को दिल व दिमाग पर उतार न सका और दिमाग में चलने लगा “ हम गांव के आदमी है हमलोग हाथी से नही डरते तो करोना से क्या डरे। वेसे भी सालो से कचरा साफ करते करते न जाने कितना किटाणु खा गये होगें, अभी तक तो कुछ भी नही हुआ। “

गीता भी जिन दो घरो में झाडू. बरतन करती थी वहा भी कल से काम पर आने से मना कर दिया। दिनभर टीवी पर कोरोना का न्यूज देख देख कर बच्चो को भी कोरोना का काफी ज्ञान हो मिल रहा था। सच और अफवाह चारो दिषाओ में बराबर फैल रही थी। सब यही बात कर रहे थे कँहा कितने लोग मरे है। कितने बिमार है। कोर्इ कहता सब मर जायेगा तो कोर्इ कहता संसार ही खत्म हो जायेगा।

रात तक घर में कोरोना के कारण हो रहे असर पर ही बात होते रहे। बटूक को तो काम पर जाना ही था इसलिए वह सो गया। गीता को काम से निकाल देने का डर सताने लगा।

दिन प्रतिदिन कोरोना के केस दिल्ली सहित पूरे देष में बढ़ने लगा। अब घर बैठे तीनो हमेषा न्यूज देखते रहते थे। अपने मोहल्ले अधिकतर लोग बिहार और यूपी के दिहाड़ी मजदूर थे। लोगो के काम बंद हो गये तो उनमें असंतोस बढ़ने लगा और भूख भी। सरकार अबतक कोर्इ मदद नही पहूँचा पाया था।

अब उस मोहल्ले में सिर्फ वही लोगो के पास काम था जो नगरपालिका के लिए काम करता थे। बटूक उन्ही में से एक था जिनके घर खाने के कमी नही थी।

इसी बीच लाकडाउन में एकाएक अफरा तफरी मच गयी जब उसके मोहल्ले के लोगो सहित दिल्ली के अन्य हिस्सो से लोगो ने आंनद विहार में भीड़ लगा दिया। गीता को लगा अगर कोर्इ उस भीड़ से वापस मोहल्ले में आया तो “ाायद कोरोना साथ ले कर ही आयेगा। इसलिए उसदिन दरवाजा “ााम के सात बजे ही बंद कर दिया। बच्चो के दिल में कोरोना को लेकर पापा के लिए डर बैठने लगा। पापा तो रोज जान जाखिम में लिए काम करते थे। पर बटूक अभी कोरोना से इतना डरा नही था। कभी कभी अगर डर मन में घर करने लगता तो यह सोचकर डर को हावी नही होने देता कि अगर वह काम पर नही जायेगा तो जीवन कैसे चलेगा। गीता एक दो बार काम पर से जाने को रोका पर बटूक ने यह कहकर चूप करा दिया कि “ हम सफार्इकर्मियो को कूछ नही होगा इसलिए सरकार ने हमारा काम अबतक बंद नही किया है।”

5 अपैल को मोदी जी के आह्वान को चूनोती देते हुए उसके मोहल्ले से थाली, बरतन, ढोल, ताषा के साथ रैली निकाली गयी। बटूक ने भी तालीयो के साथ रैली में रैली में अपना पूरा योगदान दिया।

फिर तीन दिन तक बढ़िया काम चलता रहा। 8 अपैल के रात को बूखार आया और हल्की सूखी खासी भी होने लगा। सुबह सुबह तबीयत एकदम साथ नही दे रहा था। बटूक को मन था कि वह काम पर जाये । वह अपने काम के प्रति दायित्व को भलीभाती समझता था। वह उनमे से नही था जो नाली साफ करने के बाद “ाराब पिके नाली में पड़ा रहता था। पर आज गीता की बात मानने को बटूक मजबूर हो गया। 8 बजे कचड़े के गाड़ी लिए काम पर जाने वाला बटूक जब देर 10 बजे तक काम पर नही आया तो टीवी देने वाले एस पी साहिब ने बटूक को फोन मिलाया। कॉल काटने के तूरंत बाद एस पी साहिब ने बटूक के घर एंम्बूलेंन्स भेजा। उसे फोरन 7 मंजिला वाले कोरोना स्पेसेलिस्ट अस्पाताल में एडमिट कराया गया। “ाूरूवाती जाँच के बाद गीता और उसके बच्चो को क्वारेनटाइन किया गया। बटूक का कोविड-19 टेस्ट पोजेटिव आया। जैसे ही बटूक सहित सभी को इस बात का पता चला, गीता सदमे आ गयी। बच्चे रोने लगे। गीता दो बार बेहोष हो गयी। उसे अब कुछ समझ नही आ रहा था। टीवी का न्यूज गीता के दिमाग में इतना हावी हो गया था कि वह मान ही नही पा रही था कि अब वह बच पायेगा। गीता को मालूम था कि कोरोना छूने से फैलती है। वह कल रात से बटूक के साथ सोयी थी । रात से उसका सेवा कर रही थी। अब गीता को लगने लगा की वह भी मरनेवाला है। भगवान को भी याद नही कर रही थी कारण उसे दोनो की मोत साफ दिखार्इ दे रहा था। इतने मे डॉक्टर की एक टीम आये और सभी के खून का सैम्पल ले गये। कुछ देर तक गीता ने कुछ सोची और अपने आसूओ को पोछते हुए दबे पांव बटूक के पास पहुॅचा। महज दो मिनट तक दो ने आपस में कुछ बात की। और बालकनी पर जाकर दोनो ने एक दूसरे का हाथ थामा। फिर दोनो साथ में एक ही छलांग में नीचे कूद गया।

आसपास के सभी लोगो ने तूरंत दोनो को घिरे भीड़ जमा दिया। इतने में अस्पाताल के टीम वहा पहूँचा। दो डॉक्टर सामने आये। दोनो को जॉच करते हुए तूंरत मृत घोशित कर दिया।

जब पुलिस की टीम वहा पहुँचे तो वही टीवी देने वाले एस पी साहिब को एक नोट मिला। “ हम नही चाहते हमारे बच्चों को कोरोना हो़े। हे भगवान! हम तूम्हारे पास आ रहे है और हमारे बच्चो को तुम्हारे भरोसे छोड़ रहे है। “

गीता के रिर्पोट में कोविड-19 नेगेटिब पाया गया।

इन दोनो के मोत का जिम्मेदार कौन है अबतक मैं समझ नही पाया। मरने का डर क्यों इतना हावी हो गया ? कौन है असली कातिल ? या एक सुसाइड था ?

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