दहेज एक विनाशकारी चिंगारी - 9 Uday Veer द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

दहेज एक विनाशकारी चिंगारी - 9

एक दिन रंजीत अपने दोस्त पवन और राजन के साथ थाने में जाते हैं|

ललित:- आइए रंजीत साहब कैसे आना हुआ, हमें ही बुला लिया होता|

रंजीत:- एक मुजरिम ने हमारा जीना हराम कर रखा है|

ललित:- आप से बड़ा मुजरिम कौन हो सकता है?

राजन:- वही रंजीत भाई का साला, जिसे लोग चम्बल का किंग कहते हैं, जिस वक्त वो यहाँ आया था, उसी वक्त उसे मार दिया होता, तो आज ये मुसीबत खड़ी ना होती|

रंजीत:- ललित साहब आप कुछ कीजिए, नहीं तो अगर हमने हथियार उठा लिया, तो चारों तरफ तबाही आ जाएगी|

ललित:- अरे हम किस लिए हैं, रंजीत साहब आप फिकर ना कीजिए, हम आज ही निकलते हैं, चम्बल के लिए|

पवन:- चलो अच्छा है कि आप जा रहे हैं, नहीं तो हमें ही हथियार उठाना पड़ता|

ललित:- अरे आप उसकी फिक्र ना करें, उसे तो मैं देख लूंगा, वैसे अगर चाय पानी का इंतजाम हो जाता तो.......

रंजीत 10000 की गड्डी उसे निकाल कर देता है, और बाकी का काम होने के बाद|

और तीनों वहां से चले जाते हैं, इंस्पेक्टर ललित हवलदार अमन को आवाज देकर बुलाता है|

अमन:- जी साहब कहिए|

ललित:- अमन तैयार हो जाओ, आज हमें खूंखार लुटेरों के गिरोह को पकड़ने जाना हैं|

अमन:- जाना कहाँ है सर?

ललित:- चम्बल की घाटी|

अमन:- सुना है सर वहाँ खतरनाक लुटेरे रहते हैं, और चम्बल की घाटी लुटेरों का गण है|

ललित:- हम वही जा रहे हैं, चम्बल के किंग का नाम तो सुना होगा, उसी को पकड़नें, वैसे भी कोई भी और कितना भी बड़ा मुजरिम क्यों ना हो, कानून उसे पकड़ ही लेता है|

अमन:- चम्बल का किन्ग! सुना है चम्बल की घाटी से आज तक वापस कोई भी नहीं लौटा|

ललित:- बकवास बंद करो और तैयार हो जाओ, हम अभी निकल रहे हैं|

अमन:- मुझे घर जाना है, मेरी बीवी प्रेग्नेंट है|

ललित:- बीवी प्रेग्नेंट है, तुम तो नहीं ना...

अमन:- जी नहीं सर वो........

ललित:- अब बहाने बनाना छोड़ो, और चलो जल्दी से तैयार हो जाओ|

अमन:- जी सर|

और मन में कहता है, खाने के टाइम साला पूछता भी नहीं, खुद ही सारी रिश्वत खा जाता है, और मरने की टाइम हमें आगे कर देता है, साला मन तो करता है, कि साले को गोली मार दूं, साला किसी को शक भी नहीं होगा, और कह दूंगा कि डाकूओं ने हमला किया, और साहब शहीद हो गए|

ललित:- खडे खडे क्या सोच रहे हो जाओ और चलने के लिए तैयार हो जाओ?

स्थान चम्बल की घाटी, इंस्पेक्टर ललित गाड़ी को जंगलों के बाहर ही छोड़ देते हैं, और अमन को साथ लेकर पैदल ही अंदर की ओर बढ़ने लगते हैं, हाथ में रिवाल्वर, नजरे चारों तरफ, और पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ने लगते हैं, जंगल घना होने लगता है|

अमन:- सर हमें वापस चलना चाहिए, हमें यहां कुछ भी नहीं मिलने वाला|

ललित:- तुम चुपचाप मेरे साथ चलो|

अमन:- सर मैंने सुना है, जो लोग मर जाते हैं, उनकी आत्मा इन जंगलों में भटकती रहती है, और आने वाले लोगों को वापस नहीं जाने देती, और पकड़ कर उनका खून पीती है………

ललित:- (लगभग चिल्लाते हुए) चुप हो जाओ, और डराना बंद करो बेवकूफ|

अमन:- चुप होकर चलने लगता है|

फिर उसे ना जाने क्या मजाक सूझती है, और वह पीछे से ललित की कॉलर पकड़कर, अजीब आवाज बनाकर:-

अमन:- हा हा हा आज बहुत दिनों बाद इंसान मिला है, आज तो खून पियेंगे ही ही ही

ललित की टांगे हिलने लगती है, और रिवाल्वर हाथ से छूट जाता है, यह देखकर अमन को हंसी आ जाती है, ललित पीछे मुड़कर देखता है, और अमन को जोर से धक्का देता है|

ललित:- दोवारा नौटंकी की तो मैं तुझे गोली मार दूंगा|

अमन:- (हंसी रोकते हुए) सॉरी सर मजाक कर रहा था|

ललित:- (संयत होते हुए) अच्छा क्या सच में आत्मा रहती है?

अमन:- (चुटकी लेते हुए और आंखें बड़ी करते हुए और अपनी आवाज को भारी करते हुए) हां सर, जो लोग मर जाते हैं ना, जिन्हें लुटेरे मार देते हैं, उनकी आत्मा भटकती रहती है अपने कर्मों को सुधारने के लिए, और बुरे लोगों को परेशान करती हैं|

ललित:- लेकिन हम लोग तो अच्छे इंसान है न|

अमन:- हम नहीं मैं|

ललित:- क्या मतलब?

अमन:- सर आप तो घूस लेते हैं न|

ललित:- इन लोगों को थोड़ी ना मालूम होगा|

अमन:- सर मुझे तो मालूम है ना|

ललित:- तुम तो अच्छे इंसान हो ना, तुम इन लोगो को नहीं ना बताओगे|

अमन:- लेकिन सर, सारा घूस का पैसा तो आप ही खा जाते हैं|

ललित:- तुम धीरे बोलो मैं 10 परसेंट तुम्हें भी दे दिया करूंगा|

अमन:- सिर्फ 10 परसेंट....

ललित:- चलो 20 परसेंट|

अमन:- नहीं सर 30 परसेंट सही रहेगा|

ललित:- 25 परसेंट अब बिल्कुल भी नहीं|

अमन:- ठीक है सर, अब आप मेरे पीछे पीछे आइए|

क्रमश:..............