गिनी पिग्स - 1 Neelam Kulshreshtha द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

गिनी पिग्स - 1

गिनी पिग्स

नीलम कुलश्रेष्ठ

(1)

[ आजकल सारा विश्व कोरोना वायरस के भय से आक्रांत है। सारे विश्व के वैज्ञानिक प्रयोगशाला में इसे ठीक करने की दवाई व वैक्सीनेशन खोज रहे हैं। ये दवाइयां पहले प्रयोगशला में बनाकर जानवरों पर फिर इंसान पर प्रयोग की जातीं हैं। इस प्रक्रिया को कहतें हैं- क्लीनिकल ट्रायल। मातृभारती क्लीनिकल ट्रायल पर हिंदी साहित्य की प्रथम कहानी आपके लिये प्रस्तुत कर रही है। .भारत की सबसे बड़ी दवाई बनाने वाली बेल्ट गुजरात के गाँव`पोर ` में है ]

घर में सुबह सुबह आया फ़ोन चौंका देता है, सात बजे किसको ज़रूरत पड़ गई बात करने की ? उसने फ़ोन उठाया उधर क्लब के सचिव का फ़ोन था, "शामल जी के यहाँ की बुरी खबर है. "

"क्या-----उन्हें क्या हुआ ?"उसका दिल थम गया, स्वर लड़खड़ा गया.

"उनको कुछ नहीं हुआ, उनका बेटा पुलिन एक्सपायर हो गया है. `

"वॉट? ऐसा हो ही नहीं सकता इस उम्र में -------."उसकी आवाज़ गले में गोल चक्कर काटकर रह गई.

"उसे सीवियर जॉइन्डिस हो गया था. बारह बजे उसकी उठावनी है. कॉलोनी में अपने लोगों को खबर कर दीजिये. "

"जी ------" फ़ोन को पकड़ने वाला उसका हाथ थरथरा रहा था. तब तक सुनील उबासी लेते हुए जाग गए थे. वे पूछने लगे, "सुबह, सुबह किसका फ़ोन आ गया. ?"

उसने भरे गले से पुलिन की मौत की खबर दी व कहा, " आप कॉलोनी में सबको खबर कर दीजिये. मेरी तो हिम्मत नहीं है. "कहकर वह हिचकी भर भर कर रोने लगी. पुलिन से मिली ही कितनी बार है -------? लेकिन शामल जी के शांत व शालीन बेटे को वह और लोगों की तरह बेहद पसंद करती थी. अपने भाई से वह दस साल बाद पैदा हुआ था ---तब ही तो वह शादी होकर इस शहर में आई थी. वह छोटा सांवला लड़का बड़े होकर एक सुन्दर युवा में तब्दील हो जायेगा तब अनुमान लगाना मुश्किल ही था --------अपने बड़े भाई की शादी में वह मरून कलर की शेरवानी पर क्रीम कलर का दुपट्टा पहने रंग बिरंगी रोशनी से जगमगाते लॉन के कोने में कुर्सियों के पीछे अपने दोस्तों के साथ खड़ा था.

उसे व सुनील को देखकर दोस्तों को छोड़कर आ गया था, " नमस्ते आंटी अंकल ! घर के लोग कोई इतनी देर से आते हैं ?"

"सॉरी बेटे ! गेस्ट आ गये थे इसलिए देर हो गई. "

"मम्मी पापा स्टेज के पास हैं, किसी विधि में व्यस्त हैं. ."

"ओ.के."

"आप लोग मेरे साथ चलिए. "वह बहुत आग्रह से उन्हें बेन्केट हॉल के उस तरफ ले गया था जहाँ खाने का इंतजाम था. स्वयं सूप व स्टार्टर एक ट्रे में लेकर आ गया था. उससे क्या क्या यादें नहीं जुड़ी हुई थीं ?

उस स्थान पर जाकर जहाँ मौत हुई हो -------वह भी जवान मौत, लोगों की ग़मज़दा भीड़ देखकर एक दम दिल को धक्का सा लगता है उस जगह के स्तब्ध पेड़ पौधे हवा में डोलना भूले से लगतें हैं, हवाओं का गला बार बार चटकता सा लगता है.. यहाँ भी वही दश्य था. उस तीनमंजिल इमारत के सामने वाली सड़क के दोनों ऑर लोग खड़े थे कुछ युवा, अधेड़. इमारत के पास चार पांच कुर्सियों पर चश्मा लगाये अपनी छड़ी संभाले बुज़ुर्ग बैठे थे. दुनियां को किसकी ज़रूरत है किसकी नहीं - मौत बिना सोचे समझे जिसे चाहे चील सी झपटकर उड़ जाती है.

इमारत के बाहर से ही लड़के लड़कियों की लम्बी लाइन लगी हुई है सीढ़ी

की तरफ जाती हुई. उन सभी के हाथ में गेंदे या गुलाब के फूल. ज़रूर ये इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र होंगे, वनिता ने सोचा. वनिता व सुनील इसी लाइन के समान्तर सीद्दियाँ चड़ने लगे.

ये कतार थी युवा उम्र के ब्रैन्डेड सतरंगी सपनों, बतकही, शोखी, चंचलता, प्यार मनुहार व आसमान तक हंगामा मचाने वाली उमंगों की, जो चलती हुई पुलिन के ज़मीन पर लेटे फूलों से ढके मृत शरीर पर समाप्त हो रही थी. सफ़ेद चादर ढका उसका शरीर शांत था लेकिन उसके मुस्कराते होंठों की स्मित से सपनों की रंगत गई नहीं थी. शरीर के पीछे एक मेज़ पर पुलिन की माला पड़ी मुस्कराती तस्वीर रक्खी हुई थी. मेज़ पे रक्खे अगरबत्ती स्टेंड पर लगी अगरबत्ती व धूपबत्ती का धुंआ कमरे में विलीन होता कह रहा था -`यही जीवन का सत्य है `लेकिन हर दिल इस सत्य को अनदेखा कर प्रतीक्षा कर रहा था कि कब पुलिन का` क्रिमिनेशन संपन्न हो और वह अपना अगला काम शुरू करे.

एक लड़का या लड़की आगे आकर पुलिन के चादर से ढके चरणों में फूल चड़ा कर आंसू भरी आँखों से वापिस सीडी की तरफ बढ जाता है. आज सुबह कैसा हडकंप मच गया होगा इंजिनियर कॉलेज में जब ये खबर सरसरा उठी होगी -----`इस दुनियां में पुलिन नहीं रहा "

"वॉट ?`

"हाउ इज इट पॉसिबल.?"

"आई कान`ट बिलीव दिस. `

लेकिन मौत के लिए तो सब संभव होता है ----वह प्यारी सी लडकी इशिता जिसके बारे में वह शिल्पाजी से सुन चुकी है. उस पर क्या बीती होगी ?वह तो खबर सुनकर काठ थमकर वहीँ की वहीँ बैठ गई होगी.

ये सब देखना भी कितना कठिन है कि एक युवा शरीर मौन धडकनें लिए, मूर्ति सा अचल फर्श पर लेटा है, चिरनिंद्रा में. वह कमरा औरतों से भर हुआ है. शिल्पाजी दीवार से पीठ टिकाये लुटी सी बैठीं है. उनके बाल क्लिप से निकल कर बेतरतीब इधर उधर झूल रहे है. बार बार रुलाई का एक समुन्द्र उठता वे उससे हिल जातीं. वनिता के पास बैठी मेहता उससे फुसफुसाकर कहने लगीं, "मैंने इतना शांत लड़का कहीं नहीं देखा. जब भी काम बताओ तुरंत करके ले आता था. "

वनिता भी बोल उठी, "पिछले महीने ही तो ये लोग क्लब में एक शादी में आये थे. लौटते में हमारे यहाँ भी आये थे. हम लोग कितनी देर गप्पें मारते रहे और ये चुपचाप बैठा रहा. एक बार भी नहीं बोला कि जल्दी जाना है. तब कौन सोच सकता था कि मैं इससे आखिरी बार मिल रहीं हूँ."

कमरे में आती लाइन में वह जूही, अपनी ख़ास दोस्त निशा की बेटी को दरवाजे से अन्दर आते देखकर चौंक गई ---- --इस वर्ष इसे भी तो सिविल इंजीनियरिंग में एडमिशन मिल गया है. हालाँकि इसे बाहरवीं में सिर्फ पचास प्रतिशत ही नंबर मिले थे. इसे ही कहतें हैं किस्मत ! सरकार ने इन कौलेजेज़ की फीस इतनी बड़ा दी है कि कहाँ से कम आय वाले माँ बाप इंजीनियरिंग में ऊँचा स्थान पाने वालों को पदायें ? चांदी हो रही है औसत दर्जे के जूही जैसे छात्रों की. कोर्पोरेट्स की महंगी कुर्सियां इन्हीं से सुशोभित होंगी. वनिता ने जूही को इशारे से अपने पास बुला लिया व धीरे से पूछने लगी, "तुम पुलिन को जानतीं थीं. "

"पुलिन को कॉलेज में सब ही पहचानतें हैं. मैं रूपाली की बर्थडे पार्टी में आपके घर पर ही तो इनसे मिली थी. इस साल सीनियर्स की रेगिंग से इन्होने ही मुझे बचाया था. "कहकर वह सुबकने लगी.

वनिता उसे रोने से कैसे रोके उसने सांत्वना भरा हाथ उसके कंधे पर रख दिया. वह स्वयं ही अपने को संभाल कर बताने लगी, "कल ही तो हमारा ग्रुप कॉलेज से पुलिन को देखने श्री हरि नर्सिंग होम गया था. वह अपने पलंग पर नहा धोकर बैठा अच्छा खासा बात कर रहा थ. वह बहुत खुश थ व बता रहा था कि कल डिस्चार्ज होने वाला हूँ. हम लोग भी खुश थे क्योंकि बीस दिन की बीमारी में उसकी पदाई का बहुत नुक्सान हो चुका था. और आज कॉलेज पहुंचे तो-------. " वह फिर सुबकने लगी.

"उसे जसविला अस्पताल से श्री हरि में क्यों शिफ्ट किया था ?"

"वहां के डॉक्टर्स ने ही सलाह दी थी कि अब तो खाली ड्रिप चदानी हैं व आराम करना है तो अंकल आंटी ने सोचा कि ये नर्सिंग होम घर के पास पड़ता है. मेनेज करने में आसान रहेगा इसलिए यहाँ ले आये थे. "

"ऐसा क्या हो गया जो पुलिन की जान चली गई थी ? ड्रिप में क्या` एयर बबल `आ गया था ?" अपने बेतुके प्रश्न पर वनिता स्वयं ही सकुचा उठी पुलिन के मा बाप कोई कम अक्ल लोग थोड़े ही हैं

"क्या पता आंटी ---कुछ नहीं कहा जा सकता. "

"इशिता आई है ?"वह अपनी उत्सुकता दबा नहीं पाई.

"हाँ, जो लड़का पुलिन की बॉडी पर फूल चड़ा रहा है उसके पीछे जो काली जींस व फूलों वाला टॉप पहने है वही इशिता है. "कहकर फिर वह लाइन में लग गई.

उफ़ !शिल्पा जी से अधिक पुलिन की मौत उसके चेहरे पर इतनी मंडरा रही थी कि उसका चेहरा सफ़ेद मृत लग रहा था. कितनी तो तारीफ सुनी है शिल्पाजी से इसकी. ये बहुत ज़हीन व` होमली लड़की है. दोनों पक्षों को इस शादी से कोई आपत्ति नहीं थी तो तुम ऊपर वाले क्या सोचकर आपत्ति कर उठे ?किससे इस प्रश्न का उत्तर मांगे वनिता. ?

"नमस्ते "वनिता के पास खड़ी श्रेयस स्कूल की अवकाश प्राप्त प्रिंसीपल कमला जी दुबल जर्जर शरीर लिए नमस्ते कर रहीं हैं. उन्हें देखकर वह नमस्ते करते हुए उठ खड़ी हुई, "आप --?मैंने सुना था कि आप अपनी बीमारी के कारण घर से बाहर नहीं निकलतीं."

"ठीक सुना था लेकिन पुलिन जैसे बच्चे की ---------."वह सिसक कर रोने लगीं पुलिन उनके स्कूल के सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से एक रहा था, उनके साथ वनिता के भी आंसू बह उठे. वह उनसे बोली, `चलिए अन्दर के कमरे में बैठें, यहाँ तो भीड़ बड रही है. "

वह उन्हें सहारा देकर अन्दर वाले कमरे में ले आई फिर उन्हें एक कुर्सी पर बिठाकर. उसने रसोई में जाकर एक गिलास पानी लाकर उन्हें दे दिया. कैसी होती है अपने से जुड़े लोगों की म्रत्यु !जब तक म्रत्यु स्थल पर जाकर व उसके घर वालों से मिलकर मौन श्रद्धांजलि न दे दो तब तक मन को चैन ही नहीं पड़ता. वह पानी पीकर सामने दीवार पर लगी पुलिन की फोटो देखकर सिसक उठीं, "देखो कितना सुन्दर लगता था. "

ये पुलिन का कमरा चकित लग रहा था, इसकी आँखें खुली की खुली रह गईं हैं. ., लग रहा था कि आलमारी में रक्खी उसकी किताबें स्तब्ध हैं ---एक कोने में रक्खा उसके पलंग पर नया बेड कवर बिछा हुआ था. कल शाम को पुलिन के डिस्चार्ज होने की खबर सुनकर शिल्पा जी ने पलंग की बेड शीट व बेड कवर बदला होगा. बेड कवर के शोख रंग इस वातावरण में गडबडाए से लग रहे थे. दीवार पर रखे बेडमिन्टन रेकेट का मुंह खुला का खुला रह गया लग रहा था सिर्फ दूसरी दीवार पर लगे केटरीना कैफ व करीना कपूर के पोस्टर्स कम ढके जिस्म से दिलफरेब कोण लिए मुस्करा रहे थे.

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jayanta sarma

jayanta sarma 3 साल पहले

Pranava Bharti

Pranava Bharti मातृभारती सत्यापित 3 साल पहले

Nathabhai Fadadu

Nathabhai Fadadu 3 साल पहले

Uma Sonaviya

Uma Sonaviya 3 साल पहले

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