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दो दोस्तों की सच कहानी

एक गाव था जहा दो दोस्त साथ साथ रहते थे मतलब उनका घर पास पास ही था ।वो दोनो साथ साथ मे ही पढते थे ।
एक दोस्त जिसके पिता खेती का काम करते थे जबकी दुसरे के पिता विदेश मे नौकरी करते थे ।
जिसके पिता खेती का काम करते थे वो एक छोटे से मकान मे रहता था जबकी दुसरा बडे बंगले मे ।

जो अमीर था उसके मन मे बडे छोटे का भाव तो शुरु से ही था।

जो पैसो वाला था वो थोडा दुसरे दोस्त से पढने मे होशियार था जबकी किसान का बेटा भी कम नही था लेकिन वो अपने पढाई के खर्चे और पापा की मदद के लिये पापा के साथ खेती मे मदद करवाता था इसलिये उसको ज्यादा समय पढाई करने मे नही मिलता था ।

और दुसरा मित्र स्कुल से आने के बाद टुसन जाता था क्युकि उसके पास बहुत पैसे थे जबकी दुसरा पढाई का खर्चा ही उठा पाता ।
एक था जो किताबो को रठ रठ के जाता था जबकी दुसरा किसान का बेटा जो जितना होता था उतना सिख के जाता था ।

जो रठ के जाता था उसके थोडे अंक ज्यादा आते थे और दुसरा जो समझ के जाता था उसके थोडे कम बनते थे क्युकि वो पापा के साथ खेत पे भी काम करवाता था ।

लेकिन कहते है ना जो सिखा हुआ होता है वो कभी भूला नही जाता और जो रठा हुआ हो वो सिर्फ परीक्षा तक बादमे वही उसके लिये नया बन जाता है।

कक्षा 10th का परिणाम आया तो किसान के बेटे के थोडे कम अंक आये तो वो दुसरा दोस्त बहुत खुश हुआ ।
ज्यादा अंक आने पे उसके पापा ने उसे कहा बेटा science maths ले ले ।
जो अमीर घर का दोस्त था उसको थोडा घमंड तो था ही हर बार कुछ बड़ी बड़ी बाते ही करता था ।
और उसके पापा विदेश मे कमाते थे तो बच्चे को जितने पैसे चाहिये होते थे उसको उतने मिलते थे उसके पापा उसको कुछ पूछते नही थे की बेटा इतने पैसे कहा खर्च कर रहा है ।
झूठ बोल बोल के बहुत पैसे उडाता था जबकी किसान के बेटे के पास तो उसके पढाई के खर्चे और घर चलाने के अलावा कुछ बचता ही नही था तो उसके फालतू खर्चे होने से तो बचा।

10th मे अच्छे अंक आने पे उसके पापा ने उसे क्या क्या नही दिया एसा लग रहा था की सारा घर उसको सौफ दिया हो।

जब उसके 10th मे अच्छे अंक आये तब उसने उस गरीब दोस्त से पुछा की अब आगे क्या करने का सोचा है तूने मेरे तो पापा ने बोला है science maths लेने का दुसरे ने कहा मै भी agriculture ले रहा हूँ ।
तब दुसरे ने थोडे तेवर मे कहा तेरे पापा ने तो तुझे पढाई छोड़ने का बोला होगा क्युकि आगे की पढाई का खर्चा तेरे बाप से नही होगा और agriculture करवाने की तो तेरे बाप की औकात ही नही है ।

दुसरा कोई नही बोला बस उसने तो सिर्फ एक ही जवाब दिया समय आने पर तुझे खुद पता चल जायेगा तू मेरा फोटो अखबार मे देखेगा और तू जहा पढता होगा वहा तेरे सर मेरा उदाहरण देंगे ये सब सुनके दुसरा दोस्त अपनी हसी को रोक नही पाया ।

आगे ही आगे जब दोनो अलग अलग फील्ड मे अपनी पढाई करने लगे तब कक्षा 12th मे दोनो first आये वो science maths में आया तो दुसरा गरीब किसान का बेटा agriculture मे ।
लेकिन इस बार अमीर घर के दोस्त के पापा ने सोचा अब मेरे बेटे को गाव से बाहर निकालना ही पडेगा अब उसकी आगे की पढाई कोई बड़ी संस्था मे और बडे शहर मे करवानी पड़ेगी ।

जबकी दुसरा किसान का बेटा जिसके पास govt college के अलावा कोई सहारा ही नही था ।

अमीर घर का दोस्त छोटे बडे की बात तो पहले से ही करता आ रहा था तो उसके पापा ने उसको एसे बडे college और महंगे शहर मे पढाई के लिये भेजा जहा उसका college मे पंजीकरण हो गया।

College की पढाई उसके 4 years की थी तो एक साल की फीस 5 लाख थी जबकी दुसरा दोस्त govt college मे पढता था उसकी फीस थी 5000 एक साल की।

अमीर घर के लडके का बाप चाहता था की अगर मेरा बेटा एसे 5000 वाले college मे पढेगा तो लोग क्या सोचेगे की एक अमीर घर की औलाद होते हुये 5000 वाले college मे पढ रहा है पैसो का घमंड बाप ओर बेटा दोनो को था।

बाप को पता नही था की वो क्या क्या सिख गया क्युकि फिर उसकी दोस्ती कुछ एसे लड़को के साथ ही हुई जो अपने माँ बाप के पैसे अपने शौक मौज मे ही उडाते थे तो वो भी सिख गया।

कहते है ना की जैसी जिसकी संगत होती है ना वो उसमे ही ढल जाता है अपने आपको और अपनो को ही भुल जाता है।
वो भी रोज दोस्तो के साथ पार्टिया और शौक मौज करने लगा बहुत पैसे उड़ाने लगा और उसके पढाई का लेवल भी गिरने लगा ।

जब उसके पढाई का एक साल पुरा हुआ तब उसके पापा अचानक बीमार हो गए तो उनको घर पर लाया गया विदेश से जब डॉक्टर से चेक करवाया तो डॉक्टर ने कहा इनको तो कैंसर हुआ है इनका तो operation करना पडेगा ।
तब अमीर घर के बेटे ने कहा सर आप operation चालू कर दिजीये ।

डॉक्टरो ने operation चालू तो कर दिया लेकिन खर्चा भी ज्यादा हो रहा था दिन बे दिन बढ रहा था ।
अन्त मे जाके उनकी हालत एसी हो गयी की उनका कमाया हुआ कुछ बचा ही नही था।
थोडे ही दिनो मे उसके पापा की मौत हो गयी और अब आने वाली income भी बन्द हो गयी ।

और उसके पढाई के 3 साल भी बाकी थे उसकी फीस भी भरनी थी तो उसके लिये उसकी मम्मी ने रहने का मकान भी बेच दिया और उसकी पढाई का खर्चा निकाला ।
हालात एसे हो गए की एक झोपड़ी मे रहने लायक नही रहे क्युकि पढते वक्त उनके बेटे ने कोई अपना भविष्य का लक्ष्य नही रखा और जैसा था वैसा ही रह गया।

अब वो गरीब किसान का बेटा जिसने बिना कुछ खोये अच्छे से पढाई की और college टॉप किया और अखबारो मे खबरे छप गयी और वो जो अपने बाप के पैसो पे घमंड कर रहा था वो अब अखबार बेचने का काम करता था जो उसने कभी अपने सपने मे भी नही देखा होगा की मुझे आगे एसा करना पडेगा।

कहते है ना जो आदमी नही कहता वो जिन्दगी मे आने वाला समय कह देता है।

कुछ उसके साथ वैसा ही हुआ जो उसको उसकी जिन्दगी ने समय पर ही बता दिया ।

समय किसी का नही होता अच्छा करो तो भी अपना और बुरा करो तो भी अपना ।

जब अमीर घर के दोस्त ने अपने गरीब दोस्त का अखबार मे first page पे ही फोटो को देखा और देखो समय कैसा आया उस अमीर दोस्त का जो गरीब दोस्त के जिन्दगी का मजाक बनाता था आज वो ही उस गरीब दोस्त के सफल होने की खबर घर घर पहुचा रहा है।

अमीर दोस्त अन्दर ही अन्दर बहुत पछताने लगा और सोचने लगा चाहे college कही भी हो और कुछ भी हो अगर व्यक्ति की सोच उसमे से भी कुछ लेने और पाने की क्षमता और लक्ष्य हो तो college का नाम और जगह की value नही होती।

3 साल बाद

गरीब किसान के बेटे ने agriculture मे एक एसा रिसर्च किया जो अभी तक पहले नही हुआ था ।
अब सोचो क्या होगा उस रिसर्च मे उसने उसके लिये ही नही लेकिन सभी किसानो की समस्या को दुर करने का बहुत ही अच्छा रिसर्च किया।

एक साल बाद

आगे जाकर उसका किया हुआ रिसर्च का world level पे चर्चा होने लगी और उसके किये हुये रिसर्च को world level पर follow किया गया और सरकार ने उसे बडे स्तर पर सम्मानित किया और उसे doctor की उपादी मिल गयी।आज उसके नाम के आगे doctor लगता है जो एक गरीब किसान का बेटा था उसके मुकाम की बात थी उसको मिल गया।

दुसरा जिसको अपने बाप के पैसो पे घमंड था वो आज road पर अखबार बेच रहा है और उस गरीब किसान के बेटे के सफल होने की खबर घर घर पहुचाने का काम कर रहा है।

अब वो गरीब किसान जो एक झोपड़ी मे रहता था जिसने कभी अपने सपने मे भी कभी नही सोचा था की हम एसे बडे शहर मे रहने जायेगे और इतने बडे घर मे रहेंगे ।
उसकी वजह थी की गरीब किसान ने अपने बेटे की कभी तारिफ नही की क्युकि उसको अपने बच्चे पे भरोसा था ।

आज उस गरीब किसान को कहने की जरुरत नही है की मेरा बेटा वो है सामने से लोग कहते थे की वो आपका ही बेटा था ना ।

देखो समय किसी का नही होता है समय पर चलने वाले को कोई नही रोक सकता और सफल भी वही होता है जो समय पर चलता है।

जैसा की किसान के बेटे के साथ हुआ।

और एक तरफ वो अपने आप को अमीर कहने वाला आज अखबार बेच रहा है ।

1 साल बाद

एक दिन किसान का बेटा शहर के एक चौराहे से अपनी गाडी लेके जा रहा था तभी गाडी खडी थी traffic मे ।
तभी उसका पुराना दोस्त अखबार लेके आया गाडी के पास और कहने लगा सर जी अखबार ।देते देते उसकी नजर उसकी नजर किसान के बेटे के मुह पे पडी तब वह वहा से भाग गया और रोड के एक कोने पर बैठ के रो रहा था लेकिन किसान के बेटे को उसका चेहरा नही दिखा पर सोचने लगा की ये अखबार देने आया था और भाग क्यू गया।
किसान का बेटा उसी रास्ते गया जिस और वो अमीर घर का दोस्त गया था उसने देखा की नीचे मुह डालके कोई रो रहा था उसने गाडी रोकि और पास गया उसने पुछा क्या हुआ भाई क्यू रो रहे हो उसने कोई जवाब नही दिया ।

किसान के बेटे ने उसका चेहरा अपने हाथ से उपर किया तब उसको पता चला की वो तो उसका पुराना दोस्त जो अमीर होने पर बहुत गर्व महसुस कर रहा था आज ये इस मुकाम पे कैसे आ गया जो मुझे अपने बडे बडे सपनो की बाते करता था ।

लेकिन उस किसान के बेटे के मन मे एसा नही था वो एक दम साफ मन का लड़का था और उसके सफल होने के पीछे भी वजह थी।

अमीर दोस्त को एसे हालात मे नही देख सका और उसे तुरंत अपने घर ले गया क्युकि एक सच्चा दोस्त दुसरे दोस्त को कभी एसे हालात मे कैसे देख सकता है आखिर दोस्त तो दोस्त होता है ।

उसको अपने ही घर पर रखा लेकिन वो दो दिन तक कुछ भी नही बोला और जब बोला तब उसने एक ही बात कही की " पैसा ही सब कुछ नही होता मैने पैसो की किमत को नही समझा " जिसने उसकी किमत को समझा है तो वो तू है ।

अमीर घर का दोस्त कहने लगा की आज इतना कुछ होने के बाद भी तेरे प्रेम और प्यार मे ओर तो ओर तेरे व्यवहार मे कोई फर्क नही दिख रहा मुझे ।

आज भी तू वैसा ही है जैसा तू पहले था ।

किसान के बेटे का एक ही जवाब था की " मेरे बाप ने कभी मेरी तारिफ नही की और मुझे कभी एसा महसूस नही होने दिया की तू एक गरीब किसान का बेटा है मेरी जरुरत के मुताबित मेरी और मेरे परिवार की आज हर इच्छा पूरी हो गयी।

जो तुम जैसो लोगो ने सोचा भी नही होगा ।

बस फर्क इतना था की तुम पैसो के बल काम कर रहे थे और हम अपनी मेहनत से।

सफल होने के पीछे यही राज है की कभी सामने वाले इंसान को उसकी औकात पर आने का मौका मत दो वर्ना वो अपनी औकात समय पर बता देता है।

मेरी औकात यही थी की तुने मुझे पहचाना नही लेकिन तूने मुझे मेरी औकात पर आने का मौका दिया उसके लिये मै तेरा आभारी हू।

" दोस्तो दोस्ती मे कभी अमीरी और गरीबी मत देखो कब किसको किसके आगे झुकना पडे कह नही सकते ।"

-इसलिये हर माँ बाप को अपने बेटे के होसियार होने पर उस पे अपना ज्यादा ध्यान ना देना ये आगे जाके भरी साबित हो सकता है ।

जैसे आपने इस कहानी मे देखा की किस तरह उस अमीर लडके के माँ बाप ने उसे छुट दी थी और उसका परिणाम भी उनको ही भुगतना पडा ।

उसको आगे बढने की हिम्मत दे ।

जिस प्रकार उस किसान के बेटे को उसके परिवार के द्वारा मिली ।

कहते है ना अपने सपनो को किसी के साथ साझा नही करना चाहिये लेकिन बादमे खिलो तो एसा जैसे बहुत सालो से गली मे गन्दगी जमी हुई थी और अचानक एक दिन उसमे एक कमल का फुल खिल गया।

सोच बड़ी रखो ।


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