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अधूरी हवस - 24 - अंतिम भाग


मिताली बहोत ही उत्सुक होती है, डायरी को लेकर पढ़ने ही तलब लगी थी उसे वोह अपने आप को रोक नहीं पाई पल भर के लिए भी और वोह डायरी पढ़ने बेठ जाती है.

डियर मिताली..

में ये सारी बाते क्यू और किस लिए लिख रहा हूँ? ये मे खुद भी नहीं जानता, और नहीं पता हें के तुम उन्हें कभी पढ़ भी पाओगी या नहीं? पर जो लावा मेरे सीने मे धधक रहा हे जो कई दिनों से तुम्हें कहे बिना जो कई बाते तुमने मुजसे पूछने पर भी मे खामोश सा रहा था वोह बाते मे चाहता तो ये बाते मे तुम्हारे सामने उस वक्त भी दे सकता था, पर उस वक्त उतर देना मुजे मुनासिब नहीं लगा इस लिए दिए नहीं मेने, पर उस वक़्त तुम्हें उन बातों के उतर मेने तुम्हें दे दिए होते तो, ये आग जो मेरे सीने मे जल रही है वोह लावा ना होती, मुजे अंदर ही अंदर बहुत ही दर्द दिए जा रही थी, तो इस डायरी को तुम समज कर मे वोह बाते अब इससे करूंगा ये मेरे लिए हे ना कि तुम्हारे लिए अब बोझ ज्यादा हो रहा है, जिन्हें उठाने की क्षमता अब मुजमे कम होती जा रही है.

कभी कभी अपने आप से भी घिन आने लगती है, केसे एक रिश्ते मे होकर भी दूसरे रिश्ते को वफ़ा करने चला था, कहीं एक रिश्ते को तो बेवफाई का इनाम मुजे देना ही था, पर किस रिश्ते को बेवफाई का ठप्पा लगाए ये तय करना भी मेरे लिए बहुत ही कठिन रहा, पर मेने हमारे कुछ ही वक़्त पहेले बंधे रिश्ते को चुना जो जरूरी था, हाँ मे हो गया था मतलबी अपने आप के लिए, पर उस मतलब के लिए कई रिश्ते को तार तार करू उतना मतलबी बन नहीं पाया मे.

हाँ शायद ये डायरी मे तभी भी ना लिखता गर तुमने कविता के साथ वोह खत ना लिखा होता, उस खत ने मुजे एक हिला के रख दिया.

तुमने लिखा था कि आप ने हर बात मे मुजे धोखा दिया है, अब तक की कि गई वोह सारे लफ्ज जूठे थे, एक दिखावा था जो मुजे मज़बूर कर दे कि मे खुद आपको अपने आप को सौप दु, ये आपकी आदत हे जो मुजे पता चल चुका है, आप हार लड़की के साथ जो जल्दी से आपकी नहीं होती उसे आप मुहोबत के जाल मे ए से लपेटे मे लेते हो कि वोह खुशी खुशी आपके साथ हम बिस्तर हो जाए, और आप अपनी हवस को मिटा पाओ क्या मुजे आपको पहचान ने मैं कहा चूक हुई ये मे खुद नहीं जानती, दिन ब दिन मे तुम मे अंधी हुई जा रही थी, ये बाते मुजे तब समज में आई जब मे मोत की गोद से लौट कर वापस आई, वोह भी आपके सब से अजीज दोस्त ने मुजे ईन सारी बातों से अवगत कराया तभी भी मे मान ने को तैयार नहीं थी, पर कुछ हादसे जो उन्होंने कहे तो यकीन हुवा,एक बार तो दिल किया था कि सारी बाते आपको पूछ लू और हकीक़त को जानू, फिर याद आया बाते बनाने मे आपसे कोन जीत पाया है, तो मुजे सही उतर आपसे मिले फिर कोई कहानी बता कर आप मुजे मना लेते, अगर मेरे जिस्म को पाना ही आपका ख़ाब था तो वोह मोका तो मेंने आपको दिया ही, तब शायद आपको लगा होगा अभी और तड़पते देखना मुजे, इसी लिए शायद आपने फायदा नहीं उठाया, अरे एक बार मुजे आप कहे के तो देखते मे खुशी खुशी आपको अपने आप को सौप देती, जो लड़की आपकी रखेल तक बनना मंजूर करती हो उसे ये बात कहा बड़ी थी, पता हें आपको मे आपमे तीन रिश्ते देख रही थी जो हर लड़की चाहती होती है, मेरे पापा तो बचपन से ही हमे छोड़ कर चले गये थे तो उनके प्यार को मे हर वक़्त मे तड़पती रहती थी, वोह प्यार मुजे आपमे मिलता था, एक मर्द मे औरत हमेशा अपने बाप को ढूंढने की कोशिश करती हैं, और मुजे वोह आपमे दिखाई दे रहा था ना कि उस इंसान मे जिसे मे शादी करके जाऊँगी, खेर जो भी हो आपको ये खेल मेरे साथ नहीं खेलना था. और मुजे माफ करना इतना बुरा भला लिखा है आपको बहोत ही ख़फ़ा हू आपसे,मेरी शादी हो चुकी होंगी जब आप ये खत पढ़ेंगे फिर से माफी मांग रही हू, आपको आखिरी साँस तक नहीं भूल सकूंगी जब भी मे तन्हा होंगी तब आप याद आ ही जायेंगे , और तब मे आपको नहीं कोसुंगी हमेशा आपके लिए दूवा ही निकलेंगी. आपको आपकी जिंदगी मुबारक और मुजे मेरी किस्मत मुबारक, आपको चाहने वाली..... मिताली

पूरा नफरत से भरा था तुम्हारा खत तो मे पागल हो गया हूँ मे रोज अब नशे मे चूर रहेता हू हाँ होश मे आते ही तुम्हारा खत मेरे सामने आ जाता है, एसा लगाता हे कि खत नहीं तुम खुद सामने आ के मुजे सुना रही हो, और मे तुम्हें सुनना नहीं चाहता, हम मर्द दो मुंह वाले सांप की भाँति होते हैं कौनसा मुह चलता ही वोह सामने वाले को नहीं पता होता,और तुम जो कई बार तुम ने अपने होने वाले पति की तारीफ जो किया करती थी ना तब सोचता था कि तुम्हें बतादूं कोई इतना अच्छा कताई नहीं हो सकता, तुम्हारा भरम टूटेगा तुम्हें पाने के बाद वोह सारे बर्ताव मे बदलाव आयेंगे जो तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा.

मेने भी कुछ पहेले तुमसे रिश्ता उसी मतलब के लिए ही जोड़ था पर मे जब भी तुम्हारी करीब आता था तो मेरे अन्दर का हो वोह हेवन मर जाता था, बहोत ही सम्भाला खुद को की कहीं किसी हालत मे बहक ना जाऊँ और तुम जो चाहती हो वोह मे कर ना गुज़रू, वर्ना कई रिश्ते तलवार की धार पर हो जाते.

मेने तुम्हारी माँ के बारे मे सोचा, तुम्हारे भाई के बारे मे सोचा, मेरे साथ बंधन मे उस रिश्ते के लिए सोचा, उसकी कोख में पल रहे बच्चे के बारे में सोचा, गर ना सोचते उन सब के बारे मे तो, तुम हमरी बाहों मे होती और हम तुम्हारे बलों से खेलते होते,

ओर हाँ एक बात तुम्हें बता दे कि तुम्हें जो बाते आकाश से पता चली थी वोह सारी बाते हमने ही उसे कहने को कहा था, वर्ना तुम कभी शादी के लिए राजी ना होती, और कोई रास्ता नहीं सूजा तो हमे लगा अब वक़्त आ गया हे किसी की नजरों से गिरने का तो हमने अपने आप को आपकी नजरों से गिरा दिया, और वहीं हुवा जो मेंने चाहा था, जेसे ही आकाश ने तुम्हें वह बात कही तुम्हारा बरताव बदल गया, फिर तुम्हारे ताने शुरू हुवे, वोह सब मेरे ऊपर गुस्सा जो भरा था तुम्हारे दिल मे, पर मुजे उसे सहना था, तुम्हें पलट कर उत्तर नहीं देना था वर्ना पूरे करे कराये पे पानी जो फिर जाता, तुम्हारी शादी मे भी एसी ही हालत मेरी थी कई बार दिल किया रोक लू तुम्हें, पता हें कितना मुश्किल होता है जब सामने इश्क़ की डॉली उठ रही हो और चहरे पे मुस्कान बनाए रखना, ये बात तुम क्या महसूस करोगी, तुम तो सिर्फ उस वक़्त इंतकाम जो ले रही थी मुजसे मुहोबत करने का इंतकाम.

मैं तुम्हारे साथ सोना चाहता था , मेरा मतलब सम्भोग नही ,मैं बस तुम्हारे साथ सोना चाहता था ,एक ही बेड के , एक ही कम्बल के नीचे,तेरे बालो के साथ खेलते हुए एवम तेरे माथे को चूमते हुए , खुली खिड़की हो और ठंढ से भरा कमरा जिससे कि हम दोनों लिपट कर सो जाएं , कोई बातें नही बस मौन !बस यही दीदार में भी चाहता था ,कद्र करना चाहता था ,उन्ही ठंडी हवाओं से तुझे बचा कर बाहों में अपनी समेट कर ,तेरे सर को अपने कंधों पर हाथों में हाथ डाल कर बस गहरी सांसें ले कर बस मौन रहना चाहता था ।

तुम भी सोना चाहती थी पर तुम पर इस वक्त हवस ने घेरा डाला हुवा था मुजे पाने का, पर तुम्हें वोह दिखाई ही दे रहा था, तुम ये सारी बाते बाद मे समझोगी शायद या कभी नहीं समज पाओगी, या तब जब तुम खुद पूरी स्त्री बनने जाओगी तब शायद तुम मेरी बातों को और फेसले को समझ सकोगी.
तब मे जीत जाऊंगा और तब मुजे तुम पर फर्क़ भी होगा कि मेने सही का चुनाव किया,
जब कभी तुम अपने पति और एक तुम्हारी जेसी गुड़िया के साथ कहीं किसी मोड़ पर मुजे मिल जाओ तो उस वक़्त तुम्हारी नजरे शर्म से ना झुके, तुम्हारे परिवार वालो के सामने, तुम पवित्र ही रही थी और रहोगी, और हाँ मे जब खटिया पे पड़ा रहूंगा मेरे हाथ और पर मेरा साथ छोड़ देंगे मेरी आँखों को और कुछ ना दिखाई देता होगा तब मे तुम्हें याद करूंगा तुम्हारे साथ बीते लम्हों को याद करूंगा और इश्वर से कामना करूंगा, अगले जन्म मे तेरा हो जाऊँ...

मिताली डायरी पढ़ते पढ़ते रोने लगी थी क्यू की, डायरी के हर एक पन्ने पर कहीं कहीं कुछ लफ्जों की शाही फेल गई साफ नजर आई थी, वोह समझ सकती थी कि राज पे क्या गुज़रती थी उस वक़्त जो उसकी आँखों से बहें अश्क ही कहानी बया कर देते थे. अब मिताली मे हिम्मत नहीं रही थी कि वोह राज से बात करे, उसके दिए गए घावों के कारण माफी भी माँगना चाहती थी पर उसे सही वक़्त देख कर मांगने का खयाल करके बेठ जाती है.

दो महीने बाद मिताली राज को कोल करती है.

मिताली : हैलो

राज : हा हैलो, केसी हो? सब कुछ ठीक तो हे?

मिताली : अरे साँस तो ले लीजिए एक साथ इतने सवाल, आज भी आप बदले नहीं. कुछ बात करनी थी आपसे सही वक़्त हे क्या?

राज : हा बताओं कोई प्रॉब्लम्स नहीं अभी कर सकती हो बात.

मिताली : मेने आपकी डायरी पढ़ ली थी बहोत पहेले, फिर आपको कोल करने के बारे मे कई बार सोचा पर कर ही नहीं पाई.

राज : क्यू भला मुजसे बात करने के लिए तुम्हें जीजकने की क्या जरूरत.

मिताली : आपने मेरे पागलपन को झेला है, उस वक़्त मे आपको और आपके हालातों को समझ ही नहीं पाई थी कि आप किस दर्द से गुजर रहे हो मुजे बस मुजे मिले दर्द का ही पता था और मे आपसे ख़फ़ा हो गई थी और कितनी बुरा बरताव आपसे करती रही पर आपने मुजे उफ्फ तक नहीं कहा, और आपने कहा था ना कि कुछ वक़्त लगेगा तुम कोई नए रिश्ते से जुड़ेगी तब तो ऎसा ही हुवा था मुजे आपकी बाते तब समझ आई जब मेंने बेटी को जन्म दिया, तब ये भी याद आया कि आपने आपकी डायरी मे भी ये लिखा था कि तुम तुम्हारी गुड़िया के साथ कभी कहीं मोड़ पर मिले, आपकी बात सच हुई गुड़िया ही हुई है. अब आपसे कोई गिले शिकवे नहीं रहे, बस अब मुजे भी आखिरी साँस का इंतजार रहेगा जब ऊपर वाले से उस वक़्त आपको ही मांग सकू कहते हें ना आखिरी वक़्त जो तम्मना बाकी रहे तो अगले जन्म मे पूरी होती है.

मिताली की बात को बीच से ही काटते हुवे) राज : अरे कहा तुम इतनी खुशी वाली बात हें और तुम आखिरी साँस वाली बातों को लेकर बेठ गई, ढ़ेर सारी बढ़ाई एक नई जिंदगी की शुरुआत के लिए.

दोनों की पलके भीग जाती हे और खुशी खुशी दोनों एक दूसरे को खुश रहने की दूवा करके फोन रख देते हैं

कहानी समाप्त.

मेरे कहनी को पढ़ने वाले सभी वाचको को दिल से आभार व्यक्त करता हू, मुजे उम्मीद नहीं थी कि कहानी आप लोगों को इतना पसंद आयेगी, आपके प्रतिसाद से ही मुजे और लिखने का बल मिला, पता हे मुजे कहानी मे शब्दों मे कई गलतिया की ही मेने फिर भी आप सब ने दिल से पढ़ी फिर एक और बार आपका आभार और बहोत ही जल्द मिलेंगे एक नई कहानी के साथ

बालक लाखिनी का प्यार आप सबको










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