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राज मिताली के फोन के बाद सोचता है, अखिर कर मिताली मुजसे क्यू मिलना चाहती है?, ए भी सब की तरह पहेले भाव खाती है बाद मे अपने असली रंग दिखाती है एसी ही लगता हे, जो हर एक लड़की को चाहिए प्यार के नाम से शुरू करके जिस्म को खुश किया करते हैं, और इल्ज़ाम मुहोबत मे
बेवफाई को मिलता है हर बार, अगर जिस्म पाना ही मुहोबत होती तो राधा श्याम की गाथा नहीं गाई जाती, मुहोबत सबको उसके जेसी चाहिए तो सही पर बिस्तर पर खत्म हो क्यू जाती है,
राज के फोन की घंटी बजती है, और राज का ध्यान फोन की तरफ जाता हे,
राज : हैलो
राज का दोस्त सामने से : कहा हो यार दो बार कोल किया पर आपका जबाव ही नहीं
इतनी भी ज्यादा नोट ना इकट्ठा किया करो
कुछ वक़्त यारो के लिए भी निकाला करो
(हसने लगता है)
राज : अरे यारा जितनी ज्यादा नोट बनेगी उतनी ज्यादा खर्च करने को कम आएगी
राज का दोस्त : हा ये भी सही है, अच्छा तो बता फ्री हो तो कहीं उड़ाने चले जेब मे पडे पडे ज्यादा उछाला मार रहे हैं,
राज : अच्छा तो आज उसको उड़ा ही देते हैं आजा ऑफिस के नीचे कहीं जाते हैं और जिसके लिए बने हे वहा दे आते हैं,
(थोड़ी देर में राज का दोस्त उसकी ऑफिस पहुच जाता है और दोनों कार मे निकल जाते हैं )
राज :बोल कहा जाएंगे ?
राज का दोस्त : मयखाने मे जाएंगे ओए अंगूरी की बेटी को होठों से लगाएंगे
( दोनों हसने लगते हैं )
कार बार की तरह जाके रुकती है और दोनों बार मे बेठ के जाम पे जाम लिए जाते हैं
राज का दोस्त : यारा ऎसा कौनसा काम कर रहा था जो तूजे फोन की घंटी भी सुनाई नहीं दी?
राज : कुछ नहीं यार वोह तूजे बताया था ना मिताली के बारे में याद है, उसको लेके सोच रहा था.
राज का दोस्त : वोह मंदाकिनी अंखियों वाली?
राज : हा वहीं
राज का दोस्त : क्यू क्या हुवा प्रपोज किया क्या भाई?
राज :ना यार ऎसा नहीं हे मुजे कुछ उसका हावभाव ठीक नहीं लगता, और डरता हू कहीं पुराना वाला राज ना बन जाऊँ.
राज का दोस्त : तो उसमे बुरा भी क्या हे दोस्त वेसे भी भाभी तो मायके हे कितने दिनों से तो लोहा गर्म हो तो मार दो हथोड़ा.
राज : नहीं ऎसा कुछ नहीं है कभी कभी उसकी बाते इतनी खाए जाती हे कि एक बार फिर वहीं राज बन जाऊँ पर फिर दिल नहीं मानता,
राज का दोस्त : भाई तू ख़ुद पहेले फेसला तो कर तू क्या चाहता है बाद मे तय कर ,बाकी लड़कीया क्यू तुम्हारे पीछे पीछे पागल होती है ये तुम्हें पता ही है,
राज : वहीं तो नहीं कर पा रहा हू, उसका इरादा क्या हे क्यू मेरे पास्ट को जान रही है, आखिर वोह मुजसे मिलना क्यू चाहती है?
कुछ भी तो मे समज नहीं पा रहा,
राज का दोस्त : तू कुछ मत सोच बस तू मिलने चला जा उससे तो आगे उसका इरादा पता चलेगा नहीं मिलेगा तो कुछ पता नहीं चलेगा,
राज :ठीक है यहि सही रहेगा उसकी चाल का पता चलेगा
( राज अपना फोन निकालता हे और मिताली को फोन करता है, सामने घंटी बजती है पर कोई जवाब नहीं आता और राज गुस्सा हो जाता है )
राज: देख अभी ये फोन नहीं उठा रही, भाव खा रही है, अपने आपको कुछ और ही समझ रही है,
राज का दोस्त : नहीं यारा ऎसा नहीं होगा कुछ काम मे होगी थोड़ी देर इंतजार करो अब उसको सामने से कोल करने दो तुम मत करना
राज : में कहा मरे जा रहा हूं उससे मिलने को
( मन मे तो राज उससे मिलने को बेकरार था पर चहरे पर आने नहीं देता था)
थोड़ी ही देर मे मिताली का कोल आता है
राज फाटक से उठा लेता है
मिताली :हाइ फोन हाथ मे ही लेके बेठे थे क्या?
राज : नहीं ऎसा कुछ मत समझो जस्ट को ऎसे ही, हाँ तो कल कहा मिलना है?
मिताली : अच्छा तो तुम आ रहे हो
राज : हा मे भी तो मिलना चाहता हू अखिर कर तुम क्यू मेरे बारे मे सब जानना चाहती हो, मेने तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं कभी भी तो तुम क्यू इतना मुजे इल्ज़ाम पे इल्ज़ाम
लगाए जा रही हो?
मिताली : हेलो एसा कुछ नहीं मे तुम्हें ठीक-से जानती नहीं जो तुम्हारे बारे मे जानते हैं, उनलोगों के मुह से जो सुना वहीं मे मान रही हू पर कभी कभी मे ये बात मुजे हजम नहीं होती कि तुम इस तरह के इंसान बिल्कुल नहीं हो पर जितने भी लोग बात तुम्हारी आती है तो, तुमसे दूर भागने की ही बात करता है, तुम सामने से आते हो तो अच्छे घर की लड़किया अपना रास्ता बदल लेती है,
आखिर कर क्यू,? तुम मेरी बात का गलत मतलब मत निकाल ना,
राज :नहीं मे तुम्हारी बातों का बुरा भी लग रहा है, पर एक तरफ से मेरी आँखों के सामने तुम मेरी सच्चाई लोगों के दिल मे क्या हे वोह बता के मुजे हेरात डाल रही हो, मुजे आज तक ये पता नहीं लगा के मेरी पीठ पीछे भी एसी बाते भी होती है,
मिताली : वहीं तो तुम जिन लोगों को इतना सम्मान देते हो तो उनका काम निकल जाने के बाद क्यू उन सबकी बाते क्यू तुम्हारा दूसरे चहरे के बारे मे बात करते हैं,
राज : मतलब तुम्हारे मामा और उनकी लड़कियों की बात कर रही हो?
मिताली : हा उनकी ही बात कर रही हू तुम अपना टाइम्स अपना काम छोड़ के एक फोन पे उनके लिए आ गए तो कम से कम तुम्हारे लिए बुरा तो नहीं बोलना चाहिए ना,
तुम्हें लेके हमारी बहोत बहस हुई थी पर मुजे तुम मे एसा दिख नहीं रहा था, इसी लिए मे तुमसे वोह सारी हकीकत जान ना चाहती हू
मे उनको गलत साबित कराना चाहती हूं, और मे सही हू मे किसी को परखने मे धोका नहीं खा सकती ये प्रूफ करना हे,
राज : ये तो सही नहीं है तुम खुद को साबित करने के लिए मेरे अतीत को कुरेदा करो,
मिताली : आप मेरे कहने का मतलब नहीं समज रहे हो, हाँ आप रहे होंगे अतीत मे एसे
पर मे ने जब से आपको देखा या जितना वक्त आपके साथ वोह मामा की शादी मे बिताया, उतना तो जान गई हू की जो लोग बोलते हे वोह आप हो ही नहीं, किसीको पहचान ने मे मेरी गलती नहीं होती, और मे गलत हू या नहीं एही मुजे साबित करना है बस,
राज : मतलब तुम कहती हो कि मे बहोत सीधा इंसान हू? और अगर तुम ये सोच रही हो तो तुम गलत हो दूसरों से जानने की कोई जरूरत नहीं मे ही तुम्हें अपनी हकीकत बता देता हूं, तुम्हें कुछ और से जानने की जरूरत ही नहीं,
मिताली : वोह मे तय करूंगी तुम मुज पर छोड़ दो, तुम बस मेरा साथ दो और कल मिलने आना प्लीज़
राज : ठीक हे बाबा साला कोई रास्ता ही छोड़ा तो क्या करेंगे,
मिताली : नहीं एसा तुम नहीं आना चाहते तो माना कर सकते हो तुम्हारी मर्जी कल मंगलवार हे तो तुम्हारे टाउन मे जो गणपति जी का मंदिर है वहा आना नहीं आना तो मत आना मे बाद मे कभी तुम्हें फोर्स नहीं करूंगी, ( इतना कहेके मिताली ने गुस्से से फोन काट दिया)
राज : साला अजीब लड़की हे साली बीवी जेसी हरकत करती है, यार तेरी भाभी भी इतना रौब नहीं जाडती
राज का दोस्त : अब क्या करेंगा दोस्त जाएगा कि नहीं?
राज : कल किसने देखा कल की कल देखेंगे यारा, अभी तो पार्टी खत्म करके हल्का होके अपने अपने घर जा कर सोएगे
(दोनों बार मे से निकल के अपने अपने घर चले जाते हैं, और सुबह उठकर राज अपने ऑफिस के काम मे लग जाता है,काम खत्म करते करते दोपहर के 2.00pm बज जाते हैं उसे याद आता है कि मिताली को मिलने जाना हैं, थोड़ा सोचता है फिर वोह मिलने जाता है, तय की गई जगह पर निकल पड़ता है राज)
क्रमशः....................
कहानी अभी जारी है, आप का शुक्रिया अदा करता हू मेरी लिखी कहानी पढने के लिए और अगर आप पढ़ने के बाद मे रेटिंग देना ना भूले और कोई सुधार का कमेन्ट भी in बॉक्स मे या मेरे wht.. 8530201001
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फिरसे आप सब का तह दिल से शुक्रिया सभी वाचक मित्रों का इसी तरह आपका प्यार बनाए रखे