अधूरी हवस - 4 Baalak lakhani द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अधूरी हवस - 4

                          (4)

जब इंसान प्यार मे होता है तो उसे पूरी दुनिया मेघधनुष की तरह सप्‍टरंगी लगती है, पर जेसे ही वो प्यार कही खो जाता है, तो पूरी दुनिया उन्हे दुश्मन लगती है, कई तो अपने आप को ही बर्बाद करने मे जुट जाते हे, परिस्थियो मे अपना आपा खो देते हैं, बहुत कम लोग खुद को समजदारी से बाहर निकल पाते हैं, कुछ ऎसा ही राज का नेचर हो गया था तो, आओ देखे कहानी आगे कहा जाती हे हमे लेके.

राज :हा  मेरी खुशी मेरी लाइफ से अलविदा हो चुकी थी, कई हफ्ते तक उसके घर के आगे चक्कर काटते रहा पर वोह खिड़की दुबारा नहीं खुली,

मिताली :उसके परिवार मे ओर कोन कोन थे ए बाते कभी नहीं हुयीं क्या?

राज :हा एक बार मेने पूछा था, वक्त आने पर बतावउंगी, अभी हम दोनों हे तो कोई ओर नहीं, ऎसा कहेके टाल दिया, फिर कभी नहीं पूछा उस बारे में,

मिताली : बढ़िया है तुम्हारी कहानी वोह तुम्हारे बारे में सब जानती थी, पर तुम सिर्फ खुशी को ही जानते थे ओर किसीको नहीं,
तुम लोगो ने कई दफा होटल मे उसके घर में एक दूसरो को भोगा फिर भी अंजान, ए तो तुम दोनों ने अपनी अपनी भूख ही मिटाई कही प्यार तो दिखाई नहीं देता,

राज : हा तुम ये कहे सकती हो मे तुम्हारी बात को नहीं गलत नहीं कहूंगा, पर मे तो एक दूसरे का प्यार बाटने के तरीका ही समझ रहा था जब तक वह साथ थी, बल्कि कई महीनों में ऐसे ही मानता था कुछ वक्त के बाद मेने ये मान लिया ये सब धोका हे प्यार की आड़ में अपनी हवस को पूरी कर रही थी
सब उसे प्यार कहते हैं हकीकत मे वोह एक अपने आप को छलने का सब से बड़ा तरीका है,

मिताली : तुम्हारा मतलब है कि तुम शरीफ थे कसूर वार वोह थी

राज :हा मेने तो उसे दिल से अपनाया था पूरी लाइफ उसके साथ ही बिताने का फेसला किया था बुढ़ापे तक आखरी सास तक खुशी के साथ ही जीना था, तो क्या मे गलत था?

मिताली :नहीं मेरी नज़र से नहीं तुम सही थे पर अपने आप पर काबू रख कर जो सीमा लांघ ली वोह शादी के बाद भी तो पा सकते थे,

राज : हा पर जो मेरा ही था ए भरोसा हो गया हो तो दो मे से एक होने मे मुजे कोई बुराई नहीं नजर आती थी, मेरी सोच से

मिताली :तुम्हारी सोच से क्या जो सही वोह सही जो गलत है वोह गलत ही होता है, ओर तुम एक के चले जाने के बाद सब से रिवीजन लिया उन सब लडकियों से जो तुम पर भरोसा किया था, सब से अपनी हवस मिटाते रहे और उनकी जिंदगीया बर्बाद करते
रहे?

राज :नहीं मेने नहीं किसी का भरोसा तोड़ा ना प्यार के नाम से उन को भोगा, हा खुशी के बाद कई लड़किया मेरी लाइफ मे आई ओर गई बस कुछ थोड़े वक्त के लिए या कुछ ज्यादा वक्त के लिए, पर कभी प्यार के नाम से किसी को नहीं छला, कभी किसीको नहीं कहा मेने की तुम्हारे साथ जिंदगी आगे बढ़ाने की सोच रहा हूँ,

मिताली: मतलब सब अपनी मर्जी से वोह सब तुम्हारे साथ होटलों मे वक्त गुजरती थी?

राज :हा जब तक खुशी से मेरी मुलाकात दोबारा हुई तब तक मेरी लाइफ मे मेने किसी ओर को अपने करीब भी नहीं आने दिया था खुशी की यादो मे ही लाइफ को गुज़र ने का फेसला करलिया था.

मिताली :क्या खुशी से मुलाकात हुई थी फिरसे? कब? कहा?

राज :हा खुशी से मुलाकात हुई थी मेरी, उसके छोड़ के जाने के बाद तकरीबन १४ महीने बाद मेरी.

मिताली :अच्छा तो कया बात हुई? कुछ बताया क्यो वोह गायब हो गई कुछ बताए बिना कहा चली गयी थी ये सब.

राज :हा सब बताया मेरे सारे सवालो के जवाब मिले जो इतने महीनो से मे अंदर ही अंदर एक ज्वाला बनके उबाल मार रहे थे,
गुस्सा ज्वालामुखी बनके खुशी पे बरासा, खुशी ने कभी मेरा ए रूप कभी नहीं देखा था जो उस मुलाकात के वक्त देखा

मिताली :क्यू ऎसा क्या तुमने खुशी के साथ?
तुम मर्दों की एक बात होती है ओरतो को अपनी जूती समझना ओर कर भी क्या सकते हो

राज : बस तुम अपने खयाली पुलाव पकाना बँध करो, बिना बात की सच्चाई जाने बिना ही फेसला सुनाने लग जाती हो तुम लोगो की एहि तो आदत है,

मिताली :ऎसा कुछ नहीं हम पूरा सच जानके ही फेसला लेती हैं ऎसे ही किसी पे उंगली नहीं उठाते, हमारी गलती हो तो माफी भी दस बार मांगलेते हैं, तुम लोगो की तरह इगो नहीं रखते,

राज :छोड़ो मुजे कोई बात नहीं करनी तुमसे क्यू मे बहेस कर रहा हूं हो कोन आखिर तो मे सुनु तुम्हारी, वेसे भी तीन घंटे से मोबाईल पर तुमसे चिपका हुआ हू, कुछ काम काज भी होता है हमे तुम्हारे जेसे फ्री नहीं हे जो पूरा दिन फोन पर ही चिपके रहे

मिताली :अरे अज़ीब इंसान हो किसी ओर से मे कहा बात कर रही हू, मेरी मंगनी हो गई है, मेरे मंगेतर से बाते करती हूं तो तुम्हें जलने वाली कोई बात नहीं है,

राज :मे कहा जल रहा हूँ जो हे वही तो बता रहा हूँ, इतनी सारी क्या बाते करते हो अखिर कर, खेर छोड़ो जो भी हो इटस योर लाइफ ओके मे रखता हू फोन

मिताली :ओके ठीक है बाय

दोनों फोन काट देते हे राज अपने काम मे लग जाता है, ओर इधर मिताली अपने मंगेतर से बात करने लग जाती है, फिर जेसे ही वोह फ्री हो जाती है तो उसको खुशी ओर राज के बारे मे सोच ने लगती है, मिताली को न जाने क्यू राज की बातो मे खिची चली जा रही थी, मिताली से रहा नहीं गया ओर राज को एसएमएस कर दिया फ्री हुवे के नहीं?
पर राज का रीप्ले देर बाद आया

राज :नहीं अभी कम मे हू, जब फ्री हो जाऊंगा तो सामने से एसएमएस करूंगा ओके

मिताली :ओके, अतिट्टूड दिखाता है मन ही मन बोलती है.

उधर राज भी सोचता हे ये मिताली इतना क्यू मेरी बातो को जानना चाहती है, इसका इरादा ठीक नहीं लग रहा अब मुजे, बड़ी वाली नोटंकी लग रही है, ओर मुजे तो गीता पाठ पढ़ा रही है, मन ही मन मिताली के बारे मे अपनी सोच बना रहा है

उधर मिताली राज को फ्री होते ही एसएमएस पे एसएमएस किए जा रही थी पर राज के रीप्ले भी नहीं आते थे, दो बार तो कॉल भी किया पर राज ने रिसीव ही नहीं किया, मन मे राज पे गुस्सा करती है एक नबर का जूठा इंसान हे ऎसे ही सब लड़कीयो
जुट मुट की कहानीया बनाके अपनी जाल मे फसाता  होगा, पर राज हम तेरे जासे मे नही आने वाले तेरी नानी याद ना करा दु ना तो मेरा नाम मिताली नहीं, गुस्सा हो जाती है,

राज रात को फ्री होके मिताली को एसएमएस करता है, मे फ्री हो गया हू क्या तुम फ्री हो अभी तो कॉल करू?

मिताली का तुरंत रीप्ले आया मानो राज के एसएमएस का ही इंतज़ार कर रही हो, हा १० मी के बाद कॉल करो

राज मिताली को थोड़ी देर बाद कॉल करता हे

मिताली :बहोत बिजी रहेते हो काम मे ही व्यस्त थे या लड़किया घुमाने मे व्यस्त थे?

राज : तुम मुजे क्या समझ रही हो?

मिताली :एक बड़े बाप की बिगड़ी हुई ओलाद जो अपनी हवस मिटाते रहेता हे
मासूम लडकियों की लाइफ ओर जज्बातो से खेल ने वाला

राज : तुम्हें जो समाजना चाहती हो समझो
मुजे क्या 

मिताली :अच्छा तो बतावो तुम्हारी वोह खुशी कहा मिली फिर क्या बात की उससे?

राज :हा मेने दोपहर को बताया ऎसे एक हास्पिटल मे मुलाकात हो गई, हाथो मे छोटा बच्चा माथे मे सिंदूर, गले मे मंगलसूत्र  मे ए सब देख अपना आपा खो रहा था जेसे वेसे अपने आप को संभाला उसके सामने जा खड़ा हो गया, मुजे देख कर तो वोह चॉक गई पहले ओर बाद मे उसके चहेरे पे मुस्कान ही आगई , उसने मुजे पूछा केसे हो  जवाब के बदले मेने एक थप्पड़ जड़ दिया इतने महीनो का गुस्सा जो भरा था 

खुशी :राज प्लीज़ मेरी बात सुनो बाद मे तुम्हें जो बोलना हो वोह बोलो या मार डालना हो तो मार भी डालना पर यहा नहीं कही ओर जाके बात करते हैं

राज :ठीक है 

खुशी :तुम नीचे खड़े रहो मे बिल पे करके आती हू

राज :नहीं तुम जाओ मे येही पर खड़ा हू

खुशी हास्पिटल का बिल चूकते कर राज की कार मे वही गार्डन मे ले गया जहा खुशी आखरी बार उसे मिली थी, राज पूरे रास्ते में खुशी को ही देखता रहेता था घड़ी घड़ी,

खुशी :अरे बाबा मुजे मत देखो गाड़ी चलावो रास्ते पे नज़र रखो मुज पर नहीं, मुज पर नज़र रखनेसे कुछ नहीं हाशिल होगा

राज :कोई नज़र ही ना आए तो क्या नज़र रखे उसपे.

खुशी :तुम्हारी नाराज़गी सही है मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था

राज: एसी कोन्सी मजबूरी थी तो तुम्हारे पास कोई रास्ता नहीं था, एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा, मेरी क्या हालत होगी ये नहीं सोचा? नहीं कोई ओर ठिकाना नहीं किसी ओर के बारे मे बताया बस चल दी तुम.

खुशी :सॉरी राज  मुजे जो रास्ता सही लगा वही किया मेने, मुजमे तुम्हारा कोई भविष्य नहीं था, मे तुम्हारी वोह जिंदगी नहीं बनसकती थी जो तुम ओर तुम्हारा परिवार चाहता था, मुजे कभी तुम्हारे परिवार में स्थान नहीं मिलता, ओर मुजे लेना भी नहीं चाहिए,

राज :तुम क्या बात कर रही हो घुमा घुमाके साफ साफ बतावो, तुमने शादी कब की ओर ये बच्चा किसका हे,

खुशी : ओह हा इसे गोद मे तो लो एक बार
इसे तुम्हारी गोद की जरूरत हे अभी  मेरी हर चीज़ तुम्हारी हे मेरे हर हिस्से मे तुम्हारा ही साया हो ये तुमने ही कहा था ना  तो ये भी तो मेरा ही हिस्सा है, छूओगे  नहीं मेरे इस हिस्से को?

राज : अरे छोड़ो सब बाते बनाना  तुम्हारे हर हिस्से मे मेरा हक कहा रहा तुम ने तो किसे ओर से शादी करली मुझे बताना भी ठीक नहीं समझा.

खुशी : मे तुमसे मिली तभी भी मे शादी शुदा ही थी.
राज :क्या?

खुशी :हा मे तुमसे मिली उससे पहेले मेरी शादी को ४ साल हो गए थे, तुम मेरी लाइफ मे मेरा दूसरा प्यार बनके याए  तुमने मुजे  मेरे ओरत होने का वजूद दिया,

राज : क्या तुम ठीक ओर सरल भाषा मे मुजे समझा सकती हो पहेलियां मुजे नहीं समझ आती पता तो हे तुम्हें,

क्या वजह थी खुशी की जो खुशी शादी शुदा होते हुवे भी उसने राज से रिश्ता जोड़ 

आगे पढ़ते रहिए कहानी मे