Kadi Number 306 - Returned books and stories free download online pdf in Hindi

कैदी नंबर 306 रिटर्न्ड

मैं हूँ कैदी नंबर 306 |

आखिर मैं कैदी क्यों हूँ ? पहले बता चूका हूँ परन्तु संक्षेप मैं फिर से बता देता हूँ |

तकरीबन 2.5 साल पुरानी बात है मेरे शहर मैं एक जुर्म हो गया और पुलिस ने मुल्ज़िम के तौर पर 2 लड़कों को पकड़ा | अगली सुबह कुछ भीड़ के बेकाबू होने के कारण और कुछ पुलिस की निष्किर्यता के कारण पकडे गए लड़कों को भीड़ ने हत्या कर दी | जब मैंने दोनों लड़कों को गौर देखा तो पाया की दोनों लड़के मेरे जानकार थे और जिस समय जुर्म हुआ उस वक़्त मेरे साथ होटल मैं डिनर कर रहे थे | इसका सीधा मतलब यह निकलता है की पुलिस ने गलती से दो बेगुनाह लड़कों को पकड़ लिया था | जब यही बताने मैं पुलिस अफसर के पास गया तो पुलिस ने मुझे भी पकड़ कर जेल मैं बंद कर दिया | मेरा इकबालिया बयान भी ले लिया और कोर्ट मैं भी पेश कर दिया | और साहब मुकदमा तकरीबन 13 महीने चला और मुझे सजा भी हो गयी | तो इस तरह मैं बन गया कैदी नंबर 306 |

लोवर कोर्ट ने मुझे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और मैं जेल मैं बंद हूँ | परन्तु क्या मामला ख़तम हो गया ? नहीं साहब मैंने भी हाई कोर्ट मैं अपील की हुई है और आज हाई कोर्ट का फैसला आने वाला है |

हाई कोर्ट के फैसले का तो शाम तक इंतज़ार करना ही पड़ेगा मुझे नहीं पता हाई कोर्ट क्या फैसला लेगा परन्तु लोअर कोर्ट मैं तो सब मेरे खिलाफ ही रहा | पुलिस ने तो मेरे खिलाफ केस बनाया ही था फिर पता नहीं कहाँ से 2 ऐसे गवाह भी पुलिस की तरफ से आ गए जिन्होंने गीता की कसम खाने के बाद कहा की उन्होंने मुझे घटना स्थल के नज़दीक दोनों लड़कों के साथ देखा था | मैंने अपना पक्ष खुद रखा | ऐसा नहीं है की मैं कानून जानता हूँ या बहुत बड़ा विद्वान् हूँ परन्तु बार कॉउंसल ने बाकायदा प्रेस मीट करके घोषणा की थी की कोई वकील मेरा केस नहीं लड़ेगा | वकील की बात छोड़िये साहब सारा शहर ही मेरे खिलाफ था | मेरे खिलाफ धरने प्रदर्शन और पता नहीं क्या क्या हो रहा था | इन कार्यकर्मो के लिए पैसा पता नहीं कौन दे रहा था |

जो भी हो वकील के बिना तो केस लड़ा नहीं जा सकता आखिर जब कोई वकील नहीं मिला तो सरकारी तौर पर मुझे एक वकील दिया गया | जब सब मेरे खिलाफ थे तो भला मुझे मिला सरकारी वकील मेरे पक्ष मैं कैसे हो सकते थे बस वह खानापूरी ही कर रहे थे | आखिरकार मैंने खुद ही अपना केस लड़ने का फैसला किया और कानून की किताबें पड़ने मैं दिन रात एक कर दिया |

हालांकि लोअर कोर्ट ने मुझे सजा सुना दी परन्तु 13 महीने की मेहनत के बाद आज मैं वकील तो नहीं परन्तु जहाँ तक कानूनी जानकारी की बात है बड़े वकीलों से ज्यादा जानकारी मेरे पास है | हाई कोर्ट मैं मैंने खुद अपना केस लड़ा है आज फैसला आना है अगर मेरे पक्ष मैं नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट मैं भी लडूंगा | क्या कहा आपने ? क्या हाई कोर्ट से मुझे जीतने की उम्मीद नहीं है ?

ऐसा है साहब मेरे पास कोर्ट का प्रैक्टिकल ज्ञान है इसीलिए मैं यह जानता हूँ की कोर्ट के फैसले सबूतों के अलावा अन्य बातों पर भी निर्भर करते है | जैसे की मेरे मामले मैं लोअर कोर्ट का फैसला ही देख लीजिये | मेरे पक्ष मैं 2 अकाट्य साबुत आ सकते थे | पहला सबुत थे उस होटल की CCTV फुटेज जिसमे उस शाम हमने खाना खाया था | परन्तु क्या हुआ मैंने CCTV फुटेज निकलवाने के लिए CrPC 91 के तहत एप्लीकेशन लगाई परन्तु हुआ क्या बहुत कोशिशों के बाद जब होटल मैनेजर कोर्ट मैं आया तो उसने CCTV फुटेज होने से ही साफ़ इंकार कर दिया | सबको मालूम है की होटल मैं CCTV कैमरा लगे हुआ है (सरकारी आदेश से) परन्तु पहले तो मैनेजर साहब मुकर ही गए की कैमरा लगा हुआ है और जब मैंने साबित कर दिया की कैमरा लगा हुआ है तो मैनेजर साहब इस बात से ही मुकर गए की कैमरा काम करता है परन्तु हमने भी साबित कर दिखाया की कैमरा काम करता है फिर आखिर मैं मैनेजर साहब ने कह दिया की उनका कंप्यूटर ही ख़राब हो गया है इसीलिए CCTV फुटेज नहीं दे सकते | कोशिश तो बहुत की हमने परन्तु मैनेजर साहब ने फुटेज नहीं देनी थी सो नहीं दी | हमने भी हिम्मत नहीं हारी और रेलवे स्टेशन पर लगे हुए CCTV फुटेज निकलवाने की कोशिश मैं लग गए | आखिर रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम एवं प्लेटफॉर्म पर लगे CCTV फुटेज भी वही काम करती जो होटल की CCTV फुटेज करती | हमें कोर्ट से मेरे पक्ष मैं आर्डर भी मिल गया CCTV फुटेज के लिए परन्तु जिस दिन फुटेज कोर्ट मैं पेश की जानी थी रेलवे स्टेशन के रिकॉर्डिंग रूम मैं आग लग गयी और सब सस्वाहा | इसके अलावा भी कई साबुत थे परन्तु दुर्घटनाओं के कारण कोर्ट तक नहीं पहुँच पाए

मतलब की सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं किया जा सका और मुझे आजीवन कारावास की सजा सुना दी गयी | दुर्घटनाओं के सीक्वेंस को देखकर स्पस्ट पता चल रहा था की मेरे खिलाफ साज़िश रची जा रही है परन्तु कोर्ट के बाहर होने वाली जिंदाबाद मुर्दाबाद के आगे कोर्ट ने भी प्रेशर मैं आ गया | क्या कहा आपने ? कोर्ट प्रेशर मैं नहीं आता उसकी आँखों पर काली पट्टी बंधी होती है | तो मैं सिर्फ इतना कहूंगा की आप के पास किताबी ज्ञान है |

चलिए अभी तो दोपहर ही हुई है शाम तक इंतज़ार करना है तो थोड़ी देर झपकी ही ले लेते है

फिर मिलेंगे

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