BAGEE BALIA by Satya Vyas books and stories free download online pdf in Hindi

व्योमवार्ता - हम कहते है सत्य व्यास का अंदाजे बयॉ और

व्योमवार्ता/है और भी दुनिया मे नावेलनिगार बड़े अच्छे, हम कहते सत्य व्यास का अंदाजे बयॉ और : व्योमेश चित्रवंश की डायरी,21 जनवरी 2020

कल रात सवा नौ बजे सत्य व्यास की बागी बलिया उठाई तो जिला बलिया के मझौंवा घाट से लेकर सिटी पीजी कालेज तक संजय नेता और रफीक मियॉ के संगत मे दियारा के बलुहट मे उन्नीस मोबाईल काल को नही उठाने के बदले अनुराग राय को उन्नीस चिन्हानी देने तक के जलेबीनुमा मोड़ के बैठकी से उठा तो रात के दो बज रहे थे। घड़ी पर निगाह गई तो मुँह से अरे नही निकला बल्कि बैठकी एक बार मे पूरी कर उठने के लिये खुद के लिये वाह निकल गया। वैसे इस वाह के असली हकदार भी अनुज सत्यव्यास हैं जो बनारस टाकीज से शुरू हुये भरोसे को दिल्ली दरबार से होते हुये चौरासी मे जमसेदपुर की यात्रा कराते हुये बागी बलिया तक बदस्तूर बरकरार ऱखे जा रहे है। यह बैठकी ट्रेन की यात्रा में हो या घोर जाड़े की ठण्डी रातों मे अपना जलवा बिखेर जाती है और यही तो इस एकाकी बैठकी का मजा है। सत्य व्यास के इस रूप का पहला मुझसे परिचय मई २०१६ मे दिल्ली यात्रा के दौरान मंडुआडीह स्टेशन पर हुआ जब स्टेशन की दुकान से बनारस टाकीज खरीद कर मै मंडुआडीह स्पेशल मे बैठ कर पहला पन्ना पलटा तो आखिरी पन्ना उलटने तक गाजियाबाद स्टेशन आ चुका था। बनारस टाकीज मुझे मानसिक रूप से पुन: बीएचयू के दिनो मे ले जा चुकी थी। आखिरी कवर पर लेखक का फोटो देखा तो याद आया अरे यह तो अपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे अपना अनुज विद्यार्थी हुआ करता था। बनारस लोटा तो दिल दिमाग मे घुमड़ती बनारस टाकीज के बारे मे अपनी राय अपने ब्लाग मे लिखने के साथ ही फेसबुक मे सत्यव्यास को तलाश कर मित्रता आमंत्रण के साथ ही उसे भी साट दिया। लौटती सॉझ सत्य व्यास का सम्मान सहित स्वीकृति और आभार आ गया। फिर सत्य के साथ जो आत्मीय रिश्ता बना आज तक बरकरार है। मुझे यह स्वीकारने मे कोई गुरेज नही है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे अपने जूनियर होने के नाते मै सत्य का पक्षपाती हूँ पर सच यह है कि सत्य ने पक्षपात के इन अवसरों को अपने लेखन प्रतिभा से कहीं बहुत बौना कर दिया है। स्थानीय बोली, स्थान ,इतिहास, भूगोल को अपनी बेमिसाल बुनाई की अदाकारी से कसे उनके उपन्यास उन्हे लोकप्रियता के शिखर तक ले जाने मे सफल रहे है।
बागी बलिया मे आज के युवाओं मे खुद की जल्द पहचान बनाने के लिये राजनीति, गुण्डई, नेतागिरी, दादागिरी , चमचागिरी , चंदावसूली, फिरौती, वर्चस्व की जद्दोजहद है वहीं दो धर्मों के दकियानूसी परंपरा से दूर मस्तमौला दो दोस्तों की साफ दिलजोई की कहानी भी है। जो राजधानी दिल्ली और लखनऊ से दूर सीमावर्ती आर्थिक तौर पर पिछड़े पर अपने परंपरा पर गौरव करने वाले जिले के मनस्थिति की भी। छात्र राजनीति को बदबूदार बनाने वाले घूंटे राजनीतिज्ञोंं की तो गॉव की भोलीभाली अपने सपनों को देखने और फिर बदले की आग मे छली गई परिवार के सम्मान के लिये जान देने को मजबूर सीधी सरल लड़की की। शिक्षा मंदिर को अवैध कमाई का दुकान बनाने वाले प्रधानाचार्य की तो शिक्षा को मंदिर समझने वाले सिद्धान्तवादी प्रो० सुमित्रा की।
और डाक साहेब, उनके बारे मे जो कहो वह कम ही है, शुरू मे लगता है कि वह एक विछिप्त बुद्धिजीवी है फिर लगता है कि बंदा सीआईडी का आदमी है और अंत में......
जाने दिजिये , नही तो आपकी बैठकी का मूड बदल जायेगा।
रही बात सत्य की, तो वह अपने नये प्रतिमान स्वयं ही नयी रचनाओं के साथ गढ़ते जा रहे हैं। हम तो पहले ही कह चुके है कि सत्य व्यास का अंदाजे बयां और........
(बनारस, 21 जनवरी 2020, सोमवार)
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