नारीयोत्तम नैना
भाग-8
जितेंद्र ठाकुर से प्रथम पुरस्कार ग्रहण करती हुई नैना के आंखो में विधायक महोदय के प्रति प्रेम जितेंद्र स्वयं साफ-साफ देख रहे थे ।
राजेंद्र ठाकुर को ज्ञात हुआ कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी देवास शहर हेतु किसी अन्य बाहरी व्यक्ति को टीकीट दे रही है। और इसका प्रस्ताव स्वयं राधेश्याम भुल्लर ने केन्द्रीय चुनाव समिति को दिया है।
"यह क्या भाईसाहब! आप अपने वचन से मुकर रहे है। आपने मुझे लोकसभा चुनाव में पार्टी का टीकीट दिलवाने का वचन दिया था।" राधेश्याम भुल्लर के घर पहूंचते ही राजेंद्र ठाकुर उन पर बरस पड़े।
"तुमने भी तो वचन दिया था की तनुश्री का विवाह अपने भाई जितेंद्र ठाकुर से कराओगे। लेकिन तुम्हारा वो भाई उस दो टके की छोरी नैना के आगे पीछे घुम रहा है।" राधेश्याम भुल्लर ने क्रोधित होकर कहा।
"आप चिन्ता न करे भाईसाहब। मैंने नैना और उसके परिवार को देवास से बेदखल करने का पुरी योजना बना ली है। जब वो नैना ही यहां नहीं होगी तब अपने आप जितु, तनुश्री की ओर लौटने पर विवश हो जायेगा।" राजेन्द्र ठाकुर ने अपनी योजना बता दी।
"देखो! राजेंद्र। जो करना है जल्दी करो। मैं अपनी बेटी को युं दुःखी नहीं देख सकता।" राधेश्याम भुल्लर ने राजेंद्र के कन्धों को जोरों से दबाते हुये कहा। राजेंद्र ठाकुर समझ गये कि अब समझाने-बुझाने का समय नहीं है। अब आर-पार की लड़ाई लड़नी होगी। वर्ना अपनी एकलोती बेटी की खातिर राधेश्याम भुल्लर उसका चुनाव टीकीट पक्का कटवा देगा।
जितेंद्र ठाकुर बहुत मुश्किल समय से गुजर रहे थे। दिलो-दिमाग पर नैना का कब्जा था। न चाहते हुये भी नैना का ख्याल दिमाग में आ ही जाता। नैना से फोन पर बात करने में संकोच करने वाला जितेंद्र व्हाहटसप पर नैना का स्टेटस देखना कभी नहीं भुलता। सड़क से गुजरते समय नैना के मकान की ओर टकी-टकी लगाये देखना अब जैसे उनकी प्रतिदिन की दिनचर्या हो चुकी थी।
सड़क से गुजरते हुए आज जितेंद्र ठाकुर ने नैना के मकान की ओर नज़र दौड़ाई ही थी कुछ भीड़ देखकर उन्होनें ड्राइवर को कार रोकने को कहा। अतिक्रमण दस्ता वहां कूछ तोड़-भोड कर वहां से जा चुका था। विधायक महोदय ने ड्राइवर से कहा कि वो पता कर आये की ये इतनी भीड़ नैना के मकान के आसपास क्यों है?
ड्राइवर ने बताया कि नगरपालिका से अतिक्रमण गैंग द्वारा नैना के मकान का अवैध निर्माण तोड़ दिया है। उसी को देखने वहां भीड़ जमा है।
जितेंद्र से रहा नहीं गया। वह कार से उतरकर नैना के घर की ओर चल पड़ा। नैना के पिता महेश सोलंकी और मां तरूणा अपने मकान का यहां-वहां बिखरा समान समेट रहे थे। नैना और उसकी छोटी बहन स्मृति भी यहीं कर रही थी। जितेंद्र ठाकुर को सम्मुख देखकर महेश सोलंकी और तरूणा उन्हें घृणित नज़रों से देख रहे थे। नैना की आंखों में आंखें डालकर देखने पर जितेंद्र ठाकुर ने अनुभव किया मानों नैना उससे कह रही है कि 'जितेंद्र ठाकुर से प्रेम करने का पुरस्कार नैना और उसके परिवार को मिला है।' जितेंद्र ठाकुर की आंखों में क्रोध उतर आया। उन्होंने सीधे नगरपालिका के दफ़्तर पहूंचकर अतिक्रमण गैंग के अधिकारी के चेम्बर में प्रवेश कर उनसे नियमानुसार बने महेश सोलंकी के मकान का आधा हिस्सा तोड़ने पर जवाब मांगा। उचित प्रतिउत्तर नहीं मिलने की दशा में उस अधिकारी को समुचित कार्यवाही भुगतने हेतु तैयार रहने की चेतावनी दे डाली। उन अधिकारी साहब को अपनी नौकरी खतरे में जाती हुई दिखाई दे रही थी। सो उन्होंने सही-सही बताना ही उचित समझा। इन सबके पीछे जितेंद्र ठाकुर के बड़े भैया राजेंद्र ठाकुर का हाथ था। यह जानकर जितेंद्र सीधे उनसे मिलने घर पहूंच गये। दोनों भाईयों के बीच नैना के मकान को तोड़े जाने पर लम्बी बहस होती हुई देखकर यशवंत ठाकुर ने बीच बचाव कर मामले को किसी तरह शांत किया।
अगले ही दिन वही अतिक्रमण गैंग के अधिकारी-कर्मचारी विकास नगर पहुंचे। उनके साथ कुछ लोग थे। उन सबके पहूंचते ही पीछे-पीछे कुछ लोडिंग वाहनों, भवन निर्माण सामग्री लिये नैना के घर पहूंचे। कुछ ही घण्टों में महेश सोलंकी के ध्वस्त किये गये मकान के हिस्सें को पुनः निर्माण कर नया किया जाने लगा। नगरपालिका के रिमूवल गैंग अधिकारी मनीष तिवारी अपने किये व्यवहार पर महेश सोलंकी और उनके परिवार से माफी मांग चूके थे। देर रात तक विधुत प्रकाश की रोशनी में महेश सोलंकी के मकान की रिपेयरिंग का कार्य सम्पन्न होने तक जितेंद्र ठाकुर वही डटे रहे। नैना जितेंद्र ठाकुर के लिए कार में ही भोजन लेकर आई। विधायक महोदय नैना को मना नहीं कर पाये। आज भोजन भी उन्होंने पुरे मन से किया। नैना की आंखों में अजीब बैचेनी देखकर जितेंद्र ठाकुर भी बैचेन हो उठे। महेश सोलंकी और तरूणा सोलंकी को शुभ रात्रि कहकर जितेंद्र ठाकुर वहां से विदा हुये।
अपना घर तोड़ने का बदला लेने विपक्षी पार्टी के कुछ लोगों ने नैना को जितेंद्र ठाकुर के विरूद्ध बरगलाने का प्रयास किया।
"देखीये! ठाकुर परिवार ने हमारा घर नहीं तोड़ा है। यह हमारे और ठाकुर परिवार के बीच का मामला है। किसी तीसरे व्यक्ति ने अगर इसका लाभ उठाना चाहा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" नैना ने अपने घर विपक्षी राजनितिक पार्टी के नेता बनकर आये सुबोध मिश्रा से दो टुक में कहा। अपने साथियों के साथ सुबोध मिश्रा को निराश ही लौटना पड़ा। किन्तु समाधान राजनितिक पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रहलाद पटेल इस बात से हार नहीं मानने वाले थे। उन्होंने सुबोध मिश्रा को किसी तरह विधायक जितेन्द्र ठाकुर की तथाकथित प्रेमिका नैना को समाधान राजनितिक पार्टी में सम्मिलित करने की योजना पर काम करने को तैयार किया। प्रहलाद पटेल जान चुके थे कि भले ही प्रत्यक्ष रूप से जितेंद्र ठाकुर ने नैना को स्वीकार नहीं किया हो मगर नैना की जितेंद्र ठाकुर के प्रति दीवानगी का आने वाले चुनाव में उनकी पार्टी को भरपुर फायदा मिलना तय था।
आज इतने दिनों के बाद जितेंद्र ठाकुर का अपने मोबाइल नम्बर पर आये फोन को देखकर नैना प्रसन्न हो उठी।
"हलो! नैना!" जितेंद्र ठाकुर की पहली आवाज आई।
" जी! कहिये।" नैना ने कहा।
"अss वोsss ••• कैसी हो तुम?" विधायक महोदय लड़खड़ाते हुये बोले।
"ठीक हूं। आप कैसे है?" नैना ने पुछा।
बातों-बातों में नैना ने समाधान पार्टी के सुबोध मिश्रा से हुई भेंटवार्ता का संपूर्ण ब्यौरा जितेंद्र ठाकुर को कह सुनाया। जितेंद्र ठाकुर, नैना के निश्छल समर्पण से अभिभूत हुये बिना न रह सके।
राजेन्द्र ठाकुर अपनी योजना विफल हो जाने पर क्रोधित थे। उन्हें किसी तरह नैना को जितेंद्र से दुर करना था। और तनुश्री को जितेंद्र के करीब। उन्होंने निश्चित किया की लोकसभा चुनाव से पुर्व होने वाले प्रादेशिक विधानसभा चुनाव में जितेंद्र ठाकुर के विरूद्ध समाधान पार्टी से नैना को खड़ा करने के लिए वह पुरी कोशिश करेंगे। समाधान पार्टी के दफ़्तर पहूंचकर प्रहलाद पटेल से उन्होंने अपनी मंशा जाहिर कर दी। यह बात प्रहलाद पटेल को पता थी कि जितेन्द्र ठाकुर की आम जनता पार्टी ही क्षेत्र को विधायक देती आई है। जितेन्द्र ठाकुर से पुर्व उनके पिता पांच बार इसी क्षेत्र क्रमांक दो से विधायक रहे है। यशवंत ठाकुर ने राजनिति से संन्यास लेकर अपने छोटे बेटे को विधायक बनवाया। इस बात की टीस भी राजेन्द्र ठाकुर के मन में रह कर कर उठती है कि बड़े बेटे को दरकिनार कर छोटे बेटे को यशवंत ठाकुर ने विधायक की गद्दी सौंप दी। राजेन्द्र ने विरोध किया तब उसे जवाब मिला कि वह सांसद बनने योग्य है अतः उसे सांसद की टीकीट दिलवाई जायेगी। लेकिन समीकरण आशानुरूप नहीं बैठने पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल चौहान के करीबी मित्र रमेश सिंह तोमर को पिछले लोकसभा चुनाव में देवास शहर से सांसद का टीकीट मिल गया। राजेन्द्र ठाकुर हाथ मलते रह गये। आम जनता पार्टी के हाईकमान ने राजेन्द्र ठाकुर के क्रोध को संभालते हुये अगले लोकसभा चुनाव में निश्चित पार्टी का टीकीट देने का वादा कर किसी तरह डैमेज कन्ट्रोल कर ही लिया।
प्रहलाद पटेल ने राजेंद्र ठाकुर के विपक्षी होने के बावजूद उसे सहयोग का भरोसा दिलाया। नैना के तो वे लगातार संपर्क में थे ही। आज नहीं तो कल नैना को वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर ही लेंगे।
अपनी योजना पर काम करते हुये राजेन्द्र ठाकुर नैना से जाकर मिले।
"देखो नैना! तुम्हारे और हमारे परिवार में जमींन आसमान का अंतर है। और यदि तुम्हें यह अंतर पाटना है तब मेरी एक बात माननी होगी।" काॅलेज से लौट रही नैना को बीच रास्ते में रोककर राजेन्द्र ठाकुर बोले।
"कौनसी बात भाईसाहब?" नैना ने पुछा।
"तुम्हें जितेंद्र ठाकुर के विरूद्ध चुनाव में खड़ा होना पड़ेगा और जीतना पड़ेगा तब ही हम तुम्हारी शादी जितेंद्र ठाकुर से करवा सकते है।"
नैना को विधायक जितेन्द्र ठाकुर विरूद्ध किसी षड्यंत्र की बूं आने लगी। यकायक उसने कुछ समय विचार कर अपना निर्णय राजेन्द्र ठाकुर कोई कह सुनाय--
" ठीक है भाईसाहब! मैं विधायक महोदय के सम्मुख चुनाव लड़ने को तैयार हू।" नैना ने हां मी भर दी। राजेन्द्र ठाकुर प्रसन्न हो गए।
विधायक जितेन्द्र ठाकुर को जब यह बात पता चली की नैना विपक्ष के पार्टी से उनके विरूद्ध चुनाव लड़ने को तैयार हो गयी है तब वे न चाहते हुये भी नैना से मिलने उसके घर पहूंच गये।
"ये क्या पागलपन है नैना? तुम जानती हो इस क्षेत्र में हम चुनाव लड़ रहे है और तुम हमारे विरोध में खड़ी हो गयीं!" जितेंद्र ठाकुर ने नैना से पुछा।
"विधायक महोदय! आप चिंतित न हो। दरअसल आपकी और मेरी नजदीकियों का कुछ लोग फायदा उठाना चाहते है। मगर मैं ऐसा होने नहीं दुंगी!" नैना ने अपने अनुभव बताये।
इन सबके बाद मगर जितेंद्र ठाकुर नैना के चुनाव लड़ने के सख्त खिलाफ थे। उन्हें अपनी पारम्परिक विधानसभा सीट के विजय होने पर पुर्ण विश्वास था। उन्हें डर था कि शतरंज की चाल का मोहरा बन चुकी नैना को इस बात से कहीं कोई बहुत बड़ा नुकसान न उठाना पड़े।
विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही विधन सभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई। जितेंद्र ठाकुर और नैना के बीच प्रमुख टक्कर थी। युवाओं में तो दोनों प्रत्याशियों के प्रति बहुत उत्साह देखा जा रहा था। नवयुवक जहां जितेंद्र ठाकुर के पक्षधर थे तो वहीं नवयुवतीयां नैना के पक्ष में एकमत हो रही थी। सियासत ने दोनों के प्रेम संबंध को जमकर उछाला था। यही वजह थी नैना रातों-रात स्टार बन गई थी। एक धनाढ्य राजा-राजवाड़े परिवार के सामने एक आम आदमी की बेटी की तरह बेहद ही सादगी में चुनाव लड़ने वाली नैना के सभी ओर चर्चे आम हो रहे थे।
विपक्ष पार्टी किसी भी तरह नैना को जिताना चाहती थी। आम जनता पार्टी के प्रयास भी कोई कम नहीं थे। विधायक जितेन्द्र ठाकुर अपनी विजय के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे। प्रचार में सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी संपूर्ण ताकत झोंक दी थी। जितेन्द्र ठाकुर ने क्षेत्र क्रमांक दो के सर्वांगीण विकास और जनता को नि:शुल्क अन्न उपलब्ध कराये जाने की घोषणा कर अपने लिए वोट मांगे। वहीं नैना ने स्त्री साक्षरता में क्रांतिकारी कदम उठाए जाने , युवाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाये जाने के संकल्प के साथ पार्टी के लिए वोट मांगे। चुनाव प्रसार में कई बार दोनों का आमना-सामना हुआ। नैना का जितेंद्र के प्रति व्यवहार जहां प्रेम और सौम्यता से परिपूर्ण था वहीं जितेंद्र ठाकुर नैना से अप्रसन्नचित थे।
यहां पर नैना की कर्त्तव्यनिष्ठा ही थी कि अपने प्रियतम की नाराजगी के बावजूद सत्यनिष्ठा से चुनाव निर्विघ्न संपन्न होने तक स्वयं को संभाले रखा। कांटे की टक्कर में उतार-चढ़ाव के संघर्ष अनवरत जारी थे। मीडिया के सर्वे में ताकतवर जितेंद्र ठाकुर का बोलबाला था तो सोशल मीडिया पर नैना के विजय होने के कयास चरम पर थे। सभी निर्णायक दिन की प्रतिक्षा में बैचेन थे। 16 नवम्बर 2018 सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती आरंभ हुई। सांसे उपर-नीचे कर देने वाली मतगणना में देर शाम तक देवास के क्षेत्र क्रमांक दो के परिणाम साफ-साफ नहीं थे। जिला निर्वाचन अधिकारी के स्वयं हस्तक्षेप करने पर जितेंद्र ठाकुर मात्र एक वोट से विजयी घोषित हुये।
केवल एक ही वोट से पराजय देखने वाली नैना ने पत्रकारों को एक रोचक तथ्य बताया। जितेंद्र ठाकुर के प्रति प्रेम और समर्पण की प्रबल भावना की मारी नैना ने स्वयं का वोट खुद को न देते हुये जितेंद्र ठाकुर को दिया। उसने मीडिया के सामने स्वयं और पार्टी के प्रति मतदान करने वाले मतदाताओं का आभार मानते हुए क्षमा मांगी। नैना के स्वयं के वोट से वह इस चुनाव में विजयी बनकर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सकती थी। मगर उसने अपने पवित्र प्रेम के लिए स्वयं हार का मुहं देख लिया। नैना ने जितेंद्र ठाकुर और स्वयं के संबंधों का लाभ उठाने वाले तथाकथित राजनितिक लोगों को यह शिक्षा प्रदान करने के लिए चुनाव लड़ने का यह कदम उठाया। उन दोनों के रिश्तों को ढाल बनाकर अन्य तीसरा व्यक्ति इसका लाभ नहीं उठा सकता था। यह नैना ने प्रमाण के साथ प्रस्तुत कर दिया था।
तनुश्री को आभास होने लगा था कि नैना का यह बलिदान निश्चय ही जितेंद्र के हृदय का दरवाजा नैना के लिए खोल देगा। उसने नैना से उसी के काॅलेज में एक दिन मुलाकात की।
" नैना! तुम जितेंद्र ठाकुर के जीवन से चली जाने का क्या लोगी?" तनुश्री गुस्से में बोली।
"कुछ नहीं! प्यार में लेन-देन थोड़े ही होता है तनुश्री जी!" नैना के जवाब में संतोष झलक रहा था।
तनुश्री समझ गई कि जितेंद्र के प्यार में पढ़ी इस आधुनिक मीरा को समझाना असंभव है। मगर तनुश्री स्वयं भी जितेंद्र को खोना नहीं चाहती थी। सो उसने नैना को चैलेंज दिया कि उन दोनों में से जो भी जितेंद्र ठाकुर को ज्यादा प्रेम करता है वह अपना-अपना प्रेम प्रमाणित कर दिखाये। जितेंद्र ठाकुर के प्रति सच्ची दीवानगी ही सफल प्रमाणकर्ता को जितेंद्र को प्राप्त करने का रास्ता दिखलायेगी।
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