चुड़ैल वाला मोड़ - 17 VIKAS BHANTI द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चुड़ैल वाला मोड़ - 17

रात के दो बजे थे, कि उसके फ़ोन ने मेसेज टोन बजाई, व्हाट्सऐप पर किसी अननोन नंबर से मेसेज था । 3 जीबी की फाइल का कलेक्शन भेजा था किसी ने ।

संकेत ने डाउनलोड के लिए क्लिक कर दिया । नेट स्पीड बहुत स्लो थी । काफी देर के इंतज़ार के बाद संकेत सो गया । रात रेनू और सोनम के बीच के फासले को समझने में बीत गई । तीन बजे के करीब संकेत नींद के आगोश में खो गया ।

संकेत को लगा कि दो लड़कियाँ सर पर दुपट्टा डाले एक शादी के मन्डप में बैठी हैं और उसे अपनी तरफ आने का इशारा कर रहीं हैं । संकेत आगे बढ़ा और एक लड़की का दुपट्टा हटा दिया । लड़की रेनू थी । इतने वक़्त बाद रेनू का यूँ दिखना अजीब था । संकेत उठा और दुसरे चेहरे पर से दुपट्टा हटा दिया । भीतर का चेहरा देख संकेत सहम गया ।

ये वही हाईवे वाली लड़की थी पर चेहरा बेरौनक नहीं था । अचानक एक गुब्बारा सा फटा लड़की के चेहरे के पास और उसका चेहरा खून खच्चर हो गया ।

संकेत पीछे हट गया और ज़ोर से चीखा,"नाम क्या है तुम्हारा ?"

लड़की ने एक ऊँगली संकेत की तरफ उठाई और फिर अपनी कनपटी पर लगाई । अचानक सीने पर भारीपन सा महसूस हुआ और संकेत की आँख खुल गई । संकेत को लगा उसने सपना नहीं देखा बल्कि किसी और दुनिया में कुछ पल जी लिए हैं ।

पर सपने का कोई सर पैर उसे समझ नहीं आया था । सब कुछ भूल कर संकेत तैयार हुआ और शहर के ही गिरिजा शंकर अनाथ् आश्रम पहुंच गया ।

"जी क्या आपको आशा देवी अनाथ आश्रम के बारे मे कुछ पता है?" संकेत ने काउंटर पर बैठे एक सज्जन से पूछा पर निराशा हाथ लगी ।

संकेत ने शहर के 5 बड़े अनाथ आश्रमों की लिस्ट तैयार करी थी पर सब जगह उसे निराशा ही हाथ लगी, कोई भी आशा देवी अनाथ आश्रम को नहीं जानता था ।

संकेत पांचवे और आखिरी आश्रम से निकला और जेब में हाथ डाला तो भौचक्का रह गया । जेब से आई कार्ड गायब था । उसने उसे आस पास तलाशा पर वो वहां नहीं था । संकेत ने अपनी जर्नी रिवाइंड की और गिरिजा शंकर अनाथ आश्रम पहुंच गया । पर वहां भी काउंटर पर उसे कार्ड नहीं मिला ।

वो पलट के जाने लगा तभी पीछे से एक आवाज़ आई, ,"कहाँ छुपा रखा है तुमने दीदी को?" संकेत ने आश्चर्य से पलट कर देखा तो लगभग 15 साल की कोई लड़की थी और उसके हाथ में वही आई कार्ड था ।

"कौन दीदी ?" संकेत ने सवाल किया ।

इसके पहले कि लड़की कुछ बोल पाती संकेत का फ़ोन बज गया । सोनम की कॉल थी," हेलो संकेत सुशान्त भैया का एक्सीडेंट हो गया है । तुम जल्दी आ जाओ ।"

"सुशान्त ......यहां.....कैसे?" संकेत को कुछ समझ नहीं आया । मलेशिया गया सुशान्त घर पर कैसे पहुंच गया ।

संकेत ने उस लड़की का हाथ पकड़ा और साथ लेकर चल दिया । लड़की भी जाने कैसे उस अनजान संकेत के साथ चल पड़ी ।

पूरे रास्ते संकेत बस सुशान्त की घर में मौजूदगी के बारे में सोचे जा रहा था । सवालों के बादलों से घिरा संकेत घर से कुछ ही दूरी पर था कि अनिवेश का भी कॉल बज उठा ।

"संकेत आई एम इन टाउन, वेयर कैन वी मीट?" अनिवेश बोला ।

"अनिवेश प्लीज कम टू माय हाउस ।" संकेत ने पता बताया और अनिवेश ने 30 मिनट में पहुँचने का वादा कर दिया ।

कुछ ही देर में संकेत घर पर था । भीतर घुसते ही सबसे पहले उसकी नज़र सुशान्त पर पड़ी । सर फूटा हुआ, एक हाथ घायल, सुशान्त बुरी हालत में सोफे पर पड़ा था । उसके पैरों की तरफ सोनम खड़ी थी । एक तरफ माँ पापा खड़े थे ।

"अबे तू तो मलेशिया गया था ।" संकेत बोला ।

"हाँ काम जल्दी ख़त्म हो गया तो चला आया, सोचा सोनम को सरप्राइज दूंगा तो खिड़की से चढ़ने की कोशिश की पर ऐसा लगा जैसे किसी ने ज़ोर से कंधे से पकड़ कर 10 फ़ीट नीचे पटक दिया ।

सुशान्त का ये बोलना ही था कि वो अनाथ आश्रम वाली लड़की दो कदम आगे बढ़ आई और अजीब सी नज़रों से उसे देखती रह गई जैसे कुछ पहचानने की कोशिश में हो ।

घटनाएं बहुत तेज़ी से घट रहीं थीं । तभी बेल बजी । संकेत ने दरवाज़ा खोला तो अनिवेश को पाया ।

" कोई तकलीफ तो नहीं हुई घर ढूंढने में?" संकेत ने सवाल किया ।

"नो नो, नॉट मच ।" अनिवेश मुस्कुराते हुए बोला ।

जैसे ही अनिवेश ने कदम भीतर रखे ठिठक गया,"सुशान्त, यू हेअर?

अब संकेत सब कुछ समझ चुका था । वो पीछे घूमा और लड़की से बोला,"तुम्हारा नाम क्या है?"

PTO